चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
आपने जैसा कहा कि जहां जन्म उत्तम ही मरता है कोई राय नहीं है ढंग बदलने से इंसान का ज्ञान नहीं मिलता इंसान अपने ज्ञान से धन को अच्छा या बुरा मनाता जेसीबी चलने आपका जन्म हुआ है उसमें विशेषताएं उत्पन्न करें ग्रुप की मर्यादा का पालन करें उनकी सरकार लोगों को बताएं पहले खुशी के प्रवासियों की अच्छाइयां बताएं अगर कोई कमी है तो स्त्रियों को चेकिंग और लोगों को उस कमियों को चाटने का आपके स्वास्थ्य में यह तो हर इंसान कर सकता है उसी पर निर्भर करता है ठंड सही है अपना घर में कोई गलत नहीं होता हमारी सोच गलत होती है क्योंकि हम तुमको अपने अनुसार उपयोग में लाते हैं इसलिए हम धर्म को ही गलत साबित कर देते हैं हमेशा इंसान ईंधन का नक्षत्र और इंसान ईंधन का रक्षक
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
इंसान जिस घर में पैदा होता है उसी में अक्सर मरता है जबकि उसको पता नहीं होता कि वह धर्म सही है या गलत आप की राय देखिए धर्म जो है वह अपने आप में सही हुआ करता है धर्म जो है वह कभी भी गलत नहीं हुआ करता है वह हमेशा अनीश की बात किया करता है और नीता चरण क्या करता है और नीच का ही संवाद किया करता है
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
धर्म ही तो सारे फसाद की जड़ है सबसे बड़ा धर्म मानवता का है इंसानियत का जब यह सृष्टि बनी तो उसमें जाति धर्म मजा है कुछ नहीं था नर नारी करके सृष्टि की उत्पत्ति हुई और धीरे-धीरे समाज में अज्ञानता के कारण यह सब वर्ण व्यवस्था जाति धर्म संप्रदाय बने जो वास्तव में आज कहते तो है सबका मालिक एक है लेकिन वह एक कौन है ना समझने की वजह से आज भावना से ग्रसित होकर छोटे-बड़े ऊंच-नीच मैं बैठ गए हैं लेकिन जिस दिन उस एक की की अनुभूति और ज्ञान उसे परमात्मा को जान लेंगे तो सारा भरम खत्म हो जाएगा
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
इंसान जिस धर्म में पैदा होता है उसी धर्म में अक्सर मरता है जबकि उसको पता ही नहीं होता कोई धर्म सही है फोन बंद कर लिया कोई भी कुछ स्तर में जो भी है वह कर लिया और बस ठीक है उनसे कुछ लोग ऐसे होते हैं जो धर्म की गहराई को समझने की कोशिश करते हैं उन्हें पता चलता है कि ऐसे कम ही लोग होते हैं जिस चीज को स्वीकार करते हैं अन्यथा अधिकांश लोग इस चीज में मतलब ही नहीं करता जिंदगी जी नौकरी करी बड़े-बड़े परिवार में जिया पता ही नहीं चला कब समय निकल गया अधिकांश लोगों का धर्म सिर्फ और सिर्फ उनके उनके लिए और मल्टी ही है जिसे वह अपनापन और दूसरे धर्म होते तो भी ऐसी फॉरवर्ड देती किसी और तीसरे मौत हो गई है सही रहता उनको फर्क है उसको अच्छे से समझते हैं स्वीकार करते हैं और दूसरों को भी बता दो और हां नशे में ही जीते हैं और चले जाते हैं हम कोलंबस को देख सकते हैं इस ने अमेरिका की खोज की थी और उसे ही लगा था कि उन्हें इंडिया की खोज कर ली और मरते दम तक उसका पता चल ही नहीं पाया कि निश्चित रूप से कई लोग चले जाते हैं
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
दोस्त संसार में एक ही धर्म है और वह है हिंदू धर्म संसार में जितने भी मनुष्य जन्म लेते हैं हिंदू धर्म में ही जन्म लेते हैं और हिंदू बनकर ही जन्म लेते हैं लेकिन उनके घर परिवार वाले उनके आगे आस-पड़ोस के लोग उसे उन्हें अपने धर्म मतलब एक विशेष धर्म की ओर खींच के ले जाते हैं जो उनके दिमाग में पहले से बसा हुआ है उनके उन्होंने पहले से उसे माना हुआ है उसका अनुसरण किया हुआ है
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
इंसान किस धर्म में पैदा होता है उसी में अक्सर मरता है जबकि उसको पता नहीं होता कि वह धर्म सही है या गलत आप की राय हरिओम इंसान जब भी पैदा होता है कोई बालक जब पैदा होता है तो वह किसी न किसी के घर में पैदा होता उसका कोई माता-पिता होता ही है और अगर माता-पिता किसी धर्म को न मानकर के नास्तिक है तो भी बच्चे का जन्म तो हुआ है लेकिन अक्सर दुनिया में कुछ ही क्षेत्र ऐसे हैं जो किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं कुछ लोग धर्म को माने अथवा न माने लेकिन उनके माता-पिता का जो धर्म है उसी परिवेश में पैदा होते हैं उसी में बढ़ते हैं लेकिन वह धार्मिक मान्यताओं को बहुत ज्यादा ना तो तू लेते हैं और ना ही उसमें शरीक होते हैं वह अपने काम से काम रखते हैं और परंपराओं के निर्वाह के लिए थोड़ा बहुत उसमें सम्मिलित हो जाते हैं धर्म सही है या गलत धर्म जिसे कहा गया है वह आप के अंतः करण में स्थित चेतना को जागृत करने का जो विधान है और उसकी जो विधियां है उस विधि और विधान उनको धर्म कहा गया है इसे हम चेतना को या ईश्वर को जान सकें इसके अलावा जो भी हमें बाहर रूप से दिखाई देती है वह सब हमारी परंपराएं हैं कि हमारे मन और मस्तिष्क को केवल प्रदूषित करते हैं जिसके कारण एक न एक हम मैंने आवरण जो है धर्म और परंपरा के नाम पर अपने मन और मस्तिष्क पर चढ़ा लेते हैं लेकिन वहां पर धर्म नहीं होता है और इन परंपराओं को कट्टरता के साथ जब एक दूसरे व्यक्ति पर थोपा जाता है तो वहां पर कटता पैदा होती है संघर्ष पैदा होता है और धर्म बाद में जितनी संघर्ष है वह इस कट्टरता का परिणाम है जबकि मूल रूप से धर्म के व्यवहार में सरलता विनम्रता निर्मलता है धर्म का मूल उद्देश्य मानव अपने आप में जीवन काल में किसी भी प्रकार के अवरोधों से उनका उन्मूलन करता हुआ मुक्त रूप से जीवन जीने की कला को जाने और सीखे जिसे हम मुक्त अवस्था कहते हैं मुक्ति कोई मरने के बाद नहीं होती मैंने के बाद में मुक्ति किसने देखी मुक्त अवस्था तो हमारे मन की अंतः करण में विलय के बाद ही जागृत होती है कृष्ण इसीलिए का अंत में था तो बता क्यों मेरा स्मरण करता हुआ अंत में मेरे को प्राप्त होगा जो जैसा चिंतन करेगा यहां पर यही आया कि हमारी मृत्यु में क्या बसा हुआ है और वही बरतिया जो है हमारी मृत्यु के बाद होंगी और तदनुसार ही हमारा अगले जन्म का जो शरीर मिलेगा उसी के अनुरूप होगा इसलिए धर्म सही है इसकी जिज्ञासा अपने जीवन में अगर आप अपनी अंतर इतना में जागृति चाहते हैं तो अवश्य करें जीवन में मुक्त होना सबसे बड़ी उपलब्धि है या उपलब्धि देने वाले संत समाज है लेकिन यहां पर संत किसको कहा गया है यह समझना आवश्यक होगा संत वही व्यक्ति है जो खत विकारों से रहित होकर के जिसमें त्रिगुणात्मक रजोगुण तमोगुण और सतोगुण का विशेष प्रभाव ना हो वह इन गुणों के अंतर्गत आधीन हो करके बर्ताव न करता हूं वहीं गुरु का स्वामी हूं उसे ही संत कहा गया है दैनिक जीवन में हमारे और संत के आवश्यकताओं में कोई विशेष फर्क नहीं होता है हो सकता है किस देश में फर्क हो लेकिन संत पुरुष ग्रस्त में भी हो सकता है सन्यास में भी हो सकता है बालक भी हो सकता है व्रत भी हो सकता है इस्त्री भी हो सकता है पुरुष भी हो सकता है कोई भी जिसकी वृत्तियों में कट विकार और त्रिगुणात्मक विधाएं ना हो वही व्यक्ति संत की परिभाषा में खरे उतरते हैं और वह जानते हैं कि व्यक्ति का उत्थान किस प्रकार होगा और कैसे होगा संत हमें विवेक की जागृति देते हैं जिस जागृति से हम अपना स्वयं का पुनरुद्धार करते हैं हमें दूसरे का उद्धार करने की आवश्यकता तो तब होती है जब हमारा अपना उद्धार हो गया हो हमारा मन निर्मल हो गया हो हमारा अंतःकरण शुद्ध हुआ हो हमारे मन के अंदर विकृतियां और त्रिगुणात्मक प्रभाव ना हो यह सारी वस्तुएं जो है हमें सदुपयोग करने के लिए ईश्वर ने दी है लेकिन हमें इनके आधी नहीं रहना है लेकिन हमारे परिवेश और वातावरण में हमें इनके अधीन बना दिया है क्योंकि वह इन परिवेश और अधिकता के कारण अपना लाभ मुझसे उठाना चाहते हैं वह हमें नहीं होना देना चाहते हैं क्योंकि उनकी आकांक्षाएं इच्छाएं तभी पूरी हो सकती हैं जब हम तदनुसार उनके अनुकूल होकर उनके कहे अनुसार चलें यह समाज का प्रवेश है इसलिए जो संस्कार देने की बात कही जाती है वह संस्कार एक लम्हा है जिस तरीके से तांबे या पीतल के बर्तनों में आप कलाई करते हैं तो उस कलाई को प्रशांत भाषा में संस्कार कहा जाता है किस तरीके से औषध मूल औषध में कुछ अन्य औषधियों को मिला करके उनको हम कहते हैं विशुद्ध कर रहे हैं तो संस्कार जो है कहने के लिए भी शुद्धता है लेकिन हम ऐसे संस्कार दे रहे हैं कि मानव जो है हमारे अपने अनुकूल चले चाहे वह राजनीतिक व्यवस्थाएं हो चाहे धार्मिक व्यवस्था हो पारिवारिक व्यवस्थाएं हैं चाहे वह सामाजिक व्यवस्था हैं अपने अनुकूल व्यक्ति को ढालने की जो प्रक्रिया है परिवार का परिवेश में भी सबसे पहले ही होता कि बच्चा को हम अपने अनुकूल व्यवहार में डालना चाहते हैं और उसे हम अपनी पहचान बनाना चाहते हैं कि बच्चा देखो यह हमारा है और यह अपने मां-बाप और परिवार के पूर्वजों की तरह ही व्यवहार कर रहा है यह संस्कार देना है लेकिन इन संस्कारों में बना हुआ व्यक्ति कभी मुक्त नहीं हो सकता क्योंकि वह परिवार के परिवेश में परिवार के लिए ही उसका एक धारा बनता है और वह उसी अनुरूप उतना ही व्यवहार करेगा उसका व्यवहार
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
आपका प्रश्न पैदा हुआ है उसी में मरता है उसको पता नहीं होता कि वह दम सही है विकी इंसान के अंदर कैसा होता है और अक्षय को सुधारने मरता है क्यों धर्म परिवर्तन इंसान बहुत कम करता है आपका चिंता यह है कि इंसान को भी मालूम नहीं होता वह धर्म सही है दूध की किताब धर्म की तत्वों को नहीं जानेंगे अपने धर्म को नहीं अपने धर्म का ज्ञान प्राप्त नहीं करेंगे तो आपको निश्चित रूप से नहीं मालूम किस भेद को मिटाने के लिए कि हमारा धर्म सही है हिंदू धर्म में पड़ेंगे आपको अपनी धड़कनों में जानता करना चाहिए और मैं तो यह कहता हूं कि हर धर्म में अच्छे गुण होते ही ज्यादा रखो होते हैं बहुत कम बुरे होते हैं तो अपने धर्म के अच्छे गुणों पार्क जाने लोगों को बताएं और यदि कोई बुरी गुण है अंधविश्वास है कुरीतियां हैं आपके धर्म में तो उनको दूर करने का प्रयास करें उनके विरुद्ध जम्मत जलाएं जैसे राजा राममोहन राय ने किया उन्होंने उन्हें सती प्रतापगढ़ी का कि उन्होंने सती प्रथा के विरुद्ध आंदोलन चलाया पता नहीं जी गलत है कि कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसकी स्त्री को भी उसके संग जलाया जाए नहीं यह तो गलत है हिंदू धर्म किस प्रकार किया रजत बनाया और उसके बाद में उन्होंने अंग्रेजी सरकार को बाध्य किया लॉर्ड विलियम बेंटिक को बात किया उन्होंने 1829 में सती प्रथा के विरुद्ध बद्री कहूंगा राजा राममोहन राय हिंदू धर्म की सच्ची ज्ञाता थी उन्होंने हिंदू धर्म की कुरीति को मिटाने की कोशिश दूध कि आप धर्म पर जब तक जान प्राप्त नहीं करेंगे तब तक आपको आपके धर्म के विषय में ही मालूम नहीं होगा कि आपका धर्म सही है कि आपको बता दूं कि धर्म हर कोई सही होता है कोई धर्म नहीं होता है हम धर्म में धर्मावलंबियों में कुछ अंधविश्वासों फुंसियां होती हैं उन्हें दूर करने का हमको प्रयास करना चाहिए
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
धर्म धर्म होता है धर्म के साथ सही गलत कुछ भी नहीं होता ऐसे यह प्रकृति है ना प्रकृति सही है या गलत प्रकृति ने भूकंप लाया लाखों मर गए बाढ़ आ गया प्राकृतिक आपदा किसी रूप में आगे तो आप क्या कहोगे प्रकृति सही है या गलत आप उसके बारे में नहीं सोचते इसलिए धर्म कभी भी सही या गलत नहीं होता आदमी के लिए सही और गलत हो सकती है चेक विचारधाराएं सही और गलत हो सकती हैं लेकिन धर्म जो है जिसे सनातन कहा गया है धर्म शब्द का प्रयोग इसलिए किसी आप ही के इस वोकल में ही कोई पीछे ने पूछा था कि धर्म मजहब यह सब क्या होता है तो मजहब अलग चीजें धर्म अलग चीजें रिलीजन अलग चीज है और धर्म अलग चीजें धर्म का तात्पर्य धारण रिलीजन का तात्पर्य जो है बॉन्डिंग से और जो मजहब है वह भी एक सामाजिक था उसमें कॉमेडी है लेकिन धर्म एक व्यक्तिगत चीज है व्यक्तिगत आस्था है आपका व्यक्तिगत है कि आपने क्या धारण किया है वही आपका धर्म है ठीक तो इसलिए धर्म कभी आपने जो धारण किया है वह आपका धर्म बन जाता है और जब हम सनातन को धारण करते हैं ईश्वरीय सत्ता को धारण करते हैं उसको हम अपने जीवन में अपना लक्ष्य बना लेते हैं तो फिर उसमें सही गलत वाली कोई बात नहीं होती है इसलिए इस भावना से मुक्त रहकर धर्म में पैदा हुआ उसी में अक्सर बढ़ता है जबकि उसको पता नहीं होता कि वह धर्म सही है या गलत है तो उसे अनुसंधान करना चाहिए कि उसे क्या धारण करना है वह सत्य को धारण करें जो धारण करने योग्य है इसलिए कहा गया है संसार में प्रत्येक वस्तु परिवर्तनशील है तो वह धारण करने योग्य नहीं है इस पर परिवर्तनशील नहीं है सनातन है जो जो सनातन है वह धारण करने योग्य है जो सनातन नहीं है वह धारण करने योग्य नहीं है वह स्वर है जो नशा क्षणभंगुर है वह धारण करने योग्य नहीं है जो सनातन ईश्वर है वही धारण करने योग्य है और जो धारण करने योग्य है वही धर्म है तो धारण करने से धर्म है हार्ली जबजब का डेफिनिशन अलग है तो यह इस बात को समझना होगा कि तो यहां पर यह प्रश्न ही गलत हो जाएगा कि धर्म सही है या गलत इसका यह आप उस परिवेश से पूछ रहे हैं जहां पर आप पधारो बजा बार लिसन एक मानते हैं लेकिन ये तीनों एक नहीं है तीनों का शाब्दिक अर्थ 12 लिटरल मीनिंग होना चाहिए तीनों का वही अलग अलग अलग भाषा के लैटिन भाषा की रैली गियर वर्ड से बना है जिसका अर्थ होता है बॉन्डिंग अर्थात जोड़ने का काम करना एक दूसरे को आप जो ईएस का मतलब ही होता है ग्रुप समाज वहां पर बहुत सारे लोग हैं अपने मजहब अपने संप्रदाय को के विकास के लिए वह काम करते हैं और धर्म एक व्यक्तिगत विषय है एक व्यक्ति ने क्या धारण कर रखा है जूस धारण कर रखा है उसका धर्म है अगर उसने नश्वर संसार को धारण किया तो नश्वर यह क्या शादी हुई तो आपने कहा धर्मपत्नी क्योंकि आपने धारण कितना इसी प्रकार से यह धमकी को परिभाषित होता तो वहां पर सही और गलत होने का मतलब नहीं है सनातन को धारण करना ही धर्म जो धारण करने योग्य है वह सनातन ईश्वर है उसको धारण करना ही धर्म है
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
नमस्कार वाले की व्यक्तिगत राय है कि आपका यह कहना बिल्कुल ठीक है कि इंसान जीता में पैदा होता है कि मैं अक्सर मर्द बहुत कम बार होता है कि इंसान एक धर्म में पैदा होता है उसमें हम परिवर्तन करना भी अपने आप में एक बहुत बड़ा चैलेंज आपको लोग बहुत संभावना से देखना शुरू कर देते हैं तो आपको अपना धर्म समझ आ रहा है या नहीं आ रहा है आप उसमें कमियां लग रही है नहीं लग रही है इसके बावजूद भी आप का मन है या नहीं आ सकते करने का या किसी और धर्म को किस करना चाहते हैं इसके बावजूद भी धर्म परिवर्तन करना हमारे लिए हमारी सोसाइटी में बहुत बड़ा विजन होता है जिस धर्म में पैदा होते ही क्वेश्चन था कि पता ही नहीं होता क्यों कर रही है मिश्री कोई भी धर्म इस दुनिया में जितने भी धर्म है इनिशियली वह धर्म स्टार्ट हुए या तो स्टार्टिंग कब पीरियड थे उनमें कोई धर्म कभी भी कोई धर्म गलत है लेकिन धर्म में स्लिपफॉर्म हुए और जो आज हम फॉलो करते हैं इतना लगा सकते कि आप उसका विकृत रूप फॉलो कर रहे हैं इसीलिए किसी मोमेंट के हमेशा लगता है कि अभी हमारे धर्म में 1 लोगों ने अपने फायदे के लिए कहीं पर तुम भूल बस अज्ञानता व या कहीं पर चालाकी है अपने फायदे के लिए धर्म की व्याख्या व्याख्या ही बदल चीजों में जिससे धर्म होता है कोई भी मोड़ कर दिया ओर से जानने के बजाय उसको खुद हर धर्म में कुछ ना कुछ धार्मिक ग्रंथ होते हैं जो धर्म ग्रंथों को पढ़कर कुश से अपनी व्याख्या सेट करने की विधि द्वारा गर्म कॉलिंग कर दिया गया है गलत तरीके से अपने मन मुताबिक उसको समझ कर आगे बढ़ने की जब आप अपने धर्म को सबसे एडिट करना स्टार्ट करेंगे उसे समझना स्टार्ट करेंगे तो आप किसी धर्म को मानते हो रहा है कि धर्म कभी गलत नहीं होता व्यक्ति ही गलत होता है उसको मानने वाले लोगों ने उसको गलत तरह से प्रजेंट कर दिया कांसेप्ट लेना अगर आप अपनी पिक के देखी होगी मेरे को बता नहीं आपने पीके देखी नहीं देखी आपने उससे क्या लिया क्या समझा क्या नहीं समझा मैं आपका एडवाइज करूंगा किसी को एक बार वापस समझने की कोशिश करो कि वह क्या मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कैसे मटका रे तो उस कांसेप्ट पर समझने की कोशिश करो कि मैं नजरों से बचने की कोशिश कर और खुद से धर्म को समझने क्वेश्चन कभी बनेगा ही नहीं कि हम जिस धर्म में पैदा हुए थे हम उसी धर्म में क्यों माता धन्यवाद
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
जी कोई भी इंसान हो चाहे वह किसी भी धर्म में पैदा हो तो उसको यह अधिकार होता है कि वह अपनी मर्जी से जब उसको सूझबूझ से जो उसे धर्म अच्छा लगे उसे वह धर्म स्वीकार करने का अधिकार उसके पास होता है वह नहीं कि उसके बाप दादा इसी धर्म में थे तो वह भी इसी धर्म में रहेगा ऐसी बात नहीं है हर आदमी का अधिकार होता है कि वह जो धर्म चाहे वह धर्म स्वीकार कर सकता है
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
देखिए तो जाहिर सी बात है कि इंसान जिस धर्म में पैदा हुआ है उसी धर्म में उसकी मृत्यु होनी है हां कभी-कभी या कुछ व्यक्ति की परिस्थितियां और व्यक्ति की लालच के कारण धर्म परिवर्तन व्यक्ति कर लेता है और अक्सर देखा जाता है कि यहां नहीं होता तो मेरे विचार से आपका सवाल जब कि उसको पता नहीं होता कि वह धर्म सही या गलत मतलब इतना तो तय है कि अगर आप एक एक निश्चय व्यक्ति हैं एक अपने आप पर काबू करने वाले व्यक्ति हैं जो आप धर्म का मतलब आसानी से जान सकते हैं और धर्म अगर आप समझ गए हैं तो आप जानते ही होंगे कि यहां तक कि दूसरे का धर्म भी गलत नहीं होता तो आपका धर्म गलत हो ही नहीं सकता तो धर्म कभी गलत नहीं होता धर्म को गलत नजरिए से देखें तब वह गलत बन जाएगा
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
धत्रक का सवाल है कि इंसान जिस धर्म में पैदा होता है उसी में अक्सर मरता है जबकि उसको पता नहीं होता कि वह धर्म सही है या गलत आप की राय सबसे पहले ब्रदर मैं आपको जो एक बात बता दूं कि दुनिया के अंदर जितने भी लोग पैदा हुए हैं इस सारे संसार के अंदर जितने लोग रहते हैं सभी का एक ही धर्म है वह इंसानियत वह एक परमात्मा को मानना और वह है उस परमात्मा के अंदर चलना उसकी मर्जी उसकी रजा के अंदर चलना तो इसको आप किसी एक कैटिगरीज अनकैटिगराइज्ड कर सकते क्योंकि धर्म का जो संबंध है वह किसी किसी भाषा के साथ नहीं होता वह कितनी पहरा दे किताब नहीं होता और वह किसी भी तरीके के भोजन के साथ नहीं होता है धर्म और धर्म इज द रियल एंड अमित कनेक्टेड गॉड था अब जिद जिद कि आप बात करें कि जिस धर्म में पैदा हुआ दर्द नोट धर्म एक्चुली उसको बोला जाता है मदद मदद का मतलब होता धर्म के करजा अमित धर्म से जोड़ता है सुबह मधुबाला के हर एक इंसान को धर्म के साथ जोड़ने के लिए धर्म के कर्म के तार जोड़ने के लिए तत्व संतों का दया धर्म धीरज इन सभी चीजों के साथ जोड़ने के लिए और मुसली आपको हर हर मजहब के अंदर यह सभी चीजें कॉमन सी मिलेंगी ठीक है इसके अलावा उन मदद के अंदर कुछ रीति रिवाज बदल गई जाते जो इस्लाम है मुसलमान है इस्लामिक कंट्री है उनके बीच में मुर्दे को जलाया नहीं जाता दफनाया जाता है हिंदू दिन के अंदर चलाया जाता है उनको एक खाली जगह पर गिर जाती है और वह डेडबॉडी को खाती है नोच नोच के कुछ लोग पानी में बहा देते हैं ठीक है तू अलग अलग किसको बोला जाता है जस्टिफिकेशन और जूजू अवेलेबिलिटी है उसके हिसाब से धर्म को मदद को उन लोगों ने मोड़ दिया जलाने के लिए लकड़ियां जमीन में दब आएंगे ना जाबे लकड़ियों की भरमार है वहां पर जमीन में अंतर आने की क्या जरूरत है क्योंकि जमीन तो हमारी उपजाऊ है तो हम जमीन उपजाऊ जमीन को हम लोग खेती के लिए यूज करते हैं कि उन्होंने सोचा की डेड बॉडी अपनी पड़ी है तो धर्म के साथ में जोड़ते भूखे रहने से धर्म धर्म कभी भी गलत नहीं होता मगर जो बनाई गई थी उस धर्म के साथ जोड़ने के लिए बनाए गए थे के साथ-साथ वह हमारी कट्टरता के साथ जुड़ते गए और किसकी वजह से गलत लगने लग गए हैं कोई भी मतलब है वह मैं गलत लगने लग गया क्योंकि उसके अंदर कट्टरता ही आके एक लड़की थी उनके घर में दही को जाग लगाया जाता दूध को जाग लगाकर दही जमाया जाता था तो मैं बोलती थी बेटा बिल्ली को पकड़ के टुकड़े के नीचे दे दे ताकि हम दूध जमा दे क्योंकि बिल्ली अगर खुली तो करते-करते बचपन से लेकर जवान होते तो कुछ लड़की की है बेटा दिल्ली दूध जमाना तो दिल्ली को टोकरी के नीचे देना लड़की की शादी हो गई बस उधर चली गई अब तसल्ली तो है नहीं तो सासू मां ने बोला बेटा दूध जमाना तो दो जमा दो तो आसपास भी ढूंढने लग गई तेरे को ढूंढ ढूंढ रही है तो अब इसका मतलब इसका मतलब है कि वह एक तरीके से निवास बन गया उसकी सोच के मुताबिक जब तक बिल्ली को ठोकरें के नीचे दब आएंगे नहीं अब तक दूध नहीं जमेगा तो उसकी मेंटालिटी बुक की बहुत सारी चीजें बोतल के ऊपर काम कर चुके हैं और अब आपको कोई भी बुरा नहीं लगेगा कोई भी मदद बुरा नहीं लगेगा उसके पीछे जोड़ी थी उनके पीछे हिस्टोरिकल चलते वह कुछ है जिनकी शायद आज जरूरत नहीं है सभी की कोई जरूरत नहीं है तेरी बातें दिल की आज की जरूरत है अगर आपका दिमाग है अगर आप धर्म के अंदर पैदा हो क्योंकि धर्म में मर जाते हैं वह अनएजुकेशन के रीजन है क्योंकि वह लकीर के फकीर है उसी चीज को फॉलो करते हैं उनको सिखाई गई है ऐसे ही चल रहा है
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
एकदम खूबसूरत सवाल पूछा है आपने लेकिन इंसान सिद्ध में पड़ता है उसी धर्म आता है यह बात एक पर्सेंट सच है उसकी वजह हमारी मानसिकता जो समाज में यह जो माहौल में या जो इंवॉल्वमेंट में हम रहते हैं उनकी मानसिकता ऐसी बना दी गई है क्या कर्म धर्म परिवर्तन कर चेंज करेंगे तो मतलब हम यहां पर सबसे बड़े गुनहगार हो जाती है सबसे बड़ा जुर्म करते जब जिंदगी का और दूसरा इसके अभ्यस्त के अंदर हम किस समाज में ऐसी तरुण पैदा होते अगर उसके बारे में हमने कुछ प्रश्न पूछ लिया कि ऐसा ही किया वैसा ही क्यों 22 को ही क्यों पूछना है इसकी की मदद करनी अजानी क्यों देनी है पूजा क्यों करनी है नमाजी के ऊपर मिर्ची क्यों जाना है तो मतलब हमने सबसे बड़ा पाप कर दिया उसकी सबसे बड़ी वजह है मानसिक मेरी राय की है कि यह बिल्कुल बिल्कुल बिल्कुल हंड्रेड परसेंट गलत है हमें चेक करना चाहिए कि हम सिख धर्म पैदा हुए वह सही है या गलत है अगर मान लो अगर की बच्ची को बचपन में अगर मुसलमान में घर में कोई बच्चा पैदा होता है किसी को दे देते और किसी हिंदू भर के बच्चे को अगर मुसलमान धर्म में लेकर उसकी परवरिश करके तुमको पता ही नहीं कि वह हिंदू पैदा होकर मुसलमान पैदा हो गए थे तो मेरी यह राय है कि हमें चेक करना चाहिए हमें सोचना चाहिए हमारे धर्म के बारे में तो कितना सही कितना गलत है उसके दूसरे धर्म के बारे में पढ़ना चाहिए और हमारे धर्म के बारे में पढ़ना चाहिए
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
हम किस धर्म के अंतर्गत जन्म देते हैं हमारा परिवार यह हम जिस धर्म से बिलॉन्ग करते हैं हमारा उसके प्रति झुकाव होना आजा एकदम होना भी चाहिए लेकिन धर्म भगवान ने नहीं बनाया इस बात को समझना सबसे ज्यादा जरूरी है आज पूरा दुनिया में अलग-अलग धर्म है देश के अनुसार क्षेत्र के अनुसार राज्य के अनुसार यह जो है बे सबसे इसी की वजह से दुनिया में अशांति विद्यमान है अगर अगर यह धर्म हटाकर सिर्फ एक धर्म चलाया जाए जिसका नाम इंसानियत धनुष अगर आप इस धर्म को मानते हैं तो सही है और इसमें कोई गलत नहीं है कि हम जिस धर्म जन्म लेते हैं उस घर में अगर हमारा उत्थान के प्रति हमारा गांव रहता है उसी धर्म को मानते हैं एकदम गलत नहीं है आप उसको फॉलो कर सकते हैं धन्यवाद
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
देखो किसी के धर्म पर पहली अंगुली नहीं करनी चाहिए चाहे वह धर्म हिंदू हो चाहे मुस्लिम हो जाए ऐसी कोशिश की ओर से इस वीडियो कोई भी धर्म हो लेकिन किसी के धर्म पर नहीं करनी चाहिए और बात रही कि वह सही है कि गलत हों सभी का सही है अपनी जगह हम बोलते हैं कि मुस्लिम गलत है मुस्लिम बोलता है मुस्लिम बोलता है कि हिंदू गलत है तो बोलते बोलते रहते हैं लेकिन सभी का अपनी अपनी जगह सही है कभी किसी के धर्म पर अंगुली नहीं उठाने चाहिए
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
यह बातें तो आप हटा दीजिए कि कोई धर्म सही या गलत कोई धर्म सही या गलत दिखाओ नहीं तो आदमी की सोच पर डिपेंड करता है आदमी वह कार्य पर डिपेंड करता हुआ किस क्या सोचते हैं और किस टाइप का कार्य कर रहा है इसमें धर्म का कोई लेना देना नहीं है धर्म वगैरह तो हमने ही बनाए हैं तू आप यह मत देखिए कि धर्म सही या गलत है इंसानियत है धर्म कोई सही और गलत में तो धर्म धर्म होता है
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
इंसान किसी भी धर्म में पैदा हो उसके लिए सबसे जरूरी उसकी सबसे जरूरी उसकी मानवता होती है सभी धर्मों के विकास और यही कहता है कि हमें मानवता को सबसे ज्यादा पेशेंस देना चाहिए ना कि हमें धार्मिक आधार पर लड़ना चाहिए या एक दूसरे के धर्म को बढ़ाने के लिए अपने धर्म का प्रचार ज्यादा से ज्यादा कर के हम बढ़ाने के लिए किसी दूसरे को प्रलोभन देना भी गलत है जैसे ईसाई मिशन भी और भी कम्युनिटी ऐसा करती है
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
सही और गलत क्या होता है वह भी जब उसका जन्म होता है तब उसे पता नहीं होता सही और गलत ही परिभाषा भी समझने सिखाई हुई है सारी की सारी भाषाएं भी समाज में असल अवस्था तो अज्ञानता की अवस्था है वही सब कुछ सही और गलत कुछ है ही नहीं कुछ नहीं है कुछ भी ना सही है ना ही कुछ गलत शून्यता अज्ञानता जब मन ही नहीं है उस अवस्था को अध्यात्मा कहा जाता है बाकी सब बकवास है
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
ना तो इंसान गलत होता है ना तो धर्म गलत होता है मैं माया मोह में पड़कर कुछ संस्कार के संसर्ग में आकर अपने धर्म को भूल जाते हैं और भाई बंध भाई बंध भाई बंधु का के ढिंढोरा होता है मजाक तो एक ही है वह है इंसानियत का अगर आपके अंदर इंसानियत है तो समझ में आप एक नंबर के मजहब के रखवाले एक नंबर धर्म के रखवाले हैं जय श्री राम
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
देखिए किस साल में इंसान पैदा होता है क्या मरता है उसको पता नहीं होता विधान सही है या नहीं तो शाम को पता है जो उस घर में पैदा हुआ है आपको जैसे पता होगा कि हम पिछले जन्म की कृतियों का परिणाम या दुष्परिणाम अपने इस जन्म में पाते हैं तो आपको यह भी पता होगा कि यह धर्मराज जो है उनके भाई हैं शनिदेव और शनिदेव बुरे कर्मों का फल देने वाले होते हैं तो धर्मराज इस जन्म में यानी कि जब इंसान मर जाता है उस वक्त उस व्यक्ति के प्रारंभ में यह लिखते हैं कि वह क्या सजा पाएगा तो वह सजा उसे उस धर्म से दौड़ती है जिस धर्म में रह करके उसको उन कानूनों का पालन करना पड़ता है जिस कानून का पालन उसने अपने पिछले जन्म में नहीं किया था आपको पता ही होगा दोस्तों की हर जन्म हर धर्म मतलब आप जैसे कि हिंदू मुस्लिम सिख इसाई इन सब के कानून थोड़े थोड़े अलग हैं मतलब धर्म की संज्ञा थोड़ी थोड़ी अलग है घर में पूजा पाठ के कृत्य अलग-अलग हैं तो यह कृत्य भगवान ने इंसान में बुद्धि में डालकर के बनवाए हैं जिससे कि उनको इस जन्म में जो करना है वह अपने धर्म के अनुसार कर सके जैसे कि हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि हम हां सुबह शाम पूजा-अर्चना करें और अपने देवताओं को अपने घर में विराजित करें मतलब कि आपको पता ही होगा जैसा कि नहीं भी पता है तो मैं बता देती हूं कि हम चिश्ती भगवान की दया अगरबत्ती करते हैं तो हमारे घर में ऐसा एटमॉस के हो जाता है कि हम भी उसी भगवान की तरह काम करने लगते हैं अर्थात जैसे कि कोई व्यक्ति श्री राम जी की पूजा करता है तो श्री राम जी की तरह ही वह मर्यादा पुरुषोत्तम रहने लगता है और यदि कोई व्यक्ति मां सरस्वती मां की पूजा करता है तो सरस्वती मां की तरह उसे विद्या मिलती है तो इसी प्रकार से मुस्लिम धर्म में भी नमाज की रवायत है तो वह नमाज उससे बिल्कुल और ईश्वर के करीब या अल्लाह के करीब ले जाती है तो अलग करीब आ जाने से ऐसा होता है कि वह अल्लाह की ही तरह आचरण को निभाने लगता है जो आचरण भगवान ने उसके लिए लिखा है और सिख धर्म में भी ऐसे ही है वह गुरु को मानते हैं और गुरु भी वही होते हैं जो भगवान की तरह होते हैं गुरु ज्ञान देने का काम करते हैं दुनिया को तो वह भी गुरु की ही तरह आचरण करते हैं और लोगों को ज्ञान देते हैं कि गुरु के सानिध्य में देखकर यह उनका आजीवन फलता फूलता है तो कहने का मतलब यह है कि जिस घर में पैदा होता है गुस्से में मरता है तो वह मरता है इसलिए है क्योंकि वह उस घर में पैदा हुआ है उनसे धर्म में उसको मारना है आप देखिए कि कोई व्यक्ति क्रिश्चियन धर्म के हो करके हिंदू बन जाइए हिंदू होकर के क्वेश्चन बन जाए तुम अपना धर्म परिवर्तन करा लेते हैं तो इसका मतलब यह कि वह अपने संस्कार को परिवर्तित कर लेते हैं किसी व्यक्ति को अगर हिंदू धर्म पसंद नहीं है तो वह मुस्लिम बन सकता है और किसी को मुस्लिम धर्म पसंद नहीं है तो वह हिंदू बन सकता है जैसे कि हमारे यहां की जिस की तरह मिस्त्री चली जा तू भी उसी धर्म की हो जाती है तो यह कहना तो उचित नहीं कि जिस धर्म में पैदा होता है उसी में अक्सर माता है यह स्वेच्छा पर है कि हम अपने कर्मों के अनुसार दूसरों के धर्म में जा भी सकते हैं और अपने धर्म से मुक्ति के पास रखते हैं तो अगर अपने धर्म में रहकर के मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं तो वही धर्म है यह सोचना गलत होगा क्योंकि आपने देखा होगा कि एक स्त्री किसी दूसरे धर्म में विवाह कर लेती है तो वह दूसरे धर्म की हो जाती है और वहां जाकर ही मृत्यु को प्राप्त होती है ऐसा नहीं है कि वह अपने धर्म में आ कर के वापस में मरती है तो यह कहना उचित नहीं होगा सिर्फ इसका मतलब यही है कि जिस से धर्म में पैदा होता है उसी में मरे यह जरूरी नहीं है लेकिन अपने पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार उसे किस धर्म में और इस जन्म में अगर वह चाहता है तो कोई अच्छा सा धर्म परिवर्तन कर सकता है
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
आपका सवाल के इंसान जिस धर्म में पैदा होता है उसे मैं अक्सर मरता है अक्षर का मतलब होता है उसी में ही मरता है जबकि उसको पता नहीं होता कि वह धर्म सही है या गलत आप की क्या राय है सर साफ-साफ बात धर्म की अगर बात करें तो सही बात है कि सब धर्म सही नहीं होगी तो सब गलत भी नहीं है लेकिन यह खास जगह बात करने जा रहा हूं इसे एक बार जो समझेगा मैं कहता हूं कि अल्लाह और गॉड भगवान हूं सबका मालिक तो एक ही है हम जिसे पूजा जी से बात करते हैं वह सब एक ही है क्योंकि इंसान नृत्य का नाम है जिसके मौत आती है वह जीवन है जीवन को मौत आती है और मरने के बाद ही ईश्वर के पास जाता है और इश्वर के जो भी मतलब बनाया गया जगह वहां पर जाता है तो मैं कहता हूं कि धर्म गलत और सही हो कुछ हुआ नहीं है हम जिस से जिस मकसद से उसी पूजा करते हैं उस धर्म में रहकर उस ईश्वर की पूजा करते हैं या इबादत करते हैं जो भी तो वह हिसाब से देखा जाए तो हम अपने तरफ सही है गलत नहीं है लेकिन धर्म की बात करें तो धर्म हमें यह नहीं सिखाता कहीं किसकी झगड़ा का उससे झगड़ा कर वह सिखाने वाले धर्म पुजारी होते हैं जो कहा जाए तो मौलवी एम उल्ला पंडित क्रिश्चियन में जो बड़े-बड़े जो लीडर्स कहा जाए तो वह लोग में से ऐसे होते हैं जो कुछ हमको भट्ट कहते हैं गलत राह पर ले कर जाते बाकी धर्म में एक ही चीज का पूरा अधिकार है कि भाई चार की रखी है एक ईश्वर की बात प्रिय और धुआंधार अपना सर आइए थैंक यू
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
अस्सलाम वालेकुम भाई नमस्कार आप का सवाल है इंसान जिस धर्म में पैदा होता है उसी में अक्सर मरता है जबकि उसको पता नहीं होता है कि वह धर्म सही है या गलत है तो आप आपने यह सवाल पूछा तो उस पर बहुत से विशेषज्ञों ने अलग अलग तरह का जवाब दिया है सब लोगों ने अपनी अपनी राय रखी है मेरी अपनी राय को आज तक शामिल करना चाहता हूं आपके जवाब में मेरा मानना है कि धर्म हमेशा सही होता है वह गलत नहीं होता है उस धर्म के मानने वाले लोग गलत होते हैं जो उसका गलत मतलब गलत अर्थ निकालते हैं उसका गलत उपयोग करते हैं जिसके कारण उस धर्म का उन लोगों की वजह से बदनामी होती है इंसान हमेशा गलत होता है ना कि धर्म धर्म हमेशा ही अपने आप में सही है चाहे वह हिंदू हो मुस्लिम हो सिख हो इसाई हो है कोई भी धर्म हो वह हमेशा सही रहता है कुछ लोग होते हैं जो अपना धर्म बदल लेते हैं लेकिन यह उनकी मन की भावनाएं हैं वह क्यों बदलते हैं क्या कारण है बदलने का यह उनसे पहले आने वाले लोगों की वजह से उनका यह काम होता है जैसे कि अगर कोई मुस्लिम है तो वह अगर अरब पाकिस्तान के लोगों से मिलेगा वह जहाज के बारे में बात करेंगे दूसरे को मारना कुछ करना तबाही बचाना लेकिन इस्लाम धर्म में इसकी इजाजत नहीं देता है किसी को जानबूझकर मारा जाए बिना गलती का तो उन लोगों की वजह से धर्म की बदनामी होती लोग उस धर्म को गलत समझते हैं लेकिन धर्म अपने आप में सही होता है बस उसका उपयोग करने वाला सही हो अगर हमारी जवाब आपको अच्छा लगा हो तो आप हमें अपना हमारे यूट्यूब चैनल अरे साइंस पर फॉलो कर सकते हैं धन्यवाद
Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!