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हमारी सुप्रीम कोर्ट के जज जनवरी भंडारी सही काम करते हैं अप वालों को छोड़कर मीडिया वालों के लिए मैं ऐसा कहना उचित नहीं समझता मीडिया कर्मी भी जहां तक हो सकता है वह भी बमबारी सही काम करता है
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विकी भैया सुप्रीम कोर्ट के जज तुम अंदर से ही काम कर रहे हैं तभी उस दिन बोर्ड की जो जाए और बता देना तो उनको कोई वकील भी नहीं बनाता उस दिन गुड़ की डिजाइन में क्या भ्रष्टा एक-एक दिन अपनी मर्जी से कुछ भी कह दिया रोहिल्ला मूवी में जो सुप्रीम कोर्ट ने 34 जजों की बेंच बैठती है वह सारे के सारे देखते हैं 121 देखी गई जो है 11 जो डिसीजन है उसको जाने कितनी बार ऐड किया जाता है तब जाकर के ऑडिशन नेता यह नहीं कि आप जो मर्जी लिख दिया और रही बात मीडिया की तो मीडिया तो काम है बात का बतंगड़ बनाना लेकिन आप जो कह रहे हो सुप्रीम कोर्ट तो आपको फोन उठाकर देखना ऐसी नहीं होता सब कुछ
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया कर्मी बहुत ही मेहनत और ईमानदारी से कार्य करते हैं यह हो सकता है क्या आप उनके किसी फैसले से सहमत ना हो लेकिन करवा सच्चाई यही है कि जब भी कोई फैसला होगा तो उससे कोई एक पथ सहमत नहीं होगा इसका यह कतई मतलब नहीं है कि वह फैसला बेमानी पूर्ण तरीके से किया गया है या फिर वह सही फैसला नहीं किया गया है सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बेहद ईमानदार और उच्चारण वाले होते हैं मीडिया कर्मी भी दिन रात मेहनत करके हम और आप तक जरूरत और देश दुनिया की खबरें पहुंचाते हैं
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आपको मैं आपको बता दूं क्या आपने जो 2 लोगों पर प्रश्न लगाया है यह 90% ईमानदारी से काम करते हैं यदि आज के युग में प्रश्न तंत्र में यदि कोई टू लुक मंदार हैं दूसरों से ईमानदारी अभी भी मंजन किए हुए हैं और देश के बहुमत का 90% लोगों का 95% लोगों का यदि दो संस्थाओं पर विश्वास है तो यह सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट है ऑडियो पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लोग बहुत बेहद ईमानदार होते हैं और मैं जान सकता हूं कि मीडिया में कुछ लोग तो सकती लेकिन आज भी बनी अपनी-अपनी क्योंकि आपको यह इस तरह की शंका क्यों हुई लेकिन मैं आपको बता दो आज भी 90% 95% भारतीय इंदौर संस्थाओं पर पूरी तरह से भरोसा करते हैं
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सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया वाले दोनों ही ईमानदारी से काम कर सकते हैं सुप्रीम कोर्ट के जज भारत सरकार के एक बहुत ही मुकेश होते हैं तो आप ऐसा नहीं कर सकते कि सुप्रीम कोर्ट अपनी ईमानदारी से काम नहीं कर रही है जहां तक मीडिया की बात है तो मीडिया के हर एक न्यूज़ पर हंड्रेड परसेंट विश्वास नहीं किया जा सकता है तो अगर मीडिया में कोई दिखाता है तो उससे आप भड़की नहीं उनकी न्यूज़ को सुनें अगर उस मीडिया के न्यूज़ से अगर आप प्रभावित नहीं होते हैं तो किसी दूसरे ने इसको देखें थैंक यू सो मच
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ही बहुत बड़ी विडंबना है कि जिस देश में न्याय करने वाले मीडिया वाले भ्रष्ट होंगे उस देश का क्या भविष्य होगा अब आप का सवाल है कि सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया वाले को ईमानदारी से काम करें देखी सुप्रीम कोर्ट के जज अपडायट किसी के ऊपर आरोप नहीं लगा सकते नंबर एक बार हां नीचे के चित्र में मान सकते लेकिन आप इतने ऊपर देख कर बात करें कि सुप्रीम कोर्ट के जज का विमान दारी से काम करेंगे भाई वह इमानदारी से ही कार्य करते हैं और सराहनीय कार्य करते हैं और जो नहीं करता ते भाग्य की बातें दुर्भाग्य की बात है और बड़ी विडंबना है ऐसे भी अगर जज इस दुनिया में हैं यह हमारे देश के अंदर हैं जो भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं या रिश्वत लेते हैं या अपना कार्य से तरीके से नहीं करते हैं तो फिर तो इस देश का क्या होगा काम कब करेंगे अभी समय ट्रिक मंत्र
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आपका यह सवाल कतई गलत है कि सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया वाले कब ईमानदारी से काम करेंगे मुझे लगता है आपके मन में चोर है इसलिए आप सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया वालों को ईमानदारी से काम करने के लिए कह रहे हैं जबकि यह लोग सच्चाई से सरोकार रखते हैं और सुप्रीम कोर्ट के जज पर लांछन लगाना आपको शोभा नहीं देता मीडिया वाले पूरी बातें हमेशा निरंतर आपको न्यूज़ चैनल पर दिखाते हैं तो यह आपके आपको शोभा नहीं देता या तो आपके मन में चोर है या फिर आप खुद ईमानदार नहीं है
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हमारे सुप्रीम कोर्ट का जज ईमानदारी से काम करते हैं या नहीं इस सवाल से पहले आप अपनी अंतरात्मा से विचार करिए कहीं कहां और किस समय आप ने ईमानदारी क्या पूर्ण रूप से पूर्णतया निभाई क्या आप में भी कमियां हैं किसी पर किसी प्रकार की उंगली अथवा दूध लगाने से पहले स्वयं के अंदर झांकना चाहिए स्वयं में ही परिवर्तन आने से दूसरे में परिवर्तन की आशा की जा सकती है
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यकीन मानिए 99% सुप्रीम कोर्ट जज इमानदारी से ही काम करते हैं वहां पर आप जाकर भी बेईमानी नहीं कर पाते हैं वह इतनी बड़ी सीट होती है जब फाइल वहां पर जाती है तो उसमें सिर्फ पेट पर ही फैसला करना होता है क्योंकि वह जो जजमेंट होते हैं वह पूरे देश में फॉलो होते हैं वह लो है तो हम कई बार सॉन्ग ध्यान देकर ऐसा सोच लेते हैं कि वह गलत करते हैं हां टेक्निकल किसी से भी हो सकती है इसके अलावा मुझे नहीं लगता कि वहां वह इमानदारी से फैसले नहीं करते हैं वहां पर बनती है डिस्कस करके कैसे किए जाते हैं कई बार कॉन्स्टिट्यूशन जिसमें 5 जज होते हैं वह फैसले करते हैं तो वह पांचों की ओपिनियन आती है फिर उनका कंपनी से निकाल के फैसले के साथ तो ऐसा आप बिल्कुल नहीं सोचे कि वह गलत फैसले करते 99% सही फैसले होते हैं ईमानदारी से होते हैं एक परसेंट अपवाद तो हर जगह होते हैं उसके लिए मैं नहीं कह रहा तो विश्वास रखें न्यायपालिका में और उसी ने देश को थोड़ा बैलेंस बनाकर रखा हुआ है
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आपका प्रश्न है हमारे सुप्रीम कोर्ट के जज और यह मीडिया वाले तब तक ईमानदारी से काम नहीं करेंगे तो आपके प्रश्न के आंसर सहित मैं आपको बताना चाहूंगी कि हमारे सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया वाले वही करते हैं जो हम उन से करवाते हैं इसलिए दोस्ती हम ही होते हैं दोस्ती वो नहीं होंगे क्योंकि दोस्ती करने वाला होता है मीडिया वाले ईमानदारी से काम कैसे करेंगे हम जब एक उदाहरण से आप मेरी बात को समझ लीजिए कि मान लो जैसे हम बीमार हैं हम किसी डॉक्टर के पास गए और हमने उस डॉक्टर को अपनी बीमारी के बारे में सही जानकारी दी नहीं तो उस डॉक्टर ने अपने मन मुताबिक हमें दवाई दे दी और हम उस दवाई को लेकर आए हमने उस दवाई को खाया जो हमारी समस्या थी और बढ़ गई उसका परिणाम क्या निकला हमसे पूछा गया कि आप तो समस्या के लिए दवाई लेकर आए थे तो आपकी समस्या ठीक होने की जगह बड़े कैसे गई तो हमने उसमें अपनी गलती को नहीं स्वीकार किया गलती इसमें हमारी ही गई क्योंकि हमने डॉक्टर को सही जानकारी दी ही नहीं तो डॉक्टर हमें सही दवाई कैसे देता यही कारण है कि जो हमारे सुप्रीम कोर्ट के जज और जो मीडिया वाले हैं उनको हम सही तरीके से अपनी समस्या के लिए जो सामने आना चाहिए उस तरीके से हम सामने आते नहीं है इसीलिए हमारी समस्या का सही तरीके से ईमानदारी से निराकरण होना चाहिए वह नहीं हो पाता और हम दोस्त मीडिया वालों को और सुप्रीम कोर्ट के जज को देते हैं जबकि गलतियां हमारी स्वयं की होती हैं इसीलिए तो कहा गया है यह पहले अपने अंदर झांक हैं तब दूसरों पर दोष लगाएं इसलिए मैं तो आपको यही बताना चाहूंगी कि हम से जो गलती हुई है उस पर विचार कीजिए उसके बाद दूसरों पर कोई 2 सालों कुछ कीजिए क्योंकि गलती हम स्वयं करते हैं सब गलती दूसरों के रूप में वह दिखाई देती है इसीलिए पहले कोई काम करने से पहले उस पर विचार कीजिए अपने दिमाग से सोचिए तब उस समस्या का कोई निराकरण निकालिए यदि हम सोच समझ के कोई काम करते हैं और उस काम पर विशेष रूप से ध्यान देते हैं तो ऐसा कोई काम खराब हो ही नहीं पाता और ना कोई जो दोस्ती दिखाई देता है ना फिर उसमें कोई दोस्त नजर आता है क्योंकि हमें अपने जब विचार करते हैं तो हमें अपनी स्वयं की गलतियां नजर आ जाती हैं और फिर हम अपनी स्वयं की गलतियों को सुधारते हैं और आगे फिर किसी गलती को घूमने के लिए मौका ही नहीं देते तो आप भी ऐसा और दूसरों पर दोष लगाना बंद करिए अगर अगर आप किसी को गलत रूप में देख रहे हैं तो उस गलती के लिए पहले अपने स्वयं के विचार कीजिए इसमें हमारी भी तो कोई गलती नहीं रही जो हमें दूसरों में कोई दोस्त नजर आया है इससे आपको जो आपको दोस्त नजर आया था वह दोष आपका ठीक हो जाएगा सपना शर्मा
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इस बात को कह पाना मुश्किल बहुत ही ज्यादा है क्योंकि न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका यह सुनो कहानी कोलागला कंट्रोल कोई हैक कर रहा है जब तक यह खत्म नहीं होगा तब तक
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आपका प्रश्न है कि हमारे सुप्रीम कोर्ट के जजों के मीडिया वाले कभी मंदिर से काम करेंगे दिखी मीडिया के संबंध में तो मैं ज्यादा नहीं कहना चाहूंगा मीडिया भी हम अंदर से काम कर रही है कुछ एक चैनल है कुछ एक पत्रकार है जो हर उस में रहते हैं आप किसी भी समुदाय भेजे लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट ईमानदारी से काम कर रही है और यह मनी की न्यायपालिका ने इस देश को बचाया हुआ है अगर सुप्रीम कोर्ट नहीं होता तो यह देश जिस स्तर पर आ जा रहा है वहां पर नहीं होता सुप्रीम कोर्ट का ही एक डर है जिसके कारण लोग न्याय को मान रहे हैं इसलिए आपका यह कथन सही नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के जज काम नहीं कर रहे हैं आज भी बंदे से काम कर रहे हैं और करते रहेंगे
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आप ऐसे पर्टिकुलर ले किसी के ऊपर पॉइंट आउट नहीं कर सकते लोग ईमानदारी के ऊपर पॉइंट आउट नहीं किया जा सकता जब तक आप उन लोगों को जो है वह आसमां नहीं सकते और हमारे लॉयर्स और हमारे गजल जो है वह कानून के हिसाब से फैसला करते हैं कोई अपना पर्सनल किसी का कोई भी जो है वह किसी से भी रंजिश नहीं होती है और जातक मीडिया का सवाल है मीडिया जो है वह सिर्फ और सिर्फ वही चीज दिखाती है जिसके अंदर पब्लिक को इंटरटेनमेंट मिलता है झूठ सच करना मीडिया का काम है तो मीडिया के बारे में तो मैं यही कहूंगा कि जिससे ज्यादा से ज्यादा जो है वो उनको झूठ दिखाने के पैसे मिलते हैं और मैं चला आप लोगों को यह दूंगा कि कम से कम मीडिया की बात पर जाया करें जब तक आप उस चीज को ना देखने और पढ़ने वाले
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आपके द्वारा पूछा गया सवाल तो बहुत अच्छी बात नहीं है और मीडिया वाले कब इमानदारी से काम करें हमारी मीडिया वाले भी हमारे हैं लेकिन कहीं खो जाते हैं वह भी हम ही लोग का हम लोग खुद जब ईमानदार होंगे तो वह लोग मुझको खुद ईमानदार हो जाएंगे पहले आपको इमानदार होना पड़ेगा आपके द्वारा सरकार का टैक्स चोरी बंद करना पड़ेगा टोल टैक्स बचाने के लिए छोटे रास्ते से जाना बंद करना होगा छोटे छोटे अधिकारियों को अपना काम निकालने के लिए घूस देना बंद करना पड़ेगा जब आप सुधरेंगे तो सारी दुनिया से आप खुद भी सोच रहे हैं दूसरों को भी सुधारे खुद भी खुश ना दें ईमानदार होने और दूसरों को भी बंधक
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नमस्कार आपका क्वेश्चन बहुत अच्छा है लेकिन इन मेरी राय है कि पहले आप तो इमानदार बनिए जिन बंधुओं ने क्वेश्चन पूछा है मैं उनसे पूछना चाहता हूं वह कितना ईमानदार अपने दिल से पूछो वह कितना सच बोलते हैं हमें दूसरों को सुधारने से पहले कुछ भरना होगा तुम्हारा यही निवेदन है आप खुश उधर जाइए खुद ईमानदार बन जाइए जरूर समाज को आप सभा सकते हैं तो पहले खुश होगा थैंक यू
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देखिए बिना साक्ष्य के आधार पर किसी देश की मीडिया या किसी देश की न्यायपालिका पर ऐसे लांछन लगाना बहुत ही गलत बात है हां यदि आपके पास कोई ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं वर्तमान में के मीडिया या न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है तूने आप लेकर आइए अब पर हायर कोर्ट में जाइए और ऐसा नहीं है सब अपना ईमानदारी से काम कर रहे हैं लेकिन बात तो यही है कि हमें विश्वास बनाए रखना है जहां हमारा विश्वास खत्म होता है वहां में ऐसा लगता है कि अभी है ईमानदारी से काम नहीं करेंगे ऐसे सभी न्यायालय ईमानदारी से काम कर रहे हैं भरोसा बनाए रखना चाहिए तो एक भरोसा बनाए रखिए मीडिया भी अपना स्वतंत्र तरीके से काम कर रही है न्यायपालिका भी अपना स्वतंत्र जी कैसे काम कर रही है व्यवस्थापिका कार्यपालिका सभी अपने स्वतंत्र तरीके से काम सभी स्वतंत्र हैं आप भी स्वतंत्र हो यदि आपके पास किसी संस्था न्यायपालिका मीडिया व्यवस्थापिका कार्यपालिका के विरुद्ध ऐसे साक्ष्य हैं कि यह अगर यह बेईमानी कर रही है तो आपने उजागर कर सकते आप लेकर आ सकते हो आपको न्याय जा सकते हो तो बगैर किसी देश के किसी पर लांछन लगाना यह सही बात नहीं अगर आपके पास है तो आप उसे पब्लिक कर सकते हो न्यायालय लेकर आ सकते हो और उन्हें उन पर कायम रह सकते हो क्योंकि आप कह रहे हो कि ईमानदारी से काम करेंगे तो मेरा मानना यह है कि आपके मन में यह के लिए ईमानदारी से काम नहीं कर रहे हैं अब यही मांधारी से काम नहीं कर रहे हैं तो इस प्रश्न का स्कोर साबित करने का भार बढ़ना ग्रुप आपके ऊपर है आप इसे साबित करिए कि यह ईमानदारी से काम नहीं कर रहे हैं धन्यवाद
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मीडिया बेसिकली आने वाली इनफॉरमेशन को कितनी जवाब दे तरीके से समाज में रखती है यह इस बात पर निर्भर करता कि समाज को इसकी कितनी जरूरत है
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मीडिया को भारतीय संविधान में विशेष स्थान दिया गया था और यह कहा गया था कि न्यायपालिका विधायिका एवं कार्यपालिका के पश्चात जो समाचार पत्र के चौथे लोकतंत्र के चौथे पिलर के रूप में चौथे स्तंभ के रूप में देश को स्थायित्व प्रदान करेंगे परंतु आज के समय में मीडिया सबसे अधिक करप्ट है और कोई भी कानून इन्हें लगाम लगाने के लिए सही घटना ना बताए जाने पर दंडित करने के लिए अभी तक नहीं आया है रही बात न्यायाधीशों की न्यायपालिका है अधिकांश अपना कार्य मांधारी से करते हैं बहुत कम ही है देखने में आया है कि वे करप्शन का शिकार है परंतु न्यायपालिका में बैठे हुए लोग इंसान है एवं उनका भी मानवीय पहलू पर झुकाव हो सकता है उनके स्वयं के राजनैतिक मत भी हो सकते हैं तब ऐसी स्थिति में हमें कई बार देखने को मिलता है कि नए बालिकाओं द्वारा दिया गया मैंने कई बार सरकार के पक्ष में होता है जबकि वह निर्णय जनता के पक्ष में होना चाहिए था तब यह माना जा सकता है कि वह निर्णय देने वाले न्यायाधीश उनकी व्यक्तिगत झुकाव है उसी तरह की राजनीतिक पार्टी के साथ रही होगी इसलिए उनके द्वारा इस प्रकार का निर्णय दिया गया है
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सुप्रीम कोर्ट के जज तथा मीडिया वाले हमेशा ही ईमानदारी से काम करते हैं सबकी अपनी अपनी धारणा है सबकी अपनी अपनी सोच है कोई किसी को कुछ गलत कहता है कोई किसी को कुछ गलत कहता है इसमें आप यह नहीं कह सकते कि कौन गलत कर रहा है और कौन सही कर रहा है आप क्या करते हैं सबसे पहले आप देखें अपने आप को दे देना आप अपने आप को संभाल लेंगे उस दिन आप देखेंगे कि वह लोग मजबूरी का कारण होता है कब कैसे गलत काम होता है क्यों होता है आपको खुद लाइफ में जवाब मिल जाएंगे इन हर बातों का जवाब आप खुद है अपने आप से सवाल पूछे अपने दिनचर्या और कार्यों को देखें और आपको खुद जवाब सब मिल जाएंगे सारे सवालों के
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नमस्कार आपका प्रश्न है कि हमारे सुप्रीम कोर्ट के जज और यह मीडिया वाले कब तक ईमानदारी से काम करेंगे देखिए सर मैं एक अधिवक्ता हूं जो पिछले 5 साल से दिल्ली में B4 सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहा हूं जहां तक ईमानदारी की बात है तो ऐसा सिर्फ आपको लगता है कि न्यायधीश चाहे वह सुप्रीम कोर्ट के हो है वह हाईकोर्ट के चाहे को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अपना काम ईमानदारी से नहीं करते क्योंकि जो मानसिकता लोगों ने उनके लिए बनाई है वह बिल्कुल गलत है अगर निर्णय आपके मन के मुताबिक आता है तो उन्होंने ईमानदारी से काम किया अगर नेट आपके मन के मुताबिक नहीं आता तो आप सोचते हो कि सुप्रीम कोर्ट के जज इमानदारी से काम नहीं कर सकते फिर भी अगर आपको कोई ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के तिमाही से काम नहीं करते तो आप यह मुद्दा सबूत के साथ ही मुद्दत चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के समक्ष रख सकते हैं वे लेटर हुए पीआईएल धन्यवाद
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यह कैसा सवाल है कि हमारी मीडिया और हमारी सुप्रीम कोर्ट में ईमानदार लोग नहीं हैं ईमानदारी से काम नहीं करते हैं ऐसा नहीं है जी और सुप्रीम कोर्ट में अगर हम बात करें तो और सारी चीजों की बजाय बहुत फेयर काम चलता है पहली बात दूसरी बात कि किसी भी आदमी अगर उस पोस्ट पर बैठा है और कोई काम करता है तो उसको आप हमेशा यह मत समझो उसने इमानदारी से काम नहीं किया उसके सामने सिचुएशन होती है उसको भी कुछ स्टेशनों से कई बार इधर लगता है दूसरे आदमी को ईमानदारी नहीं लगती है बट मैं यह भी नहीं कर सकती हूं कि हंड्रेड परसेंट ईमानदारी से करते हैं सवाल तो है लेकिन कब करेंगे कौन डिसाइड कर सकता है वह लोग उस चीज का अप लेने के लिए तैयार होंगे क्योंकि हम जैसे लोगों को सामने आना होगा धीरे-धीरे आएगा पर हम लोगों को आना होगा सामने लड़ने के लिए
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सारे न्यायालय ईमानदारी से कार्य करते हैं केवल हारने वाले की नजर में को नहीं मानता है तो सच बताओ आज भी हमारे न्यायालय की मंदिरों में सृष्टि जी सुपरहिट का ही पालन सत्यमेव जयते
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न्यायपालिका से राज्यपाल का जो यह लोकतंत्र है इसको अगर दूर रखा जाए ना तो हमारी न्यायपालिका अच्छा काम करेगी तो सुप्रीम कोर्ट जो आदेश करेगी उसको कोई मना नहीं कर सकता है
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सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया वाले दोनों ही ईमानदारी से काम करते हैं आपको ऐसा लगता होगा यह लोग जो है मैं काम करते मुझे तो नहीं लगता हां आप उनके न्याय से या उनके समाचार से असंतुष्ट हो सकते तो आप उससे संज्ञा ले सकते हैं आप कंप्लेंट कर रिपोर्ट पर जा कर के और कोई जूनियर कोर्ट ने आप को हराया है तो आप उसी के सपोर्ट में जा सकते सिंगल बैटरी डबल बेड भेजा कर ठीक है ना हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में जाकर तरीके से और मीडिया वाले भी सही बोलते ईमानदारी से काम करते हो यह कोई कर दिया और ईमानदारी से ही काम करते हैं आपका प्रश्न जो थोड़ा करेंगे भैया मुझे तो आज तक नहीं लगा के लोग गलत काम भी करते हो रात वाला सेट कर दे काम किया है
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आज भी न्यायालय हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट जो उनके समक्ष प्रकरण में जो दस्तावेज आते हैं अवलोकन करने के पश्चात उन पर न्यायाधीशों के द्वारा निर्णय किया जाता है न्याय भावनात्मक नहीं है
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आपका प्रश्न है हमारे सुप्रीम कोर्ट के जज और यह मीडिया कब ईमानदारी से काम करेंगे देखे दोस्त जान तक सुप्रीम कोर्ट के जज इसकी बात है हां इनडायरेक्टली कुछ प्रेशराइजेशन रहता है सरकार के द्वारा कुछ एक बंदूक है इन पर भी ठीक है पर फिर भी कोई भी जा कभी भी अपनी कोई अगर जजमेंट पास करता है तो उसमें लुकोल जरूर छोड़ दें ताकि उसके जाने के पश्चात कोई और जज अगर उसको एंटरटेन करता है या कोई और कोचिंग करते हैं तो उस पर जो है वह लिली कैसे सॉन्ग को वह सब्जेक्ट में कुछ टेक्निकल बातें होती है जो समझ नहीं पड़ती है दूसरी बात रही मीडिया तो यह हमारे देश की विडंबना है और यह बोलिए कि जो हमारी लोकेशन है उसमें बड़ी लिखने से न्यायपालिका के द्वारा इतनी रिमेडी प्रयोग कोट पर आम भारत के नागरिक इससे अभी भी वंचित जैसे कि आपका मेन प्रहार है मीडिया पर अब मीडिया से कोई क्वेश्चन पुट करना चाहते हैं कोर्ट में आंख मीडिया वालों ने ऐसा क्यों दिखाया इसके पीछे क्या है या क्या इन पर कोई क्राइटेरिया नहीं होता है या कुछ ऐसे नहीं यह जो मर्जी बोलते रहे ठीक है इस तरह की बात होती तो अगर आपको लगता है कि मीडिया ने ऐसा कुछ दिखाएं जो समाज के हित में नहीं है तो कुछ लोगों को इकट्ठा होना चाहिए और अपने क्षेत्राधिकार से संबंधित उस राज्य के उच्च न्यायालय में जाना चाहिए हाईकोर्ट में जाना चाहिए या डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट में भी आ सकते हैं और वहां पर जो है लीगल एड फ्रंट ऑफिस बने होने के ऑफिस इसलिए बनाए गए हैं ताकि जो व्यक्ति वकील का खर्चा वहन करने में असमर्थ हूं ठीक है उसको मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है जिसे एन एल एस ए नेशनल लीगल 88 होती के द्वारा गबन किया जाता है और नेशनल लीगल एड अथॉरिटी के अधीन जो एडीएल ऐसे होते हैं हरेक डिस्ट्रिक्ट में जो है इस तरह की ब्रांच है हर एक न्यायालय परिसर में लीगल एड फ्रंट ऑफिस की स्थापना की गई है पूरे भारतवर्ष अगर आप कोई भी पीआईएल लगाना चाहते हो जनहित याचिका लगाना चाहते हो तो आप उस लीगल एड फ्रंट ऑफिस में जा सकते हो चाहे वह हाईकोर्ट के जिला न्यायालय का यह सब डिविजनल कोर्ट का है यह सुप्रीम कोर्ट परिसर का उद्घाटन है वहां पर जाइए उस फर्म को भरिए पुरुषों के लिए साला जो आए हैं वह बताई गई है तीन लाख से नीचे अगर महिलाएं तो उनके लिए कोई इनकम क्राइटेरिया फिक्स नहीं है अगर कोई महिलाएं महिलाओं का समूह जिस तरह से अगर पीआईएल लगाती है तो उनके लिए जो है उनकी और वार्षिक आय का आकलन नहीं किया जाएगा उन्हें मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी उसके तहत सुप्रीम कोर्ट में भी और हाईकोर्ट में भी दोनों ही न्यायालय परिसर में जो फ्री ऑफ कॉस्ट जो है एडवोकेट उनके लिए अपॉइंटेड होगा और वह उनके पक्ष को माननीय न्यायाधीशों के समक्ष रखेगा और उस विवाद ग्रस्त विषय पर अरगुमेंट्स करेगा बहस करेगा और जो भी न्यायालय को लगेगा कि हम मीडिया वाले यहां पर गलत है यहां पर ऐसा होना चाहिए था तो उसे संबंधित गाइडेंस जारी करते हैं और एक जनरलिज्म एक्ट होता है उसके रूल्स एंड रेगुलेशंस होते हैं यदि कोई उसे बाहर जा रहा है तो वह भी सजा का पात्र है यह बन अगर कोई न्यायधीश हुई है वह अपने शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे तो उसके विरुद्ध महाभियोग किस चल सकता है पर इस सब के लिए जो है एक डाटा कलेक्ट करना रहता है
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हमारी सुप्रीम कोर्ट के जज ने मीडिया वाले कभी हमसे काम करेंगे आपका प्रश्न सब को आरोपित करता है लेकिन अगर कोई एक सरकार यह सरकार के प्रभाव से प्रभावित होता है जिसका अर्थ यह नहीं होता कि संपूर्ण हाई को भैया संपूर्ण संपूर्ण सुप्रीम कोर्ट से प्रभावित हो गए क्योंकि न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका तीनों स्वायत्त संस्थान और उन पर किसी तरह का दबाव नहीं होना चाहिए और ना ही होता है लेकिन गत 5 वर्षों से मीडिया सरकार की टोटा बनी हुई है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन एक चीज और स्पष्ट हो गई कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अवनी राज सभा की सदस्यता ग्रहण कर ली तो भारत के इतिहास में यह एक और प्रश्न खड़ा हो गया कि न्यायपालिका भी कहीं न कहीं प्रभावी है अगर काश इमानदारी से हमारी मीडिया और हमारी न्यायपालिका में सब को दोषी नहीं मानता हूं अपना कार्य करें जो भारत एक लोकतांत्रिक को प्रजातांत्रिक देश होते हुए विश्व के लिए एक महान उदाहरण बन जाए लेकिन भारत में लोकतंत्र की हत्या तीन प्रतिदिन हो रही है एक ने कई उदाहरण ऐसे सामने आए हैं जिससे आपने जो प्रश्न किया है तो कहीं आप उन घटनाओं से प्रभावित रही घटनाओं से दुखी करें क्योंकि बिना किसी भी प्रभाव के क्वेश्चन का जन्म नहीं होता
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नमस्कार दोस्तों प्राचीन काल में ईमानदारी का मतलब होता था सबसे पहले खुद से ईमानदारी आत्मा से ईमानदारी जिस कार्य के लिए मन और आत्मा स्वीकार करें वही कार्य करना और जिस किसी से कोई नुकसान न पहुंच सके ऐसा कार्य करना हित में कार्य करना किंतु वर्तमान स्थिति या दूसरी है वर्तमान में ईमानदारी के पैमाने सरकारों ने तय कर दिए हैं कानून बनाकर और जो पढ़े-लिखे कानून को जानकार लोग हैं वह उन कानून की पारियों को इस्तेमाल कर कानून का फायदा उठाते हुए कार्य कर लेते हैं और सब कुछ समझते हुए भी कानून उनका कुछ नहीं कर सकता इसलिए भी अपनी नजर में ईमानदार है पकड़ा गया वह चोर है जो बच गया वह सयाना है
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