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पवित्र शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो यह कहा जाता है कि हमें परमेश्वर के साथ उसकी संगति में साधारण जितना सामान्य हो सकता है जिसका सांसारिक वस्तुओं से दूर हो सकता है उतना रहे अर्थशास्त्र में कहीं नहीं लिखा कि माथे की बिंदी नहीं लगा सकते अरे पत्र में लिखा है कि अगर कोई भी चीज आपको परमेश्वर के प्रेम से दूर करती है किसी चीज का मुंह आपको परमेश्वर के प्रेम से ज्यादा हो जाता है तो उस चीज से आपको अपने आप को दूर करना चाहिए इसलिए ईसाई धर्म में कई लोग ऐसे हैं जिनको हम प्रोटेस्टेंट कहते हैं और पेंटेकोस्टल कहते हैं जो कि आज गहने नहीं पहनते नहीं पहनने का रीजन क्योंकि आपको उन गहनों से मुंह हो जाता है आपको उनका लोग होने लगता है और लालच एक नकारात्मक भावना है जो कि हमें परमेश्वर के प्रेम से दूर रहती है अगर आप मिस्टर प्रेम को अनुभव करना चाहते हैं तो मैं यह नहीं कहूंगा आपको कि आप गंदी नहीं लगाए अपनी लगाइए अगर उस दिन दी का मुंह ना रखें कि अगर लगाया या नहीं लगाया तो कुछ अच्छा या बुरा होगा इस चीज को दिमाग से निकाल दें वस्त्र पहनते हैं कपड़े पहनते पहनना जरूरी है अगर आपको वैसा है अब बाकायदा लगाइए कोई मनाही नहीं है मैं तेरा नखरा परमेश्वर की संगति में मन से पवित्र हैं अपनी आस्था में पवित्र हम परमेश्वर के सामने तो आपको ऐसे किसी भी चीज को छोड़ नहीं जो कि आप कि आप बचपन से लेकर अभी तक रीति-रिवाज रहे हैं उस को बदलने पर छोड़ने के का कोई कारण मुझे नहीं लगता जरूरी है तो मेरे एकाउंटिंग आप अगर केंदी लगा रहे हैं बकायदा लगाइए जैसे ना आपको परमेश्वर का प्रेम है पर मिश्र की अगुवाई करती है कि दिल्ली ना लगे उस दिन छोड़िए गा तब तक किसी इंसान के बोलने से बिल्कुल नहीं परमेश्वर आपकी सहायता करें
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आपने कहा कि क्या ईसाई धर्म में माथे पर बिंदी नहीं लगाते तो देखी ईसाई धर्म में भी दो तरह के मानने वाले होते हैं एक वो जो कि कल ईसाई के हैं उनको कैथोलिक कहते हैं और जो भी होते हैं ज्यादा उन पर धर्म का बंधन नहीं रहता है उन्हें कहा जाता है प्रोटेस्टेंट तो आपको बता दें कि चाय में भी दो धर्म कैथोलिक ईसाई और प्रोटेस्टेंट कैथोलिक होते हैं उन पर कुछ ज्यादा ही ट्रेडिशनल जो कस्टम श्री शुभम सोते हैं वह उनको वह लोग मानते हैं बिंदी नहीं लगाना ईयररिंग वगैरह नहीं पहनना जब शादी हो जाए तो शादी के बाद जो लड़का की तरफ से आता है तो वही पहनना है जबकि बात नहीं हो सकते हैं धन्यवाद
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माथे पर बिंदी लगाना सिर्फ सुहागन होने का ही प्रमाण नहीं है यह सकती है आंख है हिंदी करते हैं वह भी एक आंख है क्योंकि औरत भी त्रिकालदर्शी होते हैं वह हम ही जानते हैं कई बार आपने देखा होगा घर में कुछ घटना घटित हो रहा है या फिर जाना है याद करना है तो बहुत कुछ है बिंदी लगाने वाली बिंदी है जब तक उसके बाद गिरे हैं उसके पति को कुछ नहीं हो सकता माथे पर बिंदी मांग में सिंदूर हाथ में चूड़ी सुहागन औरत की निशानी के साथ-साथ पति परमेश्वर के प्राणों की गारंटी है आज की डेट में कोई बनाए रखता क्योंकि दुनिया जैसे ही काम करते हैं धन्यवाद
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ईसाई धर्म में बिंदी लगाना जरूरी नहीं है क्योंकि मैं जितना जानता हूं इस आयत में किसी भी साइको मैंने आज तक बिंदी सिंदूर या बिछवे वगैरा पहनते हुए नहीं देखा और जो धर्म किसी भी मानव पर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष पहनावे रहन-सहन की कुछ बंदे से लगाता हूं व धर्म हो ही नहीं सकता
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