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जी नहीं योगाभ्यास करने के लिए आपका धार्मिक होना कोई जरूरी नहीं है सर पर विश्वास होना भी जरूरी नहीं योग कहीं नहीं कहता आपको धर्म से डिलीट नहीं करता योग एक जीवन जीने की कला है आप बचपन से लेकर मृत्यु तक कैसे जीना है वह योग सिखाता है तो योग सिर्फ शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि आपका पूरा समाज में कैसे रहना है आपने लिए क्या करना है योग को आप देखेंगे तो इसमें आसन और प्राणायाम करने से पहले यम और नियम आते हैं कि यम सोशल कंडक्ट समाज में कैसे रहना है जिसने आपका आता है अहिंसा मन वचन कर्म से जोड़ना पूछना अहिंसा है सत्य है अपरिग्रह ब्रह्मचर्य है तो यह इसी तरह आप के नियम आते हैं सोच संतोष तक स्वाध्याय ईश्वर प्राणी धान फिर आपके यहां सर प्रणाम आते हैं तो यह जरूर लेकर आप किसी विश्वास हो या ना हो लेकिन आप योग करोगे तो हो सकता है आपको इन चीजों पर विश्वास शुरू हो आपके इंटरव्यू लेने सुख शमशीर सब की बॉडी एक्टिवेट हो तब शायद आपको लगे पर ऐसा कोई जरूरत धार्मिक प्रयोग कर सकते कोई भी योग कर सकता है एटलीस्ट वह स्वस्थ शारीरिक और मानसिक रूप से रहेगा धन्यवाद
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बिल्कुल जरूरी नहीं है कि वह धार्मिक रहे या ईश्वर से डर है क्योंकि अब योग के माध्यम से मन की शांति की बात करते हैं कहीं भी इसमें ईश्वर से या कुछ ऐसा करने की चेष्टा नहीं करते कि आप कुछ अलग करेंगे जी सिर्फ आप मन की शांति के लिए करते हैं और इसमें आपका धार्मिक होना जरूरी नहीं है बिल्कुल जरूरी नहीं है और इसके लिए आपको किसी भी ईश्वर या किसी से भी डरने की भी आवश्यकता नहीं है क्यों डरे किस बात से डर है तो यह जो भी आज आपको ज्ञान मिला है या जहां से भी आपको यह इंफॉर्मेशन मिली है गलत है तो आप को डरने की जरूरत नहीं है और ना ही धार्मिक होने के योग योग धर्म धर्म ढेर सारी चीजें अलग अलग है कि कोई भी चीज किसी से जुड़ी नहीं जा सकते
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ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं है जो शक्ति इस पूरे ब्रह्मांड को संचालित कर रही है जो सृजन कर रही है विध्वंस बिक रही है उसे हमने एक संकेत देने के लिए ईश्वर शब्द का उपयोग किया है और यह शब्द ऐश्वर्य से वह हमेशा ऐश्वर्या रहता है जहां तक डरने की बात है डर लगना हमारी हमारा स्वभाव है हमारे अहंकार को भी लगता है मिट जाने का इसलिए डरने से थोड़ा हमारा मन नियंत्रित होता है लेकिन यहां डर होता है वहां हम प्रेम खून नहीं हो सकते इसलिए ईश्वर को अनुभव करने की जरूरत है और जब हम भी शरद को अनुभव करने लगते हैं उसे अपने भीतर महसूस करने लगते हैं तब हमें ईश्वर के प्रति प्रेम जागृत होता है इसलिए डरना थोड़ा सा उपयोगी है आवश्यक नहीं है
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नमस्कार दोस्तों क्या क्वेश्चन है क्या यह बात योगाभ्यास करने के लिए उपयोगकर्ता का धार्मिक होना अथवा ईश्वर से डरना आवश्यक है इसका उत्तर तो यही हो सकता है कि योगाभ्यास में इंसान का धार्मिक होना आवश्यक नहीं धार्मिक योग एक धर्म धर्म से परे चीजें योग एवं शारीरिक व मानसिक जो परेशानियां हैं शारीरिक मानसिक विकास के लिए हम लोग करते हैं उसमें किसी धर्म को योग के साथ किसी धर्म को जोड़ना उचित नहीं है धन्यवाद
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योगाभ्यास करने के लिए योग साधन ज्ञान प्रणब करने के लिए धार्मिक होना बिल्कुल जरूरी नहीं है पैसों से डरना तो कतई जरूरी नहीं है क्योंकि डर एक नकारात्मक उर्जा है जिससे निश्चय ही आपके शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
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हेलो फ्रेंड्स क्या योगाभ्यास करने के लिए उपयोगकर्ता का धार्मिक होना ईश्वर से डरना आवश्यक है चेक करना चाहिए लेकिन जरूरी नहीं कि आप धार्मिक हो या ना हो आप किसी भी धर्म को मानते हो जो योगाभ्यास से वह अपने आपके अंदर शांति आपके अंदर इमानदारी आपके अंदर निसंकोच निस्वार्थ भावना को उत्पन्न करता है जिससे आपका मन शांत रहता है और आप बिना नहीं सरदा आपके प्रसन्न मन से कोई भी काम बड़े आराम से कर सकते हैं
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आपका जो सवाल है ना ईश्वर से डरना आवश्यक है कि नहीं मकसद यह है कि क्या ईश्वर आपको डराना चाहता है सवारी है आप ईश्वर से उठाना चाहते हो क्या ईश्वर भी चाहता है कि तुम मुझसे डरो ईश्वर ऐसा बिल्कुल नहीं जाता इस वरना आपको आगाह पैदा किया है और आप जो इस दुनिया में आए हो इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए यानी के यहां पर लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए अगर आप इस दुनिया को बेहतर बना सकते हो तो ईश्वर से आप को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप ईश्वर के काम में मदद कर दो ₹1 लगाते हो तो कहीं ना कहीं ईश्वर ऑक्सीजन है ना ईश्वर की बनाई हुई तो ऑक्सीजन ना आप का इजाफा कर रहा हूं आपको इंसान है कोई इंसान की मदद कर दो ईश्वर ने इंसान बनाया उसकी आप मदद कर रहे हो तो ईश्वर से कामना आप सहयोग कर रहे हो तो आपको भेजने की जरूरत नहीं है और अगर ईश्वर डराकर आपसे कोई काम काम कराना चाहता तो आप ना तो कोई पूजा पाठ छोड़ सकते थे ना मुसलमान नमाज छोड़ सकते थे एक तरह का वायरस डालता तुम्हारे दिमाग कंधा जब तक तुम पूजा ना करते तुम्हें सुकून नहीं मिलता मुसलमान नमाज में पढ़ते हो नहीं सुकून नहीं मिलता जो है ईश्वर ने आपको आज पैदा किया है आप इस दुनिया में हर बात हासिल करना है और इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए आप क्या कर सकते हो यह आपको सोचना है ईश्वर नहीं चाहता कि आप उस से डरो और वह आपको कभी भी नहीं रहना चाहता वह चाहता है कि आप ईश्वर की बनाई हुई चीजों से प्यार करो उन्हें समझा यही धर्म और यही आदत है और यही योग है सब चीज यही है
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सबसे पहले तो आप को मेरा नमस्कार साथियों मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि आपका सवाल का जवाब देने के लिए आपने मुझे आपसे अभी आपका सवाल है क्या योगा करने के लिए उपयोगकर्ता का धार्मिक होना ईश्वर से डरना आवश्यक है बिल्कुल नहीं सबसे पहला पिया जानी है आप करना क्या चाहते हैं आप करना चाह रहे हैं योग अगर अब योग करना चाह रहे हैं तो योग का परिभाषा क्या है जीव आत्मा से परमात्मा का मिलन को योग्यता है जब इतना नेक काम अच्छा काम आप करने जा रहे हैं तो उसमें सर्च करने का तो कोई बात ही नहीं है अब घर में क्या बात है आप धर्म कभी है पहली बात है योग का तो कोई धर्म होता है कोई भी धर्म को कर सकता है जैसे कि जीव आत्मा से परमात्मा का मिलन को जो कहता है मनुष्य में है जीव आत्मा अनुपम है परमात्मा सुपर पावर भगवान अल्लाह वाहेगुरु आप अपना आत्मा से परमात्मा का अब जो भी रिजल्ट का रिजल्ट क्या है आप उससे अपना मिलन करा रहे हैं इसमें धार्मिक होना नहीं होगी मिलन कराने अपना आत्मा से परमात्मा का तो यह दोनों का काम हो रहा है यह तो अच्छा काम हो रहा है अपना सुपर पावर का से आप अपना आत्मा का मिलन करा रहे हैं भगवान सब कुछ अच्छा हो जाएगा धन्यवाद
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नहीं क्या योग क्या योग अभ्यास करने के लिए उपयोगकर्ता का धार्मिक होना ईश्वर से जरा आवश्यक नहीं योग करना हमारे शरीर के लिए अच्छी चीज है इसमें ईश्वर से डरना या किसी चीज से डरने की जरूरत नहीं है योग करेंगे तो आप अपना शरीर स्वस्थ रखेंगे योग का प्रभाव हमारे शरीर पर और हमारे मन पर पड़ता है भक्ति का प्रभाव हमारे आत्मा पर पड़ता है तो यूं अब भक्ति दो अलग-अलग चीजें भक्ति योग में ही भक्ति आता है ईश्वर कभी नहीं बोलते हैं कि हमें डरना चाहिए ईश्वर से देना चाहिए धन्यवाद
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अब यहां पर क्या है कि आपकी कुछ व्यक्तिगत धारणाएं प्रस्तुत हो रही है प्रश्न कर रहे हैं कि क्या योगाभ्यास करने के लिए उपयोगकर्ता का धार्मिक होना ईश्वर से डरना आवश्यक है ऐसा कहीं भी लिखा नहीं गया तो आप ऐसा क्यों माने धार्मिक होने का क्या तात्पर्य है भाई धार्मिक होना बहुत ही अलग विषय है धर्म तो अपरिहार्य है अर्थात उसका त्याग नहीं हो सकता फिर तू धार्मिक होना तो हो किसी न किसी रूप में व्यक्ति धार्मिक होता ही है अगर आप धर्म की परिभाषा को पढ़ेंगे तो प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में धार्मिक होता है दो विरोधी लोग भी आपस में धार्मिक हो सकते हैं दो शत्रु भी आपस में धार्मिक हो सकते हैं तो धार्मिक होना एक बहुत ही अलग बात है और योगाभ्यास करना है योगा भास्कर नाभिक धार्मिक होना हो गया अब योग का धर्म अपना लिया आपने जिसको अपने व्यवहार में लाया जिसको आपने धारण किया वह आपका धर्म हुआ तो आप धार्मिक तो हो ही गए योगाभ्यास करेंगे जो आपने धारण किया तो धार्मिक योगाभ्यास करने के लिए धार्मिक होना ईश्वर से डरना ईश्वर से डरना यह तो कहीं नहीं लिखा गया था ईश्वर का ध्यान करना जरूरी है ईश्वर प्राणी धान आवश्यक है वरशिप अंजलि ने पतंजलि ने क्रिया योग में ईश्वर पानी दान तप स्वाध्याय ईश्वर प्रधान की बात की है तो ईश्वर प्रधान आवश्यक है उसकी धारणा आवश्यक है आप ईश्वर का ध्यान करें तो ईश्वर में प्रेम रखें डरिए मत प्रेम रखें ध्यान और प्रेम में कोई विशेष अंतर नहीं है प्रेम में प्रेमी जो है अपने प्रेमी के लिए आपने प्रेमी उसी का चिंतन करता रहता है और ध्यान में भी अपने इष्ट का निरंतर चिंतन चलता रहता है एक ही भाग हो जाता है योगी वह अवस्था ही ध्यान है एक भाव के अलावा दूसरा कोई हाउस के मन में रहे ना तो वह अवस्था ध्यान हो जाती है तो ध्यान करना भी इस प्रकार से तो योग करना ध्यान करने की आप बात कर रहे हैं तो इसलिए ईश्वर से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है आपकी निजी परिभाषा है कि धार्मिक होने का मतलब ईश्वर से डरना होता है कि कुछ शास्त्र सम्मत परिभाषा नहीं तो हमारे शास्त्र है वैदिक शास्त्र वेदांत योग मीमांसा उनको हमें समझना जानना चाहिए तो ईश्वर से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है आप उससे प्रेम की थी और उसको जानिए जानने की आवश्यकता है माननीय से ऊपर उठना नियमत जानिए जब जानेंगे तभी जाकर हम उसको सही समन्वय कर पाएंगे और हम समझ पाएंगे कि हां हमें स्वर से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है उससे प्रेम करने की आवश्यकता है इस पर विचार करें
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देखिए यहां पर सवाल है क्या योगाभ्यास करने के लिए उपयोगकर्ता का धर्म धार्मिक होना पब्लिक ईश्वर से डरना आवश्यक है योगाभ्यास जो है यह जिस तरह से यह फिजिकल फिटनेस के लिए होता है और फिजिकल फिटनेस आप कर सकते हैं कोई भी धर्म का आदमी कर सकता है इसमें धार्मिक होना या धार्मिक होना इसमें कोई शर्त नहीं है कोई भी आदमी योगाभ्यास कर सकता है और रहा जहां तक सवाल यह है कि ईश्वर से डरना चाहिए क्या यह आवश्यक है कि बिल्कुल आवश्यक है ईश्वर से हमेशा डर के रहना चाहिए अगर उससे डर के रहेंगे तभी हम कोई भी बुरा काम नहीं करेंगे यह सोचते कि अगर हम यह कोई गलत काम कर रहे हैं तो ईश्वर हमें देख रहा है इसलिए हमें ईश्वर से डर के रहना चाहिए ईश्वर से डरेंगे तो हमेशा हम अच्छे ही काम करेंगे मानवता है कहीं काम करेंगे थैंक यू
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योग का अर्थ इतना ही है तेजू दो फाड़ मैंने कर रखे होते हैं अच्छा बुरा यह दोनों एक हो गए इनका योग हो गया क्योंकि योग होने के लिए और कोई दो होते नहीं है योग तो तभी होगा ना जब दो हिस्से होंगे यह दोनों मिलकर एक हो गए मिल्की एक कैसे हो गए इन दोनों का जो एक मूल तत्व है वह उजागर हो गया मूल तत्व दोनों का एक है यह बात समझ में आ गई यही होगे योग के लिए कुछ पाना नहीं है जिस एक पर आप बैठे थे उसके साथ-साथ दूसरे को भी देख लेना है योग का संयोग का अर्थ है आपने पर बैठे हो स्कॉर्पियो की नहीं हो सकती क्यों दूर बैठा है और वह आपकी दुनिया से निष्कासित अभी नहीं हो सकते क्योंकि होने का अर्थ है मैं बैठा हूं और काबिलियत पर भी चला जाऊं बिल्कुल करीब चला जाऊं उसके बिल्कुल बिल्कुल करीब इतना करीब कि पापी कहला ही जाऊं और वहां जाकर के साथ साथ में ही देख लूं कि आपका तत्वों भी वही है जो पुण्य का तत्व है यह योग है रंग अलग अलग ही दोनों के तुम्हारी मम्मी से जो लोग किसी भी व्यक्ति के एक सिरे पर बैठे हैं उनको दूसरे सिरे के करीब जाना पड़ेगा अगर उन्हें योग में प्रतिस्थापित होना है जिन चीजों को आज तक आपने महत्वपूर्ण बोला है कि भारत का एक सिरा है कि यह महत्वपूर्ण है और दूसरा क्या होता है यह महत्व चीन है जिन बातों को आपने आज तक महत्वपूर्ण बोला है उनको आप को जागरूक होकर महत्वहीन कहना पड़ेगा इस कार्य को पूर्ण होता है और कुछ होता है होता है नहीं होता है होता है बस होता है बिट्टू कि आप कुछ बातों को बहुत महत्व देता आए हो इसीलिए अब आपके लिए आवश्यक हो जाएगा कि आप उनको जानबूझकर वह तो देना छोड़ो तुम के विपरीत ओं को महत्व देना शुरू करो दो चाहता हूं यह मैं कहता हूं की चमक दमक को रुपए कैसे के प्रदर्शन को भोग को ब्रह्मा तो दिया है ना पूजा करके फ्री शॉपिंग मॉल के सामने खड़े हो जाओ और इसी को ध्यान से देख लूंगा सब ध्यान से देख लूंगा तब और फिर जोर से कहूंगा अपने आप से यह सब झूठ है आज तत्वों की शॉपिंग मॉल में उस ज्वेलरी की दुकान को देख करके उसको देख कर के गारमेंट शॉप को देख कर के अपने आप से यही कहा है कि यह सब कुछ असली है और महत्वपूर्ण है तो बहुत जरूरी है कि तुम वहां पर जाओ और खड़े हो और जोर से अपने आप को ही घोषणा करो कि यह सब कुछ झूठा है और नकली है पद को प्रतिष्ठा को और ताकत को तुमने बहुत महत्व दिया है आज तक तो बहुत जरूरी है कि सड़क से जब लाल बत्ती वाला काफिला गुजर रहा हो तो उसको देखो और बजाय इसके कि तुम कुत्ते हो जाओ एक आदमी के पीछे 20 गाड़ियां और गुंडे खड़े हो जाओ ध्यान से देखो और कहो झूठ है यह सब यही योग है एस्से पर बैठे थे और उसको भी सच मान लिया था उसी से अपनी पहचान बना ली थी उसी से जुड़ गए थे हम जा रहे हैं दूसरे पर भी इसका अर्थ यह नहीं है कि एक सिरे से उठकर दूसरे पर बैठ जाना है गलत मत समझ लेना नहीं कहा जा रहा है कि पहले चिल्लाते थे महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण और चलाओ मातहीन माधुरी नहीं कहा जा रहा है कि पहले तुम वह सारे काम करते थे जो तुमने कहलाते हैं और अब तो वह सारे काम करने लगे तो आप कहलाते हैं मिनी कहां जा रहा है कहा जा रहा है कि जब तक तुम पाप के करीब नहीं जाओगे तुम जानोगे कैसे आप कब तक तो वही है जो खोलने का है तुम्हारा नहीं अगर तुम पाप से दूर ही दूर रहे इसलिए जो लोग बड़ा शुचिता पूर्ण जीवन बिताते हैं वह जाते हैं लगता तो है तभी उनका बड़ा सांप रहा कभी रोने कोई बुरा काम नहीं करा और उनका जीवन पृथ्वी भी नहीं पाता क्योंकि बुराई के करीब ही नहीं गया जिसको बुरा कहा जाता है तो उसे कहीं भी नहीं गया उसको जाने का कैसे भूलना नहीं जिसको तुम बुरा कहते हो उसका करता भी वही परमात्मा है तुम अगर बुराई को ठुकरा रहे हो तो उस परमात्मा को ठुकरा रहे हो योगी की आंख को पाप में भी हत्या में भी चोरी और डकैती में भी स्पष्ट कर में भी वही तत्व दिखाई देता है जो उसे गिरी मंदिर में दिखाई देता है कब आती होगी हुए यू कार्तीय कि मेरी आंख को अब तो दिखते ही नहीं एक ही नजर आता है असुविधा की स्थिति बड़ी मुश्किल से तो हमने संयम साधा है बड़ी मुश्किल से तो हमने हवाला आचरण साधा है और उनसे कह रही जो अच्छा वाला साथ लिया है वही तुम्हारा बंधन है पूरे हो जाओ बुरे सो भी जाओ उसके बहुत करीब जाओ उसे देखना पड़ेगा जैसे कि नहीं हो जाओ वैसे ही बुरे भी जाओ कैसे जानोगे कि क्रोध क्या है गुरु से करीब नहीं गए जिन बातों को पाप की संज्ञा दे दी है उनको समझोगे कैसे अगर उन्हें कभी उतर ही नहीं सुबह पहले से तुम बचोगे सब कुछ ट्राई करने के लिए कह तो ऐसे रहे हो जैसे तुम परम पुरुष हो सब कुछ अभी जो कहा उस में कितनी मान्यताएं छुट्टियों को समझना यह समझ रहे हैं बैठे हुए हैं यह सोच रहे एक कर्म करेगा फिर दूसरा कर्म करेगा फिर तीसरा करेगा और ए सब कुछ करेगा जो उन्होंने कहा कि सब कुछ ट्राई करें यह सब कुछ करेगा लेकिन फिर भी यही रहेगा अरे तुम पहला ही कर्म करोगे तुम ए प्लस बी माइनस हो जाने वाले हो यहां सब कुछ ट्राई करने के लिए और सब कुछ कर करके भी यही बता रहा है तो एक कुछ कर नहीं रहा एक ही काम कर रहा है क्यों अपने आप को बचा रहा है जीवन के जो मूल है जंक्शन से उनको देखो ना तो मानते हो ना वही रहूंगा घड़ी 2 घंटे पहले जो थे वह अब नहीं हो तुम एक गहरे कर्म में उतर ओके जो तुमने आज तक नहीं किया उसके बाद तुम भी रह जाओगे तुम पहले थे मैं जा रहा हूं जिन बातों को तुमने जीवन से निष्कासित कर रखा है जरा उनके करीब जाओ उनके करीब जाने के बाद तुम बचोगे क्या तुम्हें भूल जाना है तुम्हारी अपनी हस्ती खुशी जानी है यह सवाल भी कि सब कुछ ट्राई करें यह पूछ रहा है एडेश्वर ज्यादा समझदार होगा
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बिल्कुल नहीं होगा अभ्यास करने के लिए उपभोग करता को उपयोगकर्ता का धार्मिक होना कोई अनिवार्य नहीं है बहुत जगह पर इसको भ्रामक रूप में बताया गया है कि यह विशेष जाति धर्म या किसी से जोड़ दिया गया है मगर योग सभी लोगों के लिए सभी धर्म के लोगों के लिए है यह कोई खास हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के दिन नहीं हर कोई इसको अपना सकते हैं ईश्वर से डरना योग नहीं सिखाता है ईश्वर से जुड़ने का प्रयास आपका योग करवाता है आप भी चिंतन मनन ध्यान करते हैं इससे आप परमात्मा से जुड़ने का प्रयास करते हैं उन्हें किसी भी नाम से जान सकते हैं उम्मीद करता हूं आपको इसका उत्तर मिल गया होगा धन्यवाद
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जरूरी नहीं है जरूरी नहीं है बैलेंस डाल उसको कोई गलती करी अगर आप सेल्फ कॉन्फिडेंस हटाकर अंदर ही अंदर कोई कमी नहीं है जिस मॉनिटर थी और अब खुद अपने आप को बैलेंस करने की हर चीज में त्रिशूल और दोनों डिफरेंट धार्मिक और एक आध्यात्मिक दोनों डिफरेंट है आपके अंदर एक आध्यात्मिक ज्ञान होना चाहिए आपके अंदर भगवान का डर नहीं होना जी और धन का डर नहीं होना चाहिए
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योगाभ्यास करने के लिए यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि आपका धार्मिक होना जरूरी है या किसी धर्म विशेष संप्रदाय को योगा बिल्कुल नहीं सकता योगा सभी के लिए होता है तो उसको सब लोग कर सकते हैं
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धार्मिक होना जरूरी नहीं है लेकिन प्राकृतिक होना जरूरी है पर किसी को मारना जरूरी है मेरे यहां पर डिपेंड करती हैं अलग-अलग धार्मिक भी मानते हैं कुछ लोग को सूरज को मानेगा किशोरी देता अगर हिंदू धर्म की बात करें अगर मुस्लिम धर्म की मानते हैं तो वह आप उसको बोलते हैं कि कोई बड़ी चीज हो गई तो हर धर्म में भगवान को मानना है तो एक बार की बात करेगा तो करेगा तो उसमें भी हमें किसी ना किसी को मानकर कि हम लोग मेडिटेशन करते हैं
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ऐसा कुछ नहीं है कि धार्मिक होना जरूरी है और इश्वर से डरना योगा ठीक है कि कब इंडिया में अगर आप देखेंगे तो योग की शक्ति शिव से हुई है तो वह ठीक है लेकिन आप अगर किसी धर्म से जोड़ना चाहेंगे तो वह गलत है क्योंकि भगवान ने तो सभी इंसानों को बनाया था हम लोगों ने आप हिंदू मुस्लिम सिख इसाई किया है उसको और आप ही दिखे कि अगर कोई मुस्लिम नमाज पढ़ते हैं नमाज पढ़ने में भी काफी सारे योगा के पोस्टर चाहते हैं बेसिकली योगा आपके शरीर को फिट करने के लिए है आपका ब्रीडिंग सही हो आपका बॉडी फ्लैक्सिबल रहे इसके लिए इसमें धर्म से तो मुझे नहीं लगता कि कोई चीज जुड़ी हुई है जब मैं अपनी क्लास में मुस्लिम की भी क्लास में जाकर उसकी क्लास में भेजा था कि मेरी क्लास स्टार्टिंग होती है और लास्ट होता है गायत्री मंत्र महामृत्युंजय तू कई होते हैं जो कि अपना बोल दो कोई दिक्कत नहीं है तुमसे मैं चीज को नहीं मानती हूं और ना ही होगा करता हूं भगवान से कि वह धर्म से जुड़े गाया फिर भगवान से डर नहीं देखता ही है हमारे कर्मों के
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हमारी हमारी लड़ाई नहीं सकते
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इसका किसी भी धर्म से किसी से लेना देना नहीं है कोई भी दवा ठीक है ना अगर वह मुझको फायदा करती है इससे मुझे आराम मिलता है तो मैं उसको नहीं देखूंगा कि यह किस धर्म की है और किस डॉक्टर ने बनाई है और कहां से आई है क्योंकि अगर मुझे सही मगर दर्द है मुझे कोई दवा खाने से चाहे वह किसी भी धर्म की हो अगर आराम मिलता है तो मैं वह खाऊंगा इसी तरीके से हमारा योग है वह एक दवा है उसको धर्म और यह सब जोड़ने वाले हमें लोग हैं वह क्रिटिसाइज करने वाली बात है लेकिन इसको एक अगर दवा के रूप में अगर देखा जाए तो एक दवा है जो हमारी संस्कृति की उपज है उस तरीके से आप कॉलेज ने उस सब करेंगे उसी से हमारा और हमारे समाज का कल्याण होगा
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इंसान को देख करके सोना चाहिए अब ऐसा नहीं कि दिन भर ही रहो यह मैटर नहीं करता है इंसान सामाजिक कार्य करते हुए अपना दैनिक कार्य करते हुए कुछ टाइम भगवान के लिए निकालना यह चीज बोर्ड इंपॉर्टेंट ऐसा करेंगे तो खुद ब खुद के लोग धार्मिक स्वभाव के होते हैं कुछ लोगों को फिर से रिपीट करना है कुछ लोगों को साथ रिलेटेड प्रॉब्लम है कुछ तो बहुत है तो प्रॉब्लम है तो हर टाइप के लोगों के लिए योगा बेनिफिट्स आने की धार्मिक होना है भोजन कीजिए तब आप योगा कर सकते हो
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लोग बस और धार्मिक आस्था का कोई आपसी तालमेल नहीं है योगाभ्यास आपके शरीर से जुड़ी हुई क्रिया है जिसमें जिसे करने से आप स्वस्थ रहते हैं आप ईश्वर को माने या ना माने प्रयोग कर सकते हैं और अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं
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मैंडेटरी नहीं है बाबा कोई बेवफा ना गायन से कनेक्शन आपको कितनी पढ़ाई करना
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नहीं योगाभ्यास को धर्म से पहली बात तो जोड़ना ही नहीं चाहिए तुलसीवादी सर की बात रही तो ईश्वर से हर इंसान को कहीं ना कहीं डरना चाहिए क्योंकि ईश्वर है कोई इंसान के अंदर अच्छाइयों का रहता है अच्छाइयां रहती है और वह ईश्वर से डरकर अच्छे काम ही करता है बुरे नहीं करता तो ईश्वर का डर एक अलग चीज है लेकिन योगा को या व्यायाम को या ईश्वर यह रूप में किसी भी नाम से ईश्वर की उपासना को किसी धर्म संप्रदाय से नहीं छोड़ना चाहिए और धार्मिकता से ईश्वर से बिल्कुल योगाभ्यास को नहीं छोड़ना चाहिए आत्मा की शुद्धि होती है अलग बात है लेकिन शारीरिक विकास के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम बावरिया योगा बहुत ही उपयोगी चीज है धन्यवाद
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नहीं मां तो मां तो नास्तिक नहीं करने वाले को नहीं करना बंद कर रहे हैं हमको यह जानना बहुत जरूरी है कि उन देशों में लोग सबसे ज्यादा है जहां पर हिंदुओं की आबादी सबसे कम हुआ उनको जगा हुआ इंसान भी अपने नहीं है
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