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कई लोगों को इतनी इच्छा क्यों महसूस होती है सबसे पहले बात तो आपको वही महसूस होगा जो आपके अंदर भरा है आपके अंदर प्यार भरा हुआ है तो सामने वाले कितना भी बुरा व्यवहार कर रहा है आपके अंदर से प्यार ही निकलेगा शायद आप उसे तुरंत क्षमा कर देंगे आपके अंदर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं रहेगा यह बहुत ही स्ट्रांग स्थिति होती है जो सबके अंदर नहीं होती है बहुत ऐसे विरले मिलेंगे कब मिलेंगे जो इतने स्पर्म होते हैं कि सामने वाला कुछ भी याद कर रहा है उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता यहां पर आपने जो सवाल पूछा है कि कई लोगों को इतनी इच्छा क्यों महसूस होती है तो उनके अंदर एरिया के सिवा कुछ है नहीं उन्होंने अपने अंदेशा को पाला है उसे उन्होंने पाल पोस कर बड़ा किया है उनके अंदर भरा पड़ा होगा उन्हें वही चीज महसूस होगा जब इंसान दूसरों की खुशियों को देखकर खुश नहीं होता दूसरों की तरक्की को देखकर खुश नहीं होता है तो वह अपने अंदर एक नेगेटिव फीलिंग पैदा कर लेता है वह अपने आप को और नीचे की से लग जाता है और नेगेटिविटी की तरफ से लग जाता है इससे उत्पन्न होती है वह सामने वाले की खुशी नहीं देख सकता इसके तरक्की नहीं देख सकता और लगातार एक विश करता है कि सामने वाला बर्बाद हो जाए या उसमें उसके सारी खुशियां खत्म हो जाए इससे ऐसा करने वालों को तो भी कुछ नहीं मिलता अगर वह ऐसा नहीं करते अगर वह सामने वाले कोई खुशी में खुश होते हैं या उसे कुछ सीखने की कोशिश करते या अगर बढ़ाना है तो अपने आप को आगे बढ़ाने की कोशिश करते ना कि दूसरों की टांग खींचने की कोशिश करते हैं तो उनका खुद का भी भला होता लेकिन शादी व्यक्ति की यह बहुत बड़ी प्रॉब्लम होती है तो खुद भी प्रॉब्लम होते हैं और दूसरों की लाइफ में भी प्रॉब्लम क्रिएट करते हैं वह यह है कि वह किसी की खुशी देखना नहीं चाहते देख भी नहीं सकते और उनकी पूरी लाइफ दूसरों की गुलामी में निकल जाती है गुलामी में कैसे किसी ने किसी को उसने खुश देख लिया तो वह उसके लाइफ के पीछे पड़ जाएगा इसकी खुशी मुझे किसी ना किसी तरह खत्म करनी है इसके अंतर्गत खत्म करनी है इसके लाइफ को बिगाड़ना इसको नीचे कि मैं पकड़ के पूरी लाइफ किसी और की माला जपने में लगा देता है यकीन मानिए जो जिसका बुरा होता है वह सबसे ज्यादा जिसका बुरा होता है वह खुद वह व्यक्ति होता है जो दूसरों से ईर्ष्या करता है जो चालू होता है उसे कुछ भी नसीब नहीं होता हो सकता है वह दूसरे का काम बिगाड़ दे तो सामने वाले को खींचकर विराजे तरक्की के रास्ते से बर्बाद कर देखिए हो सकता है लेकिन वह बिल्कुल नहीं हो सकता सबसे बड़ा जुलूस होता है उसके अंतरात्मा में होता है वह खुद को माफ़ नहीं कर पाता उसे खुद कहीं ना कहीं पता होता है कि गलत मैं हूं अरे चलो व्यक्ति जानता है की प्रॉब्लम मेरी है मैं किसी को खुशी नहीं देख सकता यह हरियाली व्यक्ति जानता है और ज्यादा से ज्यादा ऐसा व्यक्ति है एक्सेप्ट करते हैं कि मुझे ईर्ष्या होती है किसी को देखकर तो कोई सबसे कड़वाहट चीज अगर किसी के मन में हो सकती तो वह ईर्ष्या होती है होती है जब आपके अंदर कड़वाहट है आप हर दूसरे व्यक्ति को पराया समझते हैं और यही मेंटालिटी होती है कि उनकी तरक्की से मैं खराब हो रहा हूं मैं कहीं ना कहीं मेरा बुरा हो रहा है तू जब दूसरों की खुशी में अपनी खुशी नहीं देखता है तो उसे इल्जाम महसूस होती है
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