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आपका को चलता है कि राष्ट्रपति शासन और राज्यपाल शासन में क्या अंतर है तो इसका एक एग्जांपल के रूप में हम समझ सकते हैं जैसे कि हम जम्मू कश्मीर को ले लीजिए अभी महबूबा मुफ्ती की सरकार और बीजेपी की सरकार से गठबंधन टूटने के कारण बाहर राष्ट्रपति शासन लग गया था उसका मतलब था कि राज्यपाल बाकी सारे काम काज सारे कागज दिया अपने अधिकार में कर लेना लेकिन वह कोई फैसला जब भी संस्था जब जब तक इस पर राष्ट्रपति अपना आदेश ना दे तो राज्यपाल शासन स्टेट में लागू होता है और राष्ट्रपति शासन पूरे देश की है धन्यवाद
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हमारे देश के संविधान में राष्ट्रपति और राज्यपाल दो सर्वोच्च पद माने जानते माने जाते हैं राष्ट्रपति भारतीय संविधान के अनुसार देश के प्रमुख होते हैं जबकि राज्यपाल को एक राज्य का प्रमुख माना जाता है दोनों ही प्रमुख नाम Aashiqui सत्ता के प्रमुख होते हैं दोनों पदाधिकारियों की शक्तियों में कुछ मूलभूत अंतर होता है जब लोकसभा में कोई सामान्य विधेयक प्रस्तुत किया जाता है तो राष्ट्रपति के पास उसको स्वीकार करके अधिनियम बनाने का और अधिकार करके रद्द करने का अधिकार होता है और तीसरे विकल्प के रुप में राष्ट्रपति से पुनर्विचार के लिए सदन में भेज सकते हैं जबकि राज्यपाल के पास इन तीनों विकल्पों के साथ एक अतिरिक्त विकल्प भी होता है वह राष्ट्रपति की अनुमति लेने का अधिकार होता है वित्त विधेयक के संबंध में राष्ट्रपति के पांचवें वित्त विधेयक विकृति के लिए आता है तो वह अपनी शक्तियों का प्रयोग करके उसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाए अधिनियम बन जाता है और नहीं तो वही समाप्त हो जाता है राज्यपाल के सामने यह स्थिति आने पर विधायक को शिकार करने और नहीं करने के बाद भी राष्ट्रपति के पास पुनर्विचार की भेजने की शक्ति होती है क्षमा के संबंध में भी राष्ट्रपति के पास मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का अधिकार होता है राजपाल की शक्तियां इससे थोड़ी अलग होती है वह किसी भी प्रकार की मृत्यु दंड को स्थगित पर पुनर्विचार के लिए भेज सकते हैं लेकिन पूरी तरह से माफ नहीं कर सकते हैं राष्ट्रपति किसी भी राज्य की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं वह राज्यपाल से सलाह मशवरा करते हैं लेकिन राज्यपाल न्यायाधीशों की पदोन्नति स्थांतरण नियुक्ति के संबंध में उच्च न्यायालय से संपर्क करते हैं इसके प्रमुख होने के रुप में राष्ट्रपति देश में युद्ध या शांति की घोषणा का अधिकार रखते हैं जबकि राज्यपाल को ऐसा कोई अधिकार नहीं है
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राष्ट्रपति शासन में राज्यपाल शासन में क्या अंतर है तो विश्व के राष्ट्रपति शासन क्या होता है जब आर्टिकल 356 अप्लाई होता है मतलब कि डायरेक्ट रोल होता है प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया का बंदा एकली प्रधानमंत्री यूनियन कैबिनेट जरूर करता है जब भी यह तब होता है जब कि कंसेशन मशीनरी जो है वह ब्रेक डाउन हो कभी पाटिल एस्टेट में आर्टिकल 356 इंडियन कांस्टिट्यूशन के अनुसार तो दूर लेजिस्लेटिव ऑफ स्ट्रीट मतलब विधानसभा जो होती है बेसिकली वह तो सस्पेंडेड माना जाएगा कैसे डिजाइन किया जाएगा तो बेसिकली प्रेजिडेंट रूल में मैसेज जो है गवर्नमेंट के द्वारा रोड करती सेट पर 20% भूल गया था गवर्नर ढूंढ सप्लाई होता है जम्मू और कश्मीर क्योंकि जम्मू और कश्मीर जो है का एक अलग कल ट्यूशन है अलग से स्वीट कंफ्यूजन है तो उस केस में जब जम्मू और कश्मीर कृष्ण सीरियल होता है इस टीम का स्टेशन मशीनरी फ्री होता है तो वहां पर गवर्नर रूल इन पोस्ट किया जाता है जो कि सेक्शन 9 2 के अनुसार 192 कंसेशन जम्मू कश्मीर का जो है उसके द्वारा वहां पर गवर्नर धूल जो लगाया जाता है जो कि जम्मू कश्मीर गवर्नर के द्वारा इसे ना लगे तो मुझे दोनों दोनों जिम में स्टीम की है सिर्फ जम्मू कश्मीर में गवर्नमेंट लगता है और बाकी स्टेट में प्रेसिडेंट जो लगता है वह आदमी अभी आप देखेंगे जम्मू कश्मीर में जो बीजेपी और पीडीपी दो पार्टी है बीजेपी ने अपना समर्थन वापस लेने का जो वहां की गवर्नमेंट गिर गई है तो वहां पर इसलिए मतलब 92 के अनुसार शिक्षक नोटिफिकेशन वहां पर गवर्नर रूल लागू किया गया है
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राष्ट्रपति शासन और राज्य राज्यपाल शासन में जो है क्या डिफरेंस है क्या अंतर है तो भी के राष्ट्रपति शासन जो होता है उसमें स्थानीय राज्य सरकार के पतन के कारण जैसे भारत के किसी भी राज्य में लागू किया जा सकता है और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लागू किया जाता है और संसद द्वारा जो है अनुमोदित होने पर जो है यह है 6 महीने के लिए संसद को हर 6 महीने के बाद है कि मंजूरी देनी चाहिए और अधिकतम जो 3 साल तक जो संचालन में रहना चाहिए और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद को बर्खास्त करता है और विधानसभा को निलंबित या भंग कर सकता है राष्ट्रपति के पास जो है यह राइट होता है तो राज्य विधानसभा की विधायक अतीत संसद द्वारा ली जाती है और राष्ट्रपति शासन के लिए संसद की मंजूरी से पहले ही राज्य से राज्य विधानसभा को भंग नहीं किया जा सकता है यदि इस तरह का आरोप असंवैधानिक अमान्य पाया जाता है तो भंगिया निलंबित राज्य सरकार को अदालत द्वारा पुनर्जीवित जा सकता है ताकि राज्यपाल का जो शासन होता है उसमें क्या होता है तू यह केवल जो जम्मू और कश्मीर में लागू किया जा सकता है और इसे जम्मू कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत लागू किया जा सकता है और जम्मू कश्मीर के गवर्नर में जो इसकी सिफारिश भारत के राष्ट्रपति से की थी और राष्ट्रपति राज्यपाल शासन लागू करने के लिए अपनी स्वीकृति देता है और यह अधिकतम जो 6 महीने के लिए लागू होता है इस अवधि के दौरान जूही जम्मू और कश्मीर विधानसभा निलंबित चल चल रही थी तो अभी जो है वहां पर प्रेसिडेंट पूरी करते हैं अभी यह दिसंबर में दिसंबर 2018 में जो है वहां पर गवर्नमेंट कर दिया गया है तो अभी एमएलए पद पर जो है बने रहते हैं और विधानसभा बिना कानून की शक्ति के मौजूद है और राज्यपाल जो है इस अवधि के दौरान जो कानून के जिम्मेदार होते हैं तो राज्यपाल विधानसभा भंग कर सक लेकिन विधानसभा भंग करने की तारीख से 6 महीने के भीतर जो नए चुनाव कराए जाते हैं तो यह ड्यूटी जो होती है वह विधानसभा की होती है
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