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अंबेडकर लग रहा था
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भारत में दलितों द्वारा बौद्ध धर्म को अपनाए जाने की खबरें अक्सर आती रहती हैं और बहुत से दलित अब तक बहुत धर्म अपना चुके हैं दलितों के नेता रहे डॉक्टर अंबेडकर ने भी अपने जीवन के अंतिम समय में बौद्ध धर्म अपना लिया था हिंदू जातिवादी व्यवस्था है जातिवादी व्यवस्था का सबसे ज्यादा शिकार दलित ही रहे हैं क्योंकि दलित ही सबसे निचले पायदान में है और ऊंची जातियां इनका शोषण करती रहती है जिससे तरसता कर दलितों को यह लगता है कि बौद्ध धर्म क्षमता कार्य धर्म है और वहां लोगों को बराबर समझा जाता है इसलिए दलित अख्तर बौद्ध धर्म अपना लेते हैं
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भारत में दलित बौद्ध धर्म क्यों बना रहे तो बहुत खास वजह नहीं है छोटी सी 1:00 बजे की दलितों को पहले तो अभी तो नहीं है लेकिन पहले ही लोगों ने परेशान ही इतना कर दिया था कि मजबूरी में उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया दूसरा यह भी कहूंगा कि अब कोई दलित अगर नहीं परेशान है तो भी अगर बहुत धर्म को अपनाता है तो फिर इसका मतलब यह है कि पेड़ के पीछे भीड़ चल रही है भेड़ चाल आप एक बात कभी भी नोट करना जो भीड़ होती है भेड़ चाल होती है एक बेड के पीछे हर भेड़ चलती है सभी भेड़े लाइन बनाकर चलती है पर कोई एक ऐसी भीड़ होती है जो सबसे आगे चल रही होती और जो सबसे आगे चल रही होती है वह भेड़ जो है वह बाकी भेड़ों को लेकर चल और वह अगर बाकी बड़े इसलिए उसके पीछे चल रही है क्योंकि उसको वह धर्मगुरु दिखाई दे रहा है तो दोस्तों यह दो कारण है लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि धर्म परिवर्तन नहीं करना है धर्म में से ही सब कोई ढूंढ लेना है अगर हम दलित समाज से हैं तो हमें फक्र होना चाहिए कि हम दलित हैं हम वह हैं जिसकी कुल वाल्मीकि की है जिन्होंने राम के आने से पहले ही रामायण दिखती हम वह हैं जो रविदास के कुल से हैं जिसका नाम श्री गुरु ग्रंथ साहिब में विराजमान गुरु नानक देव जी ने जितनी उपाधि जो है रविदास भक्त को है तो दोस्तों मैं उन दलितों को हमेशा ही नतमस्तक करता रहूंगा जो ईश्वरीय रूपी है एक ब्राह्मण के अंदर अगर दलित नहीं है तो उसको कभी ईश्वर नहीं मिलेगा अगर एक ब्राह्मण है अगर उसके अंदर दलित नहीं है दलित मतलब सेवा करने वाला अगर वह सेवादार नहीं है और सिर्फ ज्ञान का भंडार लेकर बैठा है तो फिर वह एक रावण से कम नहीं और अगर एक सेवादार सिर्फ सेवा ही करे जा रहा है सिवाय करे जा रहा है और वह ब्राह्मण नहीं है ब्राह्मण मतलब ब्रह्मा को विचार नहीं रहा परमात्मा को विचार नहीं रहा दलित का भी कोई फायदा नहीं है इसलिए दोस्त अपने जो धर्म में अपने जो जाति में जो कुल में पैदा किया उसे ईश्वर ने तो कुछ सोच समझ के क्या होगा अपने कुल को मत छोड़ो दोस्त अपने कुल में ही रह कर ईश्वर की पूजा करनी चाहिए धन्यवाद
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देखिए भारत एक डेमोक्रेटिक कंट्री यहां पर किसी भी धर्म के लोगों को कोई भी धर्म अपनाने की बिल्कुल झूठ है इसका कोई स्पेसिफिक कारण नहीं है कि दलित भारत में जो दलित हैं वह बौद्ध धर्म अपना रहे शादी करो हो सकता है कि जो दलित है वह हिंदू धर्म में बहुत छोटी जात मानी जाती है तो शायद वह दलित धर्म आपने शायद वह बौद्ध धर्म अपना कर खुद को बाकी जो हिंदू धर्म के उच्च जाति के लोग हैं उनके बराबर रखना चाहते हैं इसलिए उत्तर बौद्ध धर्म अपना रहे हैं
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