चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
भारत की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की सख्त आवश्यकता है क्योंकि भारत में प्रेक्टिकल नॉलेज काफी कम दिया जाता है और जिसकी जरूरत हमें आगे चलकर पड़ती है किताबी ज्ञान तो होना ही चाहिए साथ ही साथ लोगों को प्रेक्टिकल नॉलेज भी होना चाहिए क्योंकि 12th के बाद जब हम कॉलेज में जाते हैं और वहां पर भी बस ज्यादातर चीजे थ्योरी के माध्यम से यानी कि किताबों में जो चीजें लिखी है वहीं पड़ा दी जाती हैं और बाद में जब लोग जॉब करने जाते हैं या फिर मान लीजिए किसी कंपनी में उनकी जॉब लगती है तब उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज की आवश्यकता होती है जिसमें छात्रों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो इसी वजह से मुझे लगता है कि बेसिक लेबल सही यानी कि प्राइमरी स्कूल से ही शिक्षा व्यवस्था में कुछ बदलाव अवश्य करनी चाहिए ताकि जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है उसे कुछ इंटरेस्टिंग बनाया जाए साथ ही साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी छात्रों को प्रोवाइड की जाए अगर इस तरह के बदलाव किए जाएंगे तो आज जो हमारी शिक्षा व्यवस्था की है हालत इतनी दयनीय हो गई है उसमें सुधार अवश्य होगा और इस नई शिक्षा व्यवस्था से पढ़कर निकले छात्र काफी आगे बढ़ सकते हैं और उन्हें चीजों को समझने में काफी आसानी भी होगी
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पहले तो मैं आपको बताना चाहूंगी कि भारत में जो शिक्षा प्रणाली है और जिस तरह की शिक्षा बच्चों को दी जाती है वह इतनी भी उपाय नहीं है जितनी आप समझ रहे हैं क्योंकि देखिए और यह मैं मानती हूं कि बहुत ही ज्यादा बढ़ा सिलेबस होता है काफी ज्यादा एक्सीडेंट पढ़ाई कर ज्यादा चीजें होती हैं परंतु उन सभी का कुछ ना कुछ महत्व होता है और आगे चलकर बच्चों को खुद कोशिश पता चलता है कि जो चीज बनाना है स्कूलों में सीखी थी जून को शिक्षा प्राप्त की गई थी उनके द्वारा को किसी न किसी तरह से उनकी पूरी जिंदगी में मदद करती है और उनके लिए जरूरी होती है तो चाहे वह भाऊ हो या फिर थोड़ी ज्यादा शिक्षाकर्मी ज्यादा हो सिलेबस ज्यादा हो लेकिन कभी भी गलत नहीं होती हमेशा अच्छी होती आपके लिए तो उसमें किसी भी तरह का सुधार मुझे नहीं लगता कि आना चाहिए ना कि हम यह जरुर कर सकते हैं कि जितना सिलेबस होता है उतना टीचर्स को ध्यान से पढ़ना चाहिए और हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि जो चीज को पढ़ा रहे हैं वह बच्चों को समझ आ रही है कि नहीं आ रही है क्योंकि अगर कोई चीज आपको समझ नहीं आती है तभी वह बनती है अदर वाइज बच्ची आपको समझ आती है तो आपको अच्छी लगती है तो वह जो भी टीचर आपको पढ़ा रहा है वह चीज को किस तरह से पढ़ा रहा है उसके ऊपर डिपेंड करता है उसके अलावा शिक्षा बिल्कुल भी उबाऊ नहीं होती है और किसी ना किसी तरह से आपको हमेशा मदद करती है
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जैसे कि मैंने आपको पहले बताया कि बिल्कुल दोनों की सेम ही है शिक्षा जो है वह भाव शिक्षक हैं या फिर जो अभी करंट प्रणाली चल रही है करंट एजुकेशन सिस्टम चल रहा है उसको चेंज करने की जरूरत है बुक सटा के वहां पर प्रैक्टिकल नॉलेज देना चाहिए छुट्टी कल नॉलेज हटाके प्रैक्टिकल नॉलेज पर बेस्ड एजुकेशन होना चाहिए ना कि स्कूलों में क्लास लोअर जिसमें LKG कहते हैं वह किन्नर गार्डनर वहां से लेकर इंजीनियरिंग सब्जेक्ट ऑफ़ हाई रैंकिंग कि कॉलेज है वहां तक इस की शिक्षा प्रणाली को पूरा चेंज करना पड़ेगा या अभी भी हम उसी तरीके से पढ़ाई जैसे अंग्रेज हमें सिलेबस बनाकर देखे गए थे लेकिन कुछ फूल है जो कि भी महंगे इंटरनेशनल स्कूल है वह जो है वह इंटरनेशनल तरीके से पढ़ाते हैं वह जो बच्चे पढ़ते हैं उनको हर चीज है प्रैक्टिकल नॉलेज जाते हो जिस दिन बढ़ना चाहते हैं उसकी नॉलेज दी जाती है ना कि बजाय की ट्रेडिशनल वही सारे किताब सभी बच्चों को पढ़ने पड़ेंगे इसके बजाय
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