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नमस्कार दोस्तों वोकल पर सुन रहे मेरे सभी बुद्धिजीवी श्रोताओं को मेरा प्यार भरा नमस्कार आज का सवाल है अपना आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं और भूलने की बीमारी को कैसे दूर करें तो सबसे पहले मैं आत्मविश्वास पर आता हूं दोस्तों सेल्फ कॉन्फिडेंस का मतलब है हमारा अपने ऊपर और अपनी क्षमताओं में भरोसा या यकीन कि जब कोई भी काम हम करना चाहते हैं तो हम इस विश्वास के साथ करें कि मैं काम को अच्छे से अच्छे तरीके से कर सकता हूं और जब आपकी सोच के साथ कोई काम को करते हैं तो आप उस काम में सफल होने के चांसेस हैं होटल पर खा लेते हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ अगर आप अपने आप पर शंका लेकर के किसी काम को करते हैं कि पता नहीं मैं यह काम कर पाऊंगा यह या नहीं या पता नहीं कहीं मैं फेल ना हो जाऊं फोटो आपके मन में हावी रहेगी तो आप दोस्तों एक तरह से नर्वस फील करेंगे और डरे डरे से रहेंगे आपका जो सेल्फ कॉन्फिडेंस है वहां वह काम नहीं कर पाएगा तो दोस्तों उपलब्धि चाहे बड़ी हो या छोटे सभी के मूल में बुनियादी चीज यही है कि आपको कितना कॉन्फिडेंस से कितना सेल्फ कॉन्फिडेंस लेकर आपको चीज कर रहे हैं तो जो इंसान जितना ज्यादा आगे जीवन में जाना चाहता है उसको उतना ही ज्यादा आत्मविश्वास की बनने की जरूरत होती है और दोस्तों आत्मविश्वास आता है जिम्मेदारी लेने से क्या क्या काम कर सकते हैं कॉन्फिडेंस आता है सही दिशा में लगातार आगे बढ़ने से धैर्य और संयम के साथ कॉन्फिडेंस आता है सही तरीके से लोगों के साथ व्यवहार करने से चल कॉन्फिडेंस आता है एक सही सोच के साथ जीवन में आगे बढ़ने से अब मैं आता हूं भूलने की बीमारी तो दोस्तों हमारी चीजों को रखकर भूल जाने की जो आदत है वह भी मुझे लगता है हमारे जो गलत ऑटो सजेशन हम खुद को देते रहते हैं उसकी वजह से हम अख्तर कह देते हैं कि मैं तो कुछ भी रख कर भूल जाता हूं मेरा तो दिमाग ही रहता है यानी एक तरह से आप बार-बार नकारात्मक वाक्य जब खुद के साथ बोलते हैं क्योंकि हमारा हर समय एक खुद के साथ संवाद चलता रहता है भले ही आप मुंह से बोल कर मुझसे बात नहीं करते लेकिन आपने देखा होगा आपके दिमाग में एक चर्चा चलती रहती हर चीज के बारे में आपकी राय बनती रहती है तो वह कोटेशन आपको पॉजिटिव रखनी है आपको खुद को कुछ दिन तक सिर्फ यह कहना है कि आपकी जो याददाश्त है वह बहुत अच्छी है आप चीजों को लंबे समय तक भूलते नहीं हैं और आपका दिमाग बहुत अच्छे से काम कर रहा है तो इस तरह की पॉजिटिव चीज है जब आप मन में रिपीट करते हैं जब आप सोचते हैं मन में तो आप यकीन नहीं मानेंगे उसका आपके शरीर पर आपके दिमाग पर एक गहरा असर पड़ेगा और आगे से आप चीजें जो है वो रखकर भूलेंगे नहीं और आपकी भूलने की बीमारी जोया मत छूमंतर हो जाएगी तो दोस्तों कहीं ना कहीं सारी चीजें एक-दूसरे से जुड़ी हुई है हमारी जो नकारात्मक सोच है वह हर जगह हमें उसके साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं तो चल कॉन्फिडेंट का मैंने आपको बता ही दिया कि लगातार आप नियमित छोटे-छोटे कामों में आप ऐसे अभ्यास करें कि आप इस काम को कर सकते हैं पॉजिटिव सोच के साथ जब आप कुछ करेंगे तो आप देखेंगे उसके नतीजे कुछ बेहतर होंगे कुछ अलग होंगे धन्यवाद
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