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लेकिन इस प्रश्न की आपको काफी उत्तर मिल जाएंगे की रामायण किसने लिखी थी कुछ लोग कहते हैं वाल्मीकि ने लिखी थी कुछ लोग कहते गोस्वामी तुलसीदास ने लिखी थी लेकिन आपको यह जानना चाहिए कि रामायण के अलग-अलग वर्जन से टिकट और कुछ ट्रांसलेटेड वर्जन दिए तो जो सबसे पहले रामायण लिखी गई थी वह वाल्मीकि द्वारा लिखी गई थी और वाल्मीकि जो हुआ करते थे वह पहले डाकू हुआ करते थे तो उन्होंने एक बार एक प्रेम क्रीड़ा में लिप्त दो बच्चों के जोड़े को देखा था और नहाते समय स्नान करते समय जब उन्होंने उसको देखा तो एक निषाद आया एक शिकारी आया उस ने तीर मारकर जो नर कटता उसका वध कर दिया तो उस टाइम उसको श्राप देने के लिए बाल्मीकि के मुख से प्रथम श्लोक निकला था कि मा निषाद प्रतिष्ठां तो अगम शाश्वती यस क्रॉस सुना दे कम अवधि काम मोहित यमलोक के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने गलत किया और उसके बाद फिर उसने उसको शमा भी कर दिया था और धीरे-धीरे फिर उनको यह लगा कि यह जो वह काम करते हैं जो कार्य करते एक डाकू का वह भी गलत है और उसकी जगह उन्हें कुछ ऐसा करना चाहिए जिसमें समाज के लिए कुछ कर सके तो यह तो बात हुई जो वाल्मीकि रामायण संस्कृत में थी अवधि में गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखिए ठेके पर साउथ इंडिया के हमारे एक कमान हुआ करते थे आदि कवि कंबन उनमें कंब रामायण लिखी थी ऐसी करके मां रामायण के काफी सारे वर्जन से जो पूरे देश भर में प्रचलित है शाहजहां के जो बड़े पुत्र थे दारा सिको उन्होंने रामायण को उर्दू में और पारसी फारसी में ट्रांसलेट करने का कार्य भी किया था धन्यवाद
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बाल्मीकि जी ने रामायण लिखी थी
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रामायण सबसे पहले संस्कृत में लिखी गई थी ऋषि वाल्मीकि जी के द्वारा उन्होंने ऐसी कोई चीज घटते भी नहीं देखी थी उन्होंने यह कहा जाता है कि उन्होंने हजारों वर्ष होने जो हजारों वर्ष के बाद जन्म होना था भगवान राम का उनको अपने से अपनी तपस्या से अपनी सिद्धि से उस चीज का ज्ञात पहले ही हो गया था कि उनके जन्म उनका जन्म कैसे होगा उनके जन्म के बाद क्या-क्या चीजें होंगी उनकी तपस्या के जो तपस्या की वजह से उनको ज्ञान प्राप्त हुआ था उन्होंने उस ज्ञान को संस्कृत में राम चरित्र मानस के रूप में लिखा था ऋषि बाल्मीकि जी ने सबसे पहले संस्कृत में लिखी थी उसके बाद तुलसीदास ने संस्कृत पाली रामायण को ट्रांसलेट क्या था हिंदी में जब मुगल मुगल राज कर रहे थे भारत पर अकबर के टाइम तुलसीदास जी ने वह संस्कृत वाली रामायण को वाल्मीकि जी की संस्कृत की पुरानी रामायण थी उसको हिंदी में ट्रांसलेट करके लिखा था उसको लोग आज तुलसीदास जी ने रामायण का नाम लिया था
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ऐसे तो बहुत सारी लैंग्वेज में रामायण को लिखा गया लेकिन सबसे पहले रामायण लिखी गई थी वह महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा लिखी गई थी संस्कृत में और महर्षि वाल्मीकि ने रामायण को लिखा उसके पीछे बहुत इंटरेस्टिंग स्टोरी है और सब बात ही की मां श्री वाल्मीकि जिनका असली नाम रत्नाकर हुआ करता था वह मिल शामली को ब्लॉक करते थे और इन्हीं कारणों की वजह से वह बुरी संगत में फंस गए और 1 चोर बन गए एक बार एक संप्रभु उनके पास से गुजरे और उन्होंने वाल्मीकि जी को कहा कि उन्हें यह बुरे काम बंद कर देना चाहिए क्योंकि उनकी यह बुरे कामों का असर से उन पर पड़ेगा तो वाल्मीकि जी ने कहा कि वह बुरे काम इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें पैसा कमाना और अपने परिवार का पेट पालना पसंद ने उन्हें कहा कि वह अपने परिवार से जाकर पूछो कि क्या उनके बुरे बुरे कामों का एग्जाम और जब आप उन्हें भुगतने पड़ेंगे अपने सर पर लेंगे तो वाल्मीकि जी घर गए पति और बच्चों से पूछो कि जो बुरे काम में कर रहा हूं क्या तुम उन पापों को मेरे साथ भक्तों की तो उनके बच्चों ने और उनकी पत्नी ने साफ इंकार कर दिया यह कहते हुए की कि तुम और एक ही तुम पैसे कैसे कमाते हो तुम गलत तरीके से पैसे कमाते हो तो यह तुम्हारी गलती और हम तुम्हारे पापों को तुम्हारे साथ नहीं रुकती नहीं यह सुनते ही बाल्मीकि जी ने उसी दिन घर त्याग दिया और संत बन गए और राम नाम जपने लगे फिर एक दिन जब वह एक जंगल में टहल रहे थे उन्हें एक शिकारी को देखा जो 2 वाट का शिकार कर देता है तो उन्होंने एकदम से उसी कार्य को खर्च कर दिया और वह कर्ज ही रामायण का पहला जो वाक्य है वह बनी और श्री ब्रह्मा जी ने वाल्मीकि जी से कहा कि तुम्हारी डेस्टिनी है यह कि तुम प्रमाण लिखो और तब बाल्मीकि जी ने रामायण लिखी
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