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नमस्कार हमारे सभी लोकल मित्रों को और जय सीताराम जी महानुभाव का प्रश्न है या फिर लोगों की सुनी हुई बातों को कुछ लोगों की कही हुई बातों को पूछना चाह रहे हैं कई लोग ऐसा कहते हैं कि प्लेस पति जिस घर में बैठता है उससे नष्ट कर देता सब लोग जिन्हें ज्योतिष की जानकारी है उन्हें पद और बाकी सब को नहीं पता है क्योंकि कहा जाता है ना गुरुजी घर में बैठता हूं इस घर की हानि करता है हल करने का मतलब गुरु हमारे ऐसे होते हैं जो कि अपने आपको या अपने बच्चों को अपने परिवार को शिक्षा नहीं दे पाए जितना अन्य बच्चों को भी कमी वर्क अभी से लेकर लेकिन उनकी दृष्टि ही ऐसी होती है उनका स्थानीय ऐसा होता है कर देना गुरु होते हैं कुछ भूखे रह जाएंगे लेकिन अन्य बच्चों को भूखा नहीं रहने का मतलब अपने घर को परेशान कर लेंगे लेकिन और घर को खुशहाल बना दे बाकी इन सब चीजों को आप सदा केयर नहीं करी समय सब कुछ अच्छा कर
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जी नमस्कार अरे कुत्ते ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के आचार्य विजयपाल के बोल रहे हैं आप एक प्रश्न है कि कई लोगों का कहना है कि जिस स्थान पर बैठता है उसे नष्ट कर देता है ऐसा बिल्कुल नहीं है उसके कुछ विशेष स्थान है जैसे द्वितीय कुंडली का दूसरा भाव कुंडली का पांचवा भाव कुंडली का सातवां भाव कुंडली का ग्यारहवां भाव इन भाव पर जब बृहस्पति अकेला हो जाए इसमें भी एक शर्त है कि अकेला रहे तब वह भाव नाश कर देता है क्यों अधिक ताकत बताते हैं और सीमित ज्ञान अर्थात गुरु गुरुदेव बृहस्पति को देवताओं के गुरु हैं अब जो ज्ञान है उसको लक्ष्मी का दूसरा भाग होता है ज्ञान को धन से क्या लेना जान जो है वह सब कुछ खुद से क्या मतलब है इसलिए वह कुंडली के दूसरे भाव में अगर अकेला बैठ जाए तो उठाओ बाबू नाथ पंचम जो गुरुदेव महाराज उनको संतान से क्या मतलब है क्योंकि पहले जो शुक्राचार्य गुरु शुक्राचार्य से उसको कोई विशेष लगाव नहीं होता था इसलिए पंचम स्थान जो होता कुंडली का संतान भाव वहां पर अगर पति अकेला बैठ जाए तो उसके बाद सप्तम भाव सप्तम भाव है वह पत्नी का कार्यक्रम जबकि वाका का कारक ग्रह विवाह करा देने वाला उससे कोई मतलब नहीं है वहां के स्थान को के भाव को खराब कर देता है ठीक है तो कौन-कौन सा हो गया द्वितीय भाव संता धन भाव संतान भाव पत्नी भाव और हमने आपको बताया 11 वे स्थान अर्थात भाऊ भाऊ भाऊ को क्या लेना देना किस कारण से बृहस्पति जब भी द्वितीय पंचम सप्तम एकादश भाव में अकेला बैठ जाता है तो यह खाओ नाश कर देता है अगर वह अकेला है तो और कोई ग्रह वहां पर आ जाए तो वह भावना नहीं करता वहां का वक्त फल देता है ठीक है
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गुरु बृहस्पति मतलब एक अध्यापक अध्यापक जिस विद्यार्थी की तरफ ध्यान ने के पढ़ाता है जिसकी तरफ को देखता है वह विद्यार्थी उसकी बात को ध्यान से सुनता है और उसकी बात को ग्रहण करता है और वह अपने जीवन में आगे बढ़ जाता है लेकिन जहां अध्यापक अपने पास में बैठे हुए की तरफ ध्यान नहीं देता तो वह जो पास में बैठे हैं वह लोग उस स्थान को या जहां पर बैठा है उस स्थान को उतना महत्व नहीं दे पाता जिसके कारण से यह कहावत सही है कि बृहस्पति जिस स्थान पर बैठता है उसे स्थान का फल नहीं देता लेकिन जहां दृष्टि करता है वहां का फल जरूर देता
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हर बात को पूर्ण ढंग से कहीं गई है लोग उसका एक का निकाल लिया और शॉर्टकट में कोई किसी भी चीज को बोलना शुरू कर देते हैं यह कहना मिथ्या है कि गुरुजी से टांग पर बैठता है उस स्थान को नष्ट कर देता है उसका मूल रूप से सूत्र जो मैं आगे बोलने जा रहा हूं स्थानी करो जीवा स्थान वृद्धि करा सनी सनी राठी गधों जीवा जीवा की कथा सनी यदि गुरु स्थान की हानि करता है और सनी जो है स्थान की वृद्धि करता है कब जब शनि की राशि में गुरु गया हो और गुरु की राशि में शनि किया हो इन दोनों ग्रहों का जब भी एक्सचेंज होता है तो उसमें ग्रुप में सफल देता है कृष्ण भाई फल देने लगता है और उसमें जो है उसके बंदना लगता है सनी जो है सर्वाधिक शुभ फल देना शुरू कर देते हैं यदि इस कंडीशन को पूरा करता है शनि की राशि में गुरु किया और गुरु की राशि में शनि के ऊपर वाली लाइन एप्लीकेशन एप्लीकेशन न्यूज़ नहीं हो रही तू ऊपर की लाइन तो साथ में उसको यार तुम तो बाकी जो जो थे उसके 12 साल के और दूसरे जातक अलंकार के सिद्धांत
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देखिए यह लोगों का मानना गलत है कि ब्रश विशेषकर में बैठता है उसे नष्ट कर देता है लेकिन हां इतना जरूर है कि बृहस्पति से बृहस्पति का जितना सहारा है उतने वक्त घर में बीमारी वगैरा ऐसा चलता रहता है काम का कोई पता नहीं चलता है तथा बृहस्पति के लिए हमें दाता व्यक्ति का पूजन करना चाहिए दाल चित्र पीले वस्त्र पहनकर सरस्वती के दिन महिलाओं को घर में कपड़े नहीं धोने चाहिए आदमी ऐसा उपाय वह करना पड़ता है जिससे कि 10 पति का साया कम होगा तब ऋषि भगवान के उपवास रखना चाहिए जिससे बृहस्पति भगवान प्रसन्न हो ऐसा नहीं है कि नष्ट कर देता है
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ओम विघ्नेश्वराय नमः विघ्नहर्ता श्री गणेशा गुरुजी को नष्ट कर देता है तो यह भी गलत है लेकिन आप ग्रुप इस तरीके से देखें अगर वह आपकी कुंडली में नवम स्थान में बैठा रे तो क्या भाग्य का नाश कर देगा सच में बेटा है तो क्या घर का सुख मिलेगा सप्तम स्थान में बैठा है तो क्या पत्नी को जीत दिला देगा ऐसा नहीं होता है देखो क्या होता है दोस्तों उसका वजन बहुत बढ़िया है बहुत वजनदार हो रहा है उसका जो उसकी जो चुंबक के पावर है जो उसकी जो मैग्नेटिक पावर हाउस में भी खिंचाव का अनुभव होता है ना वह बहुत ज्यादा होता है तो जिस घर में बैठता हूं तो वहां पर उसका खींचा हुआ जाता है यानी कि वहां पर आपको वही तेरे ना देगा अच्छा काम करो गुरु मान लो आपका सूर्य के साथ है तो वह आपको यह कहेगा कि आप अपनी आत्मा को शुद्ध करते रहो और शुद्ध करते रहो चंद्र के साथ बैठा है तो आप को ज्ञान देना ज्ञान की बातें ही करो ज्ञान से पैसे कमाओ आप ही जैसे चलो बड़ी बड़ी चीज अपने पास यह क्या गुरुजी के साथ बैठता है तो रिश्ता बन जाता है और मान लो कि अगर वह आपके लग्न में बैठा है तो आप बड़े हो महान विद्वान पुरुष दूसरे स्थान में बैठा है तो आप बड़े लेकिन उस गुरु प्रज्ञान जो जहां पर बैठा गुरु ग्रह जहां पर भी बैठा है उस स्थान का मालिक कितना बलवान है और उस स्थान का जो मालिक है कौन नक्षत्र में उसका तब सारा कहता है उसके ऊपर से गुरु का हम देख पाते कितना पावरफुल है नमन कुंडली में भी देख लो क्योंकि शादी के बाद का जीवन है उसके पहले जो इसका जीवन है वह क्या है वह भी मैं आपको बताऊं जो ग्रह की ताकत है ना उन को दर्शाता है वहां से आप उनकी स्टैंड से देख पाते हैं सही तरीके से डिग्री के हिसाब से राशि और डिग्री के हिसाब से उतरी एग्रो का पावर होता है कौन से खाने में कहां बलवान होता है देखना पड़ता है एक ग्रुप को जिस तन में जहां पर भी बैठता है ऐसा नहीं कि उसका फल नष्ट हो जाएगा लेकिन उसका फल देने का वह क्या कर सकता है जिसके घर में रह रहे हो ना उसको मैंने दे दिया तुम्हारे घर पर रहूं तो मैंने आपको ₹100000 दिया मेरा अब तुम्हें जो करना है करो अगर आप बिगड़े हुए हो मेरे पैसे का क्या करोगे तो बात होगी और अगर आप अच्छे हो तो क्या करोगे मुझे और कमा कर दोगी मेरे को नहीं चाहिए तेरे को क्या चाहिए उसके मालिक ने अपना सब कुछ दे दिया और गुरु की दृष्टि जहां पर भी पढ़ती दोस्तों उनको सुख कर देता है मान लो पाकिस्तान में हुए पेपर तो आपका जो बाह्य दिखावा है तो वह लोग ऐसा सोचेंगे कि आप थोड़े अच्छे इंसान हो तो आपका जो इंटरनेशनल थोड़ा अच्छा हो जाएगा फिर पंचम स्थान पर पड़ेगी तो आप के नसीब में पुत्र का योग भी देगा उत्तरा का इसका डेफिनेटली इसने बना दिया फिर अगर आप देखे उसकी साथी दृष्टि तो कहां पड़ती है इस तरह स्थान में तो आप ज्यादातर गलत काम नहीं करोगे लेकिन अगर वही स्थान पर शनि की दृष्टि पड़ रही हो मंगल की भी पढ़ रही हो तो इसका जो फल होता है ना वह थोड़ा मैजिकली चेंज हो जाता है क्या होता है यह जानने के लिए आप हमें कॉल कर सकते ओम शांति ही
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कई लोग ऐसा कहते हैं कि बृहस्पति घर पर बैठता उस दिन उस पर ऐसा नहीं शास्त्र में लिखा हुआ है स्थान हानि करो जी वह स्थान वृद्धि करो सनी करता है और इस पद से स्थान रखता है मकान योजना के तहत विरासत में भाद्रपद में फायदा भी लग्न में या केंद्र में वनस्पति फल देता है अन्य स्थान व्रत है उसका फल कम होता है इसका मतलब यह है यहां बैठे उसको
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ऐसा जरूरी नहीं है कि मैं यहां बैठता है उसकी हानि करता है डिपेंड करता है वह किस घर का लोड है और उससे बचने के लिए आ रही है और किसने बताया कि इसी फॉर्मेट में और मेरे साथ में बैठा हुआ है तो बैठा उसका लोड स्टोन है या उसका सब देख रहा है तो देश का नहीं करेगा ऐसा नहीं करता है
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यह शास्त्र की पंक्ति है जिसमें कहा गया है कि मुकुल बनती अन्य कार्य से केंद्र वृहस्पति जब जब केंद्र में भव्य स्थिति होता है तो व्यक्ति अनेक उपलब्धियों को प्राप्त करता है क्योंकि वह 5 सिर भाव का कारक होता है परंतु एक पंक्ति और आती है इसी प्रसंग में स्थान स्थान हानि करो जीवन वृद्धि करो शनि जिस स्थान में बृहस्पति बैठता है उस स्थान की हानि करता है यथा पंचम भाव में बृहस्पति की स्थिति संतान की हानि करती है एवं विद्या विद्या में वृद्धि करती है यह पंचम भाव संतान का होता है विद्या का भी है बुद्धि का भी है परंतु पंचम भाव में बृहस्पति की स्थिति संतान के लिए अच्छी नहीं मानी जाती यही एक इसका अर्थ मान सकते हैं
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जय श्री राधे कृष्णा जय श्री श्यामा बिल्कुल कई लोग यही कहते पराया है यह हमारे सिद्धांत जो है ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से प्रतिपादित किए गए हैं क्योंकि यदि आप लोग जगत में भी देखेंगे तो गुरु दूसरे का कल्याण कर सकता है किंतु अपना कल्याण करना उनके लिए मुश्किल का कार्य होता है दीपक के नीचे बदायूं अंधेरा रहता है ठीक उसी प्रकार गुरु दूसरे के लिए जप कर सकता है अनुष्ठान कर सकता है दूसरों के हित में इतना व्यस्त रहता है कि उसे अपने लिए समय निकाल पाता है इसलिए वह जिसे भाव पर बैठता है तो उस भाव के साथ उसकी विकृतियां आ जाती है उसकी विचारधाराओं में विकृतियां आ जाती है चित्रलोक जगत के साथ साथ में यह जो कुंडली का जगत हैं 12 चक्कर हैं बाना खाने हैं उनके आधार पर भेदभाव को बैठता है उस भाव को कम कर देता है नहीं करता उस भाव का बल कमजोर हो जाता है जय श्री राधे कृष्णा जय श्री श्यामा
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मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं है कि बृहस्पति जिस घर में बैठता है उसे नष्ट कर देता है कहा गया है कि 147 8147 10 12 भाव में यदि बृहस्पति हो तो जातक बहुत ही भाग्यशाली और सौभाग्यशाली वाला होता है केवल अष्टम भाव ही जातक के लिए बृहस्पति और द्वितीय भाव में यदि बृहस्पति हो तो वह मार्केट का कार्य करता है लेकिन उसमें भी यदि अपने घर का हो अपनी उच्च राशि का हो तो वह धनवान बुद्धिमान और बलशाली लीडर बनाता है इसके लिए यह कहा गया है कि ब्राह्मण का आठवीं बृहस्पति खराब होता है बाकी लोगों के लिए कोई ऐसा कोई दिक्कत
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ज्योतिष नक्षत्र है अस्थान हानि करो जीवा जीवा शब्द ज्योतिष में विराट पद के लिए लिया गया है सभी राष्ट्रपति जिस घर में होता है वहां पर अस्थान हानि करता लेकिन नष्ट नहीं करता क्योंकि वह पृथ्वी ग्रह नहीं है उसके भाव के फल को कुछ कम कर देता है और उसकी दृष्टि उस भाव के शुभ फल को बढ़ा देती पृथक बाजीगर राजा से सूर्य केतु है या क्या कर रहे हो भैया जिस भाव में बैठते हैं वहां के फल का नुकसान करते हैं और उसके फल को उस व्यक्ति से अलग कर देते हैं लेकिन विरासत पृथक बाद ही कराना यह बताने हानि थोड़ा सा नुकसान करता है उस जगह का इसलिए ज्योतिष में विकास पत्र शुक्र की राशि में बैठेगा तो वहां के कार्य पत्र को बढ़ा देगा लेकिन पति ऐसा नहीं करते जहां देखेगा उसके कार्यकर्ताओं को बढ़ा देता है ओरिया सूत्र सुन प्रचलित आस्थान हानि करो जीवन और ऐसा देखने में भी आता है
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नमस्कार मित्रों श्री राधे राधे कई लोग ऐसा क्यों कहते हैं कि बृहस्पति जिस घर में बैठता है उसे नष्ट कर देता है कई लोगों की बात तो नहीं करते मित्र लेकिन हमारा शास्त्र कहता है कि जिस घर में देव गणपति बैठते हैं कुछ घर कहानी करते अश्व राशि के हूं तो थोड़ा फल जरूर देते हैं किसी भी घर में बैठते हैं उस घर का नाश करते लेकिन जहां देखते हो उसको प्रबल मनाते श्री राधे राधे
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जय श्री कृष्णा नमस्कार दोस्तों नारायण ज्योतिष परामर्श से मैं पंडित अभिषेक शास्त्री इस सवाल का जवाब दे रहा हूं कई लोग ऐसा क्यों कहते हैं कि बस पति जिस घर में बसता है उसे नष्ट कर देता है तो मेरा मानना है दोस्तों की बृहस्पति चाहे जिस चेहरे में भी बैठे पहले उस पर विचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि बृहस्पति किस शहर में बैठ रहा है और उससे अधिक महत्वपूर्ण है कि वे राष्ट्रपति किस राशि है बैठ रहा है स्वराशि बैठ रहा है या फिर सतगुरु की राशि है बैठ रहा है शत्रु के घर रहा है या फिर अपने उस स्थान को होते हुए लग्न में उसकी दृष्टि पड़ रही है यह सब देखते हुए तबरेज पत्ते के बारे में या जवाब देना उचित रहेगा और व्यस्त पति का चाहे जहां भी रहे वह नष्ट नहीं करता है शुभ फल ही देता है लेकिन वह उस कंडीशन खराब देखना चाहता है यदि उसके साथ कोई पाप ग्रह बेस्ट रहे हैं दिलीप आप बुरा के संसर्ग में आ रहा है तो उसका फल अशुभ आ सकता है उस स्थिति में कष्ट पहुंचता है उस भाव में थोड़ी सी नुकसान होती है उसको से संबंधित जातक को नुकसान सहना पड़ता है लेकिन सबसे पहले करना उचित रहेगा कि बृहस्पति की शादी में है किस जगह पर बैठ रहा है स्वराशि में है मित्र राशि में है या सही है और किस ग्रह के संसर्ग में है इससे पहले देखते हुए तब विचार करें जय श्री कृष्णा दोस्तों
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