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महात्मा गांधी को जितनी प्रशंसा मिलती है क्या उसके लायक है स्वतंत्रता सेनानी जिसकी जितनी पढ़ाई करी जाए वह कम है मैं मानता हूं लेकिन मैं एक और चीज भी मानता हूं कि मैं डेमोक्रेसी में रहता हूं तो कुछ लोग मेरी बात से सहमत हो सकते हैं पूछो मेरी बात से नहीं सहमत हो सकते हैं जो मेरी बात से सहमत हूं कि मुझे सपोर्ट करेंगे जो मेरी बात से सहमत नहीं होंगे वह मेरा थोड़ा विरोध करेंगे फिर मेरी बात से सहमत नहीं होंगे यार तुम्हारी बात गलत है तो मुझे एक फ्यूज पसंद नहीं आते हैं जैसे कई लोग महात्मा गांधी के उनके अच्छे काम के लिए अगर हम उनको प्रेस करते हैं तो उनके उनसे जो गलत काम हुए हैं उनको क्रिटिसाइज करने का भी हक होना चाहिए असली डेमोक्रेसी तभी है जब आप सही को सही और बोल सकें जब आपको एक लोग को किसी को भी चाहे वह राइट कहे चाहे वह लेफ्ट साइड में जी वाले काहे को किसी एक को दम ऐसा बना दे कि नहीं इस कारण तो कुछ बुरा कह नहीं सकते या फिर इसको अच्छा ही कहना अब वह गलत है चाहे वह अभी का कोई कहे कि मोदी को बुरा नहीं कर सकते तो भी गलत है चाहे उधर से कोई कहे कि जवाहरलाल नेहरू को गलत नहीं कर सकता मैं मानता हूं सही काम की जब लड़ाई करनी चाहिए तो बुरे काम की बुराई भी करनी चाहिए और डेमोक्रेसी हमें यही आजादी देती है तो उनकी उनको जितनी प्रशंसा मिलती है उसके लायक हैं हां लायक हैं क्योंकि उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी बेशक और उनकी लड़ाई होनी भी चाहिए बस उनके चक्कर में और किसी को नहीं भूल जाना चाहिए बाकी लोगों को भी याद रखना चाहिए कई बार होता है ना कि हम लोग के सामने अगर 10 बल्ब रख दिया जाए फिर एक औरत ज्यादा तेज कर दिया जाता हूं बाकी बल को सोचते हैं कि बाकी बल कुछ काम नहीं कर रहा है तो यह नहीं होना चाहिए सबको याद रखना चाहिए एक योगदान सबका था जान सब ने कईयों ने दी है तो हमको भी याद रखना चाहिए थैंक यू
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महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस विदेशी एजेंट थे क्योंकि इन दोनों ने भगत सिंह सुखदेव राजगुरु को बचाने की कोई भी सत्याग्रह या आंदोलन नहीं चलाया अगर इन दोनों महापुरुष चलाते तो शायद फांसी से बच सकती थी और हमारा देश और पहली स्वतंत्र हो सकता था मगर ऐसा नहीं किया गया
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आपका सवाल है कि महात्मा गांधी को जितनी प्रशंसा मिलती है क्या वह उसके लायक है देखिए हमारे देशवासियों या हमारे देश को आजाद दिला लो जितनी सारी लेता है इतनी सारी हमारे देशवासियों ने मेहनत की है और लड़ाई लड़े उन सभी की प्रशंसा हम लोगों से करना कम ही पड़ेगा क्योंकि उन लोग ऐसा काम किया जिससे हम लोग आज आजादी से जी रहे हैं हम लोग जो चाह रहे हैं वह कर रहे हैं अगर हमारे देश के गांधी जी सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद देश हमारा देश आज भी गुलाम अली रहता और हमारी जिंदगी कैद में होती और हम लोग आज भी अंग्रेजों की गुलामी करते रहते इसलिए गाना चाहूंगा कि हम लोग के द्वारा स्वतंत्रा सेनानी की की हुई प्रशंसा बहुत कम हो गई
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देखिए मेरे हिसाब से जिस प्रकार के इंसान महात्मा गांधी थे और इस प्रकार क्योंकि प्रशंसा मिली तो मेरे सबसे को उसके बिल्कुल लायक थे कि किस प्रकार से महात्मा गांधी ने जो है अहिंसा के मार्ग लेकर या फिर हम कह सकते नॉन वायलेंस विषय तरीके से भारत को आजादी दिए तो का नाका पर उन्हें जो है जिस प्रकार की प्रशंसा मिलती है वह किला कि मुझे सबसे ज्यादा भी बोला है कि क्योंकि हम देखते अंबेडकर जयंती जो है लोग बहुत दिलचस्प से बनाते एकदम मनोरंजक ओके बनाते हैं लेकिन जब गांधी जयंती आते तब गांधीजी के ऊपर या गांधी जी के जन्म के दिन आ जाए ऐसी मनोरंजक यात्रा इतना एक्साइटमेंट नहीं दिखता है आशिकी आई नहीं जिस प्रकार से महात्मा गांधी जो एक जनर्लिस्ट रह चुके एक पत्रकार रह चुके हो मैंने तीन या चार न्यूज़ पेपर जो बोले थे उन्होंने वस साउथ अफ्रीका से मैंने पढ़ा था उनके पास डिग्री है सिर्फ दो ही नहीं जिस प्रकार जिन्होंने भारत को एकजुटता लाई है वह हमेशा हां बंटवारे के खिलाफ थे और हमेशा वह हिंदुस्तान के बारे में सोचते हो भारत के बारे में नहीं बल्कि हिंदुस्तान के बारे में सोचते थे और इस प्रकार से उन्होंने अंग्रेजों से हमें बचाया अंग्रेजों को हिंदुस्तान से निकाला है तो का नाका पर उन्हें जो प्रशंसा मिलती है इसके लिए वह बिल्कुल सही और उसके बिल्कुल लायक है
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देखिए जैसा कि हम जानते हैं कि कोई भी व्यक्ति संपूर्ण नहीं हो सकता उस में कोई ना कोई कमी जरुर होगी तो कहीं जगह महात्मा गांधी जी में भी कमियां थी जिस तरीके से वह पूरे भारत को तो साथ लेकर चलने पर मैं अपने परिवार को साथ लेकर नहीं चल पार ऐसे करके ऐसे करके कुछ और भी कमजोर में देखी गई तो मुझे ऐसा लगता है कि उन कमियों के बाद भी तो उन्होंने भारत को दिया है उसके मुकाबले उनकी कमियां कुछ भी नहीं है उनकी कमी हमेशा नजरअंदाज करी जाती है और जहां तक की बात हुई उनके कि उनको जितना प्रशंसा मिलती है तो हां मैं उसके लायक है 1 अक्टूबर 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है उनके जन्मदिवस पर तो यह जो उनको आदत दिया गया है कि हर एक गर्म नोट पर भी बात करेगी जो करेंसी होती है उस पर भी उनकी तस्वीर होती है तो मुझे लगता है जो भी आदर उन्हें दिया गया है उसके बिल्कुल प्रशंसनीय है वह उसके बिल्कुल काबिल है क्योंकि जिस तरीके देखा गया जिस तरीके से उन्होंने पूरे भारत को एकजुट करके इकट्ठा करके 300 ब्रिटिश भारत से अलग करवाया है उनसे छुटकारा दिलवाया तो इसको ही काबिले तारीफ ही कह सकते हैं तो मुझे ऐसा लगता है कि महात्मा गांधी जी ने जिस तरीके से लोगों को एक साथ लेकर हमेशा पीसफुल ही काम करना चाहा है और लोगों की सोच में बदलाव ले कर आए हैं कि काम अगर हम चाहे तो पी स्कूली भी हो सकता है बड़े से बड़ा काम क्यों ना हो तो यह जो सोच में बदलाव ले कर आए हैं इसकी वजह से मुझे ऐसा लगता है कि उन्हें प्रशंसा जून को मिलती है बे उसके बिल्कुल कहां पर है
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देखिए अगर इस फैशन पर मैं अपना ओपिनियन रखना चाहो तो मैं बिल्कुल सहमत हूं इस बात से कि महात्मा गांधी जी को जितनी प्रशंसा मिलती है वह बिल्कुल उसके लायक थे उन्होंने काम किया है इंडिया के लिए उन्होंने इंडिया को तो फ्री करवाने के लिए जितनी मेहनत की है जितने भी आंदोलन उन्होंने चलाएं हैं उन सबका महात्मा गांधी बड़ा हादसा और महात्मा गांधी नहीं होते तो कभी भारत देश को आजादी नहीं मिल पाती और जहां तक देखा जाए कि एक इंसान में मतलब हर चीज अच्छी नहीं हो सकती कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता है तो हम यह कैसे कर सकते हैं कि महात्मा गांधी जी की कमियां होती है सब में होती है महात्मा गांधी जी में भी थी पर लेकिन उन्होंने उनकी अच्छाइयां है उन्होंने जो काम किए हैं वह उनकी वह इतने बड़े हैं कि हम उनकी कमियों को नजरअंदाज कर सकते हैं क्योंकि अगर वह नहीं होते जो Andolan उन्होंने चलाएं अगर वह सब वे सभी काम नहीं करते तो शायद आज भी भारत आजाद नहीं हो पाता मां के जैसा हम हम सुनते हैं हमने कहीं पढ़ा है अब उतना ही मैं भी कहीं पढ़ा है बहुत सारी जगह पर नेट पर निबंध भारत के लिए बहुत ज्यादा होने से कुछ चीज जो इंडिया के लिए बहुत ज्यादा मिलने के टेस्ट में चले गए पर लेकिन उनके पॉजिटिव फिर भी देखा जाता उनके निकट से बहुत ज्यादा है इसलिए जी हां बिलकुल महात्मा जी को जितनी प्रशंसा मिलती है उसके बिल्कुल लायक है
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