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नमस्कार भाई और बहनों सवाल है कि दिव्य ज्ञान किसे कहते हैं दिव्य ज्ञान कहा ही जाता है जिसमें कि भाई है क्या जो कि वह इस जगत में हम लोग देखते हैं सुनते समझते हैं खाते पीते हैं या उससे संबंधित ज्ञान होता है जिसको हम प्रैक्टिकल रूप में जानते हैं जैसे कि इंजीनियर डॉक्टर बनने का ज्ञान होता है जज वकील या कोई भी एक जो सांसारिक पढ़ाई पढ़ कर हम जो पढ़ाई लेते हैं वह होता है अलौकिक ज्ञान या भौतिक ज्ञान दिव्य ज्ञान होता है जो कि आत्मा से संबंधित है जो रियल फैक्ट है जो दिखता नहीं है लेकिन है वह रेल है उसके बिना हर चीज जैसे कि आप लोग एक सॉफ्टवेयर होता है एक हार्डवेयर सॉफ्टवेयर जो दिखता है प्रैक्टिकल दो लेकिन वह हार्डवेयर बनने से पहले सॉफ्टवेयर होता है उसके अनुसार से ही हार्डवेयर गैस बनता है हार्डवेयर मतलब बनता है लॉजिक रुपए समझने के लिए बता रहा हूं आज ऐसे समझो कि हम पहले बोलते हैं बोल रहे हैं कुछ लेकिन उस बोल कि जो शब्द निकला है यहां कर्म की आवक कम होने से पहले हमारे मन और बुद्धि में वह संकल्प के रूप में बातें ही बातें चली कि करना क्या है क्या बोलना है क्या उसको हमने सोचा था तुझे सोचने का काम हुआ मन में हुआ बुद्धि में हुआ जो सूक्ष्म रूप में था जो दिखता नहीं था लेकिन प्रैक्टिकल बात हुई थी जो होना था जो करना था वही पैसे सोचा फिर बाद में किया तो वही खाते की दिव्य ज्ञान होता है जो कि नहीं दिखता है लेकिन होता जरूर है जिसको आज या कल के जो साधु संत महात्मा आए लोग यह कहते हैं कि अंत मन में अपने अंदर में झांककर देखो यह अपने अंतर में डूबे हुए हो अपने अंदर की यात्रा चालू करो जिसमें वो बातें मालूम पड़े जिससे कि एक आप एक बात को समझो हम एक बात कहेंगे इस बात में आपको लगेगा कि सच है लेकिन होगा छूट आध्यात्मिकता के रूप में लिखा जाएगा तो बात कुछ और होगी लेकिन आपको लगेगा सच है जैसे मैं कहूं कि यह मेरा शरीर है या मैं बोलूं कि मैं पुरुष हूं या मैं इंसान हूं ऐसे बोला था मैं इंसान हूं मेरा नाम दीपक है आपको लगेगा सही बात है क्योंकि प्रेक्टिकल रूप में सारी दुनिया जानती है मेरे माता पिता ने शरीर की जो जख्म दिए उन्होंने नाम रखा दीपक और मैं एक इंसान हूं मैंने यह भी बोला तो आपको लगेगा सही बात है इंसान तो कोई जानवर तो कोई नहीं कोई कुत्ता बिल्ली गायब है तो इंसान है कोई देवता नहीं है बस इंसान हूं तो आपको लगेगा सच है लेकिन है बात सुने यह दोनों बातें झूठी ना तो मैं दीपक हूं और ना ही मैं इंसान हूं मैं कोई और हूं वह कैसे अब देखो यह टीवी ज्ञान इस बात को बताता किशोर रेल है बात है वही बात सही है कैसी यह बात झूठ है और सच क्या है जैसे आप इस बात को समझो जिसको मैंने बोला कि मेरा नाम दीपक है और यह और यह कहा कि मैं इंसान हूं यह जो मैं बोल रहा हूं यह शरीर को लेकर बोल रहा हूं जबकि शरीर एक पांच तत्वों से बना हुआ है धरती आकाश जल अग्नि वायु सेना और मैं कौन हूं आत्मा में यह शरीर में हूं ही नहीं मैंने जो नाम बताया दीपक वह इस तरह का नाम बताएं मैंने बोला कि मैं इंसान हूं वास्तव में इंसान इस तरह शरीर है ना कि मैं एक आत्मा इस शरीर में रहने वाली एक चेतन सकती हूं इस शरीर के द्वारा ही बोल रही हूं क्योंकि देखो हम लोग कभी भी डॉक्टर के पास में जाते हैं तो क्या बोलते अक्सर जो शरीर और आत्मा यह दोनों मिलती तो एक जीवाश्म कहलाती है तो जीव और आत्मा जीव शरीर को कहा जाता है रात में उस में चलाने वाली शक्ति को मैं आत्मा हूं ना किस तरह हूं डॉक्टर के पास में जाऊंगा तो डॉक्टर को क्या कहता हूं डॉक्टर साहब मेरा शरीर बहुत दर्द करता मेरा हाथ बहुत दर्द करता है हमने क्या बोला मेरा शरीर भी राहत फिर आप आप मैंने यह नहीं बोला ना मैं तेरी बातों में मत आओ मैं नहीं बोला मेरा तुम मेरा शब्द बोलता कौन है आत्मा इस शरीर के द्वारा ही बोल रही है मेरा शरीर बड़नगर में शरीर होता तो मैं क्या बोलता मैं शरीर में आता हूं मैं माताओं में कानून व्यवस्था में शरीर आज बहुत दर्द कर रहा हूं मैं मेरा क्यों बोलते हैं क्योंकि आत्मा इस तरह के द्वारा की बोल रही होती है तो मैं आत्मा हूं ना कि इसे ठीक है दूसरा उदाहरण लोग जब देखो हम बोलते हैं कि पिछले जन्म में कौन सा सरकार किया था जो इस जन्म में आकर वह ग्राम यह बात तो हम आत्मा है तभी तो इस बात को हम बोल पा रहे हैं स्वच्छ स्वच्छ भारत की पिछले जन्म में कौन सा शक कर्म किया था जो इस जन्म में आकर में वह काम पिछले जन्म का शरीर इस जन्म में नहीं आया जरा में कौन आया आत्मा आई है पिछले जन्म की स्थिति पिछले जन्म में रह गया जिसे जला दिया गया होगा गाड़ दिया गया होगा यह जन्म में कौन आएगा तो मैं आत्मा हूं तभी तो अपने पिछले जन्म को याद कर रहा हूं और यह भी सोचता हूं के ऊपर जाऊंगा तब तक वालों को क्या मुंह लेकर जाऊंगा ऐसा बोलूं तू भी सोचो यह शब्द भी कौन बोलने वाला होगा आत्मा ही तो मैं इनडायरेक्ट भक्तों में डायरेक्ट आत्मा हूं लेकिन इन डायरेक्ट बात करता हूं शरीर समझ कर अपने आप को अपने आप को भूल जाना अपनी खुदी मारना अपने आप को बहुत पिक जीवन के रूप में ढाल लेना इसको अज्ञानता खा जाता है दिव्य ज्ञान कहा ही जाता है जो रेल है जो सत्य है उस बात को समझना जान ना उसमें उस आधार पर जीना तो जो आपको भी सुना रहा हूं यदि विज्ञान है कि मैं आत्मा हूं ना कि शरीर में जब मैं आत्मा हूं एक निराकार ज्योति बिंदु प्रकाश पुंज हूं मैं आत्मा रूप में एक छोटा सा चमकता हुआ सितारा जब मैं आत्मा हूं मेरा ही शरीर तो हम सब भी तो आत्मा ही है चाहे हिंदू हो मुस्लिम सिख इसाई इन सब बातों में आत्मा है ना कि कोई हिंदू है मुस्लिम सिख इसाई है हम सब जब आत्मा आत्मा का पिता भी एक निराकार ज्योति बिंदु चमकता हुआ सितारा है जो हमारा पिता है हमसफ़र मौका ना कि 33 करोड़ देवी देवता हैं कोई भगवान है देवी देवता देवी देवता है उनसे भी ऊपर एक परमपिता परमात्मा निराकार ज्योति बिंदु परमपिता परमात्मा तो परमपिता परमात्मा निराकार ज्योति बिंदु उनको ही भगवान कहा जाता है तो यह आत्मा का ज्ञान और परमात्मा को ज्ञान को समझना उनकी बनाई नहीं रचना को समझना इस रिश्ते के आंधी मदद की कान को जानना समझता इसको ही कहा जाता है टीवी क्या या ज्ञान चक्षु जूही गान जिसको समझ में आ जाते तो कहते हैं कि ज्ञान चक्षु मिल गया दिव्या आंखे खुल गई है जो अध्यात्म बात को ज्ञान की गहराई को जो नहीं पड़ता है उसको ही कहा जाता अज्ञानता पूजा पाठ करना लेकिन एक पूजा पाठ के आध्यात्मिक रहस्य को समझना अध्यात्मिक रेंस को समझना दिव्य ज्ञान है जिसे पूजा पूजा का अर्थ होता है पूरा जाने ना लेकिन हम भक्ति मार्ग में क्या करते हैं जानते नहीं हम मानते हैं मानते पत्थर को भगवान मानते हैं किसी भी मूर्ति को भगवान मानकर याद करते हैं कोई किसी के लिए भगवान राम होंगे किसी के लिए कृष्ण में किसी के लिए हनुमान हम किसी के लिए कहने सुनने किसी के लिए करती होगी तो हर किसी के लिए अलग-अलग भगवान है मानते हैं लेकिन पूछा जाए आप उनको अच्छी तरह से जानते हो तो उनके नाम रूप को जानते होंगे परंतु उनके अंदर वह बने कैसे देवी देवता है क्या पुरुषार्थ किया था वह बातें नहीं जानते हैं वह कब और कैसे आए थे और कैसे हम देवी देवता बन सकते इस ज्ञान को नहीं जानते तो नहीं चलना अर्थात इसको ही कहा जाता के अंतर और जानना अर्थ समझना पूजा करते मतलब पूरा जानना पूरे दिन जैसे कई कहता है कि तुम मुझको जानती नहीं जान ने का मतलब क्या हुआ है पर मतलब कि उनके बारे में जानना मतलब कि जानते नहीं मतलब मैं जो चाहता हूं वह बात मानो और करो सुधर जाऊंगा ऐसे बोलते तुम मेरे को जानते नहीं मैं क्या कर सकता हूं यहां पर यह हुआ तो भगवान मतलब पूछा ही नहीं पूरा जानना कि राम और कृष्ण कहते थे जैसे तू जा अब राम की पूजा करूं तो मतलब राम जैसा बनू मैं मेरे चरित्र धारण राम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम तहसील मुझे वरना सीता जैसे पन्ना तीव्रता के पूजा विराम की पूजा मतलब राम जय बलराम की पूजा हनुमान की पूजा में हनुमान जैसा बंदा इसको ही कहा जाता है जाने ना ऐसा नहीं धूप दीप अगरबत्ती जलाना पूजा पाठ करना फूल चढ़ाना उसको पूजा निकाला जाता तो आध्यात्मिक रहस्य को समझ कर उस पर चलना ही पूजा है और उसको ही कहा जाता है टीवी गया
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