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भारत का और भारत मां के सपूत पैदा हुए हैं जिनका नाम आपने सुना होगा डॉ बी आर अंबेडकर अबकी बार देखो राजनीतिक लोग हो या हो आप तो जनता सब जानती है फोन इस काम को करने का प्रयास कर रहा है डीटीसी बात यह है कि जो पहले चल रहा था जातिगत भावनाओं को खत्म करने के लिए अच्छे अवसर देने चाहिए नौकरी रोजगार में और रिजर्वेशन का जवाब बन जाता है रिजर्वेशन खत्म करें खत्म करें खत्म करें कर रहे हैं उन पर यह पूछ लिया जाए और कुछ करने के लिए रिजर्वेशन किया गया था अगर यह लोग उनका अधिकार है और रहना चाहिए अगर आप बार-बार रिजर्वेशन खत्म करने की बात करेंगे खाई बढ़ती चली जाएगी आईएएस की परीक्षा में कम अंक क्वालिटी है जाने के लिए सरकार का जो प्रयास जारी बात कर सकते हैं कि रिजर्वेशन मेरे दिल बहुत सारे लोगों का होता है और हमें ध्यान रखना चाहिए या खत्म कर दिया कभी जाति के लोग एक दूसरे के घर में शादी करेंगे और जाति का धरना खत्म हो जाएगी और हम अंबेडकर आपको याद करते रहते हैं खत्म हो
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आपको सवाल है देश में जाति व्यवस्था कैसे समाप्त की जा सकती है देखिए हमारा जितेश है यह सामाजिकता अनुभवों से ओतप्रोत देश है और हमारी जाति संस्कृति जो है यह व्यवस्था आदि काल से चली आ रही है इसे समाप्त नहीं किया जाए ज्यादा उचित है हर जो जाति संप्रदाय जो है उनका एक अलग ताना-बाना है और हर जाति संप्रदाय का जूता ना बना है वह हमारे भारत की पहचान दी है लेकिन जाति व्यवस्था समाप्त की जाना यह नहीं सबसे बड़ा प्रश्न है कि देश में सभी जाति संप्रदाय के लोग एक कानून में रहे सबके लिए एक जैसा व्यवहार हो सरकार की ओर से और हर जाति संप्रदाय के लोग दूसरी जाति संप्रदाय की सम्मान करें इज्जत करें और जातियों को लेकर जो भेदभाव तनाव जो खेल रहे हो जैसे लोग खेल आ रहे हैं उन से बचें और हर किसी का सम्मान करें क्योंकि कहते हैं कि मेरा व्यवहार वैसा होना चाहिए कि जैसा मैं दूसरों से अपने प्रति चाहता हूं तू सीधा सा मतलब यह है कि हम दूसरे धर्म संप्रदाय के का सम्मान करेंगे तो वह भी आपके धर्म संप्रदाय और आपका सम्मान करेंगे कहते हैं ताली दोनों हाथ से बजती रही बात जाति व्यवस्था को समाप्त करने की तो संभव ही नहीं है और जो चीज संभव नहीं हो उसके लिए प्रयास करना गलत है
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जाति जाति जाति व्यवस्था को समाप्त करने का कोई एक तरीका नहीं है लेकिन एक समाजशास्त्री के रूप में मेरी अपनी निजी राय है कि अंतर जाति विवाह को प्रोत्साहित करके शिक्षा को बहुत ही वैज्ञानिक तार्किक और गुणात्मक बनाकर धीरे-धीरे जाति व्यवस्था को समाप्त किया जा सकता है जब हमारे देश में मंत्री और मुख्यमंत्री जैसे लोग जिन्हें लोग अपना आदर्श मानते हैं यह जातिवादी व्यवस्था के तहत कि इन्हीं के सहारे इन्हीं के ताकत के बल पर राजनीति में मंत्री बनते हैं विधायक बनते हैं तो समझा जा सकता है कि जब यह नेता ही इन्हें प्रोत्साहित करते हैं जिनको हम अपना आदर्श मानते हैं तो कैसे उम्मीद की जा सकती है कि जाति व्यवस्था जल्दी समाप्त हो विकास के साथ-साथ समय के साथ-साथ सभ्यता के विकास के साथ-साथ धीरे-धीरे जाति व्यवस्था पहले से कमजोर हुई है और निश्चित रूप से समाप्त होगी लेकिन इसमें काफी समय लगेगा
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इश्क ने हमें सिर्फ एक ही चीज का ध्यान देना चाहिए हमें ध्यान देना चाहिए हमारा जो रोजगार है हमारी जो शिक्षा है हमारा जो मतलब काम है हमें उस चीज पर ध्यान देना चाहिए खत्म होना चाहिए एक व्यक्तिगत होना चाहिए कि हमें यह चीज हम देख चुके हैं या हमारे पास यह टैलेंट है तो उसमें काम हमारा रूचि और हमारा ध्यान रखना हमारा टैलेंट है या मुझे कि मुझे एक गाड़ी सुधार नहीं आती है तो किसी और बात पर कि मुझे कोई अच्छी लाइन मुझे पसंद है तुम मेरा जो फोटो ना चाहिए उसका इलाज और दूसरी बात सबसे पहली बार अपना यह जो रूल्स रेगुलेशन होते हैं यह सब y71 मंत्री जी तो बात बन जाए अन्यथा तो काफी टाइम पर चलता रहा है और
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जाति व्यवस्था वितरित हथियार के जो भी आरक्षण दिया गया है दिल जो मिला जो भी जो सरकारें आती है संविधान के तहत सारे जात पात छोड़कर तनी के लिए एक ही आरक्षण होना चाहिए एक कानून होना चाहिए एक इंसान सब कुछ बिल्कुल एक बात का जो आरक्षण देकर राजनैतिक पार्टियां लालच में बदल देती है
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अपने ही देश में जातिवाद कुछ ज्यादा कर पाती जाती वह देश के प्रति कितना गंभीर नहीं हो पाता उसके परिणाम की पूरी उत्तर छोटे छोटे वर्गों में लोग मर जाते हैं और उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है तो मेरे व्यक्तिगत विचारों से मैं कहना चाहूंगा जातिवाद नहीं होने की कोई गाना
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जाति व्यवस्था समाप्त करने के लिए एजुकेशन की जरूरत है लोगों के अंदर एजुकेशन आना चाहिए और जो क्या बोलते हैं आर्थिक समानता दिक्कत है उसको खत्म करने की जरूरत है और अलग से एजुकेशन को बढ़ाने के लिए होते और इतनी प्रॉब्लम नहीं है जितनी जातिवाद से प्रॉब्लम है यह जातिवाद की भावना को खत्म करना चाहिए जाति व्यवस्था की चीजें बदल रही है छुआछूत की भावना एकदम से खत्म हो चुकी है आदमी जाता है कोई रेस्टोरेंट होटल में जाता है तुझे पूछता है किसने बनाया कौन किस जाति का था तो अपना रही है अब चीजें बदल रही है आर्थिक संपन्नता के साथ भी लोग बदल रहे हैं और वह काम करना चाहिए सरकार को भी जनता को भी लोगों की गरीबी है वह गरीबी दूर हो और अगर ऐसा होता है तो अपने आप धीरे-धीरे जाती है उसका पता मैं किसी भी जाति के आधार पर जो राजनीति है उस राजेश को भी खत्म करनी चाहिए कि वोट बैंक का रिजर्वेशन आरक्षण वगैरह तमाम चीजें इसको पर इसी तरीके के लिए वोट की राजनीति बंद होनी चाहिए देश में और लोगों के अंदर एजुकेशन बाहर जाना चाहिए जाति कुमकुम
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भारत की व्यवस्था इस कदर जड़ बना चुका है कि इसको समाप्त करना बहुत मुश्किल काम लगता है मगर इसको समाप्त होना ही चाहिए जाति व्यवस्था को समाप्त करने का एकमात्र उपाय है विकास जब जाति और धर्म से ऊपर उठकर विकास का कार्य होगा तो या जाति व्यवस्था धीरे-धीरे सोता ही समाप्त हो जाएगी जब तक राजनीति में जाति धर्म इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता रहेगा तब तक यह जाति व्यवस्था किसी भी प्रकार से समाप्त नहीं किया जा सकता है दरअसल यह जाति शब्द एक ऐसा शब्द है जिससे राजनेता अपने अपने स्वार्थ की रोटियां सेकते हैं और यही कारण है कि समाज कई भागों में बढ़ता जा रहा है मेरे अनुसार जाति व्यवस्था नेताओं द्वारा फैलाई गई एक जाल है जो अपने स्वार्थ की रोटी सेकने के लिए इनका प्रयोग कर समाज को अलग-अलग ग्रुप में या अलग-अलग हिस्सों में बांटने का कार्य कर रहा है जब समाज को सही दिशा निर्देश सही विकास सही शिक्षा यह सारी चीजें मिलनी शुरू हो जाएगी तू जाति व्यवस्था धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी या व्यवस्था सिर्फ जाहिल लोगों में ज्यादातर जा ही लोगों में ही यह देखने को मिल रही है जो विकसित है या जो सरकारी सेवाओं में हैं जो सरकारी सेवाओं का लाभ ले रहे हैं इस दकियानूसी चीज से बहुत दूर है वे जाति व्यवस्था यह सारी चीजों को नहीं मानते हैं जाति और धर्म में वही लोगों लिखे हुए हैं जो बेरोजगार हैं या जो राजनेताओं द्वारा मोहरा बना दिए थे क्योंकि यही वह व्यवस्था है जिससे राजनेताओं को अपने स्वार्थ की रोटी से करने में मदद मिल रही है अगर वह ऐसा ना करें या समाज का हर वर्ग जागरूक हो जाए विकास के विषय में सोचना शुरू कर दे तो या जाति व्यवस्था सोता ही समाप्त होगी मगर राजनेताओं की यह झूठी चाटुकारिता और भ्रम फैलाने यह सब समाप्त हो जाएगा और सही मायने में विकास होगा हमारे अनुसार एक जाति और धर्म ही एक ऐसा विषय है जो भारतीय समाज को विकास से कोसों दूर पीछे की तरफ लेकर जा रहा है जब व्यक्ति या समाज जाति और धर्म के विषय में सोचना छोड़ कर अपने विकास और दे के विकास में सोचना शुरु कर देगा यह राजनेताओं की मंशा धरी की धरी रह जाएगी और तब सही माय नेम इज परिधि का सूखा मगर जब तक यह व्यवस्था जब तक यह दुर्भावना समाज में व्याप्त है तब तक मुझे नहीं लगता है कि सही मायने में इस देश का यह समाज का विकास हो पाएगा
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हमारे देश में जाति व्यवस्था एक ऐसी समस्या है जिसकी जड़ें बहुत गहरी है मौजूदा समय में जाति व्यवस्था को खत्म करने की सोच अपने आप में बेईमानी है क्योंकि इस समय जातिगत विभेद चरम पर है आम तौर पर जब हम जातिवाद की बात करती हैं तो केवल हिंदू धर्म में व्याप्त जातिगत व्यवस्था की ही चर्चा होती है लेकिन सच्चाई यह है कि सभी धर्मों में जातिगत व्यवस्था है फिर चाहे वह हिंदू हो मुस्लिम या शीट इसलिए हमारे भारतीय समाज में सवर्ण दलित अगली पिछली जाति का विभेद है इस विवेक का लाभ राजनीतिक पार्टियां जमकर उठाती है अपनी अपनी रोटी सेकने के लिए जातिगत राजनितिक पार्टिया तक बना ली गई है भाजपा से लेकर बसपा का रिजल्ट गोरखा मोर्चा मुक्ति भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग तक पार्टियों का नाम भले ही कुछ हो लेकिन राजनीति पर अपने क्षेत्र की जाति समीकरण के आधार पर ही करती है फिर पर लालू की पार्टी हो या मुलायम अजीत सिंह की जाति के आधार पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए भी कभी नहीं चाहेंगे कि जात पात की व्यवस्था का लोहिया के जमाने में पथरी हटाने का चलन शुरू हुआ था पर इससे कोई खास बात बनी नहीं उनका मानना था कि समुदायों के बीच रोटी बेटी का संबंध नहीं बनता तब तक जाति व्यवस्था समाप्त नहीं होगी अंतरजातीय विवाह एक तरीका हो सकता है लेकिन सोने नहीं दिया जाएगा अंतरजातीय विवाह के खिलाफ खाप पंचायत लव जिहाद जैसी व्यवस्था शुरू हुई और उसके लिंग का संक्रमण आज पूरे देश में फैल गया है
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