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मान्यवर यह जलसा पूछ रहे हैं आध्यात्मिकता की शुरुआत कैसे की जाए तो देखिए आपने एक बहुत ही बढ़िया विषय के बारे में पूछा है और यह आध्यात्मिकता सेट विषय नहीं है आध्यात्मिकता जीवन पद्धति सिखाती है सबसे उत्तम और सर्वोत्तम और सबसे टॉप की जीवन पद्धति आध्यात्मिकता के अंदर ही है आध्यात्मिकता का अर्थ यह आपने नहीं लगाना है मैं आपके प्रश्नों का उत्तर मैंने देना शुरू किया है आध्यात्मिकता का अर्थ यह नहीं है कि आपने गेरुआ वस्त्र पहन लिया या कोई और साधु का वेश धारण कर लिया और आप वैराग्य प्राप्त कर लिया सन्यास ले ली है इसका मतलब यह कतई नहीं है बिल्कुल भी नहीं है एक सादा आदमी एक सिंपल आदमी एक सरल व्यक्ति अपने ग्रस्त जीवन में रहकर भी आध्यात्मिकता को समझ सकता है और उसके हिसाब से अपने जीवन को जी सकता है अपने परिवार के मैं भी आध्यात्मिकता का संचार कर सकता है और पारिवारिक जीवन में रहकर भी आध्यात्मिक रहा जा सकता है तो आप जो अपने मतलब पारिवारिक दायित्वों से दूर नहीं भाग सकते क्योंकि परिवार से दूर नहीं भागना चाहिए परिवार का दायित्व होता है और यह सभी मानव का मूल्यवान कर्तव्य भी है ना तो आध्यात्मिकता की शुरुआत यहीं से हो जाती है आपके अपने घर से हो जाती हैं तो आध्यात्मिकता को समझने के लिए आपको आध्यात्मिक किताबों का अध्ययन करना होगा भगवत गीता से शुरुआत कर सकते हैं भगवत गीता को पूरा पढ़ें आराम से पढ़े रुक कर पढ़ें नहा धोकर स्नान करके पूजा-पाठ व करे करके अवश्य पढ़ें आपने अगर भगवत गीता को पूरा पढ़ लिया तो आप अध्यात्म की ओर एक बड़ा कदम बढ़ा चुके होते हैं भगवत गीता में जो गीता सार है इसमें गीता सार में एक व्यक्ति ने कैसा होना चाहिए एक राजा ने कैसा होना चाहिए एक शासक ने कैसा होना चाहिए और सामान्य जननी कैसा होना चाहिए ईश्वर की उपासना कैसे करनी चाहिए है ना सत्य क्या है असत्य क्या है आधी सारी और गंभीर से गंभीर राशियों का वर्णन किया हुआ है तो आप जीता कपड़े भगवत गीता को तो आपको आध्यात्मिक जानकारी खुद बको हो जाएगी आप पढ़ सकते हैं संत कबीर दास जी जो हुई है हमारे यह ना सिर्फ एक महान कवि थे उनकी एक संत थे एक सत्पुरुष है जिनको सत्पुरुष का अवतार माना जाता है आप इनके द्वारा जो संग्रहित की गई जो मतलब इनके मार्गदर्शन में जो कबीर बीजक है इसको पड़े तो आपको बहुत सारी अच्छी जानकारी मिल जाएगी आध्यात्मिक से संबंधित और जीवन की वास्तविकता से संबंधित बेसिक चीज है वह संत कबीर के संग रहों में हैं और कबीर बीजक वगेरे में है और संत कबीर के और भी अलग-अलग सारे ग्रंथों को आप पढ़े तो आप पूर्ण आध्यात्मिक हो जाएंगे संत कबीर के ग्रंथों का अध्ययन करें एक अच्छी जानकारी मिलेगी आपको और सटीक जानकारी मिलेगी ब्रह्म ज्ञान भक्ति प्रकाश एक ग्रंथ है कबीर पंथ में उसको पढ़ ही एक आपको मतलब ब्रह्म क्या है प्रॉब्लम क्या है ब्रह्मांड क्या है अंतरिक्ष क्या है जीवन मरण की अवतार उसमें आध्यात्मिक जानकारी आपको प्राप्त हो जाएगी जीवन पद्धति कैसा होना चाहिए यह संत कबीर के सारे साहित्य का आप अध्ययन करें तो आपको खुद ब खुद समझ में आ जाएगा एक अच्छा इंसान कैसा होना चाहिए संत कबीर जी के मार्गदर्शन में आपको बहुत अच्छे ढंग से देखने को मिलेगा और आध्यात्मिकता की ओर आगे बढ़ना चाहते हैं तो आप रामायण का पूर्ण अध्ययन करें दोहा और चौपाई सहित संपूर्ण रामायण का अध्ययन करें घर में समय निकालकर के करें तो आप प्रभु श्रीराम के जीवन से संबंधित जो भी वर्णन है जो भी उनके समय में हुआ है श्री विष्णु जी ने आज प्रभु श्री राम के रूप में जन्म लिया था धरती पर अयोध्या नगरी में और वहां पर उनको 10 साल का वनवास दे दिया गया था जिसको उन्होंने एक मर्यादा में रहते हुए पूर्ण किया मतलब यह वनवासी के रूप में भी मर्यादा मर्यादा में ही रहे और राजा के रूप में भी रहे तो मर्यादा ही रहे तो एक मर्यादा पुरुषोत्तम राम कह जाते हैं वह मतलब सब कुछ उनका मर्यादित जीवन कैसा मर्यादित होना चाहिए इस आध्यात्मिकता की जानकारी जो है रामायण से आपको मिल पाएगी विराज रासो द्वारा जो लिखित 602 है आल्हाखंड इसको पड़े आल्हाखंड जो है आल्हा उदल से की लड़ाइयां से संबंधित है इसमें यह जो काव्य है यह बहुत ही वीर रस से परिपूर्ण है इसमें आपको वीर रस आध्यात्मिकता का वर्णन मिलेगा को एक नई ऊर्जा का संचार होगा हमारे देश के महान जो वीर पुरुष से महापुरुष इनके जीवनी को पढ़ सकते हैं छत्रपति शिवाजी महाराज आना जो मराठा साम्राज्य मराठा हिंदू साम्राज्य के जनक है इनके जीवन को पढ़ें इनके लड़ाई ओं के बारे में पड़े इनके राज्य संचालन के तरीकों को पड़े एक मासी चाणक्य के ग्रंथ को पढ़ सकते हैं आप चारों वेद पढ़ सकते हैं हां ना तो चारों वेद आप पढ़ सकते हैं सामवेद यजुर्वेद अथर्ववेद है ना आदि आप यह चारों वेद भी पढ़ सकते हैं आपको अगर संस्कृत नहीं आती है तो अपनी भाषा में वेदों का संस्कृत आप मंगा सकते हैं उसको पढ़ सकते हैं उसी तरीके से सारी अच्छी चीजों अध्ययन करके आप आध्यात्मिकता की ओर जा सकते हैं और आध्यात्मिकता की जो जानकारी है एक अच्छे गुरु से पूर्ण होती है तो आप किसी भी अच्छे गुरु से जो गुरु मतलब वास्तव में अच्छा हो ईमानदार हो लालची ना हो और धन का लोभी ना हो माया का लोभी ना हो ऐसे व्यक्ति को ही ग्रुप बना है जिसे न तो आपके धर्म से मतलब है ना आपके दिए पैसों का लालच है जिसको मतलब संसार से मुंह नहीं है संसार की चीजों से मोहनी है मगर वह बहुत ही विद्वान हो बहुत ही ज्ञानी हो और धन का लोभी ना हो वस्त्रों का लोग ही ना हो वस्तुओं का लोग ही ना हो ऐसे महान विद्वान की तलाश करें और जो संपूर्ण ब्रह्म ज्ञान को समझता हो अध्यात्म को समझता हो ऐसे व्यक्ति को आप गुरु बनाएं तो आपको एक अच्छे आध्यात्मिकता का दर्शन होगा तो गुरु परंपरा आपको गुरु परंपरा अनिवार्य है आप एक हर व्यक्ति को जीवन में गुरु बनाना चाहिए जिसका गुरु होता है एक अच्छा गुरु होता है वह व्यक्ति अवश्य एक सफल बनता है और एक सफल जीवन को जीता है और मोक्ष को प्राप्त करता है तो गुरु और से बनाना चाहिए मगर ईमानदार और अच्छे अच्छे अच्छे गुरु की तलाश आपको करनी पड़ेगी भाभी हुआ तलाश आपको रुककर करें भलाई साल लगे या 2 साल लगे मगर रोककर करें है ना आप एडवर्टाइज के चक्कर में गुरुओं की तलाश ना करें कि कला को गुरु को मैंने टीवी पर देखा बहुत नाम है बहुत अच्छा भजन कीर्तन हो गया ऐसा नहीं गुरु कहीं भी हो सकता है गुरु चित्रों में भी हो सकता है गुरु साफ-सुथरे कपड़ों में भी हो सकता है ग्रुप मत मैले कपड़ों में भी हो सकता है मगर महत्वपूर्ण होता है गुरु के कपड़े और रंग रूप महत्वपूर्ण नहीं होता है उसके चमक-दमक और चेहरे के जो मतलब गजब की लालिमा जो दिखाई जाती है उससे आपको भ्रमित नहीं होना है आपको गुरु के ज्ञान से मतलब होना चाहिए ऐसे ग्रुप को आप गुरु बनाएं तो सत्संग में आप सम्मिलित हुआ करें उससे भी आपका देश में की जानकारी अच्छी पड़ेगी अगर आप पहले से ही सन्यासी हैं तो फिर ठीक है आप आध्यात्मिकता की ओर आसानी से जा सकते हैं मगर आप ग्रस्त जीवन में तो मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आपको अपने परिवार के अंदर रहते ही यही आध्यात्मिकता का अध्ययन करना है और आध्यात्मिकता का पालन करना है और और और आध्यात्मिकता को परिवार के संग में सपरिवार भी अपने जीवन में उतार सकते हैं आपको कोई भी गलत नहीं मैं नहीं लेना है कि घर छोड़ देना है संयास ले लेना यह वैराग्य धारण कर लेना ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए यह भी हमारे पारिवारिक जीवन और नियम के खिलाफ है और यह भी एक तरह का अधर्म है धन्यवाद
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