चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
आपका सवाल है स्वाद क्या है लेकिन स्वाद किसी चीज को खाए या तो वह खट्टे लगे या मीठी उसका पता चलना है स्वाद कहलाता है
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फिर आपने कुछ पूछा कि स्वाद क्या होता है यह स्वाद क्या है लेकिन हमारी जो जीव होती है जो जीवा होती है उसके ऊपर कुछ फीस बढ़ोतरी है मुकेश भट्ट क्या करते हैं जो भी चीज खाते हो उसमें क्या क्या स्वाद है उस बात को यह आपकी जो सेल्स होती है जीव की वह कैसा फील करती है उसके लिंग को हम कैसे बोलते हैं
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स्वाद एक भूख का विलोम है किसी भी चीज की भूख लगती है शारीरिक तौर पर भूख लगती है मन की भूख लगती है शारीरिक दूर तौर पर जो है अगर भूख लगी है किसी को देखने की चाहत है देखने की भूख है इसी को स्पर्श करने की भूख है किसी को खाने की भूख है जब भूख है तो स्वाद है और जब भूख मिट जाती है तो स्वाद खत्म हो जाता है तो जो इंसान को भूख है वह है अगर प्रबल रूप से कह दिया जाए तो जब तक भूख है तो स्वाद और जब भूख खत्म है तो साथ खत्म है चाहे वह किसी भी चीज का हो अगर हमने भरपेट खाना खाया है इतने भी स्वादिष्ट कितने भी स्वादिष्ट हमारे सामने पकवान रख दी जाए तो भूख जो है उसकी जरूरत नहीं है और एक ऐसी भूख है इंसान को जो है माया की भूख भूख इंसान को माया की लगती है और प्यास इंसान को रूप की लगती है रोशन की लगती है और कभी माया की भूख एक ऐसी है जो कभी खत्म नहीं होती उसका स्वाद कभी खत्म नहीं होता और ऐसे ही प्यास रोशन की है जो कभी खत्म नहीं होती उसका वह हमेशा ही प्यासा रहता है तो कहीं ना कहीं जो इन सब चीजों को लेकर अगर हम कहें तो इसे स्वाद कहना भूख का विलोम स्वाद भूख है तो स्वाद है भूख नहीं है तो स्वाद नहीं और परमात्मा एक ऐसा स्वाद है ईश्वर एक ऐसा स्वाद है जो जितना हम उसको सकेंगे उतना असवाल ज्यादा आएगा और एक ऐसे ही परमात्मा एक ऐसा ईश्वर एक ऐसा ईश्वर का नाम है क्या ऐसा है जो जितना हम खाएंगे जितना हमारे पास में आएगा उतना हमको स्वाद ज्यादा आएगा भूख ज्यादा लगी जितनी भूख ज्यादा लगी कि उतना स्वाद ज्यादा आएगा तो यह ईश्वर का स्वाद धन्यवाद
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