चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
कितने लोगों को लगता है यह तो नहीं कह सकता कोई आंसर नहीं दे सकता बहुत ही खराब हालत में कुछ पॉइंट बताना चाहूंगा जिससे मुझे अपनी बात को और ज्यादा प्रूफ कर सके देखिए हर 10 कदम पर यदि हम चले परदेस हम से चले तो हमें किसी ने कॉलेज खुला हुआ है आज के टाइम में स्कूल-कॉलेज लगातार खुल रहे हैं वह बिजनेस के लिए आज से खोल रहे हैं पैसा कमाने की आत्मा से बोल रहे हैं और मैं भी मिल जाती है पैसे का लेनदेन करके देने के नाम पर ऐसी क्लासिकल फर्नीचर गुलाब मोगरा के नाम पर मोटी मोटी फीस वसूली जाती है और अपने आप लिखा जाता है कितना बड़ा है पढ़ाई के प्रति डिसिप्लिन कुछ है नहीं कुल मिलाकर जो बच्चा पास करता है यह डिग्री हासिल करता है उसके पास जो नॉलेज होनी चाहिए उस क्लास के सब से डिग्री के हिसाब से वह होती है अच्छी होगी यह है कि देखिए हमारे देश में जो एजुकेशन सिस्टम है उस पर रखने पर ध्यान किया जा रहा है या नहीं छोरी पर गाने बचा कर क्या रहा है एग्जाम पास करना उसे पता है वह यह क्राइटेरिया उसको अच्छा या बुरा कहने का है उसका एग्जाम से एक रात पहले और कर लेता है तो पूरी रखने के एग्जाम के 10:00 15 दिन बाद कुछ चीजों को भूलने लगता है प्रैक्टिकल नॉलेज उसको कुछ है नहीं तो कल नहीं होगी
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देखें हमारे देश में कई सारे लोग ऐसे हैं जिन्हें यह चीज लगती है कि हमारे देश का जो एजुकेशन सिस्टम है वह काफी दोस्त है इसलिए बस काफी ज्यादा होता है बच्चों के पर वर्णन को ज्यादा पड़ रहा है और इस वजह से उनको लगता है कि एजुकेशन सिस्टम ही गलत है लेकिन मैं आपको बताना चाहूंगी तो क्या गर्म और देशों से कंपेयर करें तो हमारे देश का एजुकेशन एजुकेशन सिस्टम बहुत ज्यादा कर सकते है और बहुत ही ज्यादा अच्छा है वह बचपन से ही बच्चों को इस तरह से ट्रेनिंग देता है इस तरह से चीजें सिखाई जाती हमार एजुकेशन सिस्टम में क्या आगे चलकर वह सभी चीजों का बच्चों की लाइफ में कुछ ना कुछ शब्द आर्टिकल यू जरूर होता है उसके अलावा हमारे एजुकेशन सिस्टम को और हमने ही नहीं बल्कि बाहर के लोगों ने भी काफी अच्छा माना है यही कारण है कि हमारे इंडिया में से बहुत सारी कंपनी जैसी हैं जो बाहर से आकर हमारे इंडिया में फायरिंग करती है लोगों की और अपनी कंपनी में इंडियन लोगों का रहना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि यह सच्ची सभी जानते हैं कि जो इंसान इंजन इंडियन एजुकेशन सिस्टम में पड़ा पड़ा है वह कहीं ना कहीं उसकी जूलॉजिकल खेलते हैं उसकी जो नॉलेज है वह काफी अच्छी होगी और इसी वजह से हम कह सकते हैं कि हमारा एजुकेशन सिस्टम बहुत ज्यादा शक शक है और वह बच्चों को बचपन से ही चीजें इस तरह से खाना शुरू करता है कि आप बड़े होकर उनको वह चीज अटक नहीं लगती है वही बाहर के देशों में जो चीजें हैं वह बच्चों के पशु आज से नहीं सिखाई जाती हैं तो उनको वह चीज आगे चलकर जब सीधी पड़ती है तो उनको काफी टफ लगती है उसके बाद उसके शोरुम क्योंकि हमारे एजुकेशन सिस्टम को जो समाज में एक मार्क्स के ऊपर डिपेंड कर दिया वह चीज जरूर गलत है हमारे एजुकेशन सिस्टम को माफ से नहीं रिपेयर करना चाहिए मांस से नहीं उसे कंप्लीट करना चाहिए कि जिसकी ज्यादा मार्क्स आएंगे वह ज्यादा अच्छा बच्चा होगा जिसकी काम आएंगे उसके काम अच्छा होगा मार्क्स किसी की नॉलेज नहीं बताते तो वह मार्क्स के लिए बुकिंग सिस्टम को दोष नहीं देना चाहिए वह हमारी खुद की सोच है जो हम मार्क्स के ऊपर डिपेंड रहते हैं अपने बच्चे की गुणवत्ता जांचने के लिए
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मुझे अपनी पूजा कितने लोगों को लगता है कि हमारे देश का लोकेशन सिस्टम जो है गलत है बहुत सारे लोग को लगता क्योंकि इंडिया में अगर हम बात करते हैं एजुकेशन सिस्टम की तो यहां पर मेडिकल चीजें ज्यादा पढ़ाई जाती है जो कि बिल्कुल ठीक है लेकिन इसमें एक प्रॉब्लम भी है यह छोटी गलती से आपको पढ़ने में बहुत टाइम लगता है और आप चीजें लंबे समय तक याद नहीं रख सकते जो कि जो चीज किसी ने बताया कि जिस पढ़ना है तो यही चीजें पढ़ाया जा रहा है हमेशा से नई नई चीजें भेज में इजाफा नहीं किया जाना नहीं तू शायद नहीं किया देकर प्रैक्टिकल ज्यादा हो तो मिस टीचर को खुश करते हैं आपको ज्यादा चीजें समझ में आती है आपको और ज्यादा लंबे समय तक आपसे याद भी रख सकते हो आप समझ पाते कि पर क्या यूज है किस यूज़ कर सकते हैं वैसे कोई टेक्निकल ज्यादा स्ट्रांग लेते हैं आप इसको स्पेशल यूज़ करते हैं तो इसका यह फायदा हो सकता है यह नुकसान हो सकता है दुख तो तू चीज आपको समझ में नहीं आती है ठीक है तो एजुकेशन सिस्टम कनेक्ट होने की जरूरत है अब यहां पर देखेंगे तो प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूल से सरकारी स्कूल नहीं जाते हैं प्राइवेट स्कूल में बात करते हैं तो थोड़ा ज्यादा बेहतर एजुकेशन सिस्टम है वहां पर तो वहां की थी ज्यादा है तो नार्मल जो बच्चे वहां पर नहीं जा पाते तो यह चीज है वह गवर्नमेंट को सोचने की जरूरत है एक टेबल फ्री होना चाहिए ताकि सब सब लोग जो है पढ़ाई करता है खासकर गवर्मेंट स्कूल में बेहतर शिक्षा बेहतर क्वालिफाइड टीचर हो और सही टाइम टेबल सही अरेंजमेंट सही टेक्नोलॉजी से यूज किया जाता कि जो एजुकेशन सिस्टम को बेहतर किया जा सके सरकारी स्कूल में भी
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