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एक शब्द में आंसर दे दो कि विस्तार बताओ एक शब्द नहीं देता हूं कि नहीं शिक्षा को सुधारने की जरूरत नहीं है अब आदमी की आर्थिक स्थिति सुधार नहीं है आर्मी सुधार में है आदमी पर निगरानी रखनी है कभी बसपा में सुधार सकता है इतना विश्वास मत कीजिए देश के सभी उच्च अधिकारियों को सोचना पड़ेगा कि किसी पर विश्वास किया जाए तो यह समाज माननीय व्यवहारों का प्रजातंत्र जाल है मानवीय व्यवहार जब तक चलेंगे तब तक का अनुष्ठान है पैसे से तो चलानी है तो समाज में पैसा दीजिए पैसे का उद्धार कीजिए सही शिक्षा का उद्धार कीजिए नहीं तो ऐसा नहीं हो सकता तो सही शिक्षक कीजिए पैसा वह खुद बम पैसा खुद बना लेंगे तक सुधार नहीं आया तो सरकारी स्कूल डांस है सरकारी स्कूल मस्त है लेकिन कमी है तो सिर्फ कुछ गार्डन सभी मुखिया थी समाचार जाते हैं क्लास टीचर की और उनके जाने वाले सामाजिक कार्य और मीटिंग मीटिंग होती है लेकिन मुझे समझ में नहीं आता आंचल मीटिंग चालू हुई है लेकिन मीटिंग क्या होती है एक दूसरे को पता नहीं है लेकिन गाड़ी नहीं समझ पाता है टीचर पन्ना इनको कुछ समझा पा रहा है कि मीटिंग क्या करनी है यह सब चीजें देखकर तो आए हैं हमारे बाहर के घूमने वाले विदेशी तंत्र के लोग जो विदेशों में अपने आने जाने का प्लान करते हैं वहां के टेक्नोलॉजी देखते हैं कि ऐसे कार्य किया था है तो एकदम ठीक चल रहा है ऐसे काम किया था यह सिस्टम ठीक चल रहा है नकल नकल करने पर नकल करने की परंपरा हमारे नीचे भी चल रही थी सट्टा स्कूली बच्चों की हालत थी नकल नकल तो मिली नहीं नकली कर रहे थे अकल जहां बोल रही थी वहां हमारी आर्थिक स्थिति लटक रही थी
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हां शिक्षा प्रणाली में सुधार थी तो बहुत जरूरत है क्योंकि वहां जिस तरह के प्राइवेट स्कूल में एक बिजनेस बना लिया है एक हॉस्पिटल नाइन दूसरी एजुकेशन में दो लाइन सबसे ज्यादा मतलब हेल्पफुल और एक सोशल एड ब्लॉक करने के लिए बहुत इंपॉर्टेंट रोल निभाती है एक हॉस्पिटल जी है इंसान की जान बचाता है और उसमें जो है वह पेशेंट की पूरी केयर करता है सब कुछ करता है ठीक है उसी तरह से स्कूल एक बच्चे को के जीवन को एक कुम्हार मिट्टी का एक राजा बना करके का यह किसी चीज का आकार देता है जैसे ही स्कूल भी एक बच्चे के लिए कुमार का काम करते हैं लेकिन आज की कौन थी दोनों ही क्यों है इतनी बदनाम लाइंस हो गई है यह सिर्फ एक से सौ सौ मॉर्निंग रह गई है इसकी जो मूल वह तो कहीं बहुत दूर दूर हो गए उनको आज कोई नहीं देखना चाहता कोचिंग इंस्टीट्यूट ऐसे हैं कि जहां क्लासेज से ज्यादा कोचिंग सेंटर में बच्चे दिखाई देती है वह बच्चे स्कूल में ड्यूटी कर रहे हैं और वह बच्चे उसी में भी उसी टीचर से पढ़ने आदमी ने कहा कि अपना एक बिजनेस बना लिया यह डबल बिजनेस होगा कि स्कूल से पटेल किसको मिलेगी मिलेगी और साथ-साथ उसको कोचिंग सीरियल अगेन का मोदीकारे कुछ और कोचिंग में भी यह नहीं है कि बच्चों के ऊपर क्वालिटी टाइम कोचिंग में भी पूरे 7070 बच्चों का बैग लगा रहे हैं वह पूरी तरह से क्लास चल रही है स्कूल की जगह कोचिंग नहीं पूरी क्लास लगा देते हैं यह सब कुछ टोटल बंद होना चाहिए अगर बच्चों को एग्जाम चेक करना है तो उनके लिए वह कोचिंग किए फैसिलिटी है वह स्कूल में ही अरेंज करना चाहिए ट्वेल्थ स्टैंडर्ड के लिए खास करके और कैंट के लिए जो बच्चे कैसे एग्जाम क्वालीफाई करना चाहते हैं उसके लिए और जो कल की बात करना चाहती उनके लिए उनकी अपील की है कि वह अपने स्कूल में इस तरह की क्लासेस आफ्टर स्कूल टाइमिंग स्कूल टाइमिंग के बाद इवनिंग क्लास में उन कॉन्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी बच्चों को प्राइवेट कोचिंग सेंटर और इसी तरह से डॉक्टर का भी है जो गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स है उसे अच्छी क्वालिटी वहां पर फैसिलिटी डिसिपेशन क्यों है वह प्राइवेट हॉस्पिटल तैनात है क्योंकि एक बकरा पेशेंट को प्राइवेट हॉस्पिटल में लेकर जाते हैं यह मान लीजिए शायद 99% ऑफिस की जानकारी वहां से लेकर आएंगे और बिल अमाउंट आफ मनी के कम से कम 5 शिक्षक तो आपका नॉरमल कंडीशन में लगना ही लगना इससे पहले महिला को डिस्चार्ज देखा ही नहीं तू यह दो ओगी सचिन चूहे को बुखार सागर बिगड़ गई है इन को संभालने के लिए आज के समय में गवर्नमेंट को उचित कदम उठाने चाहिए और स्कूल में तो यह भी है कि हर साल बुक चेंज गुड़िया हर साल एडमिशन बच्चे की फीस ली जाती है हर साल की सेंटीमेंट हो रहा है यह सब चीजें बंद होने की जब बच्चे नहीं एक बार एलकेजी में एडमिशन ले लिया और उसे स्कूलों को 22:30 पर रहा है हर साल एडमिशन किस किस बात की एक ही बुक्स जो है वह चल रही है तो हर साल एक बुक चेंज करके पूरा सिलेबस पेरेंट्स ऊपर क्यों बदल डाला जाता है ऑफिस का स्टैंडर्ड आप देखिए मतलब 1 सेकंड थर्ड स्टैंडर्ड के पूर्व अगर आप क्लास में बच्चों को पढ़ा रहे हैं उसी के साथ मानेसर एक लाख की फीस एक टाइम था हमारे टाइम प्लीज अभी क्वालिटी एजुकेशन थी और उस टाइम पर ट्वेल्थ के बाद पढ़ने के लिए इंसान यह सोचता था कि हम अपने बच्चे का ₹500000 जोड़ के रखे जिससे बच्चा वाला कुछ अच्छा बनता कि आज तो एक बच्चे को पैदा करने को उसके कैरियर तक उसको पहुंचाने के लिए एक पैरंट्स को कम से कम अपनी 40 से 50 लाख के रखने पड़ेंगे वह भी तब जब उसके बच्चे में क्वालिटी हो अब वह आफ्टर आईआईटी एमबीबीएस या कोई अच्छी जो है वह अपॉर्चुनिटी खुद ट्रैक कर सकता मगर वह भी को नहीं कर पाता कि यह मनी एक करोड़ तक बच्चे के लिए आप नॉर्मल है यह सब चीजें बहुत चेंज होना जरूरी है
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हां अवश्य है हमारे देश के अंदर जो शिक्षा प्रणाली है उसमें सुधार की सख्त आवश्यकता है और हम अपने सुझाव माननीय प्रधानमंत्री जी तक पहुंचा सकते हैं और पहुंचा भी रहे हैं और वह इसके लिए बहुत तंग करती हैं बहुत उत्सुक भी हैं और वह इस तरफ कदम बढ़ा चुके हैं और तो लेकिन अकेले सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती है किसी भी व्यवस्था का सुधार करना इसमें हमारी भी भागीदारी होनी चाहिए आप की भी भागीदारी होनी चाहिए हर किसी की भागीदारी होनी चाहिए जल्दी से एक बार भी अधिक शिक्षित हो गया और बहुत अच्छा हो गया तो वह एक अच्छी जिंदगी जी लेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है क्योंकि हम जिस समाज में रहते हैं उस समाज व समाज अच्छा होगा उस पर डिपेंड करेगा कि हम कैसी लाइफ किए हैं आप देखे करो ना का मौसम है हम खुद बचकर बहुत रहना चाहते हैं लेकिन क्या गारंटी है कि हम बचे रहेंगे क्योंकि हम जिस समाज में रह रहे हैं उसने कुछ भी बुरे लोग हैं जिसके कारण बुराइयां फाइल रही है तो हमें शिक्षा प्रणाली के सुधार की तरफ हर किसी को बढ़ना चाहिए तब जाकर हमारे अंदर जो बुराइयां आ रही हैं या आप आधारित शिक्षा के में तरफ अगर चलिए तो हमारे अंदर का राक्षस बन रहा है उस पर लगाम लगाना होगा और हमारी जो शिक्षा प्रणाली है उसमें भी सुधार की तरफ हम सब को आगे आना होगा तभी जाकर हमारी सिस्टम अच्छा काम कर सकता हमारा सिस्टम सरकार अपनी जिम्मेदारी निभा रही है हमें भी अपनाना पड़ेगा
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हां आज हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को सुधार करने की जरूरत है पहली बात तो यह कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार को और भी पैसा लगाना पड़ेगा भारत की अपनी जीडीपी की थोड़ी प्रतिशत ज्यादा प्रतिशत जो है जीडीपी का इसमें लगाना पड़ेगा अभी बहुत कम लगा रहा है उससे शिक्षा के संसाधन जो कि बहुत आवश्यक है उनकी पूर्ति करनी होगी यहां तक कि शिक्षकों की कमी है उस से लेकर अन्य संसाधनों बिल्डिंग बैठने की व्यवस्था शौचालय मुख्यालय ट्यून मध्यान भोजन और साला के अंदर आवश्यक सामग्री इन सब की व्यवस्था करनी पड़ेगी और इन चीजों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है इसके बजाय शिक्षा की गुणवत्ता लाने के लिए ऐसे ऐसे प्रपंच किए जाते हैं जिससे शिक्षा की गुणवत्ता को सुधार की नहीं है लेकिन शिक्षक जो है वह तनाव में आ जाता है तो जहां जगह सुधार की आवश्यकता है वहां सुधार किया नहीं जा रहा है पता नहीं सरकार उसी पर जानबूझकर ध्यान नहीं दे रही है कि उसके पास संसाधन नहीं है मेरा मानना है कि सरकार के पास संसाधन है उसे शिक्षा पर वह बढ़ाना पड़ेगा भले ही इसे अन्य क्षेत्र से हो इस व्यवस्था में लगने वाले राशि की पूर्ति करें लेकिन अभी हमारी शिक्षा व्यवस्था में बहुत बहुत सुधार की आवश्यकता है
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जी हां हमारे देश में शिक्षा प्रणाली को सुधार करने की बहुत जरूरत है आप ने सवाल पूछा क्या जरूरत नहीं है जरूरत है पूरी दुनिया में इस पर चर्चा चल रही है नए नए प्रयोग हो रहे लेकिन हमारे देश में तो जो सबसे जरूरी है दो चीजें एक है शिक्षा व्यवस्था दूसरा आ स्वास्थ्य व्यवस्था यह दोनों में बहुत सुधार की जरूरत है साथियों देखिए पहले तो आते हैं कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में अभी हम लोगों के ऊपर अंग्रेजी अंग्रेजी माध्यम हावी है क्योंकि भारत की ऑफिसियल भाषा हुआ अंग्रेजी और अंग्रेजी पढ़ने लिखने वाले और माध्यम से पढ़ने लिखने वाले के लिए बहुत सारे आयाम खुल जाते हैं और हनी से नौकरी मिल जाती है परंतु हम अपनी भाषा में उस प्रकार का कोई भी सुधार नहीं कर रहे हैं ज्यादातर क्योंकि अगर मात्री भाषा में ही सभी चीज उपलब्ध हो जाए तो इससे क्या होगा कि हम अपने भाषा में अपने भाव को व्यक्त करेंगे उसे दूसरे भाषा में मीनिंग वगैरह पढ़ने का जरूरत नहीं पड़ेगा पड़ेगा बहुत सारे विकसित देश है जो अपनी भाषा में उन्नति के बिना अंग्रेजी के सहायता को ले लीजिए हमारे बाद आजाद हुआ लेकिन आज देखिए विश्व की दूसरी महाशक्ति बन गई है जापानी लोग थोड़ी अंग्रेजी जानते हो लोग अपने भाषा में पढ़ाई करते हैं अपनी भाषा में टेक्नोलॉजी उत्पन्न किए हैं तो कोई जरूरी नहीं है क्या अंग्रेजी से ही आगे बढ़ेंगे अपनी भाषा में अगर ज्यादा अच्छा होगा पढ़ना समझना क्योंकि मात्री भाषा बचपन से उस भाषा को सीख लेते तो यह खामी है हमारी देश की शिक्षा प्रणाली में दूसरी जो है कि आज शिक्षा व्यवस्था का जो निजी करण हो रहा प्राइवेटाइजेशन हो रहा है इससे यह महंगी होती जा रही है स्कूल की बढ़ती भी सोने अब मध्यमवर्ग आरा पर मीडियम क्लास अभी कमर तोड़ दिया है इसीलिए शिक्षा बहुत महंगी होती जा रही है यदि इस पर सरकारी नियंत्रण रहता थोड़ा सरकारी व्यवस्था में बच्चों को पढ़ने मिलता तो काफी कम पैसे में या निशुल्क शिक्षा मिलती है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती एक खबर आया था कि न्यायालय ने आदेश दिया था कि सरकारी जो स्कूल है मैं वहां के डीएम एसडीओ आईपीएस सबके अपने टाइम मिले एमपी इन के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने चाहिए तो उनका ध्यान उस पर होगा और सरकारी स्कूल जो है उन्नति कर जाएगा यह बहुत बड़ा कदम था साथियों मुझे बहुत अच्छा लगा था लगा था कि देश अब बहुत जल्द बदल जाएगा लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हुआ मुझे पता नहीं किस कारण से नहीं हुआ तो देखिए हमारे जो सरकारी स्कूल है उस स्कूल में जो शिक्षा की गुणवत्ता है उसे सुधार करने की जरूरत है तो यह सभी तो हुए शिक्षा प्रणाली वगैरा के बारे में सिस्टम जो विदेश में चल रहे हैं उसकी खामियां के बारे में मैं इससे अलग एक बात बोलता हूं कि हमारी जो शिक्षा प्रणाली जो किताबों में सिमट कर रह गई उससे अलग तरह का एक सोच जागृत करना होगा हम लोग जो सोचते हैं शिक्षा किताबों में ही मिलती है विद्यालयों में मिलती है इस सोच से भी बाहर आना पड़ेगा अब कहेगा कैसे देखिए हम लोग जो है अपने घर में कभी अपने बच्चे को आलू दिखाकर नहीं पूछे की जड़ है कि तना आप भी जरा सोचिए गाके आलू जड़ है कितना मुझे कमेंट करके बताइएगा देखते हैं कितने लोग इसका सही जवाब देते हैं कि आज जो खाते हैं वह प्याज के पौधों का कौन सा हिस्सा खाते हैं जड़ खाते हैं कितना खाते हैं कि पति खाते हैं हमारे घर अच्छा होना चाहिए जीवन का शिक्षण के साथ जुड़ा होना चाहिए विज्ञानिक सोचो है हमारे घर से उत्पन्न होना चाहिए क्यूरिसिटी बच्चों को घर से ही जागृत होना चाहिए अदरक जो खाते हैं वह क्या है जड़ है कितना है ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जो घर में घटनाक्रम होती है लेकिन उसका ज्ञान हम करते हैं तुम्हें स्कूल से मिलेगा घर में किसी तरह का जिज्ञासा को जगने नहीं देते घर में देखिए लाइट जलती है तो किसी नर्जी में किस नदी में बदल रहा है पंखा चलती है किसी नदी में किसी नदी में नहाते हैं तो ठंडा क्यों लगता है हम अपने घरों को पानी से धो देते गर्म दिन में तो ठंडा क्यों हो जाती है बुखार होने पर माथे पर पट्टी क्यों दी जाती है हमारे जो घर में जो गैस चूल्हे होते हैं वह किस प्रकार से जलते हैं उसमें कौन सा ऊर्जा किस ऊर्जा में बदलता है तो कितना सारा चीज है जो घर से होता देखिए ना अंकुरण की परिभाषा किताब में लिखा है लेकिन कभी हमने अपने बच्चों को ले जाकर एक बीज अंकुरित होते हुए दिखाया या बताया नहीं बताते हैं उसे हम कहते हैं अंकुरण की परिभाषा याद करो होना तो यह चाहिए बच्चे खेत खलिहान में जाते प्रकृति को देखते होने वाली घटनाओं के बारे में जिज्ञासा होता वह अपने आसपास के ज्ञानी अथवा माता-पिता पर स्कूल में जाकर उस पर प्रश्न करते तो इस तरह की प्रणाली विकसित करना भारत में जरूरी है ऐसा दिक्षित नहीं करने पर हम कुछ रतनपुर तोता बना दे रहे हैं वह लौटकर परीक्षा में जाकर लिखते हैं और हम कहते हो शिक्षित हो गया इस प्रकार का शिक्षित होने से किसी प्रकार का रिसर्च अथवा अनुसंधान अथवा खोज नहीं हो पाता है इसीलिए भारत पर ज्यादा वैज्ञानिक नहीं निकलते हैं और वैज्ञानिक नहीं होने कारण रिसर्च एंड डेवलपमेंट नहीं होता है जबकि पाश्चात्य देशों में जहां की शिक्षा प्रणाली बिल्कुल प्रैक्टिकल पर डिपेंड है वहां के बच्चे काफी आगे बढ़ते हैं साइंटिस्ट बनते हैं क्या दीदी अब हम अपने केमिस्ट्री के किताब में आम सोडियम क्लोराइड के बारे में खूब बड़ा घर में कभी नमक देखा ही नहीं नमक की तो सोडियम क्लोराइड डिटर्जेंट दिखाते हैं लेकिन सोडियम कार्बोनेट उस दिन बताते हैं गाय के बारे में लेख भी लटके याद करता रे कभी गाय के सामने बच्चे को खड़ा कर दीजिए उसे देखने बोलिए कितने पैर है कुछ है काम है सिंह है तो आराम से लिख देगा तो इस तरह के शिक्षा प्रणाली भारत में विकसित होनी चाहिए दोस्तों अगर मेरा ऑडियो जो भी गार्जियन सुन रहा था जो भी स्टूडेंट सुन रहे हैं उच्च शिक्षा कोई ढंग पर अपनाएं आपके अंदर ज्ञान का भंडार हो जाएगा आप बहुत ही जी से बहुत आसानी से बहुत कुछ सीख जाएगा अथवा गार्जियन भी अपने बच्चों को इस प्रकार से प्रेरित करें मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में भी आपके बच्चे बहुत तेज हो जाएंगे ऐसा मैंने बहुत विद्यार्थियों पर किया है और बताया है जो कि बहुत कमजोर थे लेकिन भाव तुरंत पढ़ने में तेज हो गए पद्धति अपनाने की जरूरत है प्रणाली अपनाने की जरूरत है अगर जवाब अच्छा लगा हो तो फॉलो करें लाइक करें कुछ कमेंट करें धन्यवाद
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देखो पहले के मुकाबले अब इस देश में बहुत ज्यादा सुधार हो रही है इतनी ज्यादा हो रहे हैं कि जिसकी हड्डी और आने वाले टाइम में सुधार होते रहेंगे और इतने सुधार हो गए कि आप देखेंगे 5 साल में देश की क्या कायापलट हो जाती है बहुत बढ़िया सुधार होंगे और आप नहीं जनेश्वर के लिए जितना सुधार होंगे कि वह कहीं बनेगी जीजी में दिक्कत नहीं होगी
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बिल्कुल आज जो है हमारी शिक्षा प्रणाली में बहुत परिवर्तन की आवश्यकता है क्योंकि देश को आजाद हुए बहुत साल हो गई हैं आजादी के बाद भी हम उसी मैकाले की शिक्षा प्रणाली पर टिके हुए हैं और हमारे देश में छुरी बहुत अधिक पढ़ाई जाती है प्रयोगात्मक पढ़ाई जो है रुचिकर पढ़ाई नहीं है और दूसरी एक और बात के व्यवहारिक शिक्षा नहीं है जैसे कि हम व्यावहारिक रूप से बच्चों को निर्गुण बनाएं कि कभी ऐसी सिचुएशन भी आ जाती है कि बच्चे के जो व्यापारिक कार्य होती है वह भी जरूरी है चाहे जैसे हमारे पुराने ज्योति 16 कलाई जिसके 64 भाग होते थे उसमें बच्चों के जो व्यावहारिक जीवन में खाना बनाने से लेकर सभी तरह के काम भी साथ-साथ सिखाए जाते थे उसके साथ साथ भाषाओं की जानकारी गणित जो जरूरी होते थे वह भी सिखाए जाते थे तो शिक्षा में परिवर्तन बहुत जरूरी है समय के अनुसार
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जी जरूर है शिक्षा कला को पढ़ाना प्रणाली को सुधार करना बहुत ही जरूरी है क्योंकि हम भ्रष्टाचार की तरह बात करते हैं तो शिक्षा में ही ज्यादा से ज्यादा दिखती है कि जो ऊपर बैठकर जी मंत्री मंत्रालय से जो भी शिक्षा के ऊपर जो भी नीति बनती है जो उसके बारे में जितना पैसा आता है सब साड़ी आपकी जमीनी स्तर पर नहीं देखी जाती है जिसके कारण यहां बहुत ही ज्यादा भ्रष्टाचार से युक्त शिक्षा हमारी भारत की शिक्षा इसमें बहुत ही सुधार की आवश्यकता है पहले तो हम प्री प्राइमरी एजुकेशन को शिक्षा सुधार करेंगे फिर हम मिडिल स्कूल के शिक्षा को सुधार करेंगे फिर हाई स्कूल में जाएंगे फिर हमारे जो इंवर्सिटी के है शिक्षा वह सही है लेकिन फिर भी वहां भी बहुत खामियां दिखती है ना सुधार की आवश्यकता है
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आपका प्रश्न अच्छा है सुधार करने की जरूरत नहीं है क्या बिल्कुल किसी भी विधि में किसी भी प्रणाली में किसी भी सिस्टम में सदैव कुछ न कुछ सुधार की आवश्यकता बनी रहती है इंप्लीमेंटेशन किसी भी स्टेज पर कहीं से भी कुछ न कुछ सदैव होता रहता है और बराबर निगरानी के साथ-साथ उसमें सुधार की आवश्यकता होती है ऐसा कोई नहीं कर सकता की सूचना में प्रणाली में सुधार की जरूरत नहीं है क्या बिल्कुल जरूरत है और हमेशा रहेगी हमेशा इंप्लीमेंटेशन की आवश्यकता होती है शिक्षा प्रणाली तो और भी ऐसी चीज है जो 700 चलने वाली चीज है और निरंतर चलते रहते चलते चलते चलते रहते के कारण समय अनुकूल इसमें परिवर्तन की आवश्यकता होती है और निरंतर बनी रहती है एक से ध्यान रखिएगा इंक्रीमेंटेशन विल बी कंटिन्यू एंड लेडी कंटिन्यूविद 18 से बराबर बनी रहती है इसके चांस लगातार बने रहते हैं ओके
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यह तो सभी का मानना है कि हमारी तो शिक्षा पर डाली है उसमें सुधार की आवश्यकता है परंतु प्रश्न यह है कि यह होगा कैसे या जहां तक मेरा मानना है व्यक्तिगत विचार यह है कि एक बड़ी जनसंख्या को एक सकारात्मक प्रयास करना पड़ेगा परंतु हाल के दिनों में मैंने जिस तरह का राजनीतिक हालात को महसूस किया उसे देखते हुए मैं यह कह सकता हूं कि फिलहाल शिक्षा प्रणाली की सुधार की ओर देश की जनता की कोई रुचि नहीं तुम मुझे ऐसा लगता है कि फिलहाल निकट भविष्य में शिक्षा प्रणाली के सुधार में कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला है क्योंकि हमारे देश की जनता शिक्षा के क्षेत्र को लेकर बिल्कुल गंभीर ही नहीं है
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आपका प्रश्न हमारे देश के समान होनहार और आस्तिक व्यक्तियों का निर्माण हो सके ऐसी शिक्षा प्रणाली भारत देश के अंदर लागू करना चाहिए जो शिक्षा प्रणाली वर्तमान में भारत में गुलाम पैदा करने की मानसिकता है भूख की कमी है मोरल हॉस्पिटल उसकी कमी है और कोई जख्मी
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आपस में है आज हमारे देश की शिक्षा प्रणाली सुधार करने की जरूरत नहीं है जी बिल्कुल वर्तमान में हमारे देश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव की बहुत जरूरत है शिक्षा में जहां सरकार को बदलाव करना पड़ेगा कई चीजें ऐसी हैं जिनमें शिक्षा को नहीं देने पड़ेंगे सबसे पहले शुरुआत कर की बहुत कमी हमारे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर टीचर का ना होना यह सबसे पहली बड़ी समस्या है इसको सरकार को दूर करना पड़ेगा उसके बाद माली जाति को दूर कर ही देते हैं तो दूसरी जो कमी है वह भी बहुत बड़ी है टीचर का 3 दिनों का मतलब नहीं है टीचर का वास्ता में ट्रेनिंग देना बच्चों को कैसे पढ़ाएं कैसे हर माहौल में हैंडल कर पाए टीचर बच्ची से कनेक्ट हो पाए टीचर कैसे इस बात को समझें कि सिर्फ इतना ही बच्चे को कंट्रोल करना नहीं होता और भी तरीके होते हैं इन सब चीज के लिए टीचर्स की ट्रेनिंग की जरूरत है इसके बाद एडमिनिस्ट्रेशन लेबल में बदलाव की जरूरत है पूरे सिस्टम में आए जो कल चलता है कि टीचर पढ़ा नहीं लाया तो उस को सस्पेंड कर दो इस कल्चर को बदलने की जरूरत है बजाय इसकी भी ध्यान रही थी जो पढ़ा है उसको मोटिवेट करें हम एप्लीकेशन कल चला फिर सिस्टम में ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिनको सिस्टम में लाने की जरूरत है हमारे पूरे देश में शिक्षा प्रणाली पर बाकी में विचार करने की जरूरत नहीं क्यों हम ऐसी शिक्षा प्रणाली किए हुए हैं देश में जिससे लोगों को कोई भला नहीं हो नहीं तो लोग जॉब के लायक हो पा रहे ना ही लोगों को मानसिक विकास हो रहा है ना ही लोग देश भक्त बन पा रहे हैं ऐसा मॉडल लेकर आना चाहिए सरकार को जिससे कि हर व्यक्ति एजुकेशन का मतलब अपने आप का विकास समझे कोई पड़े तो मतलब उसका डेवलपमेंट को हराया मैं वह सीखे इस दुनिया के इस दुनिया में इस विश्व में हर चुनौती के लिए तैयार कर पाया ऐसी एजुकेशन दिए जाने की याद जरूरत है इस पर पूरे देश को सभी को बैठकर बातचीत विचार मंथन करना चाहिए और कोई प्लान बनाना चाहिए
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निश्चित रूप से हमारे शिक्षा प्रणाली का पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए शीशा की पद्धति में मूल्यों और मौलिक शिक्षा का आवा हो गया है नेटवर्किंग ऑन के द्वारा शिक्षण प्रभावशाली नहीं रह पाता है एक शिक्षक द्वारा सीधे बाग में पढ़ाना और विषयों पर विश्लेषण एवं परस्पर जो समाधान समस्याओं पर विमर्श और आपसी वार्तालाप सर्वोत्तम शिक्षा प्रणाली हैं शिक्षा के पाठ्यक्रमों को भी उन्हें मूल्यांकन की आवश्यकता है कुछ साल पहले बनी सिलेबस और शिक्षा के मूलभूत पाठ्य पुस्तकों में परिवर्तन सबसे आवश्यक है इस सरकार से शिक्षा प्रणाली में सुधार होने से व्यक्तित्व का विकास होगा विद्यार्थी है सफल नागरिक बन पाएंगे धन्यवाद
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लेकिन मेरे विचार अनुसार आज भी हमारे शिक्षा पद्धति को सुधारने की जरूरत है सुधारने की जरूरत सिर्फ इतना नहीं है कि हम उस में कंप्यूटर लगा दे या फिर हम बड़े-बड़े आओ उसमें डिवाइसों का प्रयोग करें और यह सुधार हो जाएगा नहीं मैं कहता हूं कि बच्चों के दिमाग को केचप करने का प्रयास किया जाए जहां पर शिक्षा है वहां पर टीचर्स को इस तरह से बच्चों को पढ़ाने की जरूरत है कि बच्चे खुद सोचने पर मजबूर हो जाए बल्कि आज मैं जो देख पा रहा हूं बहुत ऐसे शिक्षक को मैं किसी शिक्षक की आलोचना भी नहीं कर रहा हूं लेकिन हां यह सच भी है कि वह लोग किताबों के रटे हटाया ज्ञान को बच्चों के दिमाग में डालते हैं लेकिन मैं कहता हूं कि इस शिक्षा पद्धति को सही ढंग से हम नहीं बचता और यही कारण है कि शिक्षा पद्धति आज विदेशों की शिक्षा किसी से कहीं नीचे इसीलिए मैं कहता हूं कि बच्चों को अवसर दिया जाए उन्हें इस हिसाब से पढ़ा जाए कि बच्चे खुद सोचने पर मजबूर हो पाठ्यक्रमों को सही से सलेक्शन किया जाए सही से निर्धारण किया जाए चाहे वह आर्ट एंड सोशल साइंस एस ओ चाहे वह साइंस हो चाहे वह कांग्रेस हो चाहे अन्य हर किसी पर बच्चों के दिमाग को खींचने का प्रयास किया जाए उनके दिमाग ओं को ट्रेस करने का प्रयास किया जाए ताकि वह बच्चे अपनी जिंदगी के हर तथ्यों को समझे उन्हें समझें और उन्हें समझ कर के एक्शन लेने पर खुद तैयार एक तरह का शिक्षा बच्चों की जीवन का एक ट्रेनिंग है एक प्रशिक्षण है और इस प्रशिक्षण में बच्चों को प्रशिक्षित करने लायक बना दिया जाए तभी शिक्षा पर हम सफलता पा सकते हैं और वास्तव में अभी शिक्षा पर सुधार करने की जरूरत है
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बिल्कुल जलवा तेरी यह शिक्षा प्रणाली को मतलब दुरुस्त करने के 30 35 साल तक पढ़ते रहते हैं पढ़ते रहते हैं और लास्ट में आपके हाथ में आता क्या बेरोजगारी और कुछ नहीं तू यह शिक्षा प्रणाली बिल्कुल चीनी होनी चाहिए अगर नहीं सुधरेगी इसमें बदलाव नहीं आएगा तब बेरोजगारों की स्थल बढ़ती जाएगी और ज्यादा बढ़ेगी और फिर और ज्यादा पड़ेगी और फिर देखिएगा जो यह भी सपोर्ट कर जाएगा कि रोजगार जनसंख्या विस्फोट तो हो ही रहा है रोजगारी विस्फोट हो जाएगी लोगों खाना नहीं मिलेगा तो सुधार की बहुत आवश्यकता है टेक्निकल एजुकेशन होनी चाहिए जो रोजगार दे
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मैडम जेपी तिवारी आपको प्रणाम करता हूं और आप का सवाल है कि क्या देश की शिक्षा प्राणी को सुधार करने की आवश्यकता नहीं है बिल्कुल है आज हम जो जॉब ओरिएंटेड + राज कैसा होना चाहिए नहीं है हमको कुछ बढ़ाते हैं जिसका रिक्वायरमेंट नहीं है हम उस आदमी कोचिंग पढ़ाते हैं जो पढ़ना नहीं चाहता है तो सिलेक्शन ऑफ फील्ड ऑफ इंपॉर्टेंट पढ़ना चाहता लड़का उसको माताजी डॉक्टर इंजीनियर बनना होता है उसका सिंगर बनना होता है ऐसा होने जा रहा है कि वही पढ़ाएंगे जो जरूरत होगी जो जरूरत होगी उसी तरह से
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नमस्कार कल के मित्रों आपको सुमित कुमार सिंह का नमस्कार क्या हमारे शिक्षा में सुधार नहीं परिवर्तन बदलाव की जरूरत बहुत बार बात करते हैं कि हमारी शिक्षा बहुत अच्छी थी निश्चित रूप से बहुत अच्छी थी लेकिन इस देश पर बाहर से आया क्रांतिकारियों ने अपने शिक्षक को ध्वस्त किया अब पुरानी बातों की व्यवस्था थी शासकों के अनुरूप केवल उनको चलाने के लिए जो सहयोग के लिए उसके हिसाब से शिक्षा प्रणाली में डिवेलप किया था कि लोग यहां के अच्छी संस्कृति अच्छे पड़ा व्यवस्थाओं को भूल जाए जिससे उनके अनुकूल हो चल सके और प्रतिकार दो चीज है की सूची जाते हैं उसका वर्तमान में एप्लीकेशन अप्लाई आप उन चीजों को ज्यादा पढ़ाते हैं जिसके परिवर्तन से जिसको जानकर भी हम उसका कोई इस वक्त नहीं कर सकते तो जब वर्तमान में किसी चीज का नहीं होगा तो उसका भविष्य भी नहीं बदलेगा एक कारक तो अब मुझे तो लगता है दूसरा कि जब तक जिस भी दे अनुसंधान रिचार्ज शोध नहीं होते बड़े पैमाने मिश्रा कौन है योग्यता महाभियोग व्यवस्था उपलब्ध कराएं तो हमारे देश के परिवेश में परिवर्तन की आसमानी के यहां पर बहुत बेहतर पढ़ाई-लिखाई करके जो नौजवान तैयार होते हैं उनके अनुरूप व्यवस्था आते हैं रोजगार नहीं दे पाते पाते तो क्या होता है उनको कोई दूसरे देश के लोग एक अच्छे ऑफर लेकर अपने या लेकर चले जाते तो संसाधन आपका लगा देश के टैक्स का पैसा उस पर खर्च हुआ और वह चला गया दूसरे दूसरे कंट्री में वहां की व्यवस्था को सुधारने आगे बढ़ाने अमेरिका में जो सबसे बड़े डॉक्टर का ग्रुप है वह आप सोच कर देखिए कि अभी यहां पर डॉक्टरों की हनुमानता 10 लाख से ऊपर की जरूरत और यहां के लोग बाहर जाकर के साथ ऐसा कर रहे हैं वहां की से बात कर रहे हैं वहां के लोगों को व्यवस्था दे रहे हैं लेकिन अपने देश में नहीं तो हम उनके लिए व्यवस्था नहीं सोच पाए उनके लिए कोई तरीका नहीं निकाल पाए तो हमारी देश की व्यवस्था में दो बहुत आवश्यक रूप से सामाजिक सांस्कृतिक रूप से और तकनीकी रूप से वर्तमान को बेहतर बनाने में योगदान दे सकें वह शिक्षा आवश्यक है और बाकी सब बकवास शुक्रिया शुभकामनाएं
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हां हमारी शिक्षा प्रणाली में थोड़ा सुधार करने की जरूरत है जो हम लोग शिक्षक कोई भी किताब का लेसन पढ़ते हैं तो उस क्वेश्चंस उस किताब के अंदर टीचर स्वयं अपनी तरफ से कुछ सामान आए प्रश्नों को बनाए और उसका उत्तर बच्चे से देने के लिए बच्चे से पूरा पाठ हलवाई तब उसके आंसर वह निकाल पाएगा उसके उत्तर दे पाएगा यदि इस तरीके की प्रणाली लागू की जाए तब शिक्षा बहुत अच्छी तरीके से लागू हो सकती है और बच्चे को बहुत अच्छी तरीके से सारे दिशा निर्देश और जो भी पार्टी के पाठ सामग्री
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आपका प्रश्न है कि क्या आज हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को सुधारने की जरूरत नहीं है बेटा परिष्कार अपरिवर्तनीय परिवर्धन जिंदगी सत्य है शिक्षा प्रणाली अंग्रेजो के द्वारा हमने ली थी और उस समय हमारी समझ में कुछ नहीं है हमने उसको चलाया गुरुकुल प्रणाली आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन जो भी स्काउटिंग है स्काउट एंड गाइड उसको देखिए तो भारतीय गुरुकुल प्रणाली से आज भी चल रही है हम झोपड़ियों में रहते तो उनके पास ग्रास कोर्ट ने दोनों ने टेंट बना डाला हमारे पूर्वज जंगलों में रहकर के काम करते थे अभी जंगलों में रह रहे हैं रात में आग जला कर के हम पशुओं से बचने की कोशिश करते थे और जागने के लिए आनंद का उत्सव मनाया करते थे हमारे देश में ही आग जलाकर नाचने गाने की परंपरा जैनियों ने हमें दिए जो आज स्काउटिंग में है लेकिन हम एक ही शिक्षा प्रणाली से चिपके हुए हैं लेकिन यह ध्यान रखिए कि इस शिक्षा प्रणाली का उपयोग तो है वह है मानसिक दक्षता को हमेशा बनाए रखना आप किसी चीज को रखते हैं ऐसे में हिंदी का प्राध्यापकों सूरदास तुलसीदास सूरदास तुलसीदास किशोर तुलसीपुर रखते हुए हमने अपने मानसिक दक्षता को अपनी स्मृतियों को तेज बनाया है निर्णय लेने की क्षमता को तेज बनाएं यह शिक्षा का उद्देश्य है टीचर और दूसरा उद्देश्य है कि आप किसी क्षेत्र विशेष में जाना चाहते तो क्षेत्र विशेष की जानकारी प्राप्त करिए लेकिन अब समय की तेजी के साथ हो 3 घंटे के एग्जाम दो 2 महीने चलने वाले एग्जाम यह बातें बदलनी चाहिए अब हमारे पास इतने इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है एग्जाम और पढ़ाई की इस प्रक्रिया पर एक बार सरकार को आपके विचार करना चाहिए लेकिन मित्र दुर्भाग्य ही है कि हां जब कोई कमेटी बन जाती है तो विदेशों में जितने दिन में कमेटी में निर्णय या तो कितने दिन में तारे हैं कमेटी बन पाती है
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देखिए शिक्षा प्रणाली को सुधारने की जरूरत है आपने प्रश्न गलत कर दिया है शिक्षा प्रणाली को ही सुधारने की जरूरत है देखिए हम लोग के हाथ दो पैर दो चीज की सुधार भी बहुत जरूरी है पहला तो शिक्षा और दूसरा जो है स्वास्थ्य इस समय लॉक डाउन में आपने देखा यह करो ना कोई वजह से हमारे यहां स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था है कहीं वेट नहीं है कहीं वेंटीलेटर नहीं है इसलिए जो है शिक्षा और स्वास्थ्य पर हमारे देश को काम करना चाहिए अगर शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों मजबूत हो जाए तो हम लोग भी शक्तिशाली देशों में शामिल हो सकता है
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आपका प्रश्न है क्या आज हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को सुधारने की जरूरत नहीं है मैं आपको बताना चाहूंगी कि आज हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को सुधारने की बहुत जरूरत है बहुत अच्छा से भरण-पोषण करने के लिए हमारे लिए शिक्षा प्राप्त की जा रही है जो सोता है हमें ज्ञान मिले और ज्ञान के साथ सही ध्यान हो और हमारे पास संस्कार हमारे पास प्रेम हो भाईचारा के अंदर नहीं है बस हमें शिक्षा प्रणाली को इसी स्तर पर सुधार करना है आज के वर्तमान इच्छा है उस दिशा में जो जरूरी होते हैं उनको मिला में संस्कार भी होना चाहिए था केवल उदर पूर्ति के लिए नहीं होना चाहिए शिक्षा में ऐसा ज्ञान होना चाहिए संस्कार होना चाहिए होना चाहिए इतना के अंदर यही सब होना चाहिए इन्हीं इन्हीं तथ्यों को बिठा में शामिल करना क्या सभी रिक्शा रिक्शा चलाई जिसमें सही ज्ञान मिल पाए इंसान को सभी इंसान सही शिक्षा प्राप्ति का जो अक्सर होता है वह से मिल पाएगा इसलिए बीमार होना चाहिए ऐसी हो जिसमें हमारा भी हो और सब का विद्रोह और विकास को समाज का हित और विकास समुदाय का विकास हो और हमारे संपूर्ण देश का हित और विकास हो ऐसा होना चाहिए और जिसकी शुरुआत हमारे घर पर हो यदि हम शिक्षा प्राप्त करके अपने माता पिता के संस्कार हैं संस्कार होते हैं माता-पिता भी होता है उनका पालन नहीं करते पत्नी के प्रति समाज समुदाय देश के लिए जो कर सकता है उसका पालन नहीं करते तो फिर हम सबको साथ लेकर चलें और विकास को ऐसी शिक्षा होती है बेकार होती है और जरूरत होती है इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपने शब्दों को विराम देने जा रही हूं सपना शर्मा आपका दिन शुभ हो धन्यवाद
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हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को सुधारने की जरूरत है बिल्कुल जरूरत है समान शिक्षा कोई पब्लिक स्कूल प्राइवेट स्कूल में कुछ नहीं होना चाहिए सबके लिए शिक्षा जो है वह समान होनी चाहिए या प्राइवेट स्कूल बनाएंगे सर सरकारी स्कूलों जो भी है लेकिन एक जैसी स्टडी एक जैसी पढ़ाई सबके लिए एक जैसा अवसर वह सबसे पहले जरूरी है कि कंट्रोल में एक ही टाइप के स्कूल होने की ताकि सबको समान शिक्षा और समान अधिकार मिले
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अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली को सुधार करने की जरूरत नहीं है बिल्कुल हमारे देश को शिक्षा प्रणाली को सुधार करने की आरजू शिक्षा प्रणाली को पर्याप्त नहीं है वह 29 लायक नहीं है वह जनजीवन देने लायक नहीं है तो केवल किताबी ज्ञान है और किताबी ज्ञान पेंशन का निखार नहीं होता है क्लिप बिहारी ज्ञान उपयोगी ज्ञान और इंसान के विकास के लिए ज्ञान का ज्ञान का विस्तार होना जरूरी है जो आज इस शिक्षा से संभव नहीं है अगर हम चाहते हैं हमारे देश में एक शिक्षा का चूड़ी चमके कहानी इस शिक्षा को बदलना होगा और पूरे देशवासियों को हमारे सिद्धांत को कष्ट आज टीना का किस सिद्धांत को लेकर हम प्रयासरत हैं चिंतन कहते हैं रात-दिन प्रयास कर रहे हैं उचित को एक अमूल्य ज्ञान देना ट्रैक्टर उम्मीद है हमारी शिक्षा जो है निश्चित रूप से इस देश में क्रांति लाई और स्ट्रीट को 1 सप्ताह तक की खाड़ी देश बनाएगी बच्चे हुए थे हमारे विद्यार्थियों की हमारी युवाओं की और उनके संरक्षक ओं की अष्टम देशवासियों की जो हमारे विचारों को समर्थन करें
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नमस्कार आपका कृष्ण क्या आज हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को सुधार करने की जरूरत नहीं बिल्कुल हमारी शिक्षा प्रणाली जैसा मैंने पहले वीडियो में बताया कि यह अंग्रेजो के समय ही सपना ने चली आ रही है हमारी शिक्षा प्रणाली में हमें आवाम हुई चोर परिवर्तन करने की आवश्यकता है अगर हमने इसमें परिवर्तन नहीं करते हैं तो किस प्रकार बेरोजगारों की भीड़ बढ़ती जा रही है तो यह संख्या और बढ़ते जाएंगे और बेरोजगारों की फौज खड़ी हो सकती है इसलिए मेरा मानना है कि शिक्षा को रोजगार परक बनाया जाना चाहिए तथा उसमें आवश्यक परिवर्तन किए जाने चाहिए अंग्रेजों द्वारा जो शिक्षा शुरू की गई थी वह उनके हित आरती हमारे दांत नहीं थी इसलिए इसमें परिवर्तन की नितांत आवश्यकता है ऐसा मेरा मानना है धन्यवाद
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नमस्कार आपका सवाल है क्या आज से हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को सुधार करने की जरूरत है या नहीं देखी दोस्त मेरा स्पा इंटरव्यू में शुरू से ही अलग है विचार रहा है मैं पूरी तरह सहमत हूं कि आज की शिक्षा प्रणाली में काफी सुधार करने की जरूरत है क्योंकि जब यह प्रणाली इंडिया में लागू की गई तब इसका हीरोज एक्टिव अलग था उसमें सिर्फ एजुकेशन एजुकेशन इसलिए दी जा रही है क्या आपको एक नौकर क्रिएट करना है आपको यहां पर एम्पलाईमेंट के लिए जो अंग्रेजों को चाहिए थे तो उन्होंने इसके लिए ही इस एजुकेशन सिस्टम को तैयार किया था जबकि एजुकेशन का मतलब यह नहीं कि सिर्फ आप पढ़ो नौकरी ढूंढो यहां पर इंडिया में आज अगर पेरेंट्स भी यह कहते हैं तो आपको यही कहते मिलेंगे अच्छे से पढ़ ले नहीं तो नौकरी नहीं मिले तो आज के जो लोगों की और अजमेर में प्रणाली का दोनों का ऑब्जेक्टिव है कि है कि आपको पढ़कर की कच्छा नौकर बनना है जबकि एजुकेशन सिस्टम का जो उद्देश्य है वह मेरे बेड पर भी यह है कि पुराने एक्सपीरियंस को पढ़कर समझ कर अपने दिमाग में उपजे हुए सवालों के खुद से जवाब निकाल पाना ही एजुकेशन है देखिए जो भी चीजें आपके पास हुई आज ग्रेविटी की फोर्स आफ ग्रेविटी का अपना रिसर्च किया हुआ है फोर्स का अपना रिसर्च किया हुआ है इसको पढ़ने के बाद में जो हमारे दिमाग में जो सवाल आता है वह सवाल हमारा होना चाहिए जबकि आज रिजर्वेशन सिस्टम सिर्फ और सिर्फ क्वेश्चन दे करके उनके आंसर आठवां रहा है तुम का कहीं कोई वजूद नहीं है देखी अगर नौटंकी बात करें न्यूटन लॉ ऑफ ग्रेविटी दिया तो कब दिया कि उसके दिमाग में सवाल उठ जा ऊपर से नीचे क्यों आता है तब उसने उसको ढूंढना शुरू किया और जब उसने उसी चीज को समझना शुरू किया जब ढूंढना शुरू किया तो हमारे पास 19 अगर वह भी उसी तरह से उठा कर के खा कर चल देता है से ऊपर से गिरता हुआ से उठाया उसने उस आगे चल देता तो क्या आज होता उसके पास इसलिए उसने एक उसके दिमाग में सवाल कैसे हुआ क्यों नीचे ऊपर क्यों नहीं गया उसके दिमाग में जवाब सवाल आया उसने जवाब अपने अंदर से ढूंढा अपने आप से तूने अपने दिमाग से पूछा तो क्रेडिट स्कोर एनालाइज कर बायोम एजुकेशन यही है कि आप पास के एक्सपीरियंस को पढ़कर अपने दिमाग में उसे विश वालों की जवाब आप अपने दिमाग से पूछे निकाले और जब आप उसको निकालेंगे इस समाज में सोसाइटी और यूनिवर्स भी मानेगा यदि आप सोच सिद्ध कर पाते हैं तो सिद्ध कर पाना ही एजुकेशन किसी भी बात पर विश्वास नहीं है तो आप सिर्फ और सिर्फ फॉलोवर बन सकते हैं यूजर मिल सकते हैं क्रिएटर नहीं क्रिकेटर बनने के लिए आपको सवाल पैदा करने हुए उनके साथ जवाब ढूंढने में जितने भी नए इनोवेशन किया है उसके पास उसके दिमाग में एक सवाल आ गई ऐसा कैसे हो सकता है क्यों नहीं हो सकता जब उसने चीज किया तो आपके पास जवाब जो भी चीजें हैं वह बन पाई जय हिंद जय भारत आपका दिन शुभ रहे
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आज की शिक्षा प्रणाली खासकर विद्यार्थी को प्रतियोगी बना दिया और प्रतियोगिता में वह अगर पीछे रह जाता है तो हीन भावना से ग्रसित हो जाता है जो कि शिक्षा का उद्देश्य होता है नैतिक शिक्षा का विकास और आज हमारी शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा का योगदान नहीं होने के कारण लोग पिता को मात्र पैसा कमाने का जरिया बना दिया जो गलत जब तक छात्रों में नैतिक विकास में ही होगा अध्यात्मिक विकास में ही होगा तब तक समाज में समरसता संभव नहीं है और एक दूसरे से प्रेम संभव नहीं है इसलिए इस शिक्षा प्रणाली को धीरे-धीरे सुधार करके नैतिक शिक्षा आध्यात्मिक शिक्षा जो हमारे भारत में प्राचीनतम शिक्षा पद्धति था उसको फिर से लागू करने की आवश्यकता है
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आज मर देश की शिक्षा प्रणाली को सुधार करने की बहुत जरूरत है जरूर नहीं है जो पहले था वह आज होगा समय के साथ हर चीज परिवर्तनशील होती है भगवान बुद्ध ने कहा है हर चीज को मत मानो मन में जो अंतरात्मा एक बात करती है वह बात को लोग ऐसे नहीं जो पुराने जमाने में कह दिया है वह चीज फोरम नहीं करें
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