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जय माता दी मनीष जी हमारे जैसे लोगों से मिले तो कहीं ना कहीं ना कहीं न कहीं फाइनल करूंगा कि हां हम लोगों की अगर चेंज हो जाएगी और समाज को अपनी सिस्टर को या अपने फ्रेंड्स को करने के लिए मना करते हैं ना वह लोग क्या कहेंगे भी नहीं कहूंगा कि हर चीज में आपको समाज को छोड़कर करना चाहिए या समाज से बिल्कुल विपरीत चलना चाहिए समाज देखनी चाहिए परंतु कुछ ऐसी चीजें हैं जो लेडी जो के लिए पावरफुल चीजें हैं और जो वह कर सकती है और कुछ चीजें हैं जो जो है क्या नाम उन्हें करने नहीं की जा सकती बहुत चाहे वह लड़का हो लड़की हो कोई भी वॉइस राइज अट हर्मनसन की स्वतंत्रता है उसको हम अधिकारी ग्रुप पर अपने अकॉर्डिंग नहीं चला सकते पर यह गलत है बाहर एक जैसे हमारी एक इच्छा होती कि हमारी वाइफ हमारे अकॉर्डिंग काम करें और हमें लगता है वह नहीं कर रही तो कहीं ना कहीं इच्छा होती कि मेरा हस्बैंड हमारे हम ही से हमारे साथ रहें हम इसे सारी चीजें शेयर कर लेकिन हम नहीं करते ना तो हर एक व्यक्ति की एक पर्सनल चीजें होती हैं और हम उन्हें अपने अकॉर्डिंग चलाने की कोशिश करते गलत चीजें क्योंकि और एक चीज क्योंकि स्त्री को कहीं ना कहीं एक बलिदान का कारक माना गया है हर चीज एक्सपेक्ट करेगी वहीं वहीं हर चीजों में सक्रिय फाइल्स करें हमें खुद से चेंज जलाने चाहिए और कुछ चीजों में उनकी हेल्प करनी चाहिए बहुत सी ऐसी लेडीस है मैंने अभी कुछ दिन पहले एक हमारे बहुत अच्छे मित्र हैं रुकिया मदर है जो बहुत अच्छी आर्ट जानती थी बट उनके बच्चे हो गए हो सारे चीजों के फैमिली पैसा था इसलिए वह बहुत कुछ नहीं कर पाई और आज उन्होंने पिक्चर सेंड किया हमला शेयर की थी फेसबुक पर मेरी मां ने बहुत सालों सालों पहले ऐसी चीजें बनाई थी पहले क्यों तब परिवार के चलते हम वह सके हम क्यों नहीं तो यह चीजें सोचनीय है और हम कहते हैं हर व्यक्ति को अपने में जलाने चाहिए और समाज के बारे में सोचना चाहिए जो सत्य है और जो सही है वह चीजें हमें करनी चाहिए बाकी सारी चाहिए ठीक है समाज लेकर भी चलना चाहिए और कई समाज को छोड़कर भी कुछ कदम उठाने चाहिए ताकि हम कुछ नया और अच्छा कर सके वह समाज के हित में हेतु धन्यवाद
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नमस्कार आपका प्रश्न है समाज ऐसा क्यों सोचता है कि औरतें कमजोर है या उन्हें दबा कर रखा जा सकता है समाज का ऐसा सोचना कोई महत्व नहीं रखता क्योंकि औरतों जैसा सशक्त व्यक्तित्व पुरुषों के पास नहीं है वह अनेक रूपों में हमें स्नेह प्रेम वात्सल्य प्रदान करती हैं और इसके साथ हर समस्या में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती हैं उन्हें अपना व्यक्तित्व साबित करने के लिए किसी सत्य की आवश्यकता या प्रमाण की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे से आगे बढ़कर अपने व्यक्तित्व को प्रस्तुत कर चुकी हैं इसलिए उन्हें कमजोर या छोटा समझने वाले लोग अपनी सोच को बदलें और आगे बढ़े धन्यवाद आपका दिन शुभ हो
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जो भी अगर यह सोचता है कि औरत कमजोर होती है या उसे दबा कर रखा जा सकता है या रखना चाहिए वह बिल्कुल ही गलत सोच है पहली बात तो औरत कमजोर होती नहीं है औरत जिद्दी मेंटली स्ट्रांग है उतने तो पुरुष भी नहीं है अगर स्ट्रांग में देखी जाए जब भी कोई दो बच्चे पैदा होते हैं जुड़वा लड़का और लड़की हमें क्या डॉक्टर बोलते हैं कि अगर बहुत क्रिटिकल कंडीशन में हो वह दोनों हमेशा लड़की सरवाइव करती है लड़की की डेट होती हैं इसलिए ऊर्जा शक्ति जो होती है वह लड़कियों में ही ज्यादा होती है पावर मेंटल पावर भी लड़कियों में ज्यादा होती है पुरुष में बस फिजिकल पावर होती है फिजिकली अगर लड़की को लड़के से लड़ाई लड़ेगी करती है और कोई शंकर बड़ी से आजकल भारतवर्ष में हड़बड़ी क्वेश्चन पर लड़कियां वाला रही हैं जितने भी रिजल्ट आते हैं चाय वाय एस ऑफिसर के हो चाहे वह मैट्रिक के हाई सेकेंडरी का पेपर में देख लो लड़कियों की कितनी तादाद बढ़ रही है हर जगह ऊंची पोस्ट पर लड़कियां पोस्ट पर आ रही है इससे यह जाहिर होता है कि लड़कियां कितनी आगे निकल रहे हैं तो उन्हें अब पुराना जमाना नहीं है क्या वह आप उसको एक कमरे में बंद करके रख दोगे दबा कर रख दोगे उसे हर तरीके से उपयोग करोगे उसका और उस पर अत्याचार करोगे वह जमाना नहीं रहा है बहुत हद तक वह चीज खत्म हो गई है पर यह नहीं कहूंगी कि वह अभी भी पुणे तो खत्म हो गई है अभी भी है कई लोग जो इस तरीके से अत्याचार महिलाओं पर करते हैं वह एक्शन में पुरुष है ही नहीं जो इस तरीके से एक स्त्री को दबा कर रखते हैं क्योंकि वह भी एक इंसान कोई जानवर नहीं है जिसको खूंटे से बांधकर रख दिया जाए तो यह बिल्कुल भी नहीं है बहुत पर बनाया है परिवर्तन की आवश्यकता है समाज में
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मेरे ख्याल से समाज को औरतों के प्रति जो एक हाल है वह सिर्फ इन वह ऐसी नहीं बनाई दिन में ही बना वह बहुत ही पुराने आलू भर के हजारों साल के ऊपर कई विचार है एक जो कारण है वह यह है कि शारीरिक रूप से औरतें और जो बोला छोटू की जो हमसे कहते हैं जो उनका वेट होता है जो उनकी झूमर पागल होती है वह मर्दों से कमजोर जरूर होती है तो इसीलिए ऐसा लगता है दूसरी बात है जो उनका जो सामाजिक रूल जनरल रूल्स इसे कहते हैं तो समाज में जो औरतों का जोर के प्रति जो नजरिया है वह यही है कामकाज करने का कोई भी नहीं बनाया हमारे हिंदुस्तान में नहीं है वह कैसा है दुनिया भर में उतारा है पर अभी सोच में भी परिवर्तन आ रहा है और घर परिवार के अलावा उनका निकलती जून के अंदर कौन है वह बाहर आ रहे हैं समाज को दिखाई दे रहे हैं आर्मी के अंदर पायलट बन रही है लेखक बन गए हैं और टेक्नोलॉजी ने विकास हो रहा है सूत्रों में हो चुका है तो दिखाई दे रहा है तो मेरे ख्याल से अभी बना रहा है
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जिस समय की बात है सा समाज है जिस घर के रहन-सहन है उसको देख लेना चाहिए और जाना चाहिए अथवा नहीं जाना चाहिए देखना चाहिए डिटेल
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आपका प्रश्न है समाज ऐसा क्यों सोचता है कि औरत औरत कमजोर है या उसे दबा कर रखा जा सकता है यह समाज की नेगेटिविटी है यह समाज की बहुत कम लेवल की है और कुछ समाज की सोच बहुत हाई लेवल की है जो औरतों को मान सम्मान इज्जत आदर देते हैं और कुछ समाज औरतों को मान सम्मान इज्जत आदर नहीं देते फिर बोलो क्या करते हो और चलो वहीं समाज का त्याग कर देते वही समाज को छोड़ देते हैं और वह अपने तरीके से अपनी जिंदगी आगे अच्छे से बढ़ाते और सफलता प्राप्त करते हैं आपका दिन शुभ हो धन्यवाद गुड लक फॉर लाइफ
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यह एक बहुत लंबा हमारा इतिहास है अगर आप बहुत पुराने समय की तरह वापस जाओगे तो थोड़ा सा महिलाओं को यहां दबाने का मतलब नहीं होता है यहां पर हमारा मानना थोड़ा समझ कर फिर जो कि जो महिलाएं होती है उनकी रक्षा करने के लिए पुरुष हमेशा आगे होना चाहिए और पुरुषों के अंदर यह अभिमान होता है या गरम होता है कि वह महिलाओं की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं तो ऐसा सोच कर के महिला को लगता है कि पुरुषों ने दबा रहे और पुरुषों को लगता है कि हम उनकी रक्षा करने के लिए ऐसे कदम उठा रहे हैं धन्यवाद अधिक जानकारी के लिए आप हमसे पुणे जुड़िए
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यह सोच बहुत पहले ही प्राचीन काल की सोच थी अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है आप किसी भी क्षेत्र में उठाकर देख लीजिए क्रिकेट हो खेल हो या ऑफिसर बनने में हो या किसी पढ़ाई में हो स्क्रीन की औरतें किसी से भी कमजोर नहीं है ना उनको दबाकर रखा जा सकता है कर दबा कर रखा जाता तो ना अभी साइना नेहवाल होती ना पीवी सिंधु होती ना स्मृति मंधाना होती ना शेफाली होती नहीं हरप्रीत कौर होती ना मिताली राज होती और भी ऐसी बहुत सारी लेडीस है जिन्होंने हर क्षेत्र में आप सफलता प्राप्त की है तो अब समाज अगर ऐसा सोचता है तो बहुत ही गलत सोचता है परेश उनकी सोच से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता के बरतिया लेडी अब ऊपर आकर मर्दों से ज्यादा अच्छा काम कर रही हैं धन्यवाद
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समाज ऐसा क्यों सोचता है कि औरत कमजोर है उसे दबा कर उसके पीछे बहुत ही कारण बड़ा भगवान ने जो औरतों को रूप से फिजिकल रूप से थोड़ा कम शक्तिमान बनाया मानसिक रूप से ज्यादा शक्तिमान है लेकिन सारे कुत्ते थोड़ा कम शक्तिमान बनाया और पहले के जमाने में होता क्या था कि पुरुष धन कमाते से और महिलाएं कर चलाता माने वाले का ज्यादा महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका जाता था दहेज प्रथा और सती प्रथा विधवा पुनर्विवाह ना होना यह सब महिलाओं के प्रति अन्याय अब आज के समय में शहरों में ओपन से कम हो ही रहा है और कुछ कुछ कहा है कि महिलाओं के लिए शिक्षण होता गया जैसे-जैसे लिटरेसी बड़ी महिलाओं में जागृति बड़ी अपने हक को लेने के लिए वह जागृत है और अब वह पुरुष से समुद्री यानी कि पुरुष के समान हक मांग रही हैं जो कि उनका हक है लेकिन सोचने वाली बात यह है कि महिलाएं हैं यह सोचती है कि वह पुरुष के समान है जबकि उनकी सोच गलत है गलत क्यों है गलत इस मायने में है मेरे ख्याल से मेरे विचार से महिलाएं पुरुषों से ज्यादा महान होती m.a. की महिलाएं वहीं पुरुष को जन्म दात्री जिस जाति को पैदा करने वाली खुद महिला हो तो वह पुरुष कैसे उनसे समान हो सकते हैं वह तुमसे एक कदम पीछे हुए ना इसलिए महिलाओं को एक कदम आगे स्थान मिलना चाहिए जिसमें महिलाओं को सम्मान मिलता है जिस घर में महिलाओं को सम्मान मिलता और उनके महत्व को स्वीकार किया जाता है वहां पर सब कुछ शुभ और लाभ होता है इसलिए समय बदलता है बदल रहा है तेजी से और समय के साथ साथ सभी लोगों को अपने विचार में परिवर्तन अवश्यंभावी करना ही चाहिए धन्यवाद
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समझ ऐसा क्यों सोचता है कि औरत कमजोर है और दबाकर रखा जा सकता है इसका कारण यही है कि औरत नहीं यह परमिशन दी है मुर्दों को पहले ही दिन जब औरत को दबाने की कोशिश करता है उस समय वह असर्टिव रहकर अगर उनका विरोध करती है कि मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है कोई मेरे साथ ही इस प्रकार का व्यवहार करें तो वह शुरू से ही बंद हम कर सकते हैं सामने वाले व्यक्ति को हमारे साथ कैसा व्यवहार करना वह हम ही तय करते हैं मैं तेरी जगह पर देखता हूं तो औरत बहुत सेल्फ डिपेंडेंट ली अपने आप को भी अच्छी तरह से खुश रखती हुई अपने मन को भी खुश रखते हुए परिवार को भी खुश रखती हुई और किसी से भी दबाती नहीं हुई रह सकती है लेकिन उसके लिए महिला को ही स्वयं प्रयत्न करना होगा अपने आप को पीपर करना होगा और किसी भी भी लिया और एक बात को पहले दिन से ही नहीं चलाना होगा तो ही आप अच्छी तरह से जी सकते हैं
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आपका सवाल है समाज ऐसा क्यों सोचता है कि औरत कमजोर है या उसे दबा कर रखा जा सकता है जी अभी जमाना बहुत कुछ बदल चुका है अभी ऐसा कुछ नहीं है जो यह जो था यह जो पहले होता था अभी तो मैं खुद अच्छे क्वालिफिकेशन और डिग्रियां प्राप्त कर रही है अच्छे जॉब पर है अच्छे पोस्ट पर है तो ऐसा इस जमाने में तो मतलब ऐसी चीजें देखने को नहीं मिलती है यह जिन जिन जिन के सोचते हैं ऐसा कोई व्यक्ति नहीं करते बस एक काय सिर्फ आपने मन स्थिति का आवास
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समाज में हर लोग एक दूसरे को दबाकर रखना चाहते हैं तो औरत एक सॉफ्ट दिल का होता है एक अच्छे जगत में औरत शॉपिंग होते हैं सब किसी बात के लिए अगर उसे हटा दो तो वह जल्दी डर जाते हैं तो कोई भी किसी को डराता है कि यह कोई जैसे कि कोई डॉगी को इंगले लो अगर आप उससे डर रहे हो तो वह आप को डराता चला जाता है तेरा तो चला जाता है बिल्कुल उसी तरह अगर दूसरे इंसान से डर जाओ तो आप को डराता है और आप कुछ करोगे नहीं तो आप को कमजोर ही समझता है बिल्कुल उसी तरह लेडीस से भी होते लेडीस थोड़ी समझदार होते हैं जिन से ज्यादा और उनका दिल बहुत साफ होता है और बातों को वह समझते हैं अगर आप उसे डांट रखी से बात के लिए तो वह जल जवाब नहीं देती है इस वजह से वह लोग समझते हैं कि यह कमजोर है डरती है वजह से दबा के रखते हैं उसे सोचते हो वह कमजोर लकी ऐसा नहीं होता है लेडीस माहौल को शांत रखने में सहायता करते हैं हजार उत्तर लेडीस होती है कुछ ऐसे होते हैं अगर लेडीस ना डरते हो तो वहां पर हमेशा झगड़ा लड़ाई होता है आप पैसे किसी करने देखते होंगे कि दोनों जेंस और लेडीस में रोज झगड़ा वाला लेडीस में ऐसा नहीं कट रही इस वजह से
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मैं इस बात को नहीं मानता हां यह जरूर है कि समाज में बहुत सारी चीजें हैं जो बहुत सोचने पर विवश कर देती है किसी को कि किसी के लिए भी लेकिन अगर कमजोरी की बातें कैसे ताकतवर कौन है जैसे आदमी को कुछ उठाने के लिए दौड़ने के लिए खाने के लिए चलने के लिए शक्ति की जरूरत होती है वैसे ही नारी है औरत कमजोर कैसे हो सकती है वह तो पुरुष को शक्ति देने वाली है और जो शुरुआत हो सकती का वह कमजोर कैसे हो सकता है बिल्कुल नहीं और उसे रही बात दबा कर रखने की तो दबा कर नहीं रखा जाता और अगर ऐसा कोई करता है तो यह उसकी सबसे बड़ी मूर्खता है और ऐसा करो सोचता है तो यह भी सबसे बड़ी भूल गई जाएगी क्योंकि कोई औरत को दबा कर सकता है इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि औरत जननी है धरा है हम लोग धरती पर चलते हैं धरती को कितना कष्ट देते हैं लेकिन इस बात को बिल्कुल नहीं भूलना चाहिए जब आदमी करती नहीं और उसकी युवावस्था खत्म होती है तो वही इंसान धरती की तरफ झुक जाता है जब वह चल रहा होता है तो अपने सीने को चौड़ा करता है और आलू से जमीन को दबा दबा था वह चलता है उसको लगता है कि मतलब धरती दबाके चलूंगा तो धरती जो जननी है जननी जो एक औरत है और उसके ऊपर पुरुष चाहे किसी भी तरीके से यह समझे कि वह कमजोर है बिल्कुल भी नहीं है औरत जो है वह जननी है और जनानी बहुत ताकतवर है क्योंकि वह शक्ति प्रदान करने वाली है शक्ति देने वाली है व्यवस्था में वही मनुष्य धरती की तरफ झुक जाता है और उसको एक डंडा भी चाहिए होता है चलने के लिए प्रिय अपनी-अपनी सोच है सोच को बदलने की जरूरत है महिला कोई भी कमजोर नहीं है और ना ही उसको दबाकर रखा जा सकता है हां यह जरूर है कि हमको से सीखा जा सकता है त्याग समर्पण प्यार स्नेह
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क्या क्वेश्चन है क्या हालत कमजोर है या फिर उसे कमजोर बना दिया गया तो बिल्कुल जो है औरत है जो बिल्कुल कमजोर नहीं होती है ऐसे सरस कोमल होती है नाजुक होती है कमजोर नहीं होते क्योंकि पूरे घर को संभाल के रखने की जो जिम्मेदारी है वह औरत पर ही होती है वह को बहुत बखूबी निभाती भी है तुलसी ने जो है औरत किसी भी मामले में मर्दों से पीछे नहीं है या कम नहीं है भले ही वह एंप्लॉयमेंट की बात करें या भले वह कंधे से कंधा मिलाने मिलाकर चलने की बात करें
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समाज ऐसा क्यों सोचते हैं कि औरत कमजोर है और उसे दबा कर रखा जा सकते देखिए औरत बहुत ही कोमल स्वभाव की होती है सबकी बात नहीं है पर आपके पर्सन स्त्रियां कुमारी होती है सुबह में और वह कमजोर कभी नहीं होती है वह सब अपने परिवार की वजह से अपनी ताकत नहीं दिखाती है वह हर एक चीज को संभाल कर रखना चाहती है वह चुप हो जाती है क्योंकि कुछ रिश्ते चुप है तो रिश्ते हैं कुछ रिश्ते हैं तो चुप हैं इसलिए औरत कभी कमजोर नहीं होती औरत अगर कमजोर होती तो बच्चा पैदा करने की जिम्मेदारी एक बाप को मिलती मार्कोनी बच्चा पैदा करना कोई मामूली बात नहीं है और उसको भगवान ने आशीर्वाद के रूप पर औरत को ही दिया है और सब कुछ सेंड करती है यह उसकी ता पति कमजोरी में और जो यह समझते हैं औरत कमजोर है लड़कियां कमजोर है उनकी बहुत छोटी सोच है बहुत छोटी सोच है इसे महाभारत में पांडवों के सामने स्त्री को निर्वस्त्र किया जा रहा था और स्त्री सबके सामने मदद मांग रहे थे कोई मदद नहीं करा था वह कमजोर नहीं थी कमजोर नीति उनको पता था कि मेरे पत्तियों के कारण मुझे ऐसा किया सारे वरना उसकी क्या गलती थी आप बताइए मेरा कहना यह समाज की सोच बहुत छोटी है वह उसको हमेशा दबाकर रखना चाहता यह ऐसा कैसा समाज है जगने पर आपसे मैंने बैठा था ऐसे समाज से तुम ऐसा समाज तो रहे ना उससे अच्छा तो यह समाज कहां से बने बिना औरत के बनाए एक औरत ने जब आज लड़की को जन्म दिया तब जाकर शर्म आनी चाहिए ऐसे सोच पर जो औरत कमजोर होती है औरत कभी कमजोर नहीं होती है भारत को कमजोर यह समाज वालों ने बनाया है बार-बार कहते हैं ना कि तुम कमजोर हो तुम्हें कुछ नहीं आता तुम्हें यह नहीं आता तुम्हें पूर्णिया औरत चाइना औरत के आगे तो भगवान भी आते हैं टीवी क्यों पूछो तो मानसी करते हैं ना कहते हैं कि नहीं करते आप बताइए एक देवी को सब पूछते हैं या नहीं पूछते राक्षस भी तो था ना वह भी देवी कोई पूछता था यह कैसा समाज औरत कभी कमजोर नहीं होती है आजकल राक्षस होते हैं ना उसका सिंगार है ना मां दुर्गा ही करती है औरत कमजोर नहीं होते अगर किसी की ऐसी सोच है कि औरत कमजोर होती है तो फिर एक बार काली मां का रूप देख लीजिए थैंक यू
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