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मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि मेरी जिंदगी में सब कुछ खत्म हो गया मेरे पास सब कुछ है लेकिन फिर भी मुझे ऐसा लग रहा है कि सब कुछ मेरा खत्म हो गया दिखे ऐसा होता है कभी-कभी कई बार ऐसा होता है और ऐसा होने का कारण क्या है यह मैं जान तक जानता हूं कि ऐसा अमित अभी होता है कि हम इस दुनिया से इस दुनिया के लोगों से अपने रिश्तेदारों से अपने आसपास और अपने से जो संबंधित रोग है उसे हम बहुत ज्यादा अपेक्षा करते हैं अब हम बहुत अपेक्षा सबसे करने लगते हैं ना और जब हम भी नहीं हमारी अपेक्षा पूरी नहीं होती ना तो फिर ऐसी बातें हैं कि मेरी जिंदगी में सब कुछ खत्म हो गया सब कुछ होते हुए भी ऐसा लगता है कि मेरे पास अब कुछ बचा नहीं यह वास्तविकता से दूर होता है इंसान जब तक जिंदा रहता है तब तक उसके पास सब कुछ रहता है लेकिन उसे अपेक्षा पूरी नहीं होती है किसी से तो उसे खालीपन का एहसास होता है और इस खालीपन के साथ को भरने के लिए उसे थोड़ा अध्यात्मिक होना जरूरी होता है जब भी ऐसी भावना हो कि आपको लगे कि सब कुछ होते हुए भी आपके पास कुछ नहीं है तो आप तो थोड़ा मंदिर में जाकर आरती में दर्शाइए की आरती आधे घंटे के बाद पहले 10 मिनट 15 मिनट आधा घंटा एक घंटा बजाकर और ध्यान आरती में प्रभु की तरफ आंखें बंद करके इस तरह से ध्यान मग्न हो जाइए और उस समय के बाद कोई एहसास होगा आपका सारी खालीपन दवा कब बढ़ जाएगा और आप अपने आप को बहुत ही खुशी और साजिश करते बहुत अच्छा महसूस करेंगे अब यह नहीं सोचेंगे कि जब पूछे तो यदि मैं खाली हूं अब यह सोचेंगे कि मेरे साथ तो मेरा भगवान है और भगवान मेरी मदद कर रहा है और भगवान के दोनों हाथ मेरे ऊपर आशीर्वाद दे रहे हैं अब मुझे दुनिया वालों की इतनी ज्यादा जरूरत नहीं है मैं उसे क्या उपेक्षा करूं मुझे मांगना है कुछ तो मेरे भगवान से नहीं मांगू मैं उसकी संतान और मैं तो यहां भगवान ने मुझे इसीलिए भेजा है कि मैं सबको प्यार और भलाई करो और भगवान ने मुझे योग्य समझा है और मैं तो एक जरिया और मैं लोगों को दूंगा तो भगवान की जो दिल से जो करवाना है वह भगवान करवा रहा है मैं तो एक जरिया मात्र हूं यह जो भाव आएगा तब आप कभी भी अपने आप को खाली नहीं समझोगे आप को ऐसा लगेगा कि आप तो एकदम आपके जैसा भागे वहां आपके साथ सूखी आपके जैसा कोई और नहीं है क्योंकि भगवान को आप अपने करीब उसके चरणों में शीश नवा रहे हैं की शिकार है और भगवान का दोनों हाथ से आशीर्वाद आप के ऊपर बरस रहा है यह भाव जो होता है पर इंसान कभी भी दुखी महसूस नहीं करता वह दुनिया के किसी लोगों से अपेक्षा नहीं करता और जो अपेक्षा किसी की नहीं करता वह हमेशा सुखी रहता है रक्षा करनी है आशा करनी है तो ऊपर वाले से करिए वह हमारे योगी जो भी होगा हम को जब ठीक लगेगा तब हमारी कृपा दृष्टि वह देते रहें बस हमारे जैसा सुखी इंसान इस दुनिया में और कोई नहीं हमें बस कर्म अच्छे कर्म करते जाना है 10th पास
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