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वह गलत काम करने के लिए उपयोग धातु को एक दिन किस दिन काम कर रही थी आपकी बेटी 5 दिन का काम का जो पैसा है वह गैस में लगा देना उसके बाद अगर खेती वाले लोग ही टिकट आधिकारिक रूप से लेकर 50 तक जीता है उसको उसको डर लगता है अगर तुम उसका मालिक
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दही मेरा मानना यह है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहिए वह इसीलिए उसकी कई सारी वजह पहली वजह तो यह है कि देखिए जीएसटी में जो मैक्सिमम टेक्स्ट लाइव है वह 28 परसेंट है तो वहीं अगर हम पेट्रोल को जीएसटी में लेकर आते हैं तो मैं एकदम टैक्स लगेगा सिर्फ 28 परसेंट जिस वजह से जो डीजल की अभी वह आदमी से आदमी हो जाएगी क्योंकि पेट्रोल और डीजल पर काफी हद तक टैक्स लगता है और अगर 28 पर सेट टैक्स लगेगा क्योंकि मैक्सिमम टैक्स स्लैब जीएसटी के अंदर तो पेट्रोल और डीजल के दाम बहुत कम हो जाएगी जिससे क्या होगा कि लोग पेट्रोल और डीजल को बहुत ज्यादा यूज करेंगे तो दिक्कत यह होगी कि वैसे भी भारत दूसरी कंट्री से इसको इंपोर्ट करता है पहली दिक्कत दूसरी दिक्कत यह होगी होगी कि देखिए भारत में वैश्विक पोलूशन बहुत ज्यादा है आप देख सकते हैं कि ज्यादातर सिटीज भारत में पोलूशन की चपेट में है तो अगर लोग इसको ज्यादा कंफ्यूज करेंगे तो ऐसी बातें पोलूशन है वह और ज्यादा बढ़ जाएगा तो मेरे हिसाब से जीएसटी में लाना सही नहीं होगा हां अगर भारत सरकार कुछ ऐसा करती है कि पेट्रोल और डीजल के दाम थोड़े कम हो जाए तो वह समझ में आता है लेकिन एकदम आप इतने ज्यादा कम कर दो वह मुझे सही नहीं लगता और जीएसटी में जाने का मतलब है उसके दाम बहुत ज्यादा कम कर देना
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अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लेकर आते हैं तो यह देश वासियों के लिए बहुत अच्छा एक तरीका होगा इसकी वजह से पेट्रोल डीजल के दाम भी झड़ जाएंगे और हर जगह पर यूनिवर्सल रहेंगे और कहीं पर ज्यादा कहीं पर कम दामों का रेट नहीं रहेगा पेट्रोल डीजल के लेकिन इस चीज को पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लेकर आना बहुत मुश्किल है क्योंकि देखिए जो पेट्रोल और डीजल है वह बाहर से इंपोर्ट कराए जाते हैं हमारे देश में और उनके जो प्राइसेस हैं वह बाहर के देशों के प्राइस उसके ऊपर डिपेंड करते हैं लेकिन उसके बावजूद जब हमारे देश में आता है रिफाइनरी के बाद हर जगह पर सप्लाई होती है उसके बाद हर राज्य में उसके दाम हमें अलग अलग तरीके से देखने को मिलते हैं तो मुझे लगता है कि ठीक है आप पेट्रोल के प्राइस इन हाई है कई बजे कई बार इस वजह से भी होते हैं क्योंकि पेट्रोल बाहर से ही बहुत महंगा इंपोर्ट हो गए हमारे देश में आता है लेकिन अगर उसके दाम में किसी एक जगह पर काम है और किसी एक जगह पर ज्यादा है तो यह सही बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि हाल में देखे तो आप महाराष्ट्र में पेट्रोल के दाम करीबन 80 के ऊपर चले गए और वहीं दिल्ली में आप दाम देखेंगे थोड़ा कम है तो इस इसका जो भेदभाव हो रहा है यह खत्म हो जाएगा अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लेकर आते हैं तो अब मुझे लगता है अगर ऐसा होता है तो यह सभी के लिए बहुत अच्छा एक मूव रहेगा और एसजीएसटी जो कि हमारे देश में हाल ही में लागू हुआ है इसके लिए भी बहुत अच्छा है का प्रमोशन रहेगा कि हां जीएसटी यह सब चीजों पर लागू हो जाएगा और पेट्रोल दाम के जो प्राइसेस हैं वह हर जगह एक बराबर हो जायेंगे
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बिल्कुल ज्यादा हर चीज जीएसटी के दायरे में आ रही तो पेट्रोल और डीजल भी होनी चाहिए और साथ में जो लिखकर कंपनियां है जूली क्रश बनाती है या नहीं शराब वह भी आनी चाहिए यह ना आने का जो सबसे मेन वजह है क्योंकि देखिए पहले जो बैठ लगता था बैठ और अलग-अलग तरह के बहुत सारे टैक्स लगते थे प्रोडक्ट पर वह सीन चीज अभी भी लिखकर पहले करी है और पेट्रोल और डीजल पर भी सिम लग रही है उससे जो पेट्रोल और डीजल के दाम है वह ज्यादा बढ़ जाते हैं मुझे ज्यादा मैक्सिमम प्रॉफिट है वह गवर्नमेंट को मिलता है लेकिन अगर जीएसटी के दायरे के अंदर यह सारी चीजें आ जाएंगे एक बार तो एक सीमित अमाउंट ऑफ टैक्स लगेगा जिसमें आधा सेंट्रल के पास जाएगा टेक्स्ट और आधा जो एस्टेट के पास तक जाएगा तो इससे सेंट्रल गवर्नमेंट को कम फायदा होगा गवर्नमेंट को कम फायदा होगा इसी के कारण जो सेंट्रल गवर्नमेंट ने है वह लिखकर पेट्रोल और डीजल के तीन चीजों पर जीएसटी इंप्लीमेंट नहीं चाहिए अभी भी पुराने टैक्स के अनुसार पर चल रहे हैं
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