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विधानसभा राज्य के अंदर चुने हुए विधायकों का एक समूह होता है जिसका नेता जिसमें नेता दल जो होता है प्रमुख वह मुख्यमंत्री होता है जिसका एक छोटा सा मंत्रिपरिषद होता है और राज्य का राज्यपाल उसे शपथ दिलाता है विधान परिषद चुने हुए लोगों का नहीं होता यहां पर विधानसभा की एक बैठक होती है विधानसभा जब चाहे तब विधान परिषद का निर्माण कर सकती है या विधानसभा का विधान परिषद को भंग कर सकती है विधान परिषद के बनने के बाद वहां पर जितने भी लोग होते हैं उन्हें अलग अलग टाइप के जैसे कि 18010 किसी विशेष इंडस्ट्रीज के होते हैं या 1:00 22 को चुने हुए जाते हैं नेताओं के द्वारा मदद टोटली मान लीजिए कि र स पा रहा उस राज्य का जिस तरह से केंद्र में लोकसभा तथा राज्यसभा हे राजा राज्यसभा के सभी सदस्य मनोनीत होते हैं उसी तरह से विधान परिषद की भी सारे के सारे सदस्य मनोनीत होकर जाते हैं और विधान परिषद का को होना ही सही से नहीं है तुम भारत में किन 7 राज्यों में विधान परिषद है और लोग विधानसभा जब चाहे तब विधान परिषद बना सकती है तथा विधान परिषद को बंद भी कर सकती है लेकिन अपन हाउस में यानी कि लोकसभा कविराज सभा का मन नहीं कर सकती राज्यसभा के लाइट हाउस है जो कभी कभी भी भंग हो नहीं सकता वह हमेशा कारण में रहता है हमेशा कार्य करता है धन्यवाद
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विधानसभा और विधान परिषद में क्या अंतर है तो विधानसभा के अंदर जो सदस्य चुने जाते हैं वह जनता के वोटों के द्वारा चयनित होते जनता के वोटों के बाद जीत कर आते हैं वह विधानसभा में होते हैं और जो विधान परिषद है वह किसी विशेष व्यक्तियों को नामांकित करती है या वह विधानसभा के जो सदस्य है वह वोटिंग करके विधान परिषद के सदस्यों को चेक करते हैं एक तरफ से लोकसभा व राज्यसभा है उसी प्रकार विधानसभा और विधान परिषद भी हैं किंतु कई स्टेट में विधान परिषद नहीं है वहां केवल विधानसभा है अगर कोई मंत्री बनता है या मुख्यमंत्री बनता है कोई भी तो मूवी धान सभा का अगर सदस्य नहीं है तो वह विधान परिषद का सदस्य बन जाता है जैसे कि हमारे मनमोहन सिंह से राज्यसभा के सदस्य और पढ़े आप डाल रहे हो नहीं सुनाओ
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जैसे केंद्र में लोकसभा और राज्यसभा होता है वैसे ही राज्य में विधानसभा विधानपरिषद होता है लोकसभा निम्न सदन होता है और सभा विधान सभा विधान परिषद विधानसभा से विधायक को चुनते हैं वह सब मिलकर टीम को चिंता है जैसे लोकसभा को चुनते हैं सब लोकसभा के सदस्य निर्वाचित सदस्य विधानसभा में किसी भी राज्य में विधानसभा की कम से कम 60 से अधिक से अधिक 500 से ज्यादा नहीं होता जम्मू कश्मीर में 36 सेक्शन में
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राज्य विधानमंडल में दो सदन होते हैं विधानसभा और विधान परिषद विधानसभा व विधान परिषद को संविधान के द्वारा अलग-अलग कार्य दिए गए हैं शक्ति व अधिकार विधानसभा के पास विधान परिषद से अधिक है विधान सभा के सदस्यों को सीधा जनता द्वारा चुना जाता है वह जनता के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है आपातकाल में से बढ़ाया या बंद किया जा सकता है इसमें निर्वाचित होने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष होनी चाहिए प्रत्येक राज्य की विधानसभा में कम से कम 7 अधिक से अधिक 500 सदस्य हो सकते हैं विधानसभा का नेता राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं राज्य का बजट विधान सभा द्वारा ही पारित किया जाता है इसके अलावा विधान परिषद विधानमंडल का उच्च सदन होता है वर्तमान में छह राज्यों में विधान परिषद मौजूद है विधान परिषद के सदस्यों की संख्या राज्य की विधानसभा के कुल सदस्यों की एक तिहाई से अधिक नहीं होनी चाहिए विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए परिषद के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है विधानसभा और विधान परिषद में यह मुख्य अंतर है
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सबसे पहले मैं आपको विधानसभा और विधान परिषद की शक्तियां जो है कहां-कहां बराबर होती है मैं उनके बारे में आपको बताना चाहूंगी कि पहला जो है वह साधारण विधायकों को शुरू करना दूसरा मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करना और आपको जानना चाहिए कि जो मंत्री विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य हो सकते हैं तीसरा यह कि राज्यपाल जो अध्यादेश जारी करते हैं उनको एक्सेप्ट तो रिजेक्ट करना और हर राज्य में कुछ समय धार्मिक संस्थाएं होती है जैसे राज्य वित्त आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग इन संस्थाओं के द्वारा से जारी के रिपोर्ट पर विचार करना ठीक है और विधानसभा की शक्तियां विधान परिषद से जो है किन मामलों में ज्यादा होती है तो उसके बारे में बताना चाहूंगी जैसे कि धन विधेयक होता है केवल विधानसभा में ही आरंभ किए जा सकते हैं निकले शामली में ही आराम कर सकते हैं विधान परिषद धन विदेश में नाम ना तो संशोधन कर सकती और ना उसे खारिज कर सकती है यदि चाहे तो 14 दिन तक रोक सके इसमें संशोधन से संबंधित सिफारिश दे सकती है विधानसभा उन सिफारिशों को स्वीकार भी कर सकते और खारिज भी कर सकते हैं और हर स्थिति में विधानसभा की रैली जो है अंतिम बार आता है कि वित्तीय विधेयक जो होते हैं केवल विधानसभा में ही प्रस्तुत की जा सकता है और जैसे वैसे एक बार जो है वित्तीय विधेयक प्रस्तुत हो गया तो दोनों सदनों की शक्तियां दो बराबर होती है
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