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नमस्कार आपका प्रश्न है जाति व्यवस्था हट सकता है कि नहीं जानकारी कि मैं बता दूं जाति व्यवस्था जातीय रूप में ना होकर यह एक कार्यकुशलता के रूप में एक रोजगार उपलब्ध कराने के रूप में जी बिल्कुल बिल्कुल कोई बड़ी बात नहीं है कि जातीय व्यवस्था हटाने के लिए किंतु मेरा एक प्रश्न है जाति व्यवस्था होने से अर्थव्यवस्था को क्या लाभ होता है जानकारी के लिए मैं बता दूं पलते जाति के पास अपना स्वयं का उसका जातीय रोजगार होता है जिससे वह व्यक्ति कभी भी भूखा नहीं मरता अन्य काम कीजिए 5 के माध्यम से आगे बढ़िए जाति व्यवस्था समाज को चलाने की अवस्था है जैसे कि हलवाई उसका काम क्या है भोजन बनाने वाला उसका काम क्या है दूध देना लोहार उसका काम क्या है लोहा का सामान बनाना उसका काम क्या है लकड़ी का सामान बनाना भाई साहब जानकारी के लिए यह शब्द जातियां है इसी तरह हजारों जातियां हैं जो रोजगार के शतक साधन है यदि हमारा विकल्प रोजगार क्षेत्र में विकल्प बहुमुखी हो जाए बहुत सारे रोजगार हमें उपलब्ध हो बिल्कुल ही जाति व्यवस्था को हटा देनी चाहिए अध्यापक भी जाएगा जो विक्की पब्लिक में चाहे वह किसी भी कास्ट के हो उस इच्छा क्षेत्र में आ जाए वह ब्राह्मण हो गया जो व्यक्ति नहीं पड़ रहा है कुवैत में भी दुखी नहीं होता क्या करेंगे जाति व्यवस्था बहुत आसानी चाहती है उसके लिए समाज में हम सब को आगे आना चाहिए रोजगार किस शिक्षक प्रयास करने चाहिए अधिक साथ ही साथ में एक बात और स्पष्ट कर दूं जब तक समाज केवल सरकारी नौकरी के पीछे भागेगा तक जाति व्यवस्था नहीं है तक की जातीय व्यवस्था एक व्यवस्था है जिससे अर्थव्यवस्था चलती है समाज चलता है जाति व्यवस्था को खत्म करना है तो व्यापार के क्षेत्र को बढ़ाना होगा धन्यवाद
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विकी मुझे लगता है कि एक सभ्य समाज के अंदर जाति प्रथा के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए जिस तरह से हमारे देश के अंदर जातीय संघर्ष होते रहते रिसेंटली हमने देकर के महाराष्ट्र के अंदर एक जातीय हिंसा हुई थी जिसमें कई लोगों की जान चली गई पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाएगा तो मुझे लगता है कि हमारे देश के अंदर एक सभ्य समाज के अंदर जाट पिता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए अवसर करना किसको करना सरकार को सरकारी कुछ न कुछ इस तरह की पॉलिसीस बनानी चाहिए जिस तरह जिसकी वजह से हमारे देश के अंदर हमारे समाज से जात बता खत्म हो जाए दूसरा मैं कहना चाहूंगा जाति के नाम पर जिस तरह कि आजकल हमारे देश में हिंसा हो रही है और जो वह लोग स्पेशलिस्ट लोहार कास्ट में आते उनके साथ अत्याचार होता मेट्रो सिटी की जाती है और समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है मुझे लगता है कि ऐसे लोग जो एक काम करते हैं उन पर सरकार का सख्त से सख्त कदम उठाने चाहिए ऐसे लोगों के साथ सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए तभी यह जो ज्यादा पिता की डिश पैरिटी हमारे समाज के अंदर वह खत्म हो पाएगी स्पेशल हमने देखा है कि गांव में इस पर क्लिक गांव में और आपका रिमोट एरिया टाउन में बहुत ज्यादा प्रबल करता है चार बोतल लेकर हम जैसे मेट्रोपोलिटन सिटी मूंग का तेजस्विता थोड़ा कम हो जाता है उसका सबसे बड़ा रीजन है कि अवेयरनेस और एजुकेशन मुझे लगता है कि धीरे-धीरे लूंगी एजुकेशन बढ़ती जा रही हो जिस वजह से जात बताओ को लगभग खत्म खत्म हुई है बड़े शहरों में छोटे शहरों अभी नहीं हुई है तो उसको भी खत्म करना बहुत जरूरी है
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मुझे लगता है कि जाति व्यवस्था खत्म हो सकती है भारत के अलावा विश्व के किसी और देश में ऐसा देखने को नहीं मिलता है कि एक ही देश के लोग जन्म के आधार पर कितनी जातियों में बैठे वर्तमान भारत की जनसंख्या में बहुत से जाति समूह है जिन्हें शक्ति आधार पर सामूहिक रूप से भारतीय कहकर पुकारा जाता है अंतर वर्णित विवाहों से जातियों का जो विकास प्रारंभ हुआ था वह आज भी अंतरजातीय विवाह उनके द्वारा अपने विकास पथ पर बढ़ रहा है इन विवाह के कारण भारत में जातियों की इतनी अधिकता है यह माना जाता है कि भारत में जाति व्यवस्था एक व्यक्ति के सिद्धांत या कारक का परिणाम नहीं है अभी तो यह कई कारकों का परिणाम है आजादी के बाद भारत में जातिगत असमानताओं को खत्म करने के लिए कई आंदोलन और सरकारी कार्यवाहियां भी हुई 19वीं सदी में ज्योति राव फूले ने निम्न जातियों के उत्थान के लिए आंदोलन किया निम्न जाति के लोगों का समर्थन करने के लिए डॉ भीमराव अंबेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा वक्त के साथ जातिगत भेदभाव में कमी आई है आज की युवा यह सब नहीं मानते वह अंतरजातीय विवाह भी करते हैं और उन्हें अच्छे से निभाते भी समाज को बदलने के लिए हमें अपनी सोच बदलनी होगी यह जातियों को हमने बनाया है ईश्वर ने नहीं यदि हम सब एक हो जाएं तो जाति पर आधारित हमारी असमानता को समाज से हमेशा के लिए उखाड़कर फेंक आ जा सकता है और हमारी एकता और अखंडता को कोई नहीं तोड़ सकता
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आहट सकता है कि नहीं आपको बता दे मुझे नहीं लगता है कि भारत में जाति व्यवस्था करेगी इसलिए यहां सभी धर्म और जाति के हिसाब से ही चुनाव या कोई भी कार्य किया जाता है चुनाव के समय जाति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लोग विभिन्न विभिन्न तरीके अपनाते हैं वैसे उनके जीतने की आशा ज्यादा रहती है इसी वजह से लोग अपने-अपने जाति को ही वोट देते हैं इसलिए मुझे नहीं लगता भारत में जाति व्यवस्था अभी हटेगी
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भारत में 5 परसेंट से भी कम के लोग का जो की अपर कास्ट ब्राह्मण का अर्थ में आते हैं और बाकी जो रिमेनिंग जो 70% से ज्यादा लोग जो कि अलवर का सिस्टम में आते हैं इंडिपेंडेंस के बाद भी आइए जो प्रथा है का सिस्टम के और जाति व्यवस्था के उपाय है इस को सबसे ज्यादा ही प्रॉब्लम को समझाता बी आर अंबेडकर जी ने समझा था और बहुत कोशिश की थी की इसे हटा दिया जाए आज भी आप अगर देखें तो लोग अगर लोग इंटर कास्ट मैरिज करते हैं तो उसके लिए भी और लोग तो पार्टी से हूं इसीलिए तुम मानती नहीं है बहुत झगड़े होते हैं बहुत कुछ बहुत कुछ कम करो जो प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है तो चुप रहा है वह कभी हंसने का नाम ही नहीं ले रही है और अगर आप देखा जाए जो प्रथा बहुत ज्यादा देखे गए हैं यूपी बिहार के साइड में यह जो कास्ट मैं ऑफिस जाती व्यवस्था को जो सबसे ज्यादा फॉलो करते हैं तो यह मेरे सबसे मेंटलिटी के ऊपर डिपेंड करता है अगर उस चीज को हटा दिया जाएगा आप हम मगर का सिस्टम से ऊपर की सोच इंसानियत हम सब को एक ही लेवल पर देखें तभी पॉसिबल है हम इस सिस्टम को हटा पाए आज नहीं तो बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाएगा और जब भी कोई भी पॉलिटिकल शुरू होता है जो भी इलेक्शन होते देखा है जो पॉलिटिकल पार्टी सिस्टम को बहुत ज्यादा बढ़ा देते हो तो हमें रखनी चाहिए और एक एक साथ मिलकर इस चीज का सामना करना चाहिए कास्ट या फिर जातिवाद को एक दूसरे के इंसानियत से बढ़कर कभी भी ज्यादा गाली नहीं देनी चाहिए
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जाति व्यवस्था बदल सकती है लेकिन उसके लिए जरूरी है अपनी मानसिकता को बदलना रूढ़िवादियों से बाहर को निकालना चाहती है क्या चाची को चोदा समाज के कुछ ठेकेदारों के द्वारा बनाए हुए कुरीतियां ही जाती बन गए मालिक ने सिर्फ इंसान बनाए जिस दिन हर धर्म के लोग अपने धर्म को सच्चाई से जान लेंगे उस दिन में भेदभाव सदा ही खत्म हो जाए हम इंसान हैं इंसान सर्वप्रथम इंसान भारतीय संविधान जी हमें कानून कब लागू होने के पहले मानवता के रूप में प्रथम अधिकार प्राप्त करता है तो कहने का तात्पर्य इतना है कि मानसिकता बदले की जातिवाद खत्म हो सकती है जातिवाद मतलब कुछ नहीं है यह विकास उन्नति को रोकती है देश के इसलिए सब लोग चित्तौड़ भी मानते हो उसकी बातों को गहनता से सच्चाई के साथ पढ़े और उस पर अमल करें उसके हिसाब से आप निर्धारित के लिए क्या सकता है क्या आ सकता है पर सत्यता यही है कि जात पात कोई चीज नहीं हम इंसान हैं इंसान और इंसान की जरूरते संसार इंसान है फिर हम हिंदू मुस्लिम सिख इसाई पंडित ठाकुर राधा कदर जो भी घूम रहे संसार में तमाम तरह के हैं लेकिन सत्य ही है किस को मिटाया जा सकता है लेकिन एक नई सोच नई विचारधारा के साथ जय हिंद जय भारत
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