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एलोपैथी जिसको हम लोग मॉडल साइंस की कहते हैं या बस कहते अंग्रेजी दवाइयां एलोपैथिक में आपको लिख तो मिल जाएगा उस समय जो आप कुछ समय परेशानी है लेकिन उसके बाद में साइड इफेक्ट जाते हैं जैसे आपने फीवर है या आपके शरीर में दर्द है आपने कुछ मेडिसन ली तो आप का दर्द तो कम हो गया लेकिन मालूम पड़ा आपकी खत्म हो गई पूरी तरीके से यह नहीं है कि आपको एक चीज देगी तो किसी चीज का ट्रीटमेंट कर रहे हैं पेट दर्द का सर दर्द का या बुखार का आपके अंदर जो भी कमियां होंगे हेड से लेकर के 10 सिर से लेकर पैर तक आपकी जो भी समस्या है जो भी आप परेशानी है एक ही जाएंगी और उससे उससे दूर होगा आपको उसके बाद में आपको कोई साइड इफेक्ट नहीं आया हो पैथिक का सिद्धांत उठाएं सिमिलिया सिमिलीबस प्रिंटर समान समान को मारता है एलोपैथी में क्या होता है जो चीज दी गई है जैसे को गर्म से मारेंगे गरम कोट ठंडी तय करेंगे उससे उसका क्यों होता है बैटल फोर्स के ऊपर डिपेंड करती है बैटल फोर्स को बढ़ाते हो 35 से अधिक क्यों होता है ना वह सिस्टम के काम करती है सबसे पुरानी तिथि है जो हजारों वर्षों पुरानी है पहले आयुर्वेदिक व कर देता सब तिथियां आयुर्वेद सिंह की है और वेद का ज्ञान आजकल वैसे ही कर रखा है अच्छे ज्ञानी अच्छी स्टडी करने वाला ही आयुर्वेद अच्छा कर सकता है आजकल तो इस गर्वित की फार्मेसी बनी है पहले की तरह मेडिसन नहीं बनाई जाती है और ना ही आयुर्वेद वाली क्या करते हैं एलोपैथिक दवाइयों को किस किस तरह से यूज करने लगते हैं तो बदनाम कर दी
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हाय मैं डॉक्टर शिव शंकर कुमार गुप्ता ओनर ऑफ द शारदा हेल्थ केयर एंड रिसर्च सेंटर दरभंगा बिहार अल्बर्टी इंदिरा कॉलोनी से हूं मेरा मोबाइल नंबर है 74630 40779 इस नंबर पर और मेरा ईमेल आईडी है डॉक्टर शंकर कुमार रेड्डी रेट ऑफ gmail.com नंबर और मेल आईडी पर आप अपना रिपोर्ट ने लिया भाग तक कर सकते हैं और हम से जरूरी फ्री में सलाह ले सकते हैं ऑल ओवर इंडिया हमारा ट्रीटमेंट होता है किसी भी तरह की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आप यह व्हाट्सएप नंबर रखें और जरूर से जरूर संपर्क करें हर तरह की बीमारियों से क्रॉनिक डिजीज से निजात पिलाया जाता है आज मैं आप लोगों को अपनी जिंदगी का अनुभव शेयर करना चाहता हूं सबसे पहले या ध्यान में रखें कि एलोपैथिक होंगे होम्योपैथी और आयुर्वेद यह तीनों चिकित्सा पद्धति है जो कि आज का सवाल है एलोपैथ होम्योपैथी और आयुर्वेद में क्या अंतर है इन तीनों चिकित्सा पद्धतियों में क्या अंतर है इस चीज को आप समझे एलोपैथिक सबसे पहले मॉडर्न चिकित्सा पद्धति एलोपैथिक झुक सकता है वह क्या है जो पैथिक में जो भी इलाज किया जाता है उसमें बीमारी बाहर से भीतर की ओर से पेश होती है दवाई जाती है बीमारी के साथ जोर जबरदस्ती किया जाता है सिंपल लैंग्वेज में मैं आपको समझा रहा हूं बीमारी के साथ जो किया जाता है जैसे छोटे बच्चे को अगर आप प्यार से चॉकलेट देकर मीठी मीठी बात करके और लाकर अगर उससे किसी बात को जाहिर करते हैं तो वह उस बात को जल्द समझ लेता है ना कि उसके साथ जोर जबरदस्ती और उसके साथ बहुत कस के मारपीट कर उसको डांट कर समझाने की कोशिश करेंगे तो वह नहीं समझ पाता है बस इस छोटे से उदाहरण से आप अंतर समझ ले कि होम्योपैथ और एलोपैथ में बस यही अंतर है एलोपैथिक दवाइयां मैटेरियल यूज होती है 500 एमजी 1000 एमजी 12mg 300 एमजी 200 मिलीग्राम में यूज़ की जाती है जबकि होम्योपैथिक दवाइयां पोटेंटाइजेशन प्रोसेस के द्वारा को टर्न टाइप करके nm1 एम पावर में यूज किया जाता है जिसमें एटम्स एंड मॉलिक्यूल के द्वारा छोटे-छोटे कानून द्वारा होम्योपैथिक दवाइयों में का उपयोग करके दवाइयां बनाई जाती है पहला तो अंतर यह हो गया फिर दूसरे अभी मैंने कहा दूं की एलोपैथिक दवाइयां बाहर से भीतर की ओर काम करती है सब प्रेस करती है बीमारी को और जोर जबरदस्ती शरीर पर करती है जबकि होम्योपैथिक दवाइयां भीतर से बाहर की और उसकी और करती है और परशुराम गार्डन इन वटवा क्वार्ट्ज काम करती है भीतर से हमारे अधिकार को शरीर के कौन सी टीम एजेंट को बाहर क्यों निकाल देती है और हमेशा के लिए बीमारी से निजात दिला देती है यह तो अंतर है इसके अलावा एलोपैथिक और होम्योपैथिक ठीक एक दूसरे के विपरीत काम करता है होम्योपैथी सिमिलिया सिमिलीबस क्युरेंटूर पर डिपेंडेंट है एलोपैथिक जो है वह डायग्नोसिस मैंने पैथोलॉजिकल फाइंडिंग्स इंडिपेंडेंट रिपोर्ट डिपेंडेंट है जबकि होम्योपैथिक का कहना है कि जब तक हम भी मारना पढ़ेंगे तो हमारे रिपोर्टर पैथोलॉजिकल फाइंडिंग पॉजिटिव नहीं आएंगे जब तक हम स्वस्थ हैं तब तक हमें कोई दवा की जरूरत नहीं है जब हमारा शरीर बीमार पड़ जाता है तब पैथोलॉजिकल फाइंडिंग पॉजिटिव आते हैं या कोई भी इंफेक्शन निकलता है यह चीज जबकि एलोपैथिक पॉइंट ऑफ व्यू से पहले शरीफ तभी बीमार पड़ता है जब ठीक इसके उल्टा एलोपैथिक में क्या होता है कि पहले उन लोगों का कहना है कि एलोपैथिक में दवा जब तक हमारे शरीर में किसी तरह का इन्फेक्शन या किसी तरह का पैथोलॉजी कल फाइंडिंग से पॉजिटिव नहीं पाया जाता है तब तक हमारा शरीर बीमार नहीं है अगर सभी तरह के जांच नॉर्मल सेंटी तकलीफ से मर रहा हो तो उनकी नजर में हम आ रहे हैं आपको पता होगा कि जर्मनी के बहुत बढ़िया एलोपैथ उन्होंने अपनी एलोपैथिक की प्रैक्टिस छोड़कर होम्योपैथिक का आविष्कार किया था उसका कारण बस यही था कि एलोपैथिक में जितनी भी कमियां थी जितने भी विक प्वाइंट थे एलोपैथिक इलाज करने के बाद मरीजों का तकलीफ कंपलेक्स हो जाया करता था एक तकलीफ दूर होता था दूसरा तकलीफ आ जाया करता था जड़ से निजात नहीं हो पाता था इन सभी कमियों को दूर करने के लिए होम्योपैथिक दवा का आविष्कार डॉक्टर हनी मैंने किया था यह तो हो गया एलोपैथ होम्योपैथ की कुछ शॉर्ट में जानकारियां और अंतर इसके अलावा आप आयुर्वेद के बारे में भी जान ली आयुर्वेदिक क्या है तो आयुर्वेदिक तो सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है जो कि आदि काल से चला आ रहा है आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति प्रकृति में पाए जाने वाले जितने भी मेडिसिनल सब शांत है जो कि हमारे पुराने वह लोग जो इलाज किया करते थे उस समय से आयुर्वेद चला रहा है आयुर्वेद सबसे पुरानी चीज का हो जाती और किसी से जुड़ा हुआ है इलाज है लेकिन फिर भी आयुर्वेदिक में और होम्योपैथी मैं कुछ अंतर है आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से भी सुपीरियर होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति इसलिए माना गया है क्योंकि होम्योपैथिक में भी उन्हीं सब चीजों से दवाइयां बनती है जिन चीजों से आयुर्वेद में यूज किया जाता है लेकिन आयुर्वेद में भी रूट फॉर में अधिक मात्रा में दवाइयों का उपयोग किया जाता है जबकि होम्योपैथिक में पोटेंटाइजेशन प्रोसेस के द्वारा सूचित किया जाता है जिससे कि किसी भी मेडिसिंस डांस का अपना जो लक्षण है वह कम से कम दुष्प्रभाव डाल पाता है आयुर्वेदिक के घरेलू नुस्खे लोग अक्सर हम आज ही के जीवन काल में यूज कर रहे हैं घर-घर में जैसे खाने पीने की चीजों में ही लोग आयुर्वेद के नुस्खों का उपयोग करते हैं धर्म को बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जो दिल लहसुन है कच्चा लहसुन का सेवन करना उसके बाद हल्दी हो गया अभी जैसे कोरोनावायरस फैला हुआ है तो उसमें हल्दी का बहुत अच्छा महत्वपूर्ण रोल बताया गया है कि हल्दी के सेवन से गर्म पानी के सेवन से हमारा कोरोनावायरस है वह बहुत ही ज्यादा डैमेज होता है और उसमें उस पर बहुत ही ज्यादा लोगों को सफलता प्राप्त हुई है विदेशों में भी बहुत सारा अमेरिका में भी रिसर्च हुआ है उसमें भी बताया गया है कि आयुर्वेदिक पद्धति के अंतर्गत हल्दी और इसके साथ और भी कुछ आयुर्वेदिक जितने भी दवाई हैं वह सब मिलाकर ऐसी चीज बनाई जा रही है जिसके जिसके सेवन से बनारस हमारे सभी का एबिलिटी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और कोरोनावायरस अपना लक्षण देने में सक्षम नहीं हो पाता तो इस तरह से होम्योपैथिक में एलोपैथिक में और आयुर्वेदिक में जो अंतर है वह आप लोगों के सामने और मैं सुख में रूप में स्पष्ट कर दिया हूं बस इतना ध्यान रखें कि यह क्वांटिटीज मिनिमम इन एप्रोप्रियेट फॉर ए जैंटल रिमेडियल इफेक्ट यह जो नियम है होम्योपैथी का यह क्वांटिटीज मिनिमम जितना ही मेडिसिनल सब्सटेंस जो काजू क्वांटिटी है वह मिनिमम होगा एप्रोप्रियेट वह बहुत ही अच्छा होगा एप्रोप्रियेट होगा इधर प्रिपेयर फॉर एजेंट इन रिमेडियल है उस रिमेडी का जो इफ़ेक्ट होगा जो रिजल्ट होगा ट्रीटमेंट के बाद वह बहुत ही जेंटल होगा वह दिखाएगा तो इस नियम को हमेशा फॉलो करें इसी नियम को फॉलो करते हुए होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में पोटेंटाइजेशन प्रोसेस द्वारा फार्मेसी के द्वारा दवाइयां बनाई जाती है जिसमें पदार्थ का जो सुक्तम कौन होता है टम्स मॉलिक्यूल जो हम लोग केमिस्ट्री में पड़े थे एटम्स एंड मॉलिक्यूल से होम्योपैथिक दवाइयों का इलाज किया जाता है हमें पैथिक दवाई द्वारा इलाज किया जाता है और लोगों का तकलीफ को दूर किया जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है कि यह जोड़ी सर्च किए तो वह देखें कि जितना क्वांटिटी काम करते जा रहे हैं उतना साइड इफेक्ट दवा का कम होता जा रहा है तो इसलिए दवाइयों के क्वांटिटी को कम करता है करते चला पता चला गया रिसर्च में सभी डॉक्टर और बाद में एक ईमेल की दवा होम्योपैथिक में जिसमें और भी क्वांटिटी मिनिमम होता भौतिक मिनिमम क्वांटिटी 50 मिली मलेशिया का ट्रीटमेंट किया जाए तो और भी अच्छा रिजल्ट पाया जाता है और और भी बचा जा सकता है अतः होम्योपैथिक एक सर्वोत्तम चिकित्सा पद्धति है जो की एलोपैथिक के ठीक विपरीत काम करती है एलोपैथिक के नियम कानून के विपरीत होम्योपैथिक की नियम कानून होती है और आयुर्वेद भी एक अच्छी चिकित्सा पद्धति है पुरानी चिकित्सा पद्धति है जिसमें कोई दिन आए नहीं कर सकते आयुर्वेद की शिक्षा पद्धति द्वारा भी बहुत सारी बीमारियों को आज तक इलाज किया गया है और सब से बराबर आ रहा से आयुर्वेद में भी छिपा था छुपा हुआ है और आगे आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति भी हमारे घरेलू नुस्खा द्वारा से लेकर छोटी-छोटी बातों से लेकर बड़े-बड़े बीमारियों के इलाज में फायदा करती है परंतु अगर आप को जड़ से निजात पाना है किसी भी बीमारी से हमेशा के लिए और परमानेंट रैपिड जयंती परमानेंट चोर होना चाहते हैं जिसको आइडियल चोर कहते हैं तो वह सिर्फ और सिर्फ होम्योपैथिक में ही संभव है और होम्योपैथिक का जो नियम कानून है वह फॉलो करते हुए नेचर लॉक की ओर पर आधारित है सिमिलिया सिमिलीबस क्युरेंटूर पर आधारित है उसको फॉलो करते हुए इलाज किया जाता है सटीक दवा से वेल सिलेक्टेड रिमेडी से तो जड़ से ही बीमारी समाप्त कर दी जाती है क्योंकि उन्हें पति में बीमारी ही दवा है और दवा ही बीमारी है क्योंकि इसमें लक्षण का इलाज होता है ना की बीमारी का इलाज होता है इंसान का इलाज किया जाता है और इंसान का इलाज करने पर बीमारी खुद-ब-खुद शरीर से दूर भाग जाएगा धन्यवाद
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एलोपैथिक दवा अलग तरीके से टूटी जाती है यह रिसर्च की जाती है जैसे कि जानवरों पर रिसर्च की जाती है तब अगर जानवरों की ब्लू वर्क करती है उसी हिसाब से उपयोग में लाई जाती हो पैथिक दवा स्वस्थ लोगों पर ग्रुप की जाती है उसके बाद जो लक्षण मिलते हैं उनके आधार पर दवाइयों का फार्म कोई डायनामिक्स तैयार की जाती है तब वर्क करती है
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एलोपैथी होम्योपैथी आयुर्वेद में क्या अंतर है देखिए जो है ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो अंतरराष्ट्रीय जांच के आधार पर चिकित्सा की जाती है उसे एग्जामिन कहते हैं टेस्ट कराए जाते हैं एक्सिस है अल्ट्रासाउंड है यह सब जांच करने के बाद में हुई चिकित्सा की जाती है होम्योपैथी ए जेस्चर उत्तम लक्षण चिकित्सा है अगर आप के लक्षण मिल गए हैं कि कौन सी दवाई है वह किस समय लेनी है और लक्षण अगर आपके बगैर तो काम करती है सितम क्या था इस देश की गिनती है यह 200 के आधार का काम करती है बात पित्त कफ जो संतोष है उन दोषों के आधार पर हम अपेक्षा करते हैं आयुर्वेद में आयुर्वेद पृथ्वी का मानना है कि भगवान धन्वंतरी जो समुद्र मंथन हुआ था वह 14 रतन उसमें निकले थे तो उसमें भगवान भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद शास्त्र को लेकर करते थे तो आज भी इस देश की पहली पति है तो अच्छा मैं कहूंगा कि एलोपैथी में जहां चिकित्सा पद्धति अच्छी पंक्ति है मैं यदि कोई गलत पति है ऑपरेटिव है उसमें अच्छा योगदान है आयुर्वेद चिकित्सा में एलोपैथी का अच्छा जी लेकिन आई एलोपैथी में जो मेडिसिन के साइड इफेक्ट है लेकिन आयुर्वेद में गुणों का क्योंकि इसमें कष्ट अवश्य जिंदगी है उसके दुष्परिणाम नहीं है उनका दोनों का सही ढंग से मिश्रण जो मिला नहीं हो पाया है क्या बदन से चर्चा नहीं हो पाया है उन्हें कच्चा बंद है क्या है अगर वीर शहीदों की सूची हो गए हैं सही ढंग से सौतन हो गया है तो उसका कोई विकास नहीं होता उसका कोई साइड इफेक्ट कॉस्मेटिक अभी-अभी लक्ष्मण मिल गए हैं तो वह चिकित्सा पद्धति कामयाब है अगर लक्षण नहीं मिले हैं तो वह भी कामयाब नहीं है और आपका मेडिसिन का सिलेक्शन कुछ है तो मैं सोचता हूं कि वह भी ठीक नहीं होगा साइड इफेक्ट्स भी देखी है अलग-अलग पर थी उनके अलग-अलग धर्म है अगर सही ढंग से सही जाएगी दोस्त से सही आनंदपाल से इनका सेवन कराया जाएगा तो तिरुपति अपने जगह सही काम करेंगे ऐसा मैं मानता हूं धन्यवाद
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एलोपैथी में पता आयुर्वेद में क्या अंतर है आपने पूछा है तीनों तीन जगह है तीनों का अंतर बहुत सारा इसको कम भाषा में बताना बहुत हो कि मुझसे भी कोशिश करते हैं कि कम भाषा में अलार्म सबका हो जाएगा था थोड़ा एलोपैथिक मेडिसिन बनाया जाता है भाई कुछ बटन से कुछ मेडिसिनल चीज डालकर या कुछ क्रिकेट डालकर उस पर रुपए में बना जाता होम्योपैथ है जो क्रूड फ्रूट फॉर्म को बाई अल्कोहल के थ्रू से पोर्टल डाइज करके उसको तोड़कर इसे मीटर तो जाता है उसी तरह से तोड़कर तब हमें पैथिक मेडिसिन तैयार होता है उसी तरह आयुर्वेद आयुर्वेद आयुर्वेद आयुर्वेद में जड़ी बूटी की जड़ी बूटी का अर्थ तैयार किए हैं उसी तरह रात को मार्केट में मिल जाता है उसे थोड़ा सा बहरी किया जाता है उसमें कुछ प्रिजर्व कड़ी कुछ दिन के सुरक्षित के लिए कोई डाल दिया जाता था कि वह कुछ दिन सुरक्षित रहें लेकिन ज्यादातर आयुर्वेद जड़ी बूटियों या निष्कर्ष निकाला है वही रस सबको मिलेगा क्या वही रहेगा यह नहीं कि उसको ज्यादा दिन तक दीजिए तो खराब भी हो सकता है इसलिए आयुर्वेद वही चीज है लेकिन एलोपैथिक दमकू ड्रेस को क्या करेगा उसको भी उसमें कुछ कि उनके डालकर मेडिसिन बनाया जाता है तो पेट में इसीलिए उसका एक्सपायरी डेट रहता है इसमें एक्सपायरी डेट नहीं रहता लेकिन जो कंपनी शायरी डेट आज लिख रही है वह सिर्फ मेडिसिंस सेल करने के लिए लिख रही है कि वह इतना दिन के अंदर लिख देंगे तो मेडिसिंस सेल होगा भेज तेल नहीं हो पैथिक मेडिसिन इन रिटर्न टाइप होता है जितना दिन तक आपको रखेगा भोजपुर कर बाकी सब पैन्टाइज फोन में रहता है
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जी मैं डॉक्टर आसिफ अली होम्योपैथिक चिकित्सक आपका सवाल है कि एलोपैथी होम्योपैथी एवं आयुर्वेद में क्या अंतर है देखिए बहुत ही स्पष्ट तरीके से मैं आपको बताना चाहूंगा कि तीनों में बहुत ही बड़ा अंतर है होम्योपैथिक की दवा एलोपैथिक दवाएं और आयुर्वेद की दवा है मैं आपको बताना चाहूंगा कि आयुर्वेदिक की दवा एलोपैथिक दवाएं और होम्योपैथी की दवा है इनमें जो सबसे बड़ा अंतर होता है वह होता है मैटेरियलिसिंग का मैटर रिलीज मतलब मटेरियल आप ऐसे समझ लीजिए कि मान लो कोई पौधा है और आप यह जानते हो किस पौधे के अंदर कोई भी औषधीय गुण है मतलब बीमारी को ठीक करने की इसके अंदर क्षमता है तो आयुर्वेदिक कहता है क्या अगर उसके पत्तों में बीमारी को ठीक करने की क्षमता है तो उसके पत्ते आप थोड़ी और तोड़कर उसका चूर्ण बना लीजिए और चूर्ण बनाकर उसको डायरेक्ट कि आप पाउडर की फॉर्म में या ऐसे ही उसको बोल कर आप डायरेक्ट ले लीजिए मतलब यह आयुर्वेद एलोपैथी यह कहता है कि उस पत्ते के अंदर ऐसी कौन सी चीज है जो बीमारी को ठीक कर रही है उस चीज को निकालो मतलब उस एल के लाइट को निकालो जो उसके अंदर चीज ठीक करने वाली है उसे लक लाइट को निकालो मतलब वह उस उस केमिकल को निकालेंगे उसके अंदर प्रोसेस से पूरा किया उसको आर्टिफिशली लैब में तैयार करें तो वह और फिर उसको डायरेक्ट एमजी कि फॉर्म में मरीज को देंगे यह है एलोपैथिक और होम्योपैथिक जो है वह पूरी तरीके से अलग है एक्सेल में होम्योपैथी के अंदर दवाओं के अंदर मैट्रियल नहीं होता है वह यह देखते हैं क्या अगर इस पौधे के अंदर औषधीय गुण हैं तो उस पौधे से वह मदर टिंक्चर तैयार करेंगे और मदर टिंक्चर को लेने के बाद में मदर टिंक्चर की एक बूंद लेकर फिर हमारे पास दवा बनाकर बनाने के स्केल सेंड डेसिमल इन स्केल और सेंट स्मॉल स्केल डेसिमल इस खेल में क्या होता है एक बूंद मदर टिंचर और 9 बूंद डिस्टिल्ड वॉटर या अल्कोहल हम लेने के बाद में उसको सशक्त यकृत मतलब को टर्न टाइप करते हैं तो वह हमारी 1 एक्स पावर वन उसके बाद हम 1 एक्स पावर का एक पाठ लेकर और 9 पार्ट डिस्टिल्ड वॉटर या अल्कोहल का लेकर हम उसको शिक्षक के किस करते हैं तो वो 2X बन जाता है हमारी बढ़ती चली जाती है अब हम फ्री में बनानी है फ्री है तो तू एप्स का हम एक पाठ लेने और 9 पाठ डिस्ट्रीब्यूटर या कॉल करेंगे या कोई भी ऐसा भी कल जो हम यूज कर रहे हैं शुगर मिल को तो उसको हम लेने के बाद में अटेंडेंस करेंगे तो वह 3X बन जाएगा अगर हम सैंटिमल स्कूल में बना रहे हैं तो मदर टिंक्चर और वही रहेगा 121 मदर टिंचर और 99 पार्ट डिस्टल वाटर या अल्कोहल का लेने के बाद हम उसको परसेंटेज करेंगे वह बंसी बन जाएगा हमारा अगर मैं दोषी बनानी है तो वंशिका एक पाठ लेंगे और 99 इस तरह से बढ़ते चले जाएंगे एक-एक करके तो हम देखेंगे कि अगर हम 30 पावर तक पहुंचेंगे तो वहां पर मेटेरियल बिल्कुल खत्म हो जाएगा मैट्रियल नाम की कोई चीज नहीं बचेगी इस प्रकार हम देखते हैं कि होम्योपैथी दवाओं में मैट्रियल नहीं होता सिर्फ पावर होती है और इसी वजह से ही होम्योपैथी दवाएं अगर सही डॉक्टर की सलाह से ले जाए और सही डॉक्टर से नहीं जाएं तो नुकसान नहीं करते हैं यह अंतर है होम्योपैथी आयुर्वेदिक और एलोपैथिक है ठीक है मैं समझता हूं आप संतुष्ट हो गए होंगे मेरी जवाब ठीक है थैंक यू
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नमस्कार भाई आपने जो प्रश्न किया है वह एलोपैथी होम्योपैथी और आयुर्वेद में क्या अंतर है देखेंगे तीनों पद्धतियां हैं उपचार की और तीनों ही पद्धतियां यह मन है गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की तरफ से पहले हैं एलोपैथी इंग्लिश दवाइयां है यह फॉर द टाइमिंग आपको थोड़ी देर के लिए यह रिलीफ दे देते हैं और यह ज्यादा इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए क्योंकि इनका साइड इफेक्ट होता है और इसमें ज्यादातर अफीम का भी इस्तेमाल होता है इसलिए इनको ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए होम्योपैथी भी एक पद्धति है इलाज की उम्मीद थी लेकिन लंबा इलाज है वह छोटी-छोटी गोलियां होती है जिनको में डुबाया जाता है और इस तरीके की दवा है और आयुर्वेद कैसे बनाई गई दवाइयां हैं जो कि परमानेंट होते हैं इलाज उसे परमानेंट किया जाता है और बिल्कुल ठीक भी हो जाता है आदमी हमेशा के लिए तो आयुर्वेद में गैस है आयुर्वेद को अपनाया
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नमस्कार मैं डॉक्टर विनीत का प्रमाणिक होम्योपैथिक फिजीशियन आपका क्वेश्चन है एलोपैथी होम्योपैथी एवं आयुर्वेद में क्या अंतर है सबसे पहले मैं आपको बता दूं यह तीनों अलग-अलग बैठी है चिकित्सा विज्ञान की अलग-अलग चिकित्सा करने का तरीका इनमें होता है एलोपैथी जिससे कि आप मॉडर्न मेडिसिन के नाम से भी जानते हैं या अंग्रेजी दवाइयों के नाम से भी आप जिनको जानते हैं उसको एलोपैथिक बोलते हैं जिसमें कि यह सारी अंग्रेजी दवाइयां होती है होम्योपैथी होम्योपैथी अगर यह लगती है और इसमें जो यह सफेद छोटी-छोटी गोलियां आपने देखी होंगी कि डॉक्टर छोटी-छोटी मीठी गोलियां देते हैं खाने के लिए यह होम्योपैथी की दवाइयां होती हैं और आयुर्वेद आयुर्वेद से तो इंडिया की ही पति है आयुर्वेद जिसमें जड़ी बूटियां बागबाहरा बनाई जाती हैं यह आयुर्वेद अच्छी होती हैं तीनों अलग विद्या हैं अलग पति हैं ट्रीटमेंट करने का अलग तरीका है इनके तीनों की अलग-अलग दवाइयां होती है अलग-अलग कोर्स होते हैं जो एमबीबीएस डॉक्टर सोते हैं यह सब एलोपैथी होते हैं जो बीएचएमएस डॉक्टर होते हैं वह होम्योपैथी होते हैं और जो बीएएमएस डॉक्टर होते हैं वह आयुर्वेदाचार्य होते हैं तीनों अलग पति हैं यह तीनों का इलाज करने का तरीका दवाइयां सब अलग होती है और डॉक्टरों की डिग्री भी तीनों की पढ़ाई भी अलग-अलग होती है थैंक यू
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आपका प्रश्न है एलोपैथी होम्योपैथी और आयुर्वेद में क्या फर्क है तीनों पैसे अपने आप में उपयोगी है सबसे पहली बार एलोपैथी एलोपैथी जहां आपातकालीन स्थिति में जब लोगों का जीवन संकट में रहता है उस समय सबसे ज्यादा उपयोगी मानी जाती है क्योंकि उसमें जीवन रक्षक दवाएं और बीमारियों का प्रबंधन उच्च स्तर का होता है सरकार और समाज से उसको ज्यादा मान्यता मिला हुआ है उसको अधिकार भी ज्यादा मिले हुए हैं उसके उससे मरीज यदि कोई दिक्कत में भी आ जाता है या उसकी मृत्यु भी हो जाती है तो उसको बहुत पर्याप्त अधिकार मिले हुए हैं इस वजह से उनका बचना भी संभव हो पाता है तो इस तरह से देखा जाए तो एलोपैथी जहां आपातकालीन स्थितियों में एक बेहतर चिकित्सा पद्धति है और जीवन रक्षक दवाएं ऑपरेशन सर्जरी और अच्छे तरीके के इंस्ट्रूमेंट से भरी हुई है वैसे ही होम्योपैथी जो है वह क्रॉनिक डिजीज जो पुरानी बीमारी है जिसमें काफी वक्त रहते हैं वह नई बीमारी है जिसमें मृत्यु की आशंका बहुत कम रहती है जिसमें संभावना रहता है मरीज के बेहतर होने की और समय भी रहता है कोई जीवन पर बड़ा संकट नहीं होता वैसे समय में होम्योपैथिक बेहद कारगर दवाई जो पुरानी बीमारियां हैं क्रॉनिक डिजीज इन होम्योपैथी सबसे बेहतर इलाज और आयुर्वेदिक इलाज मैं समझता हूं कि आयुर्वेद एक जीवन जीने की पद्धति है जिसमें हम जिसमें भोजन के बारे में दिनचर्या के बारे में और वैसी औषधियां जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए लंबे समय तक ली जा सकती हैं या शरीर को सपोर्ट करती है बॉडी माइंड को और शरीर के तमाम अंगों को टर्न ऑफ करती हैं वहां पर आयुर्वेदिक बेहतर चिकित्सा पद्धति आप इस तरीके भी समझ सकते हैं इस तरीके से भी सकते हैं कि यदि कोई आदमी फाइट कर रहा है लड़ाई लड़ रहा है जैसा की बीमारी और रोग प्रतिरोधक क्षमता में आपस में युद्ध चलता है तो जब भी कोई आदमी लड़ाई लड़ता है तो उसको 3 तरह से मदद की जा सकती है एक तो मदद यह है कि उस आदमी को हटाकर हम खुद एक दूसरी पोस्ट भेजने वह लड़ाई को जीत ले उस आदमी को लड़ने की जरूरत ना पड़े दूसरी दूसरी मृत्यु होती है कि हम उसे कोई हथियार दे दे जिससे वह अपने दुश्मन को मार दे और तीसरी मर्जी होती है कि हम उसको कुछ ऐसा उत्साह भर दे उसमें लड़की भर दे कि वह अपनी ताकत से ही उसे दुश्मन को खत्म कर दे तो एलोपैथिक दवाएं जहां स्वयं विरोधी शक्तियों को हटाकर खुद बीमारी को दूर करती हैं या बीमारी से लड़ती हैं आयुर्वेदिक दवाएं एक हथियार के तौर पर यूज होती हैं जो बीमारी से लड़ने में मदद करनी है और होम्योपैथिक दवाएं हमारे मेंटल और फिजिकल लेवल को पुस्तक करके हमारे इम्यून सिस्टम को पुस्तक करके और स्वयं मनुष्य ही यारों की ही उस बीमारी को हरा देता है तो तीनों दवाओं की जरूरत तीनों सिद्धांतों की जरूरत जरूर पड़ती है जब हमारे पास रोग से लड़ने की ताकत नहीं रहे जाती है या हम हमारे एनिमेशन सस्पेंडेड हो जाता है तो उस समय एलोपैथिक बेहतर है क्योंकि जब आप एक विकल्प आपको देना होगा जो आप की बीमारियों से जब हमारे अंदर ताकत कम हो जाता है हमारा सिस्टम टोन अप नहीं रहता है रिवर तुनक नहीं रहता किडनी स्टोन आयुर्वेदिक औषधि है जो इन अंगों को टोनी के तौर पर काम करती है उसको बेहतर बनाती है और जो हमारे पास वक्त रहता है बीमारी बहुत पुरानी रहती है जाती रहती है हमारा इम्यून सिस्टम भागने लगता है तो उसको बूस्ट अप करना हो तो रेगुलेट करना यह काम होम्योपैथिक
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का जवाब एलोपैथी होम्योपैथी और आयुर्वेद में क्या अंतर है मैं आपको सबसे पहले आयुर्वेद के बारे में बताता हूं जो प्राकृतिक देन है जो प्रकृति से हमें मिला है वह जड़ी बूटियां यदि हमारे शरीर में उनके योग उनके मित्र या सिंगल जड़ी-बूटी भी अगर किसी व्याधि को या रोग को ठीक करती है तो वह आयुर्वेद की विद्या कहलाती है आयुर्वेदिक दवाइयां कहलाती है फुल जड़ी बूटियों से एक खाने मान करके जर्मनी के वैज्ञानिक के जिन्होंने होम्योपैथिक आविष्कार किया उन्होंने उस इन नैनोटेक्नोलॉजी का इजाद किया पदार्थ वही है वही ऑर्गेनिक पधारजो आयुर्वेद में नहीं थे वहीं तथा ऑर्गेनिक पदार्थ उन्होंने भी लिए लेकिन उन्होंने क्या किया उसको नैनोटेक्नोलॉजी थे उसकी पोटेंशियल ईटी बड़ा थी अब आइए एलोपैथिक एलोपैथी भी कोई एलोपैथी में जितने केमिकल का नाम सुनते हो जिनको वह लोग शार्ट कहते हैं वह भी प्रकृति ने नहीं दिया वह इंसान के द्वारा बनाए गए हैं तो प्रकृति ने क्या दिया आयुर्वेद आयुर्वेद के जो घटक हैं यानी ऑर्गेनिक जो प्रकृति की देन है जड़ी बूटियां जैसी चट्टाने उठाने जिसके अंदर प्राकृतिक नेचुरल जीते जिनको कलेक्टिव करके आयुर्वेद में इस्तेमाल किया जाता है इन खनिजों को जैसे रिएक्शन किया जाता है तो वह एक नया पदार्थ बनता है वह सॉल्ट और पानी बनाता है तो जो नमक बनता है उसमें इसीलिए एलोपैथी वाले अपनी दवाई को सॉल्ट करते हैं क्योंकि वह ऑर्गेनिक और ऐसी यानी वेद और 18 के मिश्रण से बना होता है तो यह बेसिकल पढ़कर एलोपैथी हो न्यू पति और आयुर्वेद में कितनी विज्ञान उन्नति कर रहा है इतना मेडिकल साइंस उन्नति कर रहा है कि उनकी एलोपैथी में जो दवाइयां ऑर्गेनिक पदार्थ को ही एडिट करके बनाई जा रही है वह आज के युग में बहुत सटीक और रामबाण और कारगर साबित हो रही है बाजार में एलोपैथिक की डिमांड कितना प्रतिशत है बाकी अन्य होम्योपैथी और आयुर्वेद की जो परसेंटेज है वह मात्र 3% है
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हर परिस्थिति में हर चिकित्सा का अपना महत्व है जब कभी कोई मनुष्य बीमार होता है तो शीघ्र लाभ के लिए सबसे पहले इंग्लिश दवाइयों का ही प्रयोग करना चाहिए और अगर आप उसको हमेशा के लिए क्यों करना चाहते हैं तो उसके वह होम्योपैथी आयुर्वेद की दवाई लेकर उसे हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है
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आपका सवाल है कि एलोपैथी होम्योपैथी और आयुर्वेद में क्या अंतर है एलोपैथी हमारी कांची की चीज नहीं है डेफिनिटी के बाहर से आई है और अगर और मैं कुछ उड़ा तक जाम कर बताती हूं कि अगर आप को फीवर हो रहा है तो आप क्रोसिन यह कॉल पर ले रहे हैं जिससे आपका फिगर उतरता है लेकिन जीवन पता नहीं चलता कि बुखार चढ़ा क्यों है ठीक है तो हम एक कोई चीज देते हैं जो कि केमिकल भरी होती है आपकी बॉडी में जाती आपका फीवर उतार देती लेकिन आप कोई दूसरी प्रॉब्लम नहीं आती है तो यह कोई परमानेंट सलूशन नहीं है तो केमीकली बॉडी को डिलीट करना हेलो कैसी है अब आप आई होम्योपैथी और आयुर्वेद में मैं आपको अंदर समझा देती हूं कि फॉर एग्जांपल अगर हमें कोई एक चीज का एक्सट्रैक्ट चाहिए कहां चाहिए अगर हम एलोवेरा देते हैं और हमें उसको उसको एक्सप्रेस पीना है उसको खाना पीना गरम अफ्रेश एलोवेरा का जूस डालते हैं और उसको पीते हैं यह आयुर्वेद है प्रेस्टीज निकालिए कितने का लिया और उसको कीजिए अभी होम्योपैथी और आयुर्वेद ब्रदर सिस्टर कंसर्न आयुर्वेद कहीं एक बार होम्योपैथी है जिसमें स्ट्रीट नहीं होता है लेकिन डेफिनेटली आंसर जरूर होता है आयुर्वेदिक चीज होगा तो हमें पति भी काम करती है लेकिन स्लो करती है बटन भी इमीडिएट काम करता है जल्दी काम करता है बट होम्योपैथी भी बिलकुल सेफ है और नैचुरल है
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एलोपैथिक दवा एलोपैथिक होम्योपैथिक और आयोजन क्या अंतर है एलोपैथिक दवाई बनती है यूपी मॉडर्न है केमिकल से आजकल के रासायनिक क्रियाओं पर इसको तैयार किया जा सकता है जिसमें केमिकल युक्त होते हैं दूसरी चीज है आयुर्वेदिक आयुर्वेदिक में देसी जड़ी बूटियों से होते हैं देसी जड़ी बूटियों के आर्डर होता है और उनके होते हैं और उनके उनके उनका काढ़ा बनाकर उसका यूज़ किया जा सकता है और होम्योपैथिक में भी देसी जड़ी बूटियां के पेड़ पौधों के रस होते हैं उन्हें सकती कर कर के अंकों का हल सशक्तिकरण करके दवाइयों का रूप दे दिया जाता है एलोपैथिक में अंग्रेज और अंग्रेजी और केमिकल युक्त और अल्कोहल से पेड़ पौधों के पेड़ पौधों की पेड़ पौधों के कार्य आदि से बनी दवाइयां होती है
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जो एलोपैथिक दवाई होती है वह अंग्रेजी दवाइयां होती हैं जो कि आम केमिस्ट की दुकान वगैरह को मिलती है होम्योपैथी जो होता है वह दवाई मतलब जो होता है वह रोक को मतलब रूप के अनुसार काम करता है से मार लीजिए कोई रोग हो तो उस उस रूप को पहले जानेगा समझेगा और दूसरों को जड़ से खत्म करेगा एलोपैथी जड़ से खत्म नहीं करता बस बल्कि उस रोग रोग होता है उसके अगेंस्ट में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और आयुर्वेद जो होता है वह पूरा नेचुरल होता है जो अपने प्रकृति में जो नेचर में उगते हैं पेड़ पौधे वगैरह याद जो भी आयुर्वेद होते हैं उन से बनता है
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