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जो प्रयोगवादी काव्य की विशेषताएं थी उनको इस तरह से ले सकते हैं कि यह छायावाद प्रगतिवाद का काव्य प्रयोगवाद जो कि 1948 से शुरू हुआ तो जो वक्त था यह जो धारा थी उसमें वक्त आने लगी मतलब मानव की अस्मिता और मानव की पहचान से जुड़ी रचनाएं लिखी जाने लगी तो यह किसकी विशेषता है और अगर हम इस के कवियों की बात करें तो मुख्य रूप से आगे जी इसके कवि है मुक्तिबोध जिसे कभी है शमशेर बहादुर और बहुत से अन्य
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जी नमस्कार आपका प्रश्न है प्रयोगवादी काव्य की विशेषताएं जी प्रयोगवाद का प्रारंभ आगे जी किए द्वारा प्रकाशित है तार सप्तक से हुआ था उनकी 1945 से प्रारंभ हुआ इसकी दो विशेषता प्रमुख रूप से एक है वादी व्यक्तित्व और दूसरा नग्न भारद्वाज इसके अलावा निराशा बाद भी इसकी प्रवृत्तियों में है धन्यवाद
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आपका पूछा गया प्रश्न प्रयोगवादी काव्य की विशेषताएं जी तो इसका उत्तर मैं आपको बताना चाहता हूं दोस्तों प्रयोगवादी काव्य की विशेषताएं यही है कि प्रयोग जो करते हैं वह विशेषताएं पर्यावाची विशेषताएं
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प्रयोगवाद का समय हिंदी साहित्य में 1993 से 1953 तक के बीच माना जाता है प्रयोगवाद की प्रमुख विशेषताएं और अन्य व्यक्ति व तीन अग्नि यथार्थवाद निराशावादी ता दुख का महत्व शिकार करना संवाद और नियतिवाद विषय प्रविधि बौद्धिकता योग जीवन का चित्रण भाषा शैली में इसमें नए उपमान नए प्रतीक न एवं वाक्य विन्यास में नवीनता का प्रयोग देखने को मिलता है
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प्रयोगवाद की शुरुआत 1993 सिटी में अज्ञेय द्वारा संपादित तार सप्तक के प्रकाशन से हुआ था प्रयोगवाद की निम्नलिखित विशेषताएं हैं यह मोह भंग की कविता है इन कवियों की मानसिकता की पृष्ठभूमि में द्वितीय विश्वयुद्ध के अभूतपूर्व नरसंहार से उत्पन्न सभी प्रकार के आदर्शों से मोहभंग का बोध है आदर्श के अस्थान पर यह काव्य धारा यथार्थ में निहित व्यंग और विद्रूप को अधिक प्रकट करती है प्रयोगवाद की काव्य शैली में कोस्टको उप वाक्यों का प्रयोग खुलकर किया जाता है यह कभी किसी बनी बनाई लीक पर चलने की वजह संवेदना और शिल्प के क्षेत्र में प्रयोग करने में अधिक विश्वास करते हैं आशा करता हूं कि आपको उत्तर पसंद आएगा
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