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राजनीति वास्तव में किन का खेल है बुद्धिमान का या दयावान का या विद्वान का देखिए जो राजनीत है वह है बुद्धिमता का खेल है ना दयावान का है और ना विद्वान का है इसमें राजनीति में बुद्धि कौशल लता का होना बहुत आवश्यक हुआ करता है जिसमें बुद्धि कौशल है इसे झुकता है और अब अपने नफे नुकसान का ज्ञान है और कैसे चातुर्य तरीके से हुआ है अपनी बात को जल का नागरिकों को तक पहुंचाएं और नागरिक उसकी बात से संतुष्ट हूं पुणे सेटिस्फेक्शन मिले यह जो चार्ट ओपन है यह बुद्धिमान संपन्न व्यक्ति ही कर सकता है और बहुत ही कुशलता और कौशल्य वाला जो व्यक्ति है वही इस कार्य को अंजाम दिया दे सकता है राज्य की न्यूज़ का किस प्रकार से संचालन किया जाए और राज्य में रहने वाले लोगों को किस तरीके से बेहतर तरीके से अपनी बात को समझाया जाए या उनकी बात को सुना जाए यह बुद्धिमता का इसमें बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है राजनीत बहु आयामी हुआ करती है इसमें कोई एक पक्ष नहीं हुआ करता है कई-कई फैक्टर्स क्या कई तत्व कार किया करते हैं उन्हें तत्वों को समझना और उनका विश्लेषण करना और विश्लेषण के बाद में कोई निष्कर्ष निकालना यह बुद्धि कौशल व्यक्ति ही कर सकता है कि यहां पर दयावान और विद्वान जो आदमी हुआ करते हैं वह फेल हो जाया करती है नहीं राजनीति में किस पर दया करनी है इस पर नहीं करनी है यह भी विचार किया जाता है जो हितकारी पुलिस होगा करते हैं उन पर दया आती है जो हितकारी पुरुष नहीं दिए किया हुआ करते हैं यानी अथवा नहीं हुआ करते हैं उन्हें दंडित भी किया जाता है दंड का भी सहारा लिया जाता है यह गठित करने का भी प्रयास किया जाता है और जो विद्वान हुआ करता है विद्वान किसी विशेष विषय पर उसकी विद्युत आराजी है वह उस विषय का विशेषज्ञ हुआ करता है लेकिन राजनीति में बहुआयामी व्यक्ति होना चाहिए क्योंकि राजनीति बहु आयामी हुआ करती है उसकी हर पहलू को समझना चाहिए इसलिए यहां पर विद्वान आदमी हुई फेल हो जाया करता है तू राजनीत में नाथू दयावान श्रीकांत चलता है और ना विद्युत आसी काम चलता है विद्वान से काम चला करता है राजनीत बुद्धिमता का खेल है और जो बुद्ध बता दी आपने क्या तोरे पानी से जिस व्यक्ति को प्रभावित कर लेता है और उसे अपने मनमाफिक बूट आदि धर्म अपने पक्ष में अपने हित में डलवा लेता है वह वह व्यक्ति राजनीति में उतना सफल महाराजा मना करता है और जनता के लिए जनता जिसे कोषों और जनता की जितनी लड़ाई हो उसके लिए जो भी चीज बना करती है और जो नहीं है वह कितनी गुणकारी होनी है अभी बुद्धिमता का खेल है जो योजनाएं बना करती हैं वह योजना योजनाएं 5 और 10 वर्ष के बाद वह क्या-क्या प्रणाम जिया करेंगे या उन योजनाएं जो ओपन करके तैयार हुई है वह उस व्यक्ति ने नागरिक के जीवन को कितना प्रभावित करेंगे यह बुद्ध बता की ही बात हुआ करती है इसलिए जो राजनीति है यह बुद्धिमान लोगों का खेल है इसमें ना तो दयावान होना चाहे दयावान की आवश्यकता है ना किसी एक विषय विषय के विशेषज्ञ की आवश्यकता है विद्वान जो हुआ करता है वह किसी एक सब्जेक्ट पर विशेषज्ञ होता है क्योंकि उस कुछ और भी जो योग्यताएं हैं उसकी बहुआयामी नहीं हुआ करती है कोई भी व्यक्ति हो वह किसी एक अथवा न विषय पर ही विशेषज्ञ हो सकता है विद्वान हो सकता है धन्यवाद
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