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आपका प्रश्न है सभ्यता और संस्कृति में क्या अंतर है सभ्यता हमारे व्यवहारिकता में आता है कि हमारा व्यवहार से हो पूछो श्रेष्ठ हो और वही हमारा जो सभ्य व्यवहार में व्यक्तित्व जब पास में चला जाता है तो संस्कृति बन जाती है खाने में यही आता है कि हमारी संस्कृति यह रही है यह रही है उस काल में भी तो उसमें कि जो व्यक्ति थे उनके व्यक्तित्व उनके कर्म इतने महान रहे हैं जिसको हम आज याद करते हैं और अपने जीवन में लाने का प्रयास करते हैं तो वर्तमान जीवन हमारा जो है वही फास्ट होने के बाद संस्कृति बन जाती है इसलिए सभ्यता अर्थात शब्द है विचार सभ्य बोल सभ्यता अर्थात मर्यादा में रहती है कल करेंगे तो वर्तमान जीवन भी हमारा श्रेष्ठ होगा और हमारी संस्कृति भी महान बन जाएगी
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सभ्यता किसी कालखंड में क्षेत्र किसी मानव समुदाय के द्वारा कम टिकाऊ होती है कालांतर में जैसे यूनान मिश्र आदि की समाप्त होगी लेकिन संस्कृति स्थाई होती है संस्कृति संस्कारों पर आधारित होती है और सांस्कृतिक वीडियो एचडी अनंत काल तक चलती रहती है संस्कृति अधिक महान है सभ्यता इतनी महान नहीं है इसकी संस्कृति तो संस्कृति निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और सत्यता निरंतर नहीं कर सकती क्योंकि सभ्यता किसी समय विशेष कालखंड में उस स्थान विशेष के लोगों द्वारा अपनाई गई चीज है जो धीरे-धीरे लुप्त भी हो सकती है कमजोर भी पड़ सकती है
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बेटा आप को दर्शाती है संस्कृति आपके परिवार को
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सभ्यता और संस्कृति में कोई अंतर नहीं है जो सांस्कृतिक के लोग सभ्यता निवेश पर यूज़ करते थे वही समझाता है वहीं सांस्कृतिक समझता है
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सभ्यता बाया व्यवहार की वस्तु है परंतु संस्कृति नैतिकता की आवश्यकता होती है संस्कृति में गहराई होती है सभ्यता में गहराई का भाव होता है
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संविदा दर्शाती है इंसान की बोलने बात करने में खनन किस सभ्यता से बात करता है गलत बोलता है उसको व्हाट्सएप पर पहला कहा जाता है जो गलत बोलता है तो सही बोलता है सब बता किस को समझा कहते हैं रही बात संस्कृति की तो हमारी कुरकुरे संस्कृति चली जा रही अपनी महारत कि हम उसी का उपयोग करते ज्यादा अच्छा नहीं लगा दे संस्कृति हमारे यहां से चली जानी चाहिए हमारा दिल साफ होना चाहिए हमें अपनी संस्कृति अपनानी चाहिए अपने हिंदुस्तान की संस्कृति
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सभ्यता तो एक समाज की जो रहन-सहन होता है वह होती है और संस्कृति देश की पहचान
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सभ्यता वह होती हैं जब इंसान विकसित होता है जैसे कोई देश विकसित होता है जैसे अमेरिका है अमेरिका अमेरिका एक देश है जिसमें हर चीज है एक विकसित देश माना जाता है और भारत है वह विकासशील है अभी वह विकास के मार्ग पूरी तरह का पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है और संस्कृति वह होती है जो हमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आती हैं जैसे हम पुराने समय से त्योहार मनाते हैं कोई ईद मनाता है कोई दिवाली मनाता है तो कोई कुछ ऐसे ही चल माई संस्कृत संस्कृति होती है पुरानी वह हमारे समाज के साथ-साथ हमारे पास बढ़ती चली जाती है और आगे भी रहती है असभ्यता वह होता है जो विकास के मार्ग पर चल रहा है दोनों बस इतना ही डिफेंस है
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संस्कृति देते हम अंग्रेजी में कचर भी कहते हैं संस्कृति में धर्म कला दर्शन साहित्य संगीत नृत्य इत्यादि शामिल होते हैं और जो कि समाज प्रगति की ओर अग्रसर हैं जो देश विकासशील होते हैं सभ्यता का संबंध विकास जी होता है
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संविदा एक इंसान में होती है उसकी नियति में होती है सभ्यता और संस्कृति हमारी प्रकृति के हमारे हमारे पूर्वजों से मिलते संस्कार अच्छे संस्कारों से संस्कृति और सभ्यता में एक अच्छा इंसान बनाती है
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सभ्यता और संस्कृत में यह अंतर है कि सभ्यता के अंतर्गत मनुष्य का पूर्ण रूप से व्यवहार और बोल बम बोल बम आती है संस्कृत के अंतर्गत संस्कृत के अंतर्गत अपने ऐतिहासिक संस्कृति के बारे में जाना जाता है उसके बारे में पूर्ण ज्ञान रखने वाले को संस्कृति कहते हैं और अपनी संस्कृति से जुड़े रहने से हमारी सभ्यता और संस्कृति दोनों में कोई अंतर नहीं होता है
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सभ्यता और संस्कृति में मौलिक अंतर यह है कि सभ्यता का संबंध जीवन यापन या सुख सुविधा की भारी वस्तुओं से है जबकि संस्कृति का संबंध आंतरिक वस्तुओं से है कविता की मां की जा सकती है किंतु संस्कृति की बात नहीं की जा सकती उदाहरण के लिए ऐसा बता देना अधिक आसान है कि साइकिल की अपेक्षा मोटरगाड़ी अधिक उपयोगी है किंतु प्रमाण प्रस्तुत करना कठिन है कि परिश्रमी संस्कृति की अपेक्षा भारतीय संस्कृति श्रेष्ठ है इसके लिए कोई भी मापदंड नहीं है सभ्यता का प्रसार तीव्र गति से होता है किंतु संस्कृति का प्रसार धीरे-धीरे लेकिन लगातार होता है
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सभ्यता और संस्कृति में अंतर सभ्यता का विकास सदैव नवीन सुविधाजनक खोज होता है जिससे व्यक्ति सदैव सरल एवं सुविधाजनक तत्वों की को सीखता है तथा सीखने का प्रयास करता है जबकि संस्कृत को व्यक्ति अपने पूर्वजों से ग्रहण कर उसे संजोए रखता है तथा उसे जीवित रखने का प्रयास करता है संस्कृत पुरानी परंपराओं से चली आई पूर्वजों की धरोहर होती है जबकि सभ्यता सतत विकास होता है
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