चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
हेलो फ्रेंड जैसा कि आपका क्वेश्चन है न्यायिक पुनरावलोकन की पूर्व सर क्या होती है तो न्यायिक पुनरावलोकन न्याय व्यवस्था से संबंधित रखता है न्यायिक पुनरावलोकन का सिद्धांत हमने अमेरिका की न्याय व्यवस्था से लिया भारत में पहले न्यायिक पुनरावलोकन जैसी व्यवस्था नहीं थी आपको पता है न्याय प्राप्त करने का एक प्रोसेस होता है सबसे पहले एंपायर के बाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में केस जाता है डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के डिसीजन से अलार्म सेट इस्पाई संतुष्ट नहीं होते हैं तो फिर हाईकोर्ट जाते हैं अगर हाई कोर्ट के डिसीजन से अनसेटिस्फाई जाने संतुष्ट नहीं होते हैं तो फिर हम सुप्रीम कोर्ट जाते हैं फिर अगर सुप्रीम कोर्ट के डिसीजन से भी हम सेटिस्फाइंग नहीं होते हैं तो कई बार गलतियां सुप्रीम कोर्ट से भी हो सकती हैं इसीलिए उस डिसीजन को एक बार दोबारा पुनरावलोकन करने की बात न्याय लाइट प्रॉब्लम पद्धति में की गई है यह हमने अमेरिका से लिया है बट स्थित पूर्व शर्त यही है कि आप सुप्रीम कोर्ट के डिसीजन से 375 नहीं होगे या हाई कोर्ट के डिसीजन टो सेटिस्फाई नहीं होते पूरी तरह से तो ही न्यायिक पुनरावलोकन की सूट पर लागू होती है
hello friend jaisa ki aapka question hai nyayik punravalokan ki purv sir kya hoti hai toh nyayik punravalokan nyay vyavastha se sambandhit rakhta hai nyayik punravalokan ka siddhant humne america ki nyay vyavastha se liya bharat me pehle nyayik punravalokan jaisi vyavastha nahi thi aapko pata hai nyay prapt karne ka ek process hota hai sabse pehle Empire ke baad district court me case jata hai district court ke decision se alarm set ispai santusht nahi hote hain toh phir highcourt jaate hain agar high court ke decision se anasetisfai jaane santusht nahi hote hain toh phir hum supreme court jaate hain phir agar supreme court ke decision se bhi hum setisfaing nahi hote hain toh kai baar galtiya supreme court se bhi ho sakti hain isliye us decision ko ek baar dobara punravalokan karne ki baat nyay light problem paddhatee me ki gayi hai yah humne america se liya hai but sthit purv sart yahi hai ki aap supreme court ke decision se 375 nahi hoge ya high court ke decision toe satisfy nahi hote puri tarah se toh hi nyayik punravalokan ki suit par laagu hoti hai
हेलो फ्रेंड जैसा कि आपका क्वेश्चन है न्यायिक पुनरावलोकन की पूर्व सर क्या होती है तो न्यायि
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न्यायिक पुनरावलोकन की पूर्व शर्त क्या होती है?...
Arvind rawat
Teacher And Youtuber
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
हेलो फ्रेंड जैसा कि आपका क्वेश्चन है न्यायिक पुनरावलोकन की पूर्व सर क्या होती है तो न्यायिक पुनरावलोकन न्याय व्यवस्था से संबंधित रखता है न्यायिक पुनरावलोकन का सिद्धांत हमने अमेरिका की न्याय व्यवस्था से लिया भारत में पहले न्यायिक पुनरावलोकन जैसी व्यवस्था नहीं थी आपको पता है न्याय प्राप्त करने का एक प्रोसेस होता है सबसे पहले एंपायर के बाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में केस जाता है डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के डिसीजन से अलार्म सेट इस्पाई संतुष्ट नहीं होते हैं तो फिर हाईकोर्ट जाते हैं अगर हाई कोर्ट के डिसीजन से अनसेटिस्फाई जाने संतुष्ट नहीं होते हैं तो फिर हम सुप्रीम कोर्ट जाते हैं फिर अगर सुप्रीम कोर्ट के डिसीजन से भी हम सेटिस्फाइंग नहीं होते हैं तो कई बार गलतियां सुप्रीम कोर्ट से भी हो सकती हैं इसीलिए उस डिसीजन को एक बार दोबारा पुनरावलोकन करने की बात न्याय लाइट प्रॉब्लम पद्धति में की गई है यह हमने अमेरिका से लिया है बट स्थित पूर्व शर्त यही है कि आप सुप्रीम कोर्ट के डिसीजन से 375 नहीं होगे या हाई कोर्ट के डिसीजन टो सेटिस्फाई नहीं होते पूरी तरह से तो ही न्यायिक पुनरावलोकन की सूट पर लागू होती है