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हम लोग एजुकेटेड होते हुए भी धर्म के आधार पर वोट देते हैं क्यों आपके प्रश्न बहुत अच्छा है हम शिक्षित हैं तो हमें धर्म नहीं बल्कि अपने देश की परिस्थितियों के हिसाब से और जो सरकार हमें अपने देश को आगे ले जाने में मदद करें उसकी नीतियों के आधार पर हमें वोट करना चाहिए धर्म के आधार पर वोट नहीं करना चाहिए गलत है
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देखिए जो आपका कहने का तात्पर्य है कि आज की रेट होते भी आधार धर्म के आधार पर वोट देते हैं क्योंकि हमारा जो देश है और धर्मनिरपेक्ष देश है यहां व्यक्ति को एक दूसरे से ना जोड़कर जाति किस धर्म के आधार पर जोड़ा जाता है अभी आप ने हाल ही के दिनों में देखा होगा कि कितने केस हुए गुरु ना किस जाति के धर्म के आधार पर हुए अगर यही देश की प्रणाली होती कि इसमें हम यह कह सकते थे कि यह सभी व्यक्ति हिंदू होते तो कोई बात ही नहीं थी लेकिन यह व्यक्ति विशेष कह सकते हैं कि यह खुद को हिंदू नहीं मानते भारत में रहने वाले अपने को जाति के आधार पर मानते हैं कोई कहता में हिंदू मुस्लिम सिख इसाई हो इसलिए यह सारे कारण होते हैं हम लोग सिगरेट होते भी धर्म के घर को वोट देते हैं क्योंकि कोई यादव है कोई मोदी है कोई सुलेमान है कोई उस्मान है कोई सिंह है तो कोई कष्ट करें अगर सभी एक व्यक्ति एक मत से यह कहते कि हम हिंदू हैं हिंदुस्तान के बाशिंदे हैं तो यह बात ही उत्पन्न ना होती मेन कारण यह है कि आज 30 आजादी के इतने साल बाद भी हम इंडियन नहीं है हम मुस्लिम हिंदू सिख इसाई इस आधार पर बैठे हुए हैं कहीं कोई मरता है कहते हैं मुसलमान मर गया या हिंदू मर क्या सीख मर गया ऐसा ही मर गया कोई यह नहीं कहता कि हिंदुस्तान का एक बंदा कम हो गया इसका यह कारण है पॉलीटिकल जबकि पॉलिटिक्स जिस मोजा से अलग नहीं होगी तब तक हम अपने देश के प्रति सच्चे ईमानदार व्यक्ति नहीं बन सकते चाहे इसे एजुकेटेड हो चुकी स्कूल कॉलेज इसमें भी स्कूल तो नहीं कह सकते कॉलेज इसमें या उससे ऊपर जब हो जाएंगे तो उसमें राजनीति से जुड़ जाते हैं हर एक स्कूल के स्टूडेंट दिल्ली ले लीजिए जय भारत के किसी भी हिस्से में ले लीजिए सभी राजनीति से जुड़े हुए छात्र छात्राएं होती हैं आज आज के युग में इसलिए सिगरेट होते हुए भी हम धर्म के आधार पर बैठे हुए हैं वोट यादव ए तो यादों को देगा ब्राह्मण है तो ब्राह्मण को देगा सामान दामण को दे ना दे जीने कह सकते लेकिन यादव हो गया या आप अन्य किसी भी जाति के लिए लीजिए सुलेमान उस्मान या परमेंद्र सिंह या अन्य कोई भी धर्म के आधार पर जाति के सरूपेटा वशीकरण हम आज भी कितने साल बाद भी एक शक्ति के रूप में मरने के बाद भी केवल विकसित देशों की गिनती में गिने जाते हैं ओलंपिक हो या कोई भी अन्य गेम उसमें हमारा जो नंबर होता है वह अन्य छोटे देशों की गणना में बहुत ही कम होता है विकास हो रहा है लेकिन विकास के साथ-साथ मानसिक विकास नहीं हो रहा है जब तक मानसिक विकास नहीं होगा जब तक तब तक देश का विकास नहीं होगा पढ़े-लिखे लोग बहुत से देश को छोड़ कर चल क्योंकि वह धर्म जाति में नहीं पड़ना चाहते हैं किसी भी विदेशी मुल्क में देखेगा आप कोई भी बाशिंदा होता है तो वह देश के लिए खेलता है उस जाति के लिए नहीं खेलता धर्म के लिए नहीं खेलता हमारे देश में कोई जीता है तो कहते हैं कि हरियाणा का बंदा किसकी है यह पंजाब का जीत गया यह प्रखंड का जल गया उत्तर उत्तर प्रदेश का जीत गया मुंबई का जिसका कोई नहीं कहता कि भारत की तरफ से इस बंदे ने नाम रोशन किया इसलिए मैं यह कहूंगा जब तक हमारे मानसिक विकास नहीं होगा तब तक हम देख का विकास नहीं कर सकते इसीलिए आपको अपने देश के विकास की ओर देखना पड़ेगा तभी आप एक देश के सच्चे नागरिक बन सकते हैं अभी इतना सरकारी पाबंद की पाबंदी के बावजूद आप देख रहे हैं कि लोग नियम तोड़ते हैं लोग डाउन लगा हुआ है लेकिन नहीं इंसान नियम तोड़ता है कि कि उस बंदे को यह नहीं पता है कि नियम क्या है नियम इसलिए नहीं पता है क्योंकि वो रोजमर्रा की अपनी जरूरतें हैं उनको पूरा नहीं कर पाता दूसरा क्या है कि कोई धार्मिक गुरु से जुड़ा है कोई किसी व्यक्ति से जुड़ा है व्यक्ति विशेष से जुड़ा है इसलिए भी वह अपने देश के प्रति समर्पित नहीं हो सकता जब तक हम अपने देश के प्रति समर्पित नहीं होंगे तब तक हम इसी प्रकार धर्म के आधार पर वोट देते रहेंगे हम सभी को एक होना होगा क्या हम तभी एक होंगे जब कोई अन्य मुल्क हमारे देश पर कब्जा करेगा नहीं हमें एक होना पड़ेगा इसके लिए हमें हमारी सोच को थोड़ा बढ़ाना पड़ेगा जब तक सोच नहीं होगी तब तक खोज नहीं होगी खोज तभी होगी जब सोच में परिवर्तन होगा सोच में परिवर्तन हमारी उन्नति का आधार है इसलिए आप सभी से अनुरोध है कि आप एजुकेटेड होते हुए भी धर्म के आधार पर वोट ना देकर व्यक्ति को वोट दें जिससे देश का सर्वागीण विकास हो सके भूटान जैसे देश में व्यक्ति जब तक एजुकेटेड नाउ कोई परीक्षा या एग्जाम क्लियर ना करें वह किसी कोई एमएलए या कुछ नहीं कोई भी अच्छे हो देवी नहीं पहुंच सकता हमारे देश में राजनीति जो है देश को चला रहे हैं लेकिन उसके लिए एक शिक्षा प्रणाली का किया जाना बहुत ही उत्तम है जिससे कि एक सुदृढ़ भारत का विकास हो सके भारत का विकास तभी होगा जब एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति उस पौधे पर बैठेगा एक व्यक्ति जो आईएएस पीसीएस की तैयारी करने के बावजूद एक अनपढ़ नेता की बात सुनता है तो यह देश का दुर्भाग्य है हमारे देश में जो है आरक्षण या शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए हमें अपने मां हमें अब खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाना होगा जब हम मानसिक रूप से खुद को मजबूत बनाएंगे तभी हम देश केसरवानी विकास में अपना योगदान दे सकते हैं इसीलिए हम मेरा सभी से अनुरोध है कि आप व्यक्ति विशेष को ध्यान दीजिए पढ़े-लिखे व्यक्ति को ध्यान दीजिए ताकि हमारे देश का सरवन की सर्वोत्तम विकास हो सके धन्यवाद
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नमस्कार दोस्तों यह विडंबना है कि हम लोग भारतीय लोग एकजुट होते हुए भी धर्म क्षेत्रवाद भाषावाद जातिवाद और वोट देते हैं और उसका नतीजा यह है कि चंद लोग जो गलत होते हैं जो जो पढ़ाई भी नहीं करते हो शुरू से ही गुंडागर्दी और राजनीति करते हैं शुरू से ही अलगाव फैलाते हैं वह बाद में हमारे मंत्री बन जाते हैं यह हमारा दुर्भाग्य ही कहेंगे कि हम पूरा बा खंड भारत के होते हुए भी जाति धर्म संप्रदाय और पता नहीं किस-किस चीजों पर क्षेत्रवाद भाषावाद जैसी चीजों पर वोट देते हैं या ताकत को देखकर वोट देते हैं जरा से लालच में आकर वोट देते यह बहुत ही गलत है जिस दिन यह रुक जाएगा जिस दिन न्याय के प्रति इतने अच्छे व्यक्ति के प्रति लोग समर्पित होने लगेंगे उसे वोट देकर उसे संसद तक में जाने लगेंगे उस दिन हमारे देश में सुधार आने शुरू हो जाएंगे धन्यवाद
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आपका प्रश्न है कि हम लोग एजुकेटेड होते हुए भी धर्म के आधार पर वोट क्यों देते हैं क्योंकि यह नेताओं का इमोशनल ब्लैक लिंग करते हैं एवं समाज को धीमे एवं धर्म में बांटकर लोगों की इमोशनल पैदा करते हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के मंदिर मस्जिद ऊंच नीच जाति प्रथा के आधार पर लोगों को इमोशनल ब्लैकमेलिंग करता है आपने सत्ता पाने के लिए क्योंकि यह नहीं होना चाहिए भारत जब से राजनीतिक एवं राजनीतिक कारण शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक नेताओं ने जनता को केवल ब्लैक इमोशनल ब्लैकमेलिंग करके ही सत्ता हासिल की है परंतु अब भारत की जनसंख्या के आधार में एवं अनुपात में शिक्षित लोगों की संख्या बढ़ रही हैं इस प्रकार आगे चलकर यह जो धर्म के आधार पर वोट मांगना कहीं ना कहीं बंद होना ही है
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भारत के लोग जी की तरफ से नहीं है अभी एजुकेशन है पहले से ज्यादा कमोडिटी एजुकेटेड है वह भी धर्म के अनुसार करते हैं क्योंकि यह किसी कम्युनिटी के परिजन के बेसिस पर कई बार वोटिंग रही है लेकिन मुझे लगता है कि नहीं तुमको सिर्फ तुम दूर हो पॉलिटिकल पार्टी को कितने वोट चाहिए उनको काफी समझदार भी होंगे ज्यादा बढ़ती जा रही है अब आपको ग्लोबल ट्रेन पता चल जाता है सोशल मीडिया सिंह की बेटी और रेलवे स्टेशन
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बिल्कुल पहली बात तो हमने जाति और धर्म पर वोट नहीं देनी चाहिए दूसरी बात आपने सबको एक समानता और एक समझ कर वोट मांगने की रिपोर्ट भी एक समय देने की एक जाति को मानकर कभी वोट नहीं करनी चाहिए उसे हम दो लोग आपस में विद्रोह फैलता है उसे हमें क्या होता है जातिवादी भेदभाव समाप्त में बढ़ गया जिसकी वजह से हम लोगों ने इकट्ठा होकर वोट डालना कि
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भ्रष्टाचार है आप क्या कर सकते हैं इसके लिए मैं अभी देखा था यूपी में वोट डालने के लिए क्या पता चला स्कोरबोर्ड ढल गया है इसके लिए कौन जिम्मेवार है भ्रष्टाचार कौन करेगा
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दादा की सही है आज के लोग धर्म आधारित होते हैं लेकिन यह सच
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हम लोग एजुकेटेड होते हुए भी धर्म के आधार पर वोट इसलिए देते हैं कि यह राजनीति की जो है ना एकदम का ऐसा इंजेक्शन देते हैं जिससे लोग बह जाते हैं और तुरंत जातिवाद और धर्म बात की कमी पड़ जाते हैं परिणाम स्वरूप यह इनको वोट देते हैं जबकि आप देखें तो क्या छुट्टी के लिए धर्म जाति कोई मायने नहीं रखती है पर दुर्भाग्य इस बात का है कि तथाकथित राजनीतिज्ञों ने आजकल राजनीतिक पार्टियों ने धर्म जाति को इस आधार बनाकर की राजनीति चला दी है राजनीति चलती है आज धर्म के आधार पर हो जाति के आधार पर टिकट डिस्ट्रीब्यूटर करते हैं धर्म जाति के नाम पर ही राजनीतिक लोग अपने वोट लेते हैं मेरे विचार से आपका बहुत सही है कि मैं एजुकेटेड लोगों को डोंकी और जाति के पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए उसी का कारण है कि अयोग्य राजनीतिक दलों को आज चयन कर लिया जाता है जो एक दूसरे को गालियां देते हैं एक दूसरे को हम बोलते हैं और असल जिंदगी में भी जहां तक हत्या करने में ये कोई चूक नहीं करते हैं जबकि गलत है क्योंकि किसी की पर्सनल लाइफ से कभी भी इंटरफेयर नहीं करना चाहिए उसको आंसर नहीं बोलना चाहिए विरोधी का भी एक सम्मान होता है सम्मान किया जाना चाहिए एक दूसरे के लिए और एक दूसरे को सम्मान करें जब भी कुछ हो सकता है लेकिन भारत की राजनीति को छुट्टी है भारत की राजनीति इतनी गंदी है मेरी दृष्टि में तो मैं संसार की सबसे गई नीति राजनीति भारत की मानता हूं भारत के सर्वोच्च नेता है एम्बुलेंस नेता है क नहीं लेता है यह केवल अपने भाई भतीजा वाद करते हैं और अपनी छोटी छावनी चलाते हैं
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धार्मिक आधार पर वोट नहीं देना चाहिए और धरना तो पर्सनल मामला है धर्म के आधार पर किसी को वोट नहीं देना चाहिए यह लोगों के अंदर एजुकेशन और जागरूकता आने के लिए लोगों की सबसे बड़ी बात नेताओं को भी इसमें कोई राजनीति नहीं करनी चाहिए धर्म के आधार पर राजनीति होनी चाहिए वास्तव में भर्ती कराया आज का इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक हो रहा है एंप्लॉयमेंट हो रहा है यह सब चीजें देखकर लोगों को वोट देने धर्म की राजनीति
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इस आदमी मोटा होता है कोई साधारण व्यक्ति किस प्रकार किया जाता है जिससे जिस को सुविधा हो उस देश के प्रति समाज के प्रकार का होता है और प्रत्यय को जानता है जिसमें उस समाज का भला मन की रक्षा किस प्रकार का मेकअप किट
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प्रारंभ से ही हम जिस समाज में जिस परिवेश में रहते हैं उसे धर्म और जात पात को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है इसलिए हम पढ़े लिखे होने के बाद भी कहीं ना कहीं धर्म और जाति से प्रभावित होते हैं जब एक समुदाय धारे कटुता की बात करता है तो दूसरा समुदाय की धार्मिक रूप से संगठित हो जाता है यह देखने को मिलता है और अक्सर धार्मिक भावनाओं को चुनाव के समय लगाया जाता है धर्म अपने उन्माद पर होता है इसलिए लोग ना चाहते हुए भी धर्म के आधार पर वोट करते हैं
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नमस्कार दोस्तों वह कल पर सुन रहे मेरे सभी बुद्धिजीवी श्रोताओं को मेरा प्यार भरा नमस्कार आज का सवाल है राजनीति पर कि हम लोग एजुकेटेड होते हुए भी किसी धर्म के आधार पर वोट क्यों देते हैं दोस्तों वोट देने के सभी के अपने-अपने कारण अपनी आवश्यकताएं होती हैं कोई सिर्फ अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए वोट देता है तो कोई एक दूरदर्शी रवैया अपनाते हुए भविष्य को ध्यान में रखते हुए वोट देता है समाज का भविष्य देश का भविष्य उनके परिवार का भविष्य तो दोस्तों सबसे पहले तो हमें धर्म और शिक्षा में अंतर को समझना होगा 200 शिक्षा हमें सही और गलत में अंतर करना सिखाती है और धर्म की क्या भूमिका है धर्म हमें मानवता से जोड़ता है इंसानियत से जोड़ता है लेकिन आजकल चुनावी नतीजे जब देखते हैं तो ऐसा लगता है कि मानव धर्म शिक्षा पर भारी पड़ गया हूं क्योंकि दोस्तों छोटे छोटे लाला छोटे-छोटे प्रलोभन में आकर लोग ऐसे ऐसे उम्मीदवारों को जीता रहे हैं जो ना तो किसी दृष्टि से उचित है ना वह पढ़े लिखे हैं अपराधिक कृत्य में भी उनका नाम होता है क्रिमिनल ऑफेंस भी होते हैं कुछ लोगों में तो तो जब इस तरह के लोग अगर राजनीति में जाएंगे तो क्या वह समाज का कुछ भला कर पाएंगे जिनकी छवि पहले से ही इतनी खराब है इतनी गलत कार्यों में जो पहले से ही तकलीफ है वह पावर आने के बाद शक्ति आने के बाद तो और भी ज्यादा भ्रष्ट होंगे और भी ज्यादा आपराधिक प्रवृत्तियां वह स्वतंत्रता पूर्वक कर पाएंगे क्योंकि उस वक्त तो उनके पास सत्ता की शक्ति भी होगी तो दोस्तों गलत लोगों का राजनीति में आना पूरे समाज के लिए एक खतरा है मुझे लगता है हमें अपना वोट सोच समझकर उसी व्यक्ति को देना चाहिए जो समाज हित को देशहित को केंद्र में रखकर आगे विकास के कार्य करवा कम से कम उसकी जो छवि है वह तो आप जरूर देखें कि उसने अतीत में क्या किया है अगर वह अतीत में 1 अपराधिक छवि को लिए हुए हैं तो आपको किसी भी कीमत पर ऐसे व्यक्ति को वोट नहीं देना चाहिए आपका वोट बहुत कीमती वोट है आपका वोट समाज का भविष्य तय करता है देश का भविष्य तय करता है मुझे लगता है कि आप को कम से कम अपने विवेक के आधार पर वोट देना चाहिए और वह ऐसे व्यक्ति तक ना जाए जो व्यक्ति आपके लिए भी खतरा बन सके और समाज के लिए भी खतरा बन जाए तो मुझे लगता है कि लोग एजुकेटेड होते हुए भी धर्म के आधार पर इसलिए वोट करते हैं कि कहीं ना कहीं वह तात्कालिक आवश्यकता ओं का सोचते हैं कि अभी कितनी जरूरत है आप पूरी करवा सकते हैं नेताओं के जरिए या उन नेताओं के जरिए जिनसे आपकी थोड़ी जान पहचान है वह एक बार तो हो सकता है आपकी कुछ जरूरतें पूरी कर दे लेकिन जो भविष्य है जो अभी छिपा हुआ है भविष्य के गर्त में वह आप नहीं देख सकते साइड इफेक्ट भी बहुत हैं गलत लोगों की राजनीति में जाने के बाद में पता चलते हैं लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है धन्यवाद
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हेलो डिअर फ्रेंड्स आप का क्वेश्चन है हम लोग एजुकेटेड होते हुए भी धर्म आधार पर वोट देते हैं क्यों दोस्तों इसलिए लोग वोट देते थे क्योंकि बस सोचते ही किया मेरे धर्म का लेकिन उनको ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि हमें एक एजुकेट बंदे हैं तो हमें एक अच्छे इंसान की पहचान होना चाहिए एजुकेशन के लिए हमारे लिए हम लोग के लिए कौन सा राजनेता अच्छा काम करेगा और देश को विकास की तरफ ले जाएगा हमको एक सच्चे और ईमानदार के लोगों को वोट देना चाहिए ना की एक अलग पर्सन को जो काम ना करें लोग इसलिए देखते हैं कहीं ना कहीं वह सोचते हैं कि अगर मेरे लिए एक काम कर दिया है तो वह उसी को मानते हैं उसी को वोट देते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए उनको थैंक यू
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यही दुर्भाग्य है हमारे देश में हमारी राज्यों में की चुनाव किसी भी स्तर का हो चाहे वह पंचायत चुनाव हो या विधानसभा चुनाव हो लोकसभा चुनावों में धन की राजनीति बहुत ज्यादा हावी हो गई है और यह कहीं ना कहीं हमारे जो नेता है इनके ऊपर डिपेंड करता है कि वह धर्म की राजनीति के आधार पर जीत का अपना आधार बना लेते हैं जो कि हमारे देश के लिए बहुत गलत है यही कारण है कि आज के टाइम में ही हमारे युवा है युवा पीढ़ी है उनके दिल में बहुत ज्यादा धार्मिक मतभेद है या फिर दुआ है वह उभर कर सामने आ रहा है इसके लिए नेताओं को पहल करनी चाहिए और राजनीति में बदलाव आने की बहुत आवश्यकता है जिसके लिए युवाओं के जो अंदर जागरूकता है उसको लाना होगा जो कि बहुत ज्यादा मुश्किल भी है और चुनौतीपूर्ण भी है
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जी हां हम शिक्षित होते हुए भी धर्म के आधार पर वोट दे रहे हैं इसके लिए एक लंबे समय से जो तुष्टिकरण की राजनीति हो रही है वह जिम्मेदार है एक धर्म विशेष के लोगों ने पूरे समय पूरे दिन इलेक्शन में शामिल रहते हैं लेकिन चुनाव से पूर्व अंतिम शुक्रवार को एक जगह एकत्र होकर एक मैसेज जलाते हैं और उस मैसेज के आधार पर एक ही पार्टी या एक ही उम्मीदवार को समर्थन करते हैं उस पार्टी और उम्मीदवार को समर्थन करने से निश्चित रूप से वह पार्टी या उम्मीदवार जीत के कगार पर पहुंच जाते हैं या जीत जाते हैं इसकी रिजल्ट बाद में पता चलते हैं कि वहां पर सभी लोग एकत्र हुए थे और एकत्र होने के बाद निर्णय लिया गया था कि साला पार्टी अपना उम्मीदवार को वोट देना है और उसी समर्थन के कारण ही वह उम्मीदवार चुनाव जीत गया इसका दूसरे धर्म के शिक्षित लोगों पर भी प्रभाव पड़ा वास्तव में लोकतंत्र में जो चुनाव जीता है वही उसका मालिक होता है वही देश की नीति और नियति तय करता है वही हमारी सरकार को चलाता है इसलिए दूसरे धर्म के लोग भी परेशान होकर शिक्षित होते हुए भी अपनी सरकार बनाने के लिए ऐसा करते हैं
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हम लोग कुछ होते हुए खेलते हुए दर्शक हम तो चला लेते हैं भोजपुरी चलाइए इसे चित्र खाने के लिए पत्र लिखें इससे आगे बढ़ जाएंगे पता धर्म
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भारत देश में सभी लोग एजुकेटेड नहीं है चुनावों के दौरान धर्म आगे बढ़ जाता है जो नेता चुनाव लड़ता है उस समय लोगों को भड़काने का काम किया जाता है इस कारण लोग धर्म के आधार पर वोट देते हैं कई बार चुनाव जीतने के लिए आखिरी पलों के दौरान दिया गया भाषण लोगों के दिमाग पर छा जाता है जिस कारण लोग अपने उम्मीदवार अपने धर्म और जाति के उम्मीदवार को जिताने के लिए प्रयासरत रहते हैं समुदाय जाति व अन्य लोग अपने-अपने धर्म के उम्मीदवार को जीता कर अपनी धर्म अपनी जाति की बात को ज्यादा समझा सकते हैं ऐसा लोगों में भ्रम है इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए कि धर्म जाति से ऊपर उठकर ही मतदान करना चाहिए धन्यवाद
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नमस्कार मैं हूं सभी समाज सेवा का जनपद सिद्धार्थनगर गौतम बुद्ध की धरती से आमतौर पर लोग एजुकेशन होने के बावजूद भी जब मतदान करना होता है तो अपनी जाति पार्टी को देख कर के ही धर्म के आधार पर ही जो खो देते हैं लेकिन मेरे मेरी राय यह है कि प्रत्याशी के कोई लोकेशन पोस्टिक क्रेडिट स्कोर चेक करके उठ जाना चाहिए जिससे चैट का आम जनमानस का विकास हो धनबाद
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डी ग्रुप का क्वेश्चन बहुत सुंदर है कि हम लोग एजुकेटेड होते हुए धर्म आधार पर वोट देते हैं ऐसा क्यों सर यह तो आज तक मैं भी नहीं समझ पाया कि ऐसा क्यों होता है लेकिन सर मैं यह कहना चाहूंगा जो लोग को ज्यादा फिक्र करते हैं और जब डाले जाते हैं मानता हूं कि वो भी देशद्रोही है वह भी आतंकवादी बंदा अपने मत का गलत इस्तेमाल करता है वह देश द्रोही हमारे देश का दुश्मन है जय हिंद सर अगर आप पर सूट के साथ अगर अप्सरा पुलिंग पर जाते हैं तो उसे अपना जरूर आप अगर आप दे सकते तो अपना वोट कभी भी धर्म के आधार पर नहीं देंगे जय हिंद थैंक यू सर
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सर आपने एक बहुत अच्छा क्वेश्चन डाला है कि हम लोग एजुकेशन एजुकेशन होते हुए भी धर्म आधार पर वोट देते हैं हां जी हम लोग आज भी एजुकेटेड और लेट लेट होते हुए भी धर्म के आधार पर वोट देते हैं यह करना बिल्कुल गलत है उसका रीज़न किए हैं क्योंकि हम लोग बचपन से उसी माहौल में रहे हैं हमारे घर में वही चर्चा रही है बचपन से आइए प्लीज उनका खड़ा हो रहा है में BJP को वोट देना है इस पार्टी को वोट देना है क्योंकि यह पार्टी से जुड़ी हुई है बचपन से जुड़ा हुआ है लेकिन मैं आपको बता दूं आने वाले कुत्ते महिलाओं की जो न्यूज़ है वह बदल रही है जो यंग जनरेशन सेना उनकी व्यूज बदल रही है क्योंकि डेवलप क्योंकि जो यह तरीका वोट देने का यह तरीके से जो लीडर चुने जाते हैं ना वह अच्छे नहीं है और जब लीडर अच्छी नहीं है तो काम भी अच्छा नहीं हो रहा है तो यू काम अच्छा नहीं हो रहा है यह सब कुछ दिख रहा है तुझे यंग यंग यूथ अपने इंडिया का मूल्य समझ रहा है कि हमारे जो वोट करने का तरीका है उस को बदलना चाहिए अगर हम इंडिया की इंडिया को डेवलपिंग कंट्री ऑफ डेवलप्ड कंट्री देखना चाहते हैं तो तो बस यही बोलूंगा कि थोड़ा टाइम लगेगा लेकिन यह भी है जो चेंज हो रही है धीरे-धीरे यह यूज़ साड़ी चेंज होती जा रही है
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एजुकेशन ों लिटरेसी ऐसे शब्द है जो लोग अक्सर एक दूसरे की जगह स्माल कर लेते हैं हमें यह समझना होगा कि हम इलेक्ट्रिक तब होंगे अगर हमें पढ़ना लिखना आता होगा एजुकेटेड सिर्फ उसके मुताबिक नहीं हो सकते एजुकेटर होने का मतलब ज्ञान प्रदान करना है जो पढ़ाई के अलावा भी कई चीजों से आता है हमारी सोसायटी और रहने का ढंग हम जिन लोगों के साथ रहते हैं हम जो किताबें पढ़ते हैं या TV कार्यक्रम देखते हैं यह सभी हमारी एजुकेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं भारत में रहकर यह सब मान सकते हैं कि धर्म हमारे हमारे जीवन की हर पहलू से इतनी जटिल ता से जुड़ा हुआ है कि उसका कुछ प्रभाव वोट करते समय आना स्वाभाविक है
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पढ़े लिखे होने के बावजूद भी हम धर्म के आधार पर इसे वोट देते हैं क्यों क्योंकि हमारी पढ़ाई लिखाई की शुरुआती हमारे घर से होती है जहां हमारे माता पिता हम को धर्म जाति आदि के प्रकार के बारे में बताते हैं और उसके बाद जब हम आगे की कक्षाओं में पहुंचते हैं तो वहां पर भी हमारी पुरानी सिल्क हमें मिली हुई जो पुरानी सी होती है उस पर कोई परिवर्तन नहीं आता इसलिए जब भी वोट की बारी आती है तो हम धर्म को ही आगे रखते हैं
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