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पांचों पांडवों की माता कुंती ने अपने बाल्यावस्था में ही राजा की पुत्री थी अपने बाल्यावस्था में ही उसने अपने व्यवहार कुशलता और तत्व व्यवहार प्रियता तपस्या के बल पर ऋषि दुर्वासा को प्रसन्न किया ऋषि दुर्वासा जो अच्छी और अनुसूया के पुत्र थे अत्यंत क्रोधी स्वभाव के थे परंतु उनके क्रोध से भी किसी अच्छी चीज का सृजन होता था ऐसी अनेकों कहानियां है पौराणिक इतिहास में उन्हें उस ने प्रश्न किया ऋषि दुर्वासा ने उसे यह वरदान दिया था उस वरदान में एक मंत्र था उस मंत्र के जाप करने से जिस किसी देवता का भी आह्वान किया जाता था तू ने पुकारा जाता वह देवता आ जाते हैं और उसके ही अंशु से फिर किसी का जन्म हो सकता था ऐसा इसलिए हो गया क्योंकि ऋषि दुर्वासा ने जब कुंती की हथेली देखी थी उसकी हथेली में उन्होंने रेखाएं देखी उससे जो पता चला तो दुर्वासा ने कुंती को बताया है कि तुम्हारे तुम्हारी शादी तो एक राजा से ही होगी लेकिन तुम्हारा उसका भविष्य अंधकार में है उसके अपने रोग के कारण उसको रोक के कारण तुमसे उस की संताने नहीं होगी उसको तुमसे संताने नहीं हो सकेगी और इसे टाला नहीं जा सकता या तुम्हारा भविष्य है ऐसा होकर रहेगा तो ऐसी स्थिति में तुम्हारे लिए उस समय बहुत दुविधा होगी इसलिए मैं पूर्व ही उन्होंने मंत्र बता दिया था लेकिन सब कुछ उसी ने बताया था ठीक ढंग से उन्होंने मंत्र बताया था और यह कहा था कि तुम्हें भविष्य में या परेशानी होगी इसलिए यह मंत्र मैं तुम्हें बता रहा हूं इसे याद रखना और जब तुम्हें या परेशानी आएगी तो इस मंत्र का जाप करना कि जिन देवता को सावन करोगी वह जंगल से तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी दुर्वासा ने उसे मंत्र दिया था उनके पश्चात 29 वर्ष की थी उनके जाने के पश्चात कुंती से यह क्योंकि वह बचपना था 13 वर्ष की अवस्था कोई मैच्योर पर्सन की अवस्था नहीं है कोई समझदार इंसान की अवस्था नहीं है वह प्रीमेच्योर लड़की थी उसे वह कौतूहल सहन नहीं हुआ तो क्या किसी मंत्र फिर कहने से कोई देवता जाएंगे उसे यह कौतूहल सहन नहीं हुआ और वह छत पर चली गई और उसने उस मंत्र का हवन किया मंत्र का जाप करने के बाद फिर अचानक उसे ख्याल आया कि किस देवता को मैं बुलाऊं तो इधर-उधर ध्यान भटका सामने में छुरी केवल एक मात्र आकाश में दिखाई दिए और उसका कोतवाल और चरम सीमा पर पहुंच गया और उसने सूर्य का आह्वान कर लिया सॉरी वहां प्रकट हो गया और उन्होंने कहा आपने देवी मुझे बुलाया है इसलिए मैं वापस जा नहीं सकता और यह मंत्र जिस कार्य के लिए है वह होना निश्चित है इस मंत्र के प्रभाव से आप जो चाहते हैं वह पूर्ण हुआ ऐसा कह कर उन्होंने अपना तेज उसके शरीर में प्रवेश प्रविष्ट कराया और फिर चले गए उस गर्भाधान से कुंती को कर नाम की संतान के जन्म से ही जन्मजात कवच और कुंडल धारिता पांडवों का सबसे बड़ा बड़ा सबसे बड़ा भाई कारण था उसके होने के पश्चात चींटी कुंती 14 वर्ष की अवस्था में बच्चे को जन्म देते तो उसे कैसे पाला जा सकता था इस दुविधा में उसने और फिर अपनी राशियों के सचिवों के निर्देश पर दाढ़ी पर उसने वह पुत्र नदी में बहा दिया पिटारी में रखकर जो बाद में एक राज है एक साथी के हाथ लगा जो राधा नाम की औरत थी उसके पति के हाथ लगा वह एक तार्किक था सूत पुत्र था और उसी ने फिर पाला पोसा डिस्ट्रिक्ट कर बड़ा होकर दुर्योधन का फिर मित्र बना बाद में जब कुंती की शादी हो गई पांडु के साथ जब संतान की जरूरत हुई तो अलग-अलग पांच बार कुंती ने पांच देवताओं का आह्वान किया था और अकेले कुंती ने यह काम नहीं किया क्योंकि पांडु ने फिर दूसरा भी बाकी बाद में किया उनकी के बाद मात्र तीन बार कुंती नहीं हम मंत्र प्रयोग किया था और एक बार माद्री में कुंती ने जिन जिन तीन देवताओं का आह्वान किया उनमें सबसे पहले यमराज का आह्वान किया गया था जब मृत्यु के देवता और उनसे युधिष्ठिर पैदा हुआ जो धर्म और न्याय के संस्थापक धर्म और न्याय के लिए जाने जाते तब तक के लिए जाने जाते हैं उन्होंने वायु देवता का आह्वान किया जिससे उन्हें भी की प्राप्ति हुई तीसरी बार उन्होंने देवताओं के राजा इंद्र का आह्वान किया था जिससे उन्हें अर्जुन की प्राप्ति हुई और फिर अपनी छोटी-छोटी से का मंत्र या गांव आकर उन्होंने अश्विनी कुमार को माधुरी ने वह आवान जब किया तो अश्विनी कुमारों का आह्वान किया उससे उन्हें नकुल और सहदेव पांच पांडव का हाल है अर्जुन की 3 और 25 पांडव संताने
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