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विज्ञान बिल्कुल भारत की शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन की आवश्यकता है वह इसलिए क्योंकि आज के समय में जो शिक्षा दी जाती है भारत में वह प्रैक्टिकल एजुकेशन नहीं दी जाती मतलब बच्चों को सिर्फ बताया जाता है कि वह अच्छे नंबर कैसे ले कर आ पाए एग्जाम में और पास हो जाए तो सब एक दूसरे की होड़ में लगे हुए बस नंबर लाने की होड़ में उनको फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या पढ़ रहे हैं उनके पास बेटी का नॉलेज है ही नहीं अगली मैं यह बोलूंगा कि आपने देखा होगा कि एग्जांपल के तौर पर मैं बताता हूं कि एजुकेशन सिस्टम कैसी है कॉलेज की ज्यादातर कॉलेज कि मैं बात बता रहा हूं आपको बीटेक के झंडे पर इंजीनियर सोते हैं वह पासवर्ड होते हैं और वह या तो बेरोजगार हो जाते हैं ब्रदर फील्ड में काम करते हैं उनके दिल में जो होती है फिर भी उनको जॉब नहीं मिलती क्योंकि उनके पास नहीं प्रैक्टिकल नॉलेज होती है नहीं इंडस्ट्री नॉलेज होती है तो बिल्कुल बेटी का नोटिस दी जानी चाहिए ताकि लोग और जस्ट फ्रेंड से तो अच्छे से समझे शिक्षा क्या होती है और हमें कैसे यूज़ करना चाहिए प्रेक्टिकल लाइफ में और जब प्रैक्टिकल नॉलेज दी जाएगी तभी भारत में इनोवेशन ज्यादा बढ़ेगा इनोवेशन कम है कहीं ना कहीं हम सब जानते हैं कि कहीं ना कहीं पेरेंट्स को भी अपना योगदान देना चाहिए ऐसे आजकल क्या होता है आजकल के बच्चे जो पेरेंट्स अपने बच्चों को चाहते हैं बस नंबर लगाना सिखाए बच्चे नंबर अच्छे लेकर आएं और पास हो तो जाए बच्चे को इंटरेस्ट कुछ और होता है और वह कराते कुछ और है बच्चा कुछ और करना चाहता है वह फोर सेल के इंजीनियर डॉक्टर कॉमर्स यही सब करना चाहते हैं तो कहीं ना कहीं कहीं ना कहीं जो सिस्टम है वह घर पर है और पेरेंट्स को भी समझना चाहिए और बच्चे को जो मर्जी है वह करना चाहिए ताकि बच्चा उस फिल्म अपना फ्यूचर बना सके अच्छा प्रगति कर सके उस दिन में जो उसने पसंद किया है तो यही कुछ चीजें हैं जिस में सुधार लाना बहुत जरूरी आज के समय में और कहीं ना कहीं दूसरी किसे SSC स्कैन और भोसड़ी उसके मूल है वह भी गलत है बच्चों की पिक्चर के साथ खिलवाड़ हो रही है तू ही सब चीज में सुधार जल से चलाना चाहिए
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अगर भारत के शिक्षा प्रणाली की बात की जाए तो देखिए उसमें मुझे लगता है कि थोड़ा-बहुत परिवर्तन की आवश्यकता जरूर है कि कि जो सिलेबस होता है बच्चों का जो पढ़ाने के लिए उनको दिया जाता है हर क्लास में वह काफी ज्यादा होता है और उसके हिसाब से बच्चों की उम्र जो है वह अपनी नहीं होती है क्योंकि आप खुद ही दिखे तो छोटी क्लास के बच्चों को भी इतना ज्यादा से बल दिया जाता इतनी ज्यादा चीज है बढ़ाने को कहा कही जाती हैं कि कई बार रोबोट चीजें उनके ऊपर वर्णन बन जाती हैं और वह स्वयं के नीचे दब जाते हैं तो मुझे लगता है कि यह भारत की शिक्षा प्रणाली है उसमें जो सिलेबस है उसको कम कर के और प्रैक्टिकल चीजों से खाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए उसके साथ-साथ टीचर्स को भी हमेशा को पढ़ाने के तरीके हैं उनमें परिवर्तन लेकर आने चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि जो चीज में बच्चों को पढ़ा रहे हैं उसका वह प्रैक्टिकल नींद भी समझा सके कि उसकी क्या जरूरत पड़ सकती है उनको लाइफ में और कैसे उन को अच्छी तरह से वह यूज़ कर सकते हैं उन चीजों को जिस स्कूल में सिखाई जाती है मैं लाइफ में 2 शिक्षा प्रणाली में सिर्फ यही परिवर्तन की आवश्यकता है कि और जो चीज आप पढ़ा रहे हैं वह बच्चों को समझ आनी चाहिए तब जाकर शिक्षा का और सही मायनों में वह सीख पाएंगे लड़ाई सिर्फ नाम के लिए पढ़ाना कोई भी यह चीज अच्छी नहीं होती
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जी हां बिलकुल भारत में शिक्षा प्रणाली का परिवर्तन समय पर पहुंचना अनिवार्य है किसी जैसे हमने भी देखा दसवीं और बारहवीं कक्षा के बोर्ड के एग्जाम सोए थे उसमें पेपर काफी बड़े पैमाने पर लिखे थे तो उसमें काफी लोगों के साथ अन्याय हुआ है और वापस पेपर भी नहीं दोहराया गया है वापस रिटर्न नहीं लिया गया है तो यह सब कारण वश मुझे ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं जो हमारे यहां की शिक्षा प्रणाली है उसे बहुत बड़े बदलाव की जरूरत है जैसे हम देखते हैं कि चैटिंग हो रही होती है यार दूसरों पेपर देने चले जाते हैं इस को रोकना बहुत आवश्यक है हमें कोई बड़ा कदम उठाना पड़ेगा तो क्या करना पड़ा कदम नहीं उठाएंगे तो फिर सीबीएसई बोलिए जो भी शिक्षा प्रणाली ही भारत लेकर आता है उसका कोई भी इज्जत नहीं रहेगी उसकी कोई वैल्यू नहीं रहेगी कल को गर्म करने वाला बच्चा चाय चाय का पहाड़ है तो वहां पर तो यही बात तो चैटिंग करके कोई भी नहीं आता है कि मेहनत करके ना गीतो आएंगे उसके साथ अन्याय होगा उसके साथ बुरा होगा तो उसके लिए मुझे लगता है कि भारत की लोक शिक्षा प्रणाली है उसमें काफी बदलाव लाने की जरूरत है क्योंकि सभी बच्चों के साथ न्याय हो पाएगा
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जी बिल्कुल जो है भारत में शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन होना ही चाहिए क्योंकि कोई सुबह अगर इंसान 7:00 बजे बाइक लेकर जाता है क्लास में बैठ कर फिर वही बेग लटका के लिए आता तो हमें भी पता किस ने कितनी पढ़ाई होती है और कितना एक बच्चे को समझ में आता है पीयूष शब्द सारे चीज गाम में दिख जाता अगर यही सिम की जगह प्रैक्टिकल के माध्यम से होने लगे प्रैक्टिकल यही साबित सिंचित होने लगे तो फिर आज नॉलेज है बच्चों का वह भी बढ़ेगा या वर्णित लेवल बढ़ेगा और जो बच्चे वह काबिल बन पाएंगे तू जो प्रैक्टिकल सिस्टम को इंप्लीमेंट करना चाहिए हमारे स्कूलों के अंदर स्मार्ट लर्निंग होनी चाहिए ना की किताब खोल कर बस पलटी मार रट्टा मार दे रहे
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