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अलग-अलग मतों से भगवान के संदर्भ में हमारे पास बैठे की 33 कोटि देवी देवता है लेकिन मूल रूप से 30 कोटी भगवान की विशेषता परमात्मा दयालु हे परमपिता परमात्मा पालन करता है उसी प्रकार लेते हैं उसके बाद पहुंचने के लिए सुगमता होती है तो मुझे लगता है कि परमपिता परमात्मा एक ही है बाकी हमारे मार देती है कि परमपिता परमात्मा को प्राप्त करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना और हमारे जीवन को
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आपके अनुसार भगवान कैसे दिखते हैं तो हमारे अनुसार भगवान अपने स्वरूप हम इंसानों को बनाया है हमारे स्वरूप दिखते हैं हम आम आदमी हैं इसलिए हमको दो भूल जा दिए हैं और वह चमत्कार भगवान है इसलिए उनके पास चार भुजाएं और बहुत से शक्ति रहते हैं लेकिन वह हमारे स्वरूप है हमारे रूप जैसे हैं
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आपका क्वेश्चन है कि आपकी अनुसार भगवान कैसे दिखते आपको एक चीज बताओ सिर्फ भगवान को महसूस कर सकते हैं हम आप जैसे हवा को देख नहीं सकते ना उसी शख्स भगवान को भी नहीं देख सकते क्योंकि हम आंखों देखी नहीं सकते हो सिर्फ उसे फील कर सकते हो ना इस हिसाब से भगवान को भी कुछ कर्म अच्छे करते हो ना बच्चों को कुछ ताना-बाना खिलाते हो अच्छी हो को तो एक चीज सोच इसमें भी भगवान है तो आप कुछ अच्छे कर्म कर रहे हो ना ही फील करो
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भगवान है क्या कृषि सकती है जिस प्रकार बिजली का तार होता है उसमें करंट होता है लेकिन करंट दिखाई नहीं देता लेकिन जब हाथ लगाते हैं या टेस्टर से चेक करते हैं तो पता लगता है कि करंट है तो एड्रेस शक्ति नियति का विधान बनारस का पालन कर रहा है
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बहुत ही खूबसूरत सवाल पूछा आपने कि भगवान कैसे दिखते हैं तो जहां तक आपने सवाल में पूछा कि आपके अनुसार तुम्हें अपना अनुसार बताता हूं यदि आप फील कर पाओ यदि आप इस बात को महसूस कर पाओ तो आप भी देखना यदि आपको भगवान देखना है अपने लेवल पर बताइए शीशे के सामने खड़े होंगे जो आपको देख रहा है वही व्यक्ति भगवान ने संस्कृत में कहा गया कि तत्वमसि वह तुम ही हो अहम् ब्रह्मास्मि नहीं ब्रह्मा हूं ठीक है तो ईश्वर हो चाहे भगवान हो जाए अल्लाह हो जाए गुरु नानक हो यह सारी चीजें कुछ लोगों को मोटिवेट करती है कुछ लोगों को इंस्पायर करती कुछ लोगों को नहीं और कुछ लोगों को यह भी मोटिवेट करती है ठीक है लेकिन इन द एंड ऑफ द डे कौन हो जो कार्य करता है वह हम करते हैं ठीक है सोच से कोई बात नहीं बदलती सोच से कोई क्रांति नहीं आती कर्मों से आती और कर्म करने वाला व्यक्ति कौन हम तो सही मायने में ईश्वर कौन है हम एक बहुत ही अच्छी कविता बने अपने बचपन में पड़ी थी हिंदी में तो उसमें मजदूरों के बारे में लिखा गया था कि मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्या अनगिनत तार मैंने धरा पर स्वर्ग बनाए ठीक है तो भगवान कैसे दिखते हैं इसका उत्तर आपके सामने इसके अलावा यदि आप देखें तो आपके जीवन में आपको जो भी इस पार करते जो भी आपके लिए कुछ अच्छा कर तेरे से आपके मां-बाप हो गए आपके मित्र हो सकते हैं ठीक है वह सभी आपके लिए भगवान स्वरूप की यह मेरा मानना है धन्यवाद
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यह तो जिसने देखा है वही बता सकता है दूसरा जैसे गूंगे ने गुड़ खाया होना तो उसका टेस्ट नहीं बता सकता एक गूंगा अगर गुड़ खा ले और उसका स्वाद नहीं बता सकता तो वैसे ही जिसने देखा है ईश्वर को वह भी इसको बयान नहीं कर सकता ईश्वर कैसा है और जो ईश्वर को देख चुका है अनुभव कर चुका है जो देख चुका है वह इतना विलीन ईश्वर में हो जाता है इसको कोई पूछे कि भगवान कैसा दिखता है तो कैसे बता सकता है कभी भी नहीं बता सकता क्यों क्योंकि जो ईश्वर में विलीन हो और सर्वव्यापी है सिर्फ उसको देखने के लिए हमें खुद ही कोशिश करनी पड़ेगी हमको खुद ही भगवान के राह पर चलना पड़ेगा उस पर चलना पड़ेगा उस धर्म पर चलना पड़ेगा और हमें खुद ही भगवान करना पड़ेगा जैसे तैसे कईयों ने भगवान तो पत्थर भी भगवान है और भगवान भी पत्थर है मानो तो पत्थर भगवान है और ना मानो तो पत्थर पत्थर है धन्यवाद
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एक प्रसंग आता है स्वामी विवेकानंद जी का भगवान के प्रति में कि एक बार जब विवेकानंद जी सन्यास ग्रहण करने से पहले की अवस्था में थे तब उनको विचार हुआ कि भगवान का स्वरूप कैसा है भगवान कैसे दिखते हैं इस वाल उत्पन्न हुआ उनके मन में मस्तिष्क में वह कैसे सोया नहीं करते थे बैठा नहीं करते रहो जिस संदेश से भी मिलते थे सबको यही पूछते थे भगवान कैसे दिखते हैं क्या आपने भगवान को देखा है सबका उतरे और जो अपने पिता पर पड़ा है कि भगवान एक्स देखते देखते लेकिन उनको संतुष्ट नहीं होगा उनके मन में अभी भी विचार उत्पन्न हो रहे हैं कि भगवान की छवि कैसी है क्या भगवान को किसने देखा भी है तब इस प्रश्न की खोज करते करते इस उत्तर की खोज करते करते एक बार स्वामी विवेकानंद जी अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के पास पहुंचे और उनको पूछा हे भगवान कैसे देखते हैं क्या आपने भगवान को देखा है वह ने उत्तर दिया हां मैंने देखा है भगवान को भगवान बिल्कुल सत्य डॉक्टर संजय विवेकानंद हॉस्टल में पड़ गए कि पकड़ मेरी तरह कैसे देख सकते हैं जब परम रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि जैसे मैं तुमको देख रहा हूं वैसे ही मैं भगवान को भी देखता हूं मुझे बकवास अंतर्यामी है सर्वव्यापक है सभी में निवास करने वाले एक आत्मा के रूप में विद्यमान है जिसकी जस्टिस समदर्शी हो जो सबको समान दृष्टि से देखता हुआ भगवान को शब्दों में देख सकता है और भगवान का स्वरूप यही है कि अगर आप भगवान के दर्शन करना चाहते हैं बाबुसान दृष्टि होना पड़ेगा सबको समान दृष्टि से लिखना पड़ेगा क्योंकि भगवान तो कण-कण में है भगवान का स्वरूप हर व्यक्ति हर जीव हर सजीव और निर्जीव वस्तु में है भगवान का अंश है भगवान से उत्पन्न हुआ है फिर भी कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण भगवान के छोरे का थोड़ा सा वर्णन करना चाहूंगा यद्यपि मेरी ऐसी बुद्धि नहीं है कि मैं भगवान के रूप का वर्णन कर सकूं तो भी मेरी बुद्धि है उसके अनुसार में कुछ बताना चाहूंगा शामगढ़ का शरीर है पितांबर फेरारा शरीफ पितांबर है पीले रंग का मनोहर मुस्कान है मुख्य पर तेजोमय सूर्य है तेज झलक राय खुद दिव्य पुरुष लगते हैं घुंघराले बाल है काले बाल है और घरे घरे सिर पर मोर पंख का मुकुट है हाथ में बांसुरी है सुदर्शन चक्र है पैरों में पायल जी बेमतलब पायल है प्रेम भरी मुस्कान है जो एक बार देख ले वह मोहित हो जाए ऐसी छवि है ऐसा दर्शन है उनका गले में वरमाला है मुझे बंद बंधा हुआ है आंखों में मुझे बंद है बाजूबंद है तुलसी की माला पहने हुए हैं भगवान जो पैरों तक आती है सुंदर छवि है जो भी एक बार उसको देख ले उस सभी को निहारने गम मंत्र कभी खत्म नहीं होता धन्यवाद
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देखिए सबसे पहली बात इसमें यह है कि वेद का एक श्लोक है उसमें कि न तस्य प्रतिमा थी मेरी कोई प्रतिमा नहीं है वह निराकार है उसका कोई आकार नहीं वक्त भी प्रकाश है यह सवाल जो है हर बार यही अधिकतर लोगों का यह रहता है कि वह कैसा दिखता है मगर परमेश्वर है किताबों में कह रहा अपनी किताबों में कह रहा है कि ना तुझसे प्रतिमा अस्ति मेरी कोई प्रतिमा नहीं है कुरान में अल्लाह कहता है कि तुम मेरी बीवी नंबर दो पर गौर करो मेरी जात पर गौर मत करो यहां पर कल काम नहीं करेगी हम हम ऐसी चीज के पीछे भागते हैं जिसे हम पा नहीं सकते जिसे मैं छू नहीं सकते जिसे हम देख नहीं सकते सीधी से बात आप में उदाहरण समझाने से मतलब मेरा यह है कि आप एक सो वाट के बल्ब की तरफ अगर आप देखते हैं तो आपकी आंखें में जल्दी लगती है और आपकी से देख नहीं पाते हैं फिर भी दीपक काशीपुर कैसा लाइट है जिसने सारी कायनात को बनाया है हर चीज को पैदा करने वाली जात है वह उसको देखा नहीं जा सकता मगर वह फिर भी मौजूद है फर्क इतना होता है कि ईमान किस चीज को कैसे मान मान ने को कहते हैं इमान ना तो देखने से आता है ना सुनने से आता है ना बताने से आता ना पढ़ने से आ जाना पढ़ाने से आता ईमान मान्यता हम उसको देखा नहीं हमने मान लिया कि वह हमने उसको उसकी बातें नहीं सुनी मगर हमने यह मान लिया उसने अपने पहुंचा दूं तो से बात की और उन्होंने हमें जो बताया कि वह परमेश्वर है और वह एक है उसके सिवा कोई दूसरा माबूद नहीं है बस मेरा कहना यह मैं यह कहना चाहता हूं कि उसको देखा जा सकता है मगर उसको खुली आंखों से देखा नहीं जा सकता आधार पर का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा और भी कई चीजें हैं जो आप को इस रास्ते में पहुंचने के बाद
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पहली बात तो यह है कि भगवान नहीं है भगवान और गोश्त मतलब भूत यह दो चीज दुनिया की सबसे बड़ी झूठ है मेरे मेरे हिसाब से अब आपकी पता नहीं लेकिन मेरे हिसाब से कोई चीज अगर दुनिया में एक एड्रेस नहीं करती अगर हम उस चीज को छू नहीं सकते अगर हम उससे बात नहीं कर सकते देख नहीं सकते तो वह इस दुनिया में एग्जिट नहीं करती यह हो ही नहीं सकता कि अब मैं किसी के विश्वास को नहीं तोड़ना चाहती है मेरे व्यूज किसी को पर थोप नहीं देना चाहती मेरी मेरी थिंकिंग है और सब का जो है पिनियन होना चाहिए तो पहले तो यह बात हो गई लेकिन जो मैं मानती हूं इस चीज को वह पॉजिटिव एनर्जी जो हम सबके अंदर होते मुझे तो लगता है कि हम सभी इंसान के अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी होती है अगर एक बार उस पॉलिसी गणेश जी को उत्तर करके अपना काम करना चालू कर दे दो जी अपने अंदर बीज है भगवान बिल्कुल देख सकते हैं भगवान से हम यह समझते हैं कि वह सब कुछ अच्छा करेंगे सब जो हमारी मुश्किलें वह दूर कर देंगे और चीजें हमारे लिए आसान बना देंगे अगर हम उनके हम किसी मंदिर में पड़े रहे आउटपुट की जो यार आराधना करते रहे तो यह हम समझते जंगली भगवान से अपने आप के ऊपर करें अगर हम खुद सोचे कि हमारी जिंदगी में क्या मुश्किल है और उसको हम कैसे दूर कर सकते हैं उसका एक रास्ता हम खुद खुद ही अगर निकाल ले तो जो है हम सब कुछ कर सकते हैं जब हम किसी के लिए वेट करने की जरूरत नहीं कि भगवान आएगा और जो मैं आप की मुश्किलें सॉल्व करेगा तो आप अपने आप को जो है पहले तो रिस्पेक्ट कीजिए आप क्या कर सकते हैं क्या नहीं कर सकते हैं उसके बारे में सोचिए जानी और अब किसी किसी जो है किसी मंदिर में जाकर मस्जिद में जाकर अपना विश्वास खंड करने की जरूरत नहीं है आप खुद मिल
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भगवान का रूप हर तरफ से अलग होता है जो जैसा देखना जाए मेरे हिसाब से भगवान होते ही नहीं है
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