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ठीक है मैं ऐसी सारी घटनाओं को अपवाद मानता हूं और यह जो है यह जो हमारा 125 करोड़ का देश है इस में अगर कुछ इस तरीके की घटनाएं होती हैं तो उसको भारतीय संस्कृति और भारतीय नैतिकता से जोड़ करके नहीं देखा जाना चाहिए यह पहले भी होता रहा है उससे अगर आप पहले जाएंगे तब भी इस तरीके घटाएं होती थी और आगे भी होती रहेंगी और दुनिया का कोई भी ऐसा देश नहीं है जहां पर इस तरीके की घटनाएं नहीं होती हैं आपने देखा कि कुछ दिनों पहले ही जो है वह गुडगांव के अंदर जो है कैसी डेंट हुआ जिसमें की एक व्यक्ति लड़ लड़के ने जो अपने ही क्लास के छोटे बच्चे की हत्या कर दी और क्योंकि वह छुट्टी चाहता था और अभी अभी शिमला चीज है जो है लखनऊ के अंदर भी रिपीट हुई है जोकि स्थाई के काम करते हैं और उसको भारतीय नैतिकता से जोड़ करके देखना उचित नहीं है
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बात अगर नैतिकता तक होती तो कोई परेशानी नहीं थी लेकिन इसके पीछे वजह देखिए उस बच्चे ने उनको गोली इसलिए मारी ताकि उन्हें छुट्टी मिल सके मत सो सकती है बच्चों के ऊपर कितना मेंटली प्रेशर क्रिएट किया जा चुका है परिवार द्वारा समाज द्वारा टीचर द्वारा कि अगर उन्हें छुट्टी की आवश्यकता भी होती है अगर उन्हें किसी दिन स्कूल जाने का मन नहीं है तो उन्हें इस तरह का काम करना पड़ रहा है आप सोच सकते हैं कि हम लोगों ने अपने बच्चों को इस तरह के निवारण में पाला-पोसा बड़ा किया है कि उन्हें हम 1 दिन भी फ्री नहीं जुड़ सकते हम उन्हें ना हो बी के नाम पर कुछ कराते हैं ना हम उन्हें घर में रूकने देते हैं हम चाहते हैं कि स्कूल में जाएं सबसे ज्यादा नंबर लेकर आए हर डिपार्टमेंट में फर्स्ट नंबर पर है यह संभव है बच्चों पर ही कैसे क्रिएट होता है इस साइकोलॉजिकल चीज में होती है जिसके कारण बच्चों ने इस तरह कदम उठाया मुझे लगता है बच्चे को जो सुधारक में भेजा गया है वह जल्दी ठीक होकर वापस आएगा और इस तरह के कारण अगर बढ़ते गए तो काफी परेशानी आएगी हमारी समाज में क्योंकि भारत का समाज ऐसा नहीं है नैतिकता नहीं हो रहा है लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि हम बच्चों पर ऐसी जिम्मेदारी ना दें जिसके लायक अभी वह हुए नहीं है हमें की बात सुननी चाहिए समझना चाहिए कि बच्चे क्या चाहते हैं और उनकी हर चीज में मदद करनी चाहिए बच्चों को हर बात डिस्कस करने के लिए बोलना चाहिए क्यों नहीं किस चीज में परेशानी है थैंक यू
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विजय 12 घटनाओं से हम सारी चीजों पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगा सकते हम कुछ अंतर तो आए हैं लेकिन अच्छाई और बुराई पुरातन काल से चले जा रहे हैं मुख्य है कि हमें ने राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय संस्कृति पर भरोसा बनाए रखना और स्पिनरों करना इसलिए एक दूजे से इसके कारण ऐसा मत माने कि सारे भारतीय अपने नेतृत्व को रहे हैं बल्कि आप कुछ मायने बदल गए कुछ चीजें परिवर्तित हो गए तो फिर भी हम वेस्ट
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बिल्कुल नहीं मेरा मानना है कि इस तरह का घटना अमान्य है मैं इस घटना की निंदा करता हूं और ऐसी जो छात्र है जो प्रिंसिपल को गोली मारकर हत्या कर दो छात्र को कानून की तरफ से करेगी कड़ी सजा दिया जाए और उसे करें सजा आने अभी जो छात्र हैं रीसेंट में उसे लगे कि हां किसी को मारने का क्या सजा मिलता है सब गोल्ड रेट ऑफ सऊदी अरब के कानून दिल्ली से सऊदी अरब में ज्यादा क्राइम क्यों नहीं होता इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ क्राइम है इंटरनेशनल लेवल का क्राइम में उस में सबसे ज्यादा सूची जो है हम लोग के उत्तर भारत में ही आता है एशिया में ही जाता है इसलिए मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि जिस लड़के ने प्रिंसिपल साहब को गोली मारी है उस लड़के को ऐसी सजा दिया जाए जो अभी रीसेंट के स्कूल में बच्चे हैं वह उसे सबक सीख लें इसके बाद ऑटोमेटिकली जो है कोई भी छात्र कोई फर्क नहीं उठाएगा यह बहुत है यह से जो है ना अपने नेता धीरे-धीरे सही में खो देंगे जब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया धन्यवाद
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रमेश जी यकीन मानिए यह पढ़कर की एक स्कूली छात्र ने अपने प्रिंसिपल को गोली मार दी दो पल के लिए मैं भी बहुत हैरान थे अभी थोड़े दिन पहले ही पड़ा की एक साधे कक्षा की लड़की ने पहली कक्षा के लड़के के ऊपर चाकू से हमला किया 12वीं क्लास की लड़की ने एक तीसरी क्लास की लड़की के साथ रेप किया प्रिंसिपल को गोली मार दी बच्चों के अंदर इतना गुस्सा इतना जो यह क्वेश्चन नहीं प्रदूषण बढ़ता जा रहा है कहीं ना कहीं इसकी वजह से जो नैतिकता है वह तो हमको ही रहे हैं लेकिन बच्चे चोदने भगवान का रूप बोलते हैं वह इतनी ज्यादा इंग्लिश हो गए थे ज्यादा गुस्से में रहते हैं कि वह किसी पर गोली मार देते हैं क्योंकि प्रिंसिपल ने उसे प्रैक्टिकल देने से मना किया या फोन लगाने से मना किया हम बाहर कि अपने नैतिक मूल्यों की वजह से जाने जाते हैं अगर वह नैतिक मूल्य हम ऐसे ही खो देंगे तो हमारे भारत की पहचान ही क्या रह जाएगी और इसमें कसूर सिर्फ बच्चों का नहीं है जैसा उन्हें आसपास देखने को मिलता है जैसे माहौल में वह बड़े होते हैं जैसा वह दोस्तों से सीखते हैं उसकी वजह से और जो आज के लिए क्या चीज का जो इतना ज्यादा प्रयोग होता है उस सब से बच्चों का दिमाग है वह वैसा ही हो जाता है और वह सिकंदर झांक ले लेते हैं
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देखें जब यह न्यूज़ सामने आए थे कि एक स्कूल के प्रिंसिपल को एक छात्र ने गोली मार दे क्योंकि बहुत ही छोटी थी कोई गलती कर दी थी उस छात्र ने शायद वह प्रैक्टिकल देने से मना कर दिया को फोन लगाओ स्कूल में या फिर कोई मेरे नसीब में नहीं है क्या सेंड किया उस छात्र ने तो प्रिंसिपल ने उस पर गुस्सा किया और उसे पनिशमेंट भी तो उस छात्र ने उसे गोली मार दी यह सब न्यूज़ आई थी मेरे सामने और हम सब ने पढ़ी थी तब यह सुनकर बहुत ज्यादा अजीब लगा कि आजकल के बच्चों को होगी क्या हो क्या गया है जो और आजकल देखा जाए तो एक SMS हमें बहुत ही ज्यादा आ रहे हैं मतलब पहले तो यह होता था कि क्राइम नो डाउट बढ़ रहा था इंडिया में पर लेकिन आजकल जो हो रहा है वह गेम बच्चों में बढ़ रहा है खेत में तेजस्विता पर आजकल तो छोटे-छोटे बच्चों में भी यह गुस्सा और यह चीजें यह गलत उठाने की हिम्मत अरे कहां से आ गई है यह शायद आ रहे हैं तो इन्हें देखकर यह जो न्यूज़ आती है ना सुनकर मैं कोई ऐसा बिल्कुल लगता है कि आज भारत है वह अपनी जो भारत में है जो भारत के लोग है मैं अपनी नैतिकता धीरज रखो ही रहे हैं क्योंकि और यह जो चिप आजकल उठा रहे हैं बच्चे यह कहां से सीख रहे हैं यह सिर्फ और सिर्फ लिख रहे हो ढंग से अब अब इंडिया का जो भारत है और उसका एनवायरनमेंट ही इस प्रकार का हो चुका है कि जो बच्चे देख रहे हैं वही सीख रहे हैं और वह भविष्य सपना रहे हैं तू हां बिल्कुल यह नैतिकता धीरे धीरे कहीं गुम हो रही है
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जी हां इस सब घटना का सुनकर तो हर किसी को ही एकदम से अचंभा ही हुआ था कि स्कूल के एक बच्चे ने अपने प्रिंसिपल को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी और यह बात सही है कि हमारा जो देश है उसमें जो बच्चे हैं वह नैतिकता बिल्कुल भूल रहे हैं और उनके जो हमारे देश के संस्कार हैं और हमारे देश का जो कल्चर है जो के जिसमें गुरु को भगवान के स्वरुप माना जाता है वह सब लोग भूल रहे हैं और उसकी वैल्यू खत्म होती जा रही है और इसका सबसे बड़ा रीजन है हमारे देश में बेस्ट कल चलाना या नहीं और वेस्ट की जो कंट्री से उनका कल्चर हमारे देश में आता जा रहा है और जो हमारे देश का कल्चर था वह बिल्कुल खत्म होता जा रहा है तो वह यह हमारे जो जो घर से संस्कार हमको मिलते हैं यह सब उन्हीं की बदौलत है कि बच्चा जो बिगड़ सकता है यह बच्चा बन सकता है तो मेरे हिसाब से बहुत ही गलत चीज जो उस बच्चे ने की यह बहुत ही गलत चीज थी आप अगर कोई भी बात है कोई भी दिक्कत है आपको प्रिंसिपल से तो आप अपने घर वालों को बता अगर आपको उन्होंने डांटा भी था तो आप वह भी बात अपने घरवालों से शेयर कर सकते थे आपको प्रिंसिपल को मार देना यह बहुत ही शर्मनाक चीज़ें किसी भी इंसान के लिए करना क्योंकि किसी भी इंसान को मारना हमारे देश में बहुत ही गलत क्राइम माना जाता है और उसके लिए सख्त से सख्त सजा होती हैं तो आपको ऐसा भी उस बच्चे को ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए था और हमारे देश में यह चीज की नैतिकता बिल्कुल खत्म होती जा रही है तो इस चीज का जो सबसे बड़ा श्रेय हमारे घर वालों को जाता है कि उन लोगों ने संस्कार देना बंद कर दिया है और वैश्वीकरण आते जा रहा है हमारे देश में तो इसी से बचने के लिए हमें अपने घरवालों से करीब रहना चाहिए और घरवालों को भी अपने बच्चों से करीब रखना चाहिए उनको उनसे बात करनी चाहिए उनसे चीजें डिस्कस करनी चाहिए ताकि अगर ऐसी कोई प्रॉब्लम है तो आप से बात कर सके
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