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मृत्यु तो हर किसी की एक समान ही होती है पर उसको महसूस करने के नजरिए अलग-अलग होते हैं कोई जीवन और जीना चाहता है उसको मृत्यु डरावनी और अच्छी नहीं लगती और कोई अपने कर्तव्य को पूर्ण कर चुका है जो अपने जीवन से संतुष्ट हो चुका है वह बहुत जीवन नहीं जीना चाहता उसको मिट्टी अच्छी लगती है अपनी-अपनी सोच है अपने-अपने नजरिए हैं वैसे मृत्यु अच्छी या बुरी नहीं होती मृत शरीर को त्याग कर दूसरे शरीर को धारण करने का एक प्रारंभ होती है
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इस बारे में अभी तक कोई अनिश्चित कोई बताए सकता है बिल्कुल भी करके बच्ची कैसी होती है इसे कैसे महसूस करके कैसा लगता होगा लेकिन हमने जो अपने बुजुर्गों से सुना है या कुछ लोगों से सुना है सुना है कि जब इंसान की मृत्यु निकट आती है तो उसको दे दे उस तरह की उस अदृश्य कीजिए दिखाई दे लगती जैसे कोई कुछ लोग उनको लेने आ रहे हो कुछ अदृश्य लोगों के साथ रहा है उनको लेने के लिए आ रहे हो ऐसा ऐसा महसूस हो जो हमने सुना है अपने बुजुर्गों से या कुछ विद्वानों से सुना है या कुछ लोचा है मिठाई हम आपको बता सकते हैं और सुमन को महसूस होता है कि उनका आखिरी वक्त है वह आ चुका है बस इससे ज्यादा मैं भी आपसे कुछ ज्यादा सजा नहीं कर सकता कुछ बता सकता धन्यवाद
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मृत्यु कैसे होती है इसको कैसे महसूस किया जा सकता है और आप कोई अनुमान लगा सकते हैं और मृत्यु इंसान को शरीर छोटी है तो मरने वाले को एहसास करा देती है क्या उसका अंतिम समय आ गया है और उसके कर्मों का लेखा जोखा इंसान को आंखों के सामने लगाया जाता है कितना प्लस है कितना - है उसका शेष धर्मराज के जो अकाउंटेंट हैं वह निकालते उसको बताते हैं कि आपके खाते में इतना जमा हुआ है और आपके खाते में इतना जो है ना में हुआ है और इतना शेष बचा है आपकी लाइफ बिटिया की सेक्स और इस तरह से इंसान की जिंदगी में बच्चों से पूछा दिया जो शादी की स्थिति में उत्पन्न होती है परिणाम यह होता है कि यह क्षण मैंने अपने जीवन में महसूस किए हैं अकस्मात रत्नाकर जीत के करीब 8 साल पहले जब रात्रि काल इस शरीर को छोड़कर हम ब्रह्मांड में विचरण करने वाली आत्मा चली गई थी और विभिन्न प्रकार की तेज गति से विभिन्न तारा लोक में संसार लोक से तू कितनी गति से जब ब्रह्मांड में गए हो वितरण किया और वहां देखा कि अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग बड़े-बड़े गड्ढों में लोग पढ़े हुए बेचैनी तड़पने परेशान हैं वहां जाकर हमें लगा आखिर का नाम या क्यों आ गए ऐसा हमने क्या किया कि मैं आ जाए और तत्पश्चात करीब में समय नहीं बता सकता हूं कि किस समय आत्मा निकल कर अभिमान में चली गई अब कब लौट के आई लेकिन जब आंख खुली तो बिस्तर पर पड़े हुए थे और अचंभित थे क्योंकि अपनी सिस्टर को कि माताजी को अपने पिताजी को ना देखा तो मन बहुत दुखी हुआ बेचैन हुआ जब किस कारागार में आ गए हैं यहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं यहां तो तकलीफ में भूख नहीं है ऐसा सोचकर जब हमने डिस्टर्ब थे तो मन सशंकित हो गया और लगा क्या हमारी आत्मा शरीर छोड़कर निकल चुकी थी लेकिन शायद गलती से किसी और को इस संसार को क्या बोला था लेकिन कहीं ऐसी अहसास हुआ तो सभी अपने जीवन में पिकनिक ऐसा जलवा के इंसान की जीवन में सब कुछ होता है
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मृत्यु कैसे होती है इसको महसूस करना कैसा लगता होगा इसको महसूस करना कैसा लगता होगा यूएसडी बता सकते हैं जो मरने वाले होते हैं परंतु वह मर जाते हैं बोल नहीं पाते वाकई इस ₹10 का अनुमान और मैंने अभी तक अपनी इस उम्र में जिन लोगों को भी इस तरह से मरते देखा भैया मैं उनके नजदीक रहा मेरा एक्सपीरियंस यह कहता है विराम भव्य कहता है अंत समय में जिस परिवेश में रहता है यार रहता हुआ आ रहा है जिन अपनों के बीच में इतना टाइम उसने निकाला अंत समय ऐसा लगता है उन सब रिश्तो को भूल जाता है नई दुनिया में जाने की तैयारी में लग जाता है उसके कई रिएक्शंस मैंने ऐसे देखें जब उसे हम कुछ कहते हैं तो फीलिंग उसमें नहीं आती है और वह उस बात से चिढ़ सा जाता है और कुछ समय के उपरांत कुचल देता है फिर हमें याद आता है कि हमने उससे यह कहा था तभी उसने तो वो छोड़ दिया है इस तरह की बातें करते हैं बातों से जो हनुमान लगता है उससे यह बात जाहिर हो जाती है कि शायद जब मौत निकट हो तो अपने आप यहां का मोह भंग हो जाता है
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नमस्कार रियल अनुमान तो मृत्यु का मरने के बाद ही लगाया जा सकता है क्योंकि मृत्यु के बाद कोई मिले नहीं हो पाता किंतु मानव भविष्य के अनुमान लगाने में सभाओं से ही उत्सुक होता है परंतु वास्तव में मृत्यु शब्द को अगर हम समझेंगे इस प्रकार जाना जा सकता है जैसे कार और ड्राइवर का संबंध होता है जैसे ड्रेस पहनने वाली और ड्रेस पहनने वाले का संबंध होता है मोबाइल और मोबाइल पर बात करने वाले का संबंध होता है मकान और मकान में रहने वाला होता है माइक और माइक पर बोलने वाला होता है अर्थात जड़ और चेतना इसी शरीर और आत्मा कहा जाता है भाषा के शब्द अलग अलग हो सकते हैं मृत्यु शब्द को शरीर के साथ जोड़ा जाता है क्योंकि आत्मा शरीर से निकल जाती है तो वह मृत घोषित कर दिया जाता है पैसे कहां से ड्राइवर गाड़ी से बाहर आ जाए तो खान बेकार हो जाती है चलाने वाले के बिना ऐसे ही शरीर भी आत्मा शक्ति ज्योति शरीर का संबंध छोड़ जाती है तो उसे टाइट कह दिया जाता है आत्मा के बारे में कहा जाता है कि वह कभी मरती नहीं जलती नहीं ना ही कभी उसका विनाश होता है ना गलती है इसलिए हमें इस शरीर का आत्मा से समझ उठने का नाम ही मृत्यु है परंतु हमारे मन में मृत्यु का बचपन से ही डर बैठा दिया जाता है उसमें भी सबकी अपनी अपनी स्थिति होती है कुछ लोग विशेषकर सेना के जवान योद्धा और कितने ही नकारात्मक प्रकार के लोग जानते हुए भी मृत्यु से डरते नहीं तब क्यों को मालूम होता है उनके कार्य का अंत मृत्यु हुआ उनके लिए तो खेल बन जाता है एक उदाहरण के साथ आप मृत्यू को महसूस कर सकते हैं आपकी अपनी अवस्था या दृष्टिकोण के अनुसार हो सकती है मान लीजिए आप ट्रेन में मुंबई की टिकट बुक कराई है और आप घर से सफर के लिए निकले हैं यात्रा के दौरान आपका परिवार और अन्य लोग भी आपके साथ सफर में रास्ते में जिसकी जहां की सीट रिजर्वेशन होती है मगर उतर जाता है कि वहां की ही रिजर्वेशन करा कर निकलता था जहां उनका स्टेशन आएगा वहीं उतर जाएगा क्योंकि उनकी सीटें थी आपको कैसा लगेगा यात्रा पूरी होने पर कैसी फीलिंग आती है यात्रा बहुत अच्छी बीती होगी तो आपको बहुत अच्छा लगेगा एक संतुष्टि होगी कि चलो अपना स्टेशन आ गया यात्रा बहुत अच्छी रही परंतु यदि यात्रा अच्छी ना रही हो व्यक्ति को तब भी खुशी होनी चाहिए कि यात्रा ठीक नहीं रही फिर भी अंतिम सेशन तो आईडिया यात्रा पूरी हो रही है इस प्रकार ही हमें मृत्यु का भी अनुभव ऐसी ही में सोचता होनी चाहिए परंतु हम इस यात्रा में इतने मस्त हो जाते हैं अपनी स्टेशन पर उतरना ही नहीं चाहते यात्रा को तो नियम है उसको अपने अंतिम स्टेशन पर उतरना ही पड़ेगा हम सब मानते हैं जन्म लेता इंसान उसकी यात्रा शुरू हो जाती है उस यात्रा उसको अंतिम स्टेशन का मालूम नहीं होता क्योंकि मैं इसी आशा में जीता रहता है कि मेरा स्टेशन तो अभी आ नहीं रहा अरे मैं दिन भर तो नहीं जाऊंगा यह मैं उसको अंतिम क्षण तक आता रहता है दिमाग होता है या एक्सीडेंट होता है ऐसी कोई घटना होती है जो उस उत्पन्न होती है मिलिंग वह मृत्यु का 50% फीलिंग होता है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए जो जाकर शुरू हुई है तो समाप्त होगी इस छोटी सी यात्रा हो सकती है बीवी यात्रा हो सकती है इस प्रकार आत्मा की नहीं होती आत्मा तो अजर अमर अविनाशी है केवल शरीर बदलता है पांच तत्वों का पुतला पांच तत्वों में मिल जाता है जिसको मृत्यु समझते हैं इस बात को समझेंगे तो मृत्यु जीवन यात्रा के अंतिम पड़ाव लगेगी दुख नहीं होगा कभी आंखें बंद करके इस यात्रा के बारे में चिंतन कीजिए तो आपको एक अलग से मैं सोचता है कि वही हमारी मृत्यु की सबसे नजदीकी अनुभव हो सकता है कभी श्मशान घाट में जाकर कुछ समय जलते हुए शरीर को देखें तो उस समय की फीलिंग वास्तव में मृत्यु के होने से पहले की फीलिंग हमें मृत्यु जैसी लगभग अनुपात सकती है और मैं आशा करता हूं कि आप अपने जीवन की यात्रा को और अच्छे ढंग से जीने का इंजॉय करने का प्लान बनाएंगे क्योंकि मृत्यु तो हर इंसान की आवश्यकता है अपनी इस जीवन की यात्रा को खुशनुमा आनंदमई बनाने की ओर योर फीलिंग हमें मृत्यु कैसे दूर सेक्सी शुभकामनाओं के साथ सबके जीवन की यात्रा सुखद हो सुखमय हो धन्यवाद
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ऐसा कई लोगों से सुना है कि जब मृत्यु कपल नजदीक आता है तो आपके कानों में एक अजीब सी आवाज गूंजने लगती है और जब आप मृत्यु के बहुत करीब होते हैं तब आपको सिर्फ और सिर्फ एक प्रकाश बहुत ही तेज प्रकाश दिखाई देता है और कोई ना कोई आपके सामने खड़ा होता है जो इंतजार कर रहा होता है आपके आने का और यह महसूस करना बहुत मुश्किल है यह हमने तो मैसेज नहीं किया है लेकिन जिन्होंने महसूस किया है यह उनके वाक्य है कि उन्होंने कुछ इस तरह का महसूस किया था बहुत दर्दनाक होती है क्योंकि जब शरीर से प्राण शक्ति बाहर आती है तो वह इतनी आसानी से बाहर नहीं निकलती है लेकिन फिर भी कई लोग ऐसे होते हैं जो बड़े आराम से आसानी से अपनी शैली का देह त्याग देते हैं अपने प्राण शक्ति को शुरू से बाहर निकाल देते हैं ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं लेकिन यदि हम आम व्यक्ति में गिने जाते हैं तो हम प्राण त्यागने से पहले हमें बहुत पीड़ा होती है इनकी यह प्राणशक्ति हमारे सभी को त्यागना नहीं चाहती लेकिन जब समय आ जाता है अंतिम समय आता है तब इसे इस शरीर को त्याग नहीं पड़ता है ठीक उसी प्रकार जब आपका प्रिय व्यक्ति जब आप से कहीं दूर जाता है तो आपको बहुत दुख होता है ठीक उसी प्रकार आप की प्राणशक्ति और शरीर में बहुत गहरा और अटूट संबंध होता है जो कई सालों से एक ही जगह पर एक ही वातावरण में रहते हैं उनके साथ बहुत बुरी तरह से भावना इतनी बुरी तरह से जुड़ी होती है कि वह इस शरीर को त्यागना नहीं चाहती लेकिन जब मैं आता है तो शरीर से प्राण शक्ति को क्या करना अनिवार्य हो जाता है आशा करता हूं आपको मेरा जवाब पसंद आया उनका में देखी ग्रैंड मास्टर सचिन पाठक थैंक यू वेरी मच
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सोनालिका गेम मृत्यु कैसी होती है इसे महसूस करना कैसे लगता होगा आपको यह अनुमान लगा सकते हैं लेकर मृत्यु कैसी होती है तो हम भी आप नहीं बता सकते और रही बात महसूस कैसा होगा यह भी नहीं पता और नया अनुमान लगा सकते क्योंकि मैं डियर जिंदा हूं मैंने आज तक अपनी लाइफ में किसी को मरते हुए नहीं देखा तो मैं आपको नहीं बता सकता यह कैसी होती आप कैसा महसूस होता है सो सॉरी थैंक यू
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आपका प्रश्न मृत्यु कैसी होती है इसे महसूस करना कैसे लगता होगा आप कोई अनुमान लगा सकते हैं कि अनुमान लगा सकते जब पैदा हुए जन्म लिया तब को पता था कैसे जन्म लिया बस सेम टू सेम वैसे ही जवाब की मृत्यु हो गई आपको भी पता नहीं चलेगा कि आप की मृत्यु हुई है ऑटोमेटिक मृत्यु नदीकाठी अनकंसर्न स्मार्ट हो ही जाता है पता ही नहीं चलता कि मृत्यु कब हुई है उसमें पेन होता होगा उनको तो पता भी नहीं चलेगा हो सकता है जन्म कहां में कुछ पता नहीं है तुम रितिका भी हमें कुछ पता नहीं चलेगा मैसेज करो कोई फर्क नहीं पड़ता जन्म के समय कुछ महसूस नहीं हुआ वह समय कैसे मैसेज भेजो मैं कभी आपको याद नहीं होगा खूबसूरत भी अच्छी है कोई बात नहीं अच्छा होता तो मृत्यु अच्छी नहीं होती आपका दिन शुभ हो धन्यवाद
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मृत्यु हम सभी के जीवन का एक अटल सत्य है और इसको महसूस करना इस क्या इसके बारे में सोचने से भी हमें डर लगता है वह का एहसास होता है और जो लोग मृत्यु को महसूस करते हैं उनके लिए बहुत ही दर्दनाक है यह दर्दनाक सिर्फ शारीरिक कष्ट की वजह से नहीं है दर्द ना इसलिए भी है क्योंकि मृत्यु का विचार भी हमें इस भय से घेर लेता है कि हमें अपने परिवार को अपनों को अपनी चीजों को जो हमारी प्रोजेक्शंस है मेरा घर मेरा परिवार मेरे दुकान मेरे पैसे मेरा बेटा मेरी बीवी मेरे माता-पिता मेरी संतान इन सब को छोड़ कर जाना होगा ऐसी जगह जिसके बारे में हमें कोई ज्ञान नहीं है हमने बहुत सारे विचार सुने हैं मृत्यु लोग के बारे में ऐसा होता है ऐसा होता है कोई कुछ कहता है कोई कुछ कहता हर धर्म की हर सभी लोगों की अपनी अपनी अलग व्याख्या है इसके लिए मगर हम एक सच में नहीं जानते कि मृत्यु के बाद क्या होता है तो उस क्योंकि वही शून्य है वही क्वेश्चन मार्क है इसलिए हम डरते हैं तुम मेरे अपने बड़ों से जो सुना है और जो मुझे समझ में आया है तो मृत्यु का एहसास ही हमें डर से गिरने वाला है थैंक यू
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मैं मरा नहीं हूं इसलिए मैं क्या कह सकता हूं कि मृत्यु कैसी होगी लेकिन मैं एक चीज जरूर कह सकता हूं कि आपने पूरा जीवन जैसा काम किया होगा वैसा आप का मृत्यु होगा अगर अपने भलाई के काम की है तुम्हें तो सुनाई कि आपकी आपकी स्थिति अच्छी होगी और अपने बुरे काम की होगे तुम होते समय पर आप की स्थिति पूरी होगी अगर हमको हमारा भविष्य सुधारना है ऐसा महसूस करते हुए जाना है जैसे कई लोगों को हम देखते हैं कि बैठे बैठे है सोते-सोते या मोमेंट्स में एक्सपायर हो जाते हैं ऐसी अगर मुझसे चाहिए विदाउट रोग की विदाउट एनी अपसेट आने पर रसिया बनिया पिंकी तो हमको यह जीवन हमें अभी से लेकर मृत्यु आए तब तक अच्छे भाव में रहना है अच्छे काम करने थैंक यू
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हां जी इस संसार में जो प्रारंभ होती है उसका अंत अली होता है कोई सी भी वस्तु में पीड़ित उगता है बीज पड़ता है उसे पेड़ निकलता है फिर उसे फल निकलते हैं फिर कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो जाती हैं एक बच्चा पैदा होता है बड़ा होता है फिर उसकी मृत्यु हो जाती है आप एक मकान बनाते हो कुछ समझ में रहते हो कुछ सालों बाद वह मकान खत्म हो जाता है सुबह आप उठते हो शाम को सो जाते हो उस दिन की मृत्यु हो जाती है फिर एक सांस आती है वह अंदर जाकर खत्म हो जाती है मृत्यु हो जाती है उसकी बाहर निकल जाती है उस सांस की मृत्यु हो जाती है आपको भूख लगती है आप खाना खा लेते हो वह की मृत्यु हो जाती है इस तरह से आप मृत्यू को समझें हर पल में कुछ ना कुछ मर रहा है और कुछ ना कुछ उत्पन्न ना हो रहा है हर पल में केवल आप अपनी मृत्यु के बारे में क्यों सोचना चाहते हैं आप देखे ना हर समय हल सेकंड कुछ ना कुछ खत्म हो रहा है और नया बन रहा है यह जीवन यही है खत्म होना और बन्ना आना और जाना तुम भी ठीक हो आनंद से लें हर पल में आनंद से रहे मिट्टी के शक्ति को समझें और इंजॉय करें लाइफ को धन्यवाद
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नमस्कार मेरा नाम है योगी प्रशांत और मैं आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत करता आपके अपने वो काले पर आज का प्रश्न है मृत्यु कैसी होती है और इसे इसे महसूस करना कैसा लगता होगा आप कोई अनुमान लगा सकते हैं तो मेरे दोस्त पहले तो मैं आपको यह कहना चाहूंगा कि मृत्यु मृत्यु एक ऐसा सा प्राकृतिक नियम है जिससे कोई भी अशोक नहीं है मतलब कोई ना कोई भी नहीं बचा है कि और हर किसी के साथ यह जो प्राकृतिक है यह हार की फिक्र लागू होती है अब आपने पूछा है कि इसे महसूस करना आंख ऐसा लगता है आप कोई अनुमान लगा सकते तो मैं बताऊं मेरे अनुसार तो दो तरह के इसके एक्सपीरियंस होते हैं एक ऐसा एक्सपीरियंस होगा जिससे कि आपको कुछ नहीं पता चलेगा कि जैसे किसी का बटन बना बंद करते हैं और पेनिक्विक देनी हो जाता है लेकिन आपने उस पर एक और चीज देखो कभी कबार आपके सॉकेट में स्पार्क होता है तो सुबह बल्ब का क्या रेट होता है रिएक्शन होता है वह ब्लिंक करता करता है तो ऐसे ही अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हो क्या आप की मृत्यु हुई है या किसी तो जैसा मैंने कहा कि मृत्यु का सिस्टम मृत्यु तो सभी एक जैसे होते लेकिन मेरी राह पर जाने का मृत्यु के स्थल पर पहुंचने का जरिया होता है वह वह उसका अनुभव करा था वह उसकी अनुभूति होती वह उसका एहसास होता है उसे महसूस किया जाता ना की मिट्टी को मिट्टी को कोई महसूस नहीं कर सकता और क्योंकि जब दर्द हो जाने के बाद कहते हैं कुछ तनी स्पर्श ना किसी चीज की चिंता नहीं रहती तो मृत्यु का कोई कोई मैसेज नहीं कर सकता लेकिन हां उसके जरिया मिर्ची तक पहुंचने का जरिया होता है जिससे बीमारी के तरु या किसी को किसी एक्सीडेंटल के थ्रू हो पीड़ा जो होती है पीड़ा का स्तर होता है पीड़ा को महसूस किया जाता है ना कि मृत्यु को तो आई हो मेरी यह सवाल जवाब से आप संतुष्ट हो गए और धन्यवाद वह कल आईएस पोस्ट को सुनने के लिए
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साइंटिफिकली सांसो का बंद हो जाना उसका मृत्यु कहते हैं जिसमें सिर्फ शरीर नष्ट होता है हमारा हमारे जो सोच होती है हम जैसे होते हैं वह आत्मा में बिग सो जाती है और वह आत्मा कैसी रहती है जो बुरी आत्माएं होती है जो नेगेटिव लोग होते हैं वह वैसे ही होते हैं वहां पर जाकर उनका पीर फिकेशन होता है 1 चेंबर होता है जहां पर सारी आत्माएं रेस्ट करती हैं उन्हें दिखाया जाता है कि नहीं जिंदगी कैसी होती है और उसके बाद वह चॉइस लेते हैं जिनकी कजिन का जो करना है पूरा नहीं हुआ होता है वह फिर से ब्रेट ली जन्म लेते हैं और जिनका करना काफी हद तक कम हो चुका होता है वह अभी भी आ सकते हैं दोबारा जन्म ले सकते हैं थोड़े टाइम के बाद जन्म ले सकते हैं उनके 24 होती है और डिफेंडिंग ऑन कितनी करना है वहां पर उनको रेस मिलता है साथ में सोते हैं जहां पर पेंटिंग ऑन अपने कितने अच्छे कर्म किए हैं वहां पर सारी आत्माएं रहती हैं जो पहला रेल में है वहां पर उन्होंने काफी गंदे काम किए हुए थे वह रहते हैं वैसे सनफ्लेम रहते हैं और जो सबसे हाईएस्ट रेन होता है वहां पर हमारा है या फूल रहता है जो कि हमें गाइड करता रहता है हम जैसे यहां पर जीवन में है तो हमारा एक ही असूल भी होता है जो ऊपर होता है जो हमें मेरी टेस्ट हम से कनेक्ट करता है और वही हमें रास्ता दिखाता है जब हम किसी परेशानी में होते हम जानते हमें क्या करना चाहिए तेरा तो सांसो का बंद हो जाना उसे मृत्यु कहते हैं लेकिन बाकी सब वैसे ही रहता सोच वैसे ही रहती है इसलिए आत्मा को आत्माओं को शुद्ध करके उसी के बाद उनको ऊपर भेजा जाता है लेकिन कुछ आत्माएं होती है जो पर नहीं जाना चाहती जिन्हें हम स्टेट बैंक कहते हैं और हमारे लोग भूत किसे कहते हैं वेस्ट इन बैंक्स होते हैं जो जाना नहीं चाहते हो पर और जो बीच के दुनिया में अटक जाते हैं जिनकी आत्मा की शुद्धि नहीं हुई होती है तो इसलिए काफी बड़ा टॉपिक है जो और 2 मिनट में नहीं कहा जा सकता
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हर इंसान की मृत्यु होती है जिस चीज का निर्माण हुआ है उसका विनाश हो गए जिसका जन्म हुआ है उसका मरण हो गए इसकी होगी इसलिए मृत्यु के बारे में आप चिंता नहीं करें आपका जो लक्ष्य आपका जो कर्तव्य उस कार्य को करें मृत्यु से डरना नहीं चाहिए आपको कैसा करना चाहिए
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प्रश्न मृत्यु कैसे होती है इसे महसूस करना कैसे लगता होगा आपको यह अनुमान लगा सकते हैं यह बहुत ही वास्तविकता प्रशन है इस सृष्टि में कोई ऐसा प्राणी नहीं है जो इसकी चपेट में एक ना एक दिन ना आए और यही एक ग्रह का सबसे बड़ा कारण बनता है इस समय प्राणी जगत में लेकिन इन सब चीजों से भी ऊपर जो दायित्व और कर्तव्य बनते हैं वह सर्वश्रेष्ठ और स्वरूप रखा जाता है और इस पर जीवन को 94 होने की आदत संयुक्त प्रदर्शन में की जाती है सबमिट पूर्व भाजपा में कई ऐसे होते हैं मृत्यु के आभास करने के दो तरीके हैं एक तो अकस्मात घटना होती है जिसमें शाम को ही नहीं पता होता है कि यह सीधा साल से परे हो जाएंगे अनुष्का बोध नहीं हो पाता है कुछ लोग ऐसे होते हैं जो मृत्यु के बिल्कुल सुनीता से जीवन पुनः प्राप्त करते हैं और और भी ऐसी बीमारियां हैं कई तरह की घटनाएं दुर्घटनाओं के अंदर ऐसी दर्दनाक दशा को देखकर के उत्पीड़न का एक अनुमान लगाया जा सकता है इसके बाद जीवन एक समाप्त हो जाता है तो दर्शन में आया है कि अगर एहसास करते हैं तो कैसा लगता होगा तो इस पत्र के आधार पर एक अपनी अपनी सोच हो सकती है क्योंकि कोई ना कोई अनुभूति के स्तर पर सुविधाओं की फीलिंग कर लेते हैं कि शायद ऐसी ही उत्पीड़न और पीड़ा की वेदना होती तो यह मानसिकता है वह संवेदना ऊपर आधारित है अगर अति सूक्ष्म संवेदनशील अगर संवेदना है तो पूर्वानुमान का भास्कर सकता है क्योंकि छोटी सी एक परी मापन को अगर निर्विकार में उसको सहयोग करा जाए तो अनुमान देता है यह लगता है कि इसकी जॉब उत्पीड़न का झूले वाले को कितना चरम सीमा तक होगा दरअसल इसमें दर्द एक बहुत दुखदाई होता है और इसमें जो प्रयासरत होता है वह भी बहुत संघर्ष में होता है अगर सर यह है कि कुछ लोगों को पता चल जाता है कि अंतिम आसान बन रहा है कईयों को नहीं पता चल पाता है लेकिन जिनको पता चलता है और यह पूर्वाभास भी होता है कुछ प्रक्रियाओं के प्रति मानसिकता भी इस ओर शास्त्री के अनुभूति को देने लगती है कि वास्तव में इसका प्राण का समय हो रहा था पुराना शरीर से विच्छेद होगा तो मुर्दाबाद यारी है तो कि कैसा लगता होगा आपको उधर से जो इन घटनाओं में अगर कोई रखा में रहा है तो वह इस ग्रुप में सूचित को ला सकता है उधर चला अध्यात्म में तो सही इसको जानने की परख करने के लिए एक ध्यान मुद्रा में शवासन अपने और वृत्ति के अंत करण की प्रसुप्त जहां शांति अतीत अवस्था में प्राण को सच्ची तक सामाजिक किया जाता है तो वहां अनुभूति का स्तर बढ़ा रहता और दूसरी बात मैं तो दशा में 1008 नारियां ऐसा शास्त्रों में उल्लेख हुआ है और परिचय मिलता है कि इन यात्रियों के द्वारा जो प्राण का विसर्जन होता है वही जन्म का भी कारण बढ़ता है उनकी गतियां अलग-अलग होती है लेकिन सिर्फ मना पत्र में जो जीवात्मा की गति प्रभावती होम मुक्त की दशा में चलती है यानी मोक्ष को दिलाते हैं मोक्ष का मतलब होता है कि किसी भी पीड़ा दुख मेमो इत्यादि कोई भी ऐसी फिर चांस के अंतिम समय में विघ्न रूप नहीं आ पाती हैं और वह अपनी गति को पहले करता है और उसमें स्वास्थ्य शिक्षा बनी रहती है आम जन संधारण में मिलते हुए एक व्यवहार और एक प्रकार का उसके साथ दुष्कर्म की स्थिति आती है कि ना चाहते हुए या चाहते हुए ऐसी दशा हो रही है अधिकांश कोई भी प्राणी या अंतिम तक नहीं चाहता कि उसका प्राण विसर्जन हो लेकिन होता है क्या है की शुभकामनाएं रहती हैं और हमें आवश्यकता है यह अनुभूति रहती है कि मुझे जिंदा आदमी है जीना तो उसमें बहुत ज्यादा व्यथित प्रक्रिया में जीवात्मा उत्पीड़ित होती है और इस दृश्य की बात है तो जो मनु मूर्छा दशा थी अर्थात मूर्छित हो जाता है तो उसमें उसको कुछ नहीं सब चीज जो मानसिक के चित्तवृत्ति है वह भी लुप्त हो जाती आप चेतन में प्राण संचय प्रणाली से अलग जीवात्मा की सट्टा प्रेरित में रहती है तो यह दशा लोक परलोक वाला दशा आती है जिसमें की याद उसी स्थिति के बारे में सोच नहीं सकता है इस जीवात्मा का क्या हाल हो रहा है लेकिन आध्यात्मिक सीने में यह चीज सफल हो जाती है कि शरीर से भिन्न आत्मा अलग रहता है उसका एक ₹100 और 15 पदों में है वह सब ज्ञान के माध्यम से निवेदन होता है तो उसका प्रस्ताव स्पष्ट होता है तो एक वाक्य मुझे भी आया है प्रतीत होता है कि इंसान में जो आत्मा के अलग सकता होती है और शरीर से भिन्न रहती है और ऐसा मेरे जीवन में भी कुछ घटनाएं घटी हैं जिसमें मुझे अमृततुल्य एहसास हुआ है और इतनी भयंकर रामजी की बल्कि उस दर्द को असहनीय दर्द से निवृत के लिए श्वेता ही मृत्यु की कामना करने के लिए मानव प्रेरित हो जाता है कि बेशक दुख दर्द से हम निजात पाया और चाहे कैसी भी स्थिति आ जाए तो ऐसी स्थिति में भी मृत्यु की महान होता है लेकिन उसमें किसी प्रकार का मन नहीं होता लेकिन अपनी पेड़ों को काटने के लिए समझौते में आ जाता है तो जब सचिन तन और मन भी ग्रुप से और कभी दुर्घटना के कारण ऐसी गंभीर स्थिति आ जाती है वह जीवात्मा बहुत ही ज्यादा व्यतीत होता है और दूसरी जो चीज टाइम आंशिक रूप से जागृत दशा में से कर्म दायित्व होते हैं या अम्मा से संबंधित जन होते उनके प्रति एकदम रुझान आता है यह वास्तविक सत्य है क्यों क्या सीधा साधा हमारे साथ भी हुई थी जिसमें हम डूब रहे थे और उसके अंदर ही हो रहा था कि अब अंतिम समय आ चुका है और कोई वश नहीं चल रहा था इसी वस्ता में और सुबह ही आत्मा में अनुभूति होगी कि बस अब सतत रूप से यही है कि अब खत्म है जीवन तो इतना बड़ा प्रतिभास हुआ और यह क्या कला थी सरकी जो कि हां अपने शरीर से बाहर हो के ऊपर स्थित हो गया और एक ही चरण में अपने घर परिवार का सीन जिला का चुना गया और शरीर किस दिशा में प्रभाव के बह रहा था तो शरीर की प्रति भी महारत है कि शरीर की दुर्गति हो जाएगी उसका कुछ ना कुछ समाधान हो इत्यादि बहुत सारी फिल्में थी तो उस घटनाक्रम के बाद मुझे वापस उसी चीज ना आए और फिर में शरीर में तो उसमें हालात से यही प्रतीत हो रहा था कि आकाश माता गर्भपात हो जाता तो शायद यह प्रीत दशा में ही हमारा विचरण होता है यह सारी चीजें है कि आत्मा दुख शरीर से भिन्न एक ज्ञान है जो प्राप्त होता
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दोस्त आपका क्वेश्चन अमृत कैसी होती है इससे महसूस करना कैसा लगता है या जान लीजिए तो सबको मानी है और जिसको आई हूं बता नहीं पाया कैसी लगती है महसूस नहीं कर पाया महसूस किया उसने कि दूसरे से बता नहीं सकता है और यह जान लें कि अगर प्राण निकलता है ना शरीर से तो बहुत दर्द होता है क्योंकि प्राण ही तो निकलते पांच प्रकार के प्राण होते हैं पांच के उपकरण होते इस 500010 कहां होते हैं पांच प्राण हो गए हैं प्राण अपान समान उदा व्यापार पांच प्रकार के कार्य करते हैं और इसी की पांच प्राण हैं नाग कल देवदत्त धनंजय एस्केप प्लान है तो पात्रा का चूर्ण मिलाकर 10 प्राणी अपने अपने कार्य करते हैं तो सोचने प्राण शरीर को एक साथ छोड़कर जाएंगे और धनंजय प्राण नहीं जाता है क्योंकि धनंजय प्राण लास्ट तक शरीर को डीकंपोज करने के लिए रहता है उसके बाद हो जाता है तो कितना कष्ट होता होगा बहुत दर्द होता तो आशा करते हैं आपके समझ में आ गया होगा और आप अपने अनुभव अवश्य मुझसे शेयर करें धन्यवाद दोस्त
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प्रश्न मृत्यु कैसे होती है चंद्रमा कैसे लगता होगा अब कोई अनुमान लगा सकते हो मुझे कभी एक को सोचने की जरूरत नहीं पड़ी मृत्यु कैसी हो ना क्योंकि मृत्यु के बारे में जीवन है तुम लड़कियों को है एक दिन जाना है जाएंगे सबको जाना चाहेंगे क्योंकि मृत्यु अटल है जीवन है पैदा हो गया उसके लिए मृत्यु और कुछ चीज अटल हो या ना हो लेकिन टिकट के बारे में क्यों परेशान होना कोई भी चले जाएंगे उसने अनुमान लगाकर और बहुत काम है ना इसके सिवा काम करते रहो अपनी जिंदगी को अच्छी तरह जियो सूचना ना पड़ जाए अब आराम से हम जा सके आप आराम से जीवन के बारे में जीवन को सुनाओ
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जब हमारा शरीर वस्त्र बदलता है तो यह वस्त्र क्या अनुमान लगाता होगा इसी तरह जब आत्मा इस शरीर को बदलती है तो क्या अनुमान लगाए हमारे दिमाग में होता जो हमारी आत्मा नया वस्त्र धारण कर लेती है
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मृत्यु कैसे होती है महानुभाव आपने बहुत ही बड़ा सवाल किया क्योंकि यह अनुभव मरने के बाद कोई बता नहीं सकता यह तो योगी बता सकता है या पहुंचे हुए संत बता सकते हैं शास्त्र सम्मत मृत्यु के ऊपर बहुत सारी बातें आई है मृत्यु शरीर की होती है आत्मा अमर आत्मा से परमात्मा का यदि इस मानव शरीर के माध्यम से मिलन हो गया अब तो मृत्यु जैसी कोई चीज है नहीं क्योंकि मृत्यु का मतलब है आत्मा का कपड़े बदलना लेकिन यदि हमने इस मानव शरीर का हिस्सा धन का सदुपयोग नहीं किया और चूक गए तो मृत्यु हमारी कष्ट दाई है क्योंकि आत्मा हमारी रोम रोम में व्याप्त है इस प्रकार से परमात्मा समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त है उसी प्रकार आत्मा हमारे रोम रोम में व्याप्त शास्त्रों का वाक्य है ब्रह्मांड संडे शरीर को पिंड कहा जाता है जो कुछ भी इस ब्रह्मांड में है वह इस शरीर में अज्ञानता बस हम शरीर को ही आत्मा मान बैठे हैं और शरीर की मृत्यु होने को मृत्यु मान बैठे हैं जबकि आत्मा की भी कभी मृत्यु होती नहीं क्योंकि अध्याय 2 में भगवान श्री कृष्ण भगवत गीता में कहते हैं नया नाम छिंदंति शस्त्राणि नैनम दहति पावक आत्मा आत्मा परमात्मा का अंश है शरीर प्रकृति का मृत्यु शरीर की होती है शरीर जिन गुणों से बना है वह गुण वापस प्रकृति में चले जाते हैं आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है तब जब हमने इस शरीर के माध्यम से भगवान को परमात्मा को प्राप्त करने का प्रयास किया और जो भी धर्म के माध्यम से हमें रास्ता दिखाया गया था उसका अनुसरण किया तो परमात्मा की प्राप्ति ही जीवन का उद्देश होता है फिर मृत्यु जैसी चीज नहीं रह जाती मृत्यु तब होती है जब हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं कि आए थे जिस काम के लिए वह काम हम नहीं कर मृत्यु जैसी चीज की बात करना ठीक है लेकिन यदि हमने अपने जीवन में आध्यात्मिक विकास करते करते करते करते साक्षात्कार की स्थिति बना ली है भगवान से मृत्यु जैसी कोई चीज नहीं है इसलिए जहां तक मैंने पढ़ा संतों से सुना शास्त्रों में पढ़ने में मिली मृत्यु आत्मा की कभी नहीं होती और मृत्यु के ऊपर से तो भगवान श्री कृष्ण बहुत कुछ गीता जी में कहा तो मृत्यु किस की मिट्टी शरीर की शरीर नाशवान है जिस दिन से जन्म हुआ उस दिन से हम मृत्यु की तरफ जा रहे निरंतर जा रहे हैं लेकिन हम जन्म लेने के बाद जो करते हैं उन कर्मों का लेखा जोखा चित्र पर आ जाता है और यदि हमारे कर्म अच्छे हैं तो इसी जन्म में मोक्ष संभव है साक्षात्कार हो गया तो भगवान से मोक्ष संभव है और नहीं है तो पुनः फिर जन्म के चक्र में मृत्यु जन्म मृत्यु जन्म मृत्यु निरंतर जब तक हम क्योंकि हर अंश की ओर यात्रा करना कि प्राकृतिक धर्म हर अंशी अंशी और यात्रा कर रहा है उत्तरोत्तर एक जन्म में नहीं कर पाए फिर पुनर्जन्म कर्मों के कारण मिलेगा फिर वहां से थोड़ी उत्तरोत्तर वृद्धि करते-करते कई जन्म लग जाते हैं भगवान के पास पहुंचते-पहुंचते तब जाकर मोक्ष मिलता है लेकिन अगर इसके लिए किसी अच्छे संत सदगुरुदेव का मिलना हो जाए तो वह हमें बहुत जल्दी भवसागर से पार करा देते हैं अनुष्का अंशी की तरफ जाना यह प्रकृति का सिद्धांत जैसे अग्नि अगर आप पृथ्वी पर चलाएं अग्नि की जो लगते हैं ऊपर को ढूंढती हैं क्यों क्योंकि उसका जो अंशी है वह ऊपर है सूर्य अग्नि का जो तत्व सूट ऊपर इसलिए उसकी यात्रा ऊपर की तरफ पानी को कहीं भी डाले वह नीचे की ओर जाता है क्यों क्योंकि पानी का जो अंशी है पाताल नीचे की तरफ जाता है ऐसे ही आप पृथ्वी पर मिट्टी है उसको आकाश में उठाएं लेकिन नीचे की तरफ क्यों क्योंकि पृथ्वी उसका अंशी है तो अनुष्का अलसी की यात्रा करना स्वाभाविक है उसी प्रकार से हम भी परमात्मा का अंश है आत्मा है आत्मा की यात्रा परमात्मा की तरफ निरंतर चल रही है अब उसमें कितने जन्म लग जाए कितनी मृत्यु को देखना पड़े कितने जनों को देखना पड़ेगी यह हमारी अपनी क्रिया कर्म सत्संग धर्म इन सब बातों पर बड़ा मैप इन सब बातों को बड़ा निर्भर करता है इसलिए मृत्यु जैसी कोई चीज नहीं है यदि आपने इस शरीर का हिस्सा धन का सदुपयोग कर लिया कोई सतगुरूस किसी संत ने कृपा कर दी तो मैं तो जैसी चीज को छोटी नहीं बस्ती तो शरीर की होती है यह नाशवान है यह तो जिस दिन जन्म होता उसी दिन से ना सोने की यात्रा पर चल पड़ता है अतः मृत्यु जो है सनातन धर्म सिर्फ शरीर की मानी गई है आत्मा अमर है धन्यवाद
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मित्र आपने पूछा मृत्यु कैसे होती है इसे महसूस करना कैसे लगता होगा आपको हनुमान आ सकते हैं तो देखें मित्र सही अनुमान तो मृत्यु होने के पश्चात इंसान बताई नहीं सकता लेकिन एक आंकड़ा जरूर लगाया जा सकता है वहां कराया से है कि मृत्यु एक ऐसी सबसे पहले तथ्यों की ऐसी सच्चाई है जो हर किसी को आती है और इंसान पुराने से नया नए से पुराना होता है दूसरी बात जब इंसान पैदा होता है तो उसे शरीफ से बहुत सारा मुंह होता है बहुत सारा प्रेम होता है और वह प्रेम के साथ अपने जीवन को जीता चला जाता है जीते चला जाता है अपनी लाइफ को अच्छी तरीका है लेकिन जैसे इंसान अपनी बाल्यावस्था से रास्ता जवानी बुढ़ापे की तरह धीरे-धीरे जाता है तो उसके हर पाठ हर अंग दुर्बल होते जाते हैं दुर्बल होते जाते हैं और अंत में जब अपनी व्यवस्था पूरी कर लेता है जितना प्रकृति ने या विधाता ने आती है एक लड़की 11 साल या उससे ज्यादा तो वहां तक पहुंच जाता है या इससे कम ज्यादा आज के हिसाब से तो पहुंचने के बाद उसके हर पाठ काम करना कम कर देते हैं जैसे आंखों का दिखाई न देना हृदय की गति भाग चालू हो जाना पैरों पर सूजन आ जाना चाल में कमी आ जाना चलना पाना खाना ना खा पाना शरीर में दर्द रहना तो यह सारे जो लक्षण हैं इन लक्षणों से इंसान महसूस करता है कि इससे तो अच्छा मृत्यु आ जाए तो मैं इन सारी चीजों से मुक्त हो जाओ इसीलिए वह मृत्यु रानी है ना कि कोई खराब तो उसमें मृत्यु हो जाती है तो वह नया जीवन प्राप्त करता है और उस चीज को अगर आप अपने दिमाग को यहां से वहां तक ले जाएंगे आप इसको चीज महसूस करेंगे तुम्हें क्यों कैसी होती है क्योंकि एक न एक दिन यह उसका सभी को आनी है जब आप खुद सोच लेंगे अपने ऊपर लेंगे चीज को तो आप इसका ज्ञान खुद ही महसूस करेंगे धन्यवाद
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इसका अनुमान नहीं लगाया जा सका की मृत्यु के बाद कोई आदमी सोच नहीं सकता और उसके बारे में भी हम क्या सोचते हैं तो मृत्यु को महसूस क्यों करना चाहते हैं हां कई बार लगता है कैसे हम मरने जा रहे हैं वह ताकि महसूस करा मरते-मरते बचे तब लगता है कि जैसे एक बात चली है थे तब मिर्ची में स्वाद मिलता है और मृत्यु को चेक सकता तब मृत्यु का वास होता है
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आपका सवाल है मृत्यु कैसी होती है इसे महसूस करना कैसे लगता है आप कोई अनुमान लगा सकते बेशक यह हकीकत है मैं बता रहा हूं मौत कैसे इस तरीके से एक कांटेदार झाड़ी पर एक रेशम का कपड़ा डाल देना और फिर उस कपडे को खींच लेना और उसमें उसके तारों से उसके जाए तो इस तरीके से मौत मौत का मजा कैसा जैसे कि एक पिंजड़े में एक पंछी को कैद कर देना अब चारों तरफ से आग लगा देना बुक पिंजड़ा अंदर पंछी अंदर के अंदर और अजीत संकेत महसूस करो कैसा लगता हुआ आपके बीच में खड़ा हो जाए और लव कुश की मौत का मंजर बकरी की खाल खींचना हो इंसान जिंदा हो हाथ में चोट लग जाए तो इतना दर्द होता है अगर कोई बस वैसा ही होता है जब मौत का मजा जिसे बोलते हैं का एहसास करना महसूस करना इस तरीके से मौत होती है
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मृत्यु थी उस तरह की होती है या उत्तर का अनुभूति प्राप्त करते हैं जिस तरह फटे हुए कपड़े को चेंज करने कपड़े का धारण करते हैं नृत्य होता ही नहीं है किसी का कोई नहीं मरता है सिर्फ शरीर चेंज हो जाता है क्योंकि आत्मा तो अजर अमर है आत्मा कभी मरती नहीं है इसलिए इस बात को आप ब्लॉक से निकाल दें कि हम मरते हैं मरते नहीं हैं सिर्फ शरीर चेंज कर यहां से निकलते कहीं और चले जाते हैं यही है धार्मिक के अनुसार धर्म के अनुसार सोचेंगे आप तो यही होगा वैसे मृत्यु के बाद ही मोक्ष मिलता है अगर मृत्यु होता है तू के बाद ही मोक्ष मिलता है और हमारे सारे कर्मों का हिसाब किताब होने के बाद पुनः साहब रिपोर्ट भेजते हैं कि हमारे ऊपर इतना क्यों है या हमारा इतना बैलेंस है उसी अनुसार दोबारा हमारा पोस्टिंग जी धन्यवाद
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मौत कपल को महसूस करना देखिए आम बात नहीं है कोई सी कल्पना तक नहीं कर सकता लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो मौत के मुंह से वापस आ चुके हैं और इन सब को अनुभव को शेयर करते हैं तुम्हारी ऐसी कोई एक दो आदमी से मतलब उन्होंने अपना व्यक्त किए हैं देखिए कई लोगों को इतना सुकून लगता है कि आप सोच नहीं सकते क्योंकि वह लोग होते हैं यह जो अच्छे कर्म किए रहते हैं अच्छे कर्म करने के करने के बाद करने के पश्चात यदि किसी को मौत आती है या फिर मौत का जो महसूस होता है वह बहुत ही सुंदर होता है बहुत अच्छा होता है लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जिनको मौत बहुत डर रहता है बहुत ही खराब लगता है मौका महसूस करना चाहते हैं जिनका करना अच्छा नहीं है यही तो बात है आज तक मैंने सिखा दो तीन लोगों से मिलकर उन्होंने यही बातें शेयर की यही बातें आपके ऊपर डिपेंड करता है महसूस करना है आप अच्छे कर्म कीजिए अच्छा महसूस होगा अब गलत काम करेंगे तो वह तो आप समझ रहा है क्या
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मृत्यु कैसे होती है यह तो आज तक हमारी वैज्ञानिक भी पद्धति में नहीं लगा सके लेकिन हम धर्म के आधार पर चले तो कुछ मिनट पहले व्यक्ति को महसूस से अनुभव होता है कि उसने अपने जीवन में क्या किया है क्या अनर्थ क्या है क्या धर्म किया है इत्यादि बातों पर ध्यान देकर कुछ समय पहले उसको महसूस किया दो या तीन पहली महसूस हो सकता है कि वह इस दुनिया से विदा लेने वाला है अर्थात उसके आगे संपूर्ण अपने कर्म का चक्र को मिलता है तब व्यक्ति को महसूस हो जाओ सकता है कि उसके अकाल मृत्यु नजदीक है तभी मृत्यु होती है तथा आपने हमें अपने जीवन में हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए ताकि हमें स्वर्ग प्राप्ति होती है लेकिन
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बच्चे तो मरने वाले कोई पता होगा लेकिन जो आंखों से देखा जाता जब कोई मृत्यु होती है तो मैंने देखा था अपनी आंखों से मेरे बड़े दादा जी थे उनकी रहती थी मेरे सामने तो मैंने देखा कि उनकी जो आवाज थी वह चली गई थी वह एक गूंगे की तरह लिख रहे थे मगर उनकी आवाज नहीं आ रही थी और पैर को पटक रहे थे बहुत तेज तेज मतलब मेरे अनुसार यह है कि उनके अंदर से किचन जैसे हमारे जमालो हमारे का कोई चोट लगी है और उससे से पट्टी लगा देते हो जा मुझसे चिपक जाए और हम उसे खींचते हैं ना उस तरह से मुझे लगा कि उनके अंदर जो पैरों से उनके प्राण जो थे ना जो एक हमारे अंदर जो इस तरीके से प्राणी होते हमारे पूरे शरीर में एक जान है उस तरीके से वह खींच रहा होगा जैसे हमारे गांव में पट्टी चिपक जाए और कोई खींचे तो कितना दर्द होता है हमारे उसी तरह मेरे अनुसार की प्राण भी सेम उसी तरह से कहते हैं जिस तरह से हमारी की पट्टी की की जाती है यह अनुमान लगाकर मैंने सोचा है
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हां जी आप का सवाल है मृत्यु कैसी होती है इससे महसूस कैसे करना कैसा लगता है बिल्कुल सलमान लगा सकते कि हम कैसे गुजर चुके हैं मेरे साथ एक्सीडेंट हो गया था और मुझे ऐसा लग रहा था ना कि हम अब जी नहीं पाएंगे मेरे पास आएगी मतलब बहुत ज्यादा चक्कर आ रहा था और जब अंधेरा साथ ही रो रहा था ना किसी की आवाज सुनाई दे रही थी ना कुछ समझ में आ रहा था वह क्या बोल रहा था कुछ समझ में नहीं आ रहा था बस इतना ही था कि बस चक्कर ऐसा फील हो रहा था चक्कर आ रहा है मुझे ऐसा लग रहा था कि मर जाएंगे कर बच गए तुम मुझे लगता है कि मौत सर ऐसे ही आती होगी सभी मित्र सादर ऐसी होती होगी जब हम की डेथ होने वाली होती होगी तो सबको ऐसे ही फील होता होगा की तरफ अंधेरा हो गया और उन्हें कुछ ना सुनाई दे रहा है और दिखाई बहुत धुंधला देता है सुंदर दिखाई दे रहा है और बस एक ही मन करता है कि बस वह मतलब लेट जाएं लेटने का मन करता है और कुछ रेस्ट करो सुधर जाओ बस मतलब कोई भी आना आपको हिला रहा है कोठारा को उठने का मन नहीं करेगा उसे एक बस लेट जाओ और बस जो आपका बॉडी जो भी चाह रहे हो हो जाने दो मैं कभी आने के लिए बॉडी रेस्ट करना चाहिए बॉडी सोना चाहिए तुझको सोने दो बस यही वह इच्छा करता है टाइम
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