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शरीर को स्वस्थ रखने के लिए तो सीधा राज यह है कि प्रकृति की शरण में जाएं प्रकृति ने जो चीजें जैसी दी है उसको अधिकतर कोशिश करें कि वैसी की वैसी खाएं इसमें अपना कॉमनसेंस इस्तेमाल करें जैसे वैसी की वैसी खाने का यह मतलब नहीं कि अकेला बिना छिलका उतार है आप खा जाएं या ऐसा कुछ कहने का मतलब यह है कि प्रकृति ने जो दिया है उसको जितना कम से कम पकाकर आप खा सकते हैं कम से कम वह आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर या यूं कहें कि इससे बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता अंकुरित अनाज बिना पकाए खा सकते तो अच्छा है फल सब्जियां जितना अब तलाक ज्यादा से ज्यादा खा सकते हैं उतना अच्छा यह सारी प्राकृतिक चीजें प्रकृति के करीब अब यह देख सकते कि जंगली जानवर देखी वह लोग कुछ भी नहीं पकाते जैसे हैं वैसे ही 10 पत्ते खाती भी वह बलिष्ट बने रहते हैं तो इससे हमें समझने जैसा है पकाना जो है इंसानी स्वभाव का हिस्सा है बाकी जानवर कभी नहीं पकाते और हमारे लिए भी वही सूत्र ध्यान में रखने जैसा है
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