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नमस्कार आपका प्रश्न है जीएसटी क्या है इसकी फुल फॉर्म क्या होती है मैं आपको बताना चाहूंगा पहले जीएसटी की फुल फॉर्म के बारे में गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी कि माल एवं सेवा कर यानी कि आप जो कोई भी माल बेच रहे हो ट्रेडिंग कर रहे हो या फिर सेवा का ट्रेडिंग कर रहे हो या फिर आप कहीं से माल एवं सेवा का प्रवेश करते हो तो जीएसटी का भुगतान करना होता है जीएसटी जो है इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम है यानी कि यह वह टेक्स्ट है जिसको हर नागरिक सीधा भारत सरकार को पे नहीं करता है नागरिक कोई भी भारत का नागरिक अगर कोई भी व्यक्ति कहीं से भी किसी भी वस्तु या फिर सेवा की सप्लाई लेता है तो वहां पर उसको जीएसटी देना अनिवार्य हो जाता है वह जीएसटी देगा अपने सप्लायर को उसका सप्लायर अपने होलसेल सप्लायर को जीएसटी देगा वह मैन्युफैक्चर को जीएसटी देगा मैन्युफैक्चर वाले अपने रॉ मैटेरियल सप्लायर्स को जीएसटी देंगे वहां से जीएसटी जो है गवर्नमेंट के तिजोरी में जाता है इस तरह जीएसटी आफ गवर्नमेंट को डायरेक्ट पे नहीं करते यह है इनडायरेक्ट टैक्स जो आप अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को भुगतान कर रहे हैं अभी जीएसटी में मैं आपको बताना चाहूंगा कि कुछ ऐसी प्रोडक्ट में रेल प्रोडक्ट हैं जिनको छोड़कर हर वस्तु पर जीएसटी लगाया गया है जो रेल प्रोडक्ट है उस में पेट्रोल-डीजल वगैरह में वेट है और कुछ पढ़ लेती है जो जीएसटी के तहत लाई गई है लेकिन जिस पर कोई टैक्स नहीं है और मैं आपको बताना चाहूंगा अगर आप मार्केट से कोई भी ब्रांडेड जींस की प्रदेश करते हैं यानी कि आपने ब्रांडेड साबुन शैंपू या फिर आपने ब्रांडेड गारमेंट्स परचेस किया है ब्रांडेड शर्ट लिया या अपने किसी मल्टीब्रांड मॉल से परचेस किया तो हर जगह पर जीएसटी पहले से लगा हुआ ही होता है किसी भी प्रोडक्ट पर जीएसटी आप नहीं पर करोगे ऐसा नहीं हो सकता है आप देखोगे किसी भी वस्तु को ले लोगे जहां पर एमआरपी टेक होता है तो उसमें टैग में इस तरह से लिखा हुआ होगा मैक्सिमम रिटेल प्राइस इंक्लूडिंग टैक्सेस यानी कि उसमें टैक्स लगा दिया गया है और जीएसटी जो है भारत में भारत के इतिहास में भारत के अर्थ तंत्र का सबसे बड़ा कदम माना जाता है इसलिए माना जाता है जीएसटी आने के बाद भारत के अर्थ तंत्र में बहुत बदलाव हुआ है पूरे सिस्टम चेंज हो गई है पहले ऐसा मैं आपको एक एग्जांपल देना चाहूंगा कि आपने देखा होगा कुछ वस्तुएं सिटीजन पर दिल्ली में 12.5% वेट था गुजरात में 5% था राजस्थान में जाओगे तो 12.5% वेट हो जाएगा उत्तरा से अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग टैक्स रेट है क्योंकि राज्य सरकार के अंतर्गत उनकी हो तो रोटी में वेट यानी की वैल्यू ऐडेड टैक्स की अथॉरिटी थी लेकिन भारत सरकार ने पूरे देश में एक साथ 1 टेक्स्ट वन नेशन सिस्टम यानी कि जीएसटी लागू कर दिया जिसके बाद अगर आप दिल्ली से गुजरात से या फिर भारत के किसी भी प्रदेश से अब कोई भी वस्तु की प्रत्यक्ष देखो तो टैक्स रेट एक ही होता है अगर 5% है तो पूरे देश में 5% ही होगा मान लीजिए शुगर पर 5% है तो पूरे देश में वह 5% सही सही होता है मान लीजिए मेडिसिंस में 12% है तो पूरे भारत में उस में 12% से ही आपको मिलेगा इस तरह से हर नागरिक को यह अधिकार मिल गया कि वह एक ही टेक्स्ट पैक करके एक ही तरह एक ही तरह का टैक्स पर करके वह माल प्रदेश करेगा निकल गया है जीएसटी आने के बाद यह सब कुछ रद्द हो गया है और एक मौत सिस्टम जो बिठाया गया है कि पूरे देश के सारे व्यापारी ट्रेडर्स मैन्युफैक्चर सर्विस प्रोवाइडर सारे जीएसटी अंतर्गत आ गए जीएसटी रजिस्ट्रेशन सब ने ले लिया और किसी को भी पूरे देश में कहीं पर भी व्यापार करने के लिए एक्स्ट्रा लाइसेंस की जरूरत नहीं रहती है यानी कि पहले अगर आप अपने राज्य से बाहर से सेंट्रल सर्विस टैक्स नंबर यानी कि जीएसटी नंबर लेना होता था जो कि अब रद्द हो गया है सिर्फ जीएसटी नंबर से ही आप कहीं पर भी कुछ भी सप्लाई कर सकते हैं हां यहां पर मैं आपको यह जरूर बताना चाहूंगा कि अगर आप फूड फूड प्रोडक्ट की सप्लाई करते हैं तो उसके मेंटेनेंस के लिए आपको फूड लाइसेंस लेना अनिवार्य है लेकिन टैक्सेशन सिस्टम के हम जो बात करें एक्शन सिस्टम में इनडायरेक्ट टैक्स के तौर पर एक ही रजिस्ट्रेशन है जीएसटी रजिस्ट्रेशन जिसके अंतर्गत काम होता है पेट्रोल-डीजल अभी वेट में ही चल रहे क्योंकि उसमें जीएसटी लगाने में काफी सारे कॉम्प्लिकेशंस आ रहे हैं और तमाम राज्य सरकारों की तिजोरी पर बहुत ही नुकसान हो सकता है अगर पेट्रोल को डायरेक्ट जीएसटी में लाया जाए तो इसलिए उस पर विचार चल रहा है कि पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी के तहत कैसे लाया जाए इस तरह से जीएसटी जो है वंटेक्स वन नेशन सिस्टम है और दुनिया में 160 के तकरीबन एक ऐसे देश हैं जहां पर जीएसटी लागू किया गया उसमें भारत की है और भारत में जीएसटी जो है मॉडल ऑफ कनाडा जाने की कनाडा में जो जीएसटी सिस्टम है वह सिस्टम इंडिया में लगाया गया है 1 जुलाई 2017 को उसके बाद से अगर आप कहीं से भी कुछ भी परचेस करते हैं पेट्रोल-डीजल के अलावा तो कोई भी आपसे वेट कलेक्ट नहीं कर सकता है सबको अनिवार्य है जीएसटी कलेक्ट करना और पूरा ऑनलाइन सिस्टम है जिसका मैनेजमेंट gst.gov.in पर आप लॉगिन करके देख सकते हैं वहां पर जीएसटी के कंप्लायंस रिटर्न्स मैनेजमेंट सारे ट्रैक्टर वहीं पर अपने रिटर्न फाइल पोर्टल पर करते हैं और जीएसटी में फेरबदल करने के लिए गवर्नमेंट ने जीएसटी काउंसिल का गठन किया है जो कि निश्चित समय पर उनकी मीटिंग होती है और जीएसटी में जो कुछ भी मुश्किल है पब्लिक को जो कुछ भी प्रॉब्लम से आ रहे हैं उसके अलावा उनको जो कुछ चेंज करना है कहीं पर टैक्स कलेक्शन हो रहा है तो वह उनको मैनेजमेंट करना होता है एडमिनिस्ट्रेशन सीबीआई सेंट्रल बोर्ड आफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स के अंतर्गत आता है जो भी संस्था ने जीएसटी काउंसिल सीबीआइसी जीएसटी पोर्टल वगैरह उन सब पर है डेकोरेटिव फाइनेंस मिनिस्ट्री ऑफ इंडिया की रहती है फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ इंडिया के आर्डर पर ही के सारे संस्थान चलते हैं और यह सारे संस्थान मैनेजमेंट करते हैं इससे अधिक जानकारी के लिए मेरे प्रोफाइल पर पर दिए गए नंबर पर आप संपर्क कर सकते हैं धन्यवाद
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