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सही मायने में देखा जाए तो भगवान का मतलब माता-पिता से ही होता है प्रकृति और संचालक उसका भाग और वह तो भगवान माता-पिता भी होते हैं लेकिन परमात्मा अलग चीज है तो माता-पिता स्वयं भगवान ही हैं उन्हें हम बड़ा माने उनकी सेवा करें उनके अनुसार अगर वो सही करें तो जरूर चले और साथ ही साथ में हमें हमारा फर्ज बनता है कि उन्होंने हमें जब बचपन से उंगली पकड़कर चलना सिखाया हमारी जिंदगी को संभाला और हमें इस लायक बना दिया कि हम कुछ कर सकते हैं तो हमारा फर्ज बनता है उनका सहारा हम बने और उनके हर कदम कदम पर उनके सुख-दुख में साथ दें यह हमारा फर्ज बनता है क्योंकि वह हमारे भगवान हैं हर किसी के माता-पिता उसके भगवान ही होते हैं हां परमात्मा एक अलग चीज है जो सबका पिता है जो आपके माता-पिता का भी पिता हमारी माता पिता को पिता का पिता है और उनके माता पिता का पिता यानी सबका पिता है वह वाला चीज है भगवान तो माता-पिता ही होते हैं तो भगवान और माता पिता में कोई अंतर ऐसा नहीं है जो प्रकृति में हमने अवतरित भगवान माने हैं और मेरा मानना यह है कि कई जगह संदेहास्पद चीजें पैदा होती है किसी के सबूत नहीं मिलते किसी को कुछ नहीं तो वह एक अलग बात है किसी को मारना है तो माने किसी को नहीं मानना ना माने लेकिन माता-पिता को जरूर माने और भगवान है हर किसी के अपने माता-पिता उसकी भगवान है धन्यवाद
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