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भारत कृषि प्रधान देश होते हुए भी जहां भुखमरी क्यों है भूखमरी की सबसे बड़ी बड़ा कारण यह है कि यहां उचित वितरण व्यवस्था नहीं है शासन ने ही मुहिम चलाती हैं पीडीएस दुकानों के वगैरा से अनाज मुहैया कराती हैं मंडियों से अनार दुकानों से नाश्ता इस बयान आज मिल सकता है और कुछ आलसी लोग जो भीख मांगने लग जाते हैं और मजदूरी से खेती से या किसी प्रकार की मेहनत से नहीं जुड़ते हैं वही लोग भुखमरी के शिकार होते हैं बाकी यहां मेहनत करने वाले कोई गैर नहीं मरते
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पहले तुम आपको थोड़ा आंखों से शुरू करना चाहूंगा जब हमारा देश आजाद हुआ था उस समय कृषि का हमारे सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी बोलते इंग्लिश में जीडीपी में 50% से ऊपर कॉन्ट्रिब्यूशन था लेकिन आज एग्रीकल्चर का कृषि का जो कॉन्ट्रिब्यूशन है सकल घरेलू उत्पाद में वह करीब 15 परसेंट हो गया है लेकिन दूसरी ओर आज भी देश की करीब 45% 50% जनता कृषि पर निर्भर है आंशिक रूप से या डायरेक्ट रूप से उसका एंप्लॉयमेंट कृषि पर है तो हुआ क्या है एग्रीकल्चर प्रोडक्शन बहुत बड़ा है जो हमारा प्रोडक्शन है वह करीब 4 गुना 5 गुना हो चुका है आजादी के बाद से आज तक लेकिन उसका जो डिस्ट्रीब्यूशन है जो छोटे किसान हैं जिनके पास जमीन नहीं है या जिनकी जमीन बंजर है जिनके पास सिंचाई के साधन नहीं है जिनके पास आधुनिक यंत्र नहीं है कृषि करने के लिए उन तक वह फायदा नहीं पहुंचा है जैसे पंजाब में चाय एग्रीकल्चर प्रोडक्शन बहुत बड़ा हो वेस्ट उत्तर प्रदेश में एग्रीकल्चर प्रोडक्शन बहुत बड़ा हो लेकिन जरूरी नहीं है कि वह तेलंगाना वह विदर्भ रीजन के किसानों को फायदा पहुंचाया जहां पर बहुत छोटी जमीन है और जो जमीन जो है उर्वरक नहीं है तू कृषि प्रधान देश होना और कृषि उत्पादन बढ़ना एक और भारत में अच्छी प्रगति की है लेकिन सारे किसानो को उसका फायदा नहीं मिला है क्योंकि इस टाइप के एरिया में जहां पर बारिश हुई फसल निर्भर है जहां पर इरीगेशन की सुविधा नहीं है वहां पर आज भी कृषि में बहुत प्रोग्रेस की जरूरत है और छोटे किसानों को उसका पूरा बेनिफिट अभी तक मिला नहीं
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भारत कृषि प्रधान देश होने का लक्षण भूखमरी इसलिए है क्योंकि यहां पर करेक्शन एंड द पीस में जहां पर इस देश में सस्ते में करेक्शन इतनी बुरी तरह जकड़ लिया है कि यहां पर जो भी कम है आसानी से नहीं होता कहीं खुश सैंडी सब की जगह में करना पड़ता है सब का बहुत खराब चीज है तो इसके कारण रुक्मणी अनीशा होती जा पिक अप द की सरकारी कर्जा माफ करे किसान भाइयों के भी लिखकर अर्जुन किसान भाइयों को बहुत कम प्रतिशत मिलता है जो मेडिएटर होते हैं वह ने बॉस के साथ ही बहुत है दोपहर के समय होता है जब इतने पढ़े लिखे नहीं होते हैं या फिर उनपर क्वेश्चन के थ्रू गलत दस्तावेज में साइन करा ले जाता है उनको लोन जैसे एक लाख कब मिलता है लेकिन उनसे सैंक्शन करा ले जाता है टेलर कुंकू पर लोन का तो 50 साल का 14 मिलीलीटर खा जाता है कि कल रुक्मणी पहनती है जहां पर लोग आकर बहुत-बहुत इस देश में नुकसान हो रहा है तरीके से इसके कारण विभाग में भुखमरी है उसी पद या विदेश होते हुए भी
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यह बात सही है कि भारत में सर्वाधिक लोग कभी भी कृषि से जुड़े हुए हैं लगभग सीधे तौर पर 48% लोग 48% लोग में कृषि क्षेत्र से अपना रोजगार प्राप्त करते हैं और लगभग 7 से 70% यहां पर कृषि से जुड़े हुए लोग हैं अलग विषय है कि भारत में लगातार जीडीपी में कृषि का जो योगदान है वह कटता चला गया कृषि से पलायन होता चला गया लोगों का लेकिन एक समय था जब भूख से इस देश में लोग मर जाया करते थे लेकिन अब वह समय चला गया हमारा उत्पादन कई गुना बढ़ चुका है हमारा उत्पादन इतना बढ़ चुका है कि कई चीजों में तो हम दुनिया के नंबर वन है और कुछ चीजों में दूसरे या तीसरे स्थान पर है और सबसे महत्वपूर्ण विषय यह है कि राज सभी राज्य सरकार और केंद्र सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गांव गांव तक स्कूलों के माध्यम से प्राथमिक विद्यालयों के माध्यम से पुष्टाहार और मुफ्त भोजन पहुंचाने का कार्यक्रम चलाया जाता है अनेक सरकारों के द्वारा अधिक राज्यों में तो अभी यह कहना कि कहीं कहीं तो एक रुपए किलो चावल कहीं मुस्तान आज कहीं 40 किलो प्रति माह अनाज इस प्रकार की योजनाएं अलग अलग राज्य में चल रही है तो अब ऐसा नहीं है कि इस देश में भूख से लोग मर रहे हैं हां कृषि से जुड़े हुए कृषक या कृषि से जुड़े हुए मजदूर अपने कर्ज के कारण या फिर अपनी निजी और समस्याओं के कारण आत्महत्या की तरफ जरूर प्रेरित हो रहे हैं वह आत्महत्या जरूर कर रहे हैं यह गंभीर विषय है परंतु अब भुखमरी
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रणछोड़ धाम जरूर लेकिन मैंने कहा कि केंद्र सरकार उनकी जो कि नहीं चल पाती है गरीबी के अनुमान है चाचा जी बीमार है विकास कार्य नहीं है शिक्षक शिक्षा नहीं होता है जो भी मुझे अपने देश की संस्कृति लाल के लिए रियल टीवी रियल्टी में कुछ नहीं है नेताओं ने की बच्चे की पेट भरता है शहरों के लोगों को यह सरकारें आई है उन्होंने लोगों को कह रखा क्योंकि जो मारा मंडी में जाता है उसको सीधा करने के लिए सबसे तेज नहीं किसानों में खाद मूल्य निर्धारण आसनसोल से जो आसमान क्यों नहीं ट्राई करके देखता है कि भगवान बारिश है बारिश कर देता तो इतनी करो साहूकार के पास जाता साहूकार देश उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है सरकारी फसल दूर जाए नंदिनी की कृषि प्रधान मारा लाल मजबूर हो रहा था चलने के लिए सरकारी अधिकारियों को
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बहुत सुंदर सवाल है आपका भारत एक कृषि प्रधान देश होने के बावजूद यहां भूखमरी के अंग है कब तक है बिल्कुल जो पूरी दुनिया को हम अनाज खिलाते हैं हम अन्नदाता खिलाते हैं लेकिन फिर भी हम भुखमरी के शिकार हैं इसका कारण जो है साहब सरकारी नीतियां किसानों की उपेक्षा इनका मूल कारण है सरकारी गोदामों में माल चलता रहता है ना करता रहता है लेकिन उसका वितरण नहीं किया जाता है अलग-अलग ने नई पॉलिसी निकाल कर उनका संचरण किया जाता है मैं तो इसके लिए मुख्यमंत्री के लिए कहीं ना कहीं देश की सरकारों को ही जिम्मेदार ठहरा हुआ
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हिंदी टू हमारी जो घड़ी की परिभाषा है पैसों के योगी और 2489 माता दवा वेकेशन होमवर्क पुरानी तो इतनी भयावह स्थिति या नहीं क्योंकि हमारे यहां प्राकृतिक संसाधन बहुत ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो तो कोई मर जाए यह तो हो ही नहीं सकता
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राम मंदिर की न्यूज़ गरीबों के लिए इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को कहां मिठाई लेकर प्रधानमंत्री से निकले गरीबी से बाहर
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मैं सोचता हूं कि हमारे देश में किसी भी सरकार की जवाबदेही तय नहीं हुई आज हमारे यहां से बनाई जाती हैं हम तो बनाए जाते हैं लेकिन उसको भारत में उससे जुड़ी हुई एजेंसीज नहीं है लेकिन उनकी जवाबदेही नहीं है मुझे कुछ ऐसा डायमंड कर देते हैं अभी मैं घर में था वहां पर जो बच्चों की मौतें हुई हैं तो उसमें पता चला कि नहीं छोड़ दी पॉलीटिकल लोगों ने जो सरकार में बैठे लोग हैं कि नीति खाने की वजह से हुई जब मैंने कौन से पूछा कि क्या लिखी खाने की वजह से लोग मर सकते हैं तो वह हंसने लगे कहने लगे कि आज यह जितने लोग बच्चे मरे हैं यह बिल्कुल एक बहुत ही गरीब या अमीर के व्हीकल लोंस है उस मुद्दे को इस तरह से देते हैं किस राजनीतिक लोग जो है ना इससे पहले भी कई साल पहले लोग मरे थे तो मैं कहना चाह रहा हूं जिसे लोग मर रहे हो हमारे देश में कितना अंतर है या यह कह लीजिए कि ऐसे लोग तो मौजूद हैं कि किसी व्यक्ति को भूख से मरने नहीं देंगे ना कोना के लिए यहां से काम कर रही हैं और निश्चित काम कर रही है क्या आपको लगता है कि कोई व्यक्ति भूख से मर रहे हैं कितना बड़ा देश है सामाजिक कार्यकर्ता लगे हुए हैं जरूरत इस बात की है कि कुछ ऐसा बनाया जाए जहां पर मिलकर काम करें तो मैं समझता हूं कि कुपोषण जो है यह कोई बहुत बड़ी चीज नहीं है अपना भी सर्दी से मर गया तो कैसे मर सकता है क्या है ऐसे लोगों पर नजर रखें जो दिल के पास खाने के लिए नहीं है इंफॉर्मेशन शेर भी नहीं करते हैं के सामाजिक क्रांति तभी होगी जब इस देश से हमें प्यार होगा देश की सरकार से प्यार हमारा नहीं होगा हमने अभी यह मान लिया है कि हमारा प्यार हमारी मोहब्बत जो है देश में सरकार चल रही हूं से होना चाहिए देश नहीं होना चाहिए हमें प्यार करना छोड़ दिया सरकारों से प्यार करना शुरू कर दिया
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इसे भुखमरी नहीं कहा जाता असल में क्या होता है कि चंद लोग ऐसे हैं जो शायद इस विषय पर जीते हैं कि हम से छोटा कोई भी हो तो उसे हम छोटा ही बनाकर रखें यानी कि उन्हें बिचौलिए कहा जाता है आंसर क्या होता है कि जो ऐसे भी चोरी होते हैं उन क्षेत्रों में जहां पर आबादी कम है या कुछ ऐसा है कि जहां तक राजनीतिक कारण नहीं वहां पहुंच पाते वहां पर ऐसे लोगों की संभावना अधिक रहती है तो बनकर हमेशा उनका दुरुपयोग करते हैं
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कोई नहीं होता जब हिंदुस्तान में आज से 30 साल पहले बाहर से अनाज मंगाया जाता था लेकिन आज की कमी थी आज क्या हाल है राजपुरा है भरपूर है लेकिन फिर भी गरीबी इसलिए है क्योंकि जिनके पास टूर करा हुआ है उसे ज़ोर से बाहर निकाला जाता है जब महंगा हो जाएगा तो हम बाजार में निकालेंगे पैसे ज्यादा कमाई जाएंगे इंसानियत खत्म हो गई आजकल कहीं भी भंडारा लग रहा होता है तो लोग सोचते खा लिया जाए खाने का उनका पर बस ठीक है लेकिन जब वह बात के लिए जाते हैं उसके बाद शाम को घर के बाहर नहीं फेंक देते हैं वह बुरा है जिस खाने को बांधकर ले जा रहे हैं उसको बाहर ना लिए फेंक रहे हैं पूरे भेज रहे हैं इससे तो हो सकता
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बात तो सही है कि भारत में कृषि प्रधान देश है बट प्रदूषण बहुत सारी चीज़ें हमारे देश का जो अनाज और फल फूल और सब्जी जो भी उठती हैं वह सारी जो है बात चली जाती है शरीर देश में बेची जाती हैं और क्यों क्योंकि हमें अपने वोट बढ़ाने पर आप यह देखिए कि एक भेजो है अपनी सारी जो सबसे अच्छी जो सबसे नीचे जो चीज है वह अपने देशवासियों को ही नहीं दे रहा है वह जो दूसरे देशों में भेज रहा है तो उससे क्या फर्क पड़ेगा ठीक है यह पहली जीत होगी दूसरी चीज है कि हमारा जो अभी भी जो डिस्ट्रीब्यूशन जिस प्रकार से बनाए हुए काफी कॉल सुनने में भी आता रहता है न्यूज़ में भी आता है कि खदान में पड़े पड़े सड़ जाता है और रिजा को डाउन हो वगैरा में आलू जो है उससे आज पढ़ा पर टमाटर पड़े पड़े सड़ रहे क्योंकि यहां पर यहां पर सब लोग को मिल गया है दूसरे कोने में जहां पर फिल्मों को जलाते तो है हम प्रॉब्लम है आज तक कॉल नहीं कर पाया ढंग से तुझसे ट्रेन आई है बरात खबर कहां है आप तो हाईवे रोड कितना बन गया अब तो एकदम करते हैं कि सरकार जो है ढंग से हर जिस-जिस जरूरतमंद व्यक्ति को मतलब खाने की जरूरत है तब तक जो है खाना पहुंचा पर आज भी है जो नहीं हो पा रही है क्या होता तो है अधिकतम पर जाता है बहुत अच्छा होता तो बाहर ही भेज देती है
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देखिए भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भी भुखमरी के कगार पर इसलिए है क्योंकि मुझे लगता है कि यहां पर नेता वोट की सिर्फ राजनीति करते हैं जुमलेबाजी करते हैं कोई क्षमता का विकास नहीं चाहता सब लोग अपना विकास साथ है अल्लाह कारण यह है कि यहां पर संसाधनों का असमान वितरण है जब सब को समान रूप से संसाधन मिलने लगेगा सब को समान रूप से जमीन मिलने लगेगी तो मुझे लगता है कि भुखमरी समाप्त हो जाएगी तीसरी चीज है की बजाय हम जनता को रोजगार उपलब्ध कराने की जनता की आय बढ़ाने के बजाय हम एक रुपए में 1 किलो चावल देते हैं ₹2 में 2 किलो गेहूं देते हैं यह सब चीजें करते हैं जिससे मुझे लगता है कि भुखमरी की समस्या उत्पन्न होती है अगली बात अगर हम यह माने कि इतने बड़े पैमाने पर अनाज होता है कि अनाज रखने की जगह पर नहीं होती है अनाज सड़ जाता है अनाज में भ्रष्टाचार होता है बफर स्टॉक कम है अगर पूरा इंतजाम कर लिया जाए तो मुझे लगता है कि भारत से भुखमरी समाप्त हो जाएगी ऐसा क्यों कि हम अपने यहां से अनाज का निर्यात तो करते हैं लेकिन अपने ही लोगों के लिए अनाज उपलब्ध कराने में हम पीछे रह जाते हैं अपने ही लोगों के लिए हम प्याज वगैरा इतने महंगे दाम भेज देते हैं और कभी इतने सस्ते दामों पर चीजें चली जाती है किसान की लागत भी नहीं निकल पाती दलाली भी एक कारण है जो भी चली है वह भी जो है भारत में वह पानी पिलाने के कारण में गिने जा सकते हैं तो यह सारी का बातें हैं जिससे लगता है कि भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भी भुखमरी की कगार पर है मन तो भुखमरी है भारत में नमस्कार
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भारत कृषि प्रधान होने के बावजूद यहां पर भुखमरी इसलिए है क्योंकि यहां भ्रष्टाचार एवं जातीय भेदभाव गंदी राजनीति आदि चीजें पाई जाती इसलिए भारत विकसित नहीं हो पाया भारत के अंदर कई गृह युद्ध जैसी स्थिति है कई बार आ जाती है और कई तकनीकों तकनीकी स्थिति भी भारत के काफी रोष में सुधार की आवश्यकता है इसी वजह से यहां भुखमरी है यहां पर नौकरी भी बहुत कम लोगों के पास है इसीलिए कई लोग विदेश जाते कमाने के लिए इसीलिए भारतीय कृषि प्रधान होने के बावजूद यहां पर भुखमरी है आज पाए जाते हैं
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भारत विश्व युद्ध होने पर भी वहां रुकने की व्यवस्था नहीं है जिसे हम भुखमरी को मिटाया जा सके
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हेलो दोस्तों हम जानते हैं कि भारत में कृषि प्रधान देश है यहां पर लगभग 79 प्रतिशत लोग कृषि पर आधारित है यहां से किसान काफी मेहनत एवं लगन शील होते हैं लिखे जाते हैं कि हमारे देश की जनसंख्या बहुत बढ़ चुकी है अभी हाल की जनसंख्या लगभग 130 करोड़ है लेकिन यह प्रशिक्षण बेरोजगारी भुखमरी काफी मात्रा में है क्योंकि मूल कारण बिहार की जनसंख्या जनसंख्या पर नियंत्रण
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आज का मेरा प्रश्न है भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भी भुखमरी क्यों है इसका रीजन भूखमरी होने का रीजन या है हमारे यहां सिस्टम नहीं है हम इसका रीजन है कि बेनिफिशियल ना तो हम अपनी आजादी के बाद ना अच्छे बिजनेसमैन खड़ी कर पाए अच्छे कस्टमर खड़े करता है किसी भी देश के अंदर अच्छा कस्टमर तभी बनेगा जब हमारी आज भी 60% आबादी में ऐसे लोग हैं जिनकी आय का स्तर बहुत ही न्यूनतम है 6000 से भी कम है और कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनका साल भर का 6000 कम है ऐसी समस्या को देखते हुए भुखमरी तो होगी इसका निदान हम ही कर सकते हैं यदि हम एग्रीकल्चर के क्षेत्र में एग्री बिजनेस तुमको वर्क मिलेगा और भुखमरी जैसी समस्याएं अपने आप समाप्त हो सकती हैं
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भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद यह भूखमरी के बताना चाहूंगा कि सरकार की गलत किया तथा भ्रष्टाचार है भारत के किसान बहुत मेहनती इसके अलावा भारत की मिट्टी भी बहुत अच्छा हुआ है लेकिन फिर भी भारत की आबादी भुखमरी के शिकार होती है हम सभी जानते हैं कि हर साल भारत सरकार के गोदामों में सैकड़ों क्विंटल अनाज सड़ जाते हैं तथा बहुत से अनाज गलत रखरखाव की वजह से बर्बाद होते हैं और काफी जनसंख्या खाने के अभाव में भुखमरी की शिकार होती है यह दिखाती है कि यह सरकार की गलत नीतियों का नतीजा है
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देखिए बहुत अच्छा सवाल है कि भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भुखमरी क्यों है भारत में वीडियो भी भाई ने कहा था कि जो है भारत में करप्शन बहुत ज्यादा है तो करप्शन की अगर मैं बात करता हूं तो भारत का 96 परसेंट 95% पैसा चार परसेंट लगभग 4 परसेंट 65 लोगों के पास इतना दान कर देता है अगर मान लीजिए किसी बंदे की इनकम 100000 है तो पता चलता है उसने एक लाख देखिए बहुत अच्छा सवाल है कि भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद में भुखमरी क्यों है हम बात करें तो भारत में दिखे अभी एक भाई ने कहा था कि जो है भारत में करप्शन बहुत ज्यादा है तो करप्शन कि अगर मैं बात करता हूं तो भारत का 96 परसेंट पैसा 94% पैसा चार परसेंट लोगों के पास और चार परसेंट पैसे 96 परसेंट लोगों के पास है अभी हम आप लोगों को देख लेते हैं इतना दान कर देता है अगर मान लीजिए किसी बंदे की इनकम 100000 है तो पता चलता है उसने एक
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हमें बहुत तुक्के साथिया बोलना पड़ रहा है कि भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद यहां पर भूख भरी है आखिर ऐसा क्यों तो दोस्तों इसके कई अनेक कारण हैं पहला कारण तो गरीबी है गरीबी कहने का तात्पर्य है कि 50% ग्रामीण क्षेत्र के लोग जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है तो इंसान भोजन कहां से खरीद पाएंगे यह पूजन की सामग्री कहां से खरीद पाएंगे दूसरा की दूसरा की और समानता की भावना जो हमारे भारत देश में इसकी खाई काफी गहरी हो चुकी है जिसमें बताना चाहता हूं कि आज एक अमीर वर्ग जोमैटो की आधी आधी से तमाम तरह के लाजवाब पकवान को अपने घर में बुलाकर या फिर अपने घर में दोस्तों के साथ खा रहे हैं तो दूसरा एक गरीब तबका वह उसको यह भी पता नहीं को दोपहर में क्या खाएगा ठीक है तू ही है जिसको कम करने की काफी आवश्यकता है कि धड़क हो सकते हो कि हमारे देश में जो भोजन है उसका बर्बादी काफी मात्रा में होता है जैसे कि बड़े-बड़े शादी का अवसर है बड़े-बड़े पूजा के अवसर में हैप्पी घरेलू स्तर पर लोग लगभग जितना भी अपने एक रिपोर्ट के अनुसार जितना भी भोजन थाली में 30% ऊपर वाली बात कर रहे हो खाना को साथ में खा सकते थे उस आदमी को मुख 70 आदमी खा रहे हैं और 30 परसेंट तो भूखे रहे तो कोई मेरे कहने का मतलब है कि खाना की बर्बादी भारत में काफी मात्रा में फोर्थ की कृषि के ऊपर मारे पद काफी अच्छे मात्रा में लेकिन ऋषि कर रख रखा हो या कृषि के फसल का रखरखाव हमारे पास बहुत बेहतरीन तरीका से नहीं है यही अमेरिका का एग्जांपल एक पर्सेंट लोग कैसे करते हैं लेकिन वहां पर रख रखाव से हंड्रेड परसेंट तब को खोलो पेट भरते हैं लेकिन भारत में ऐसा कोई संसाधन नहीं है या फिर बातें कर सकते हैं कि हमारा जो कृषि उपज होता है भेजो पैदावार होता है वह 50 पर्सेंट पैदावार तो खेत में बर्बाद हो जाते हैं हमारे पास ना तो अच्छी प्रकार की टेक्नोलॉजी ना हमारे पास अच्छे प्रकार का कोई रखरखाव पर इस प्रकार से हमारे पास इस फसल की बर्बादी होती छटा पॉइंट यह बोला कि हमारे देश में इन सबके बावजूद हमारे जो सरकारें जितने भी सरकार या है मैं किसी पार्टी की सरकार के बारे में बात नहीं करना चाहता लेकिन जितनी भी सरकारें आए उन्होंने ध्यान तो दिया लेकिन उस स्तर पर ध्यान नहीं दिया कि 70 पर से ध्यान देने की जरूरत थी क्योंकि आप आज भी हमारा भारत गांवों का देश और भारत का व्यवस्था है तो वहां के लगभग पचास परसेंट लोग अभी भी गरीब तबके चाहते हैं उनके पास खाने का साधन नहीं है तो सरकारी उनकी साधन मुहैया करवा सकती लेकिन ऐसा सरकारें नहीं करते क्यों किया कोट पैंट पहनी सॉरी मुझे माफ कीजिएगा लेकिन यह वास्तविकता है 57 कि यहां पर जो डिस्ट्रीब्यूटर वह काफी खराब है इसका बेतहाशा वोल्वो सकते कि यहां पर लोग एक घराना के लोग जो गरीब ना होते भी गरीब ना होते भी काफी मात्रा में उपयोग करें और जो गरीब तबका जिसके पास भोजन का साधन नहीं कर पा रहा है डिसटीब्यूशन सिस्टम में पाई जाती है एक अगर मुझे एक शब्दों में बोला जाए अगर मैं इसके समाधान के बारे में बात करो तो कहना तो डिसटीब्यूशन सिस्टम को सेट किया जाए सेकंड की गरीब तबका पर काफी अच्छा तरह से ध्यान दिया जाए जिससे उनके यहां या उसको खाना पहुंचने में कोई समस्या उत्पन्न ना हो थर्ड की जो खाना की बर्बादी होती है उसको रोका जाए एकता यात्रा सेट किया जाए जिससे की एक निम्न आया फिर लिमिट में खाना खा प्रकार बने के 50 प्रकार के खाने बन रहे हैं तो पता चला कि इस प्रकार के खाने बर्बाद हो गए इस प्रकार के खाने आखिर यह तो कृषि क्षेत्र का ही तो भागे ना आखिर यह दृश्य कर बर्बाद हो रहे थे किसी क्षेत्र के तो इन सबको आपको समाधान करके आप मेरी को हटा सकते हो और मैं लास्ट बाकी है बोलना चाहता किसी प्रधान क्षेत्र भुखमरी पक्का में जो समाज के विचारधारा समाज की संस्कृति से बिल्कुल अलग है वह लगभग 40 परसेंट जो मारी कुपोषित दोगे बीएससी से आते हैं तब की जनजातीय क्षेत्रों से आते हैं जनजाति लोग हैं तो इनको हमारे समाज में लाने की जरूरत उनके पास भोजन के पहुंचाने की जरूरत है यह सब करने से रोक सकते हैं सकते और सरकार इसकी और और बेहतर से बेहतर कदम बढ़ाए जिसमें हम सभी सहयोग के लिए धन्यवाद
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भारतीय कृषि प्रधान देश होने के कारण हैं इसलिए है क्योंकि भारत में जो किसानों को अच्छे ढंग से व्यापारिक धनखेती नहीं करते हैं और खेती में इकोनॉमिकल वैल्यूज होता है वह नहीं जोड़ते हैं बस अपने एक जीविका के लिए छोटी करते हैं और भारत में क्षेत्रफल में अधिक फसल को नहीं है पैदा कर पाते हैं भारत में उत्पादन क्षमता में कम है और मिट्टी गोबर क्षमता भी कम है
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जी हां आपने यह बात बिल्कुल सही कही कही है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन मैं फिर भी भारत में इतनी भुखमरी क्यों है इसका कारण सिर्फ यही है किसी और जिस तरह के लोग हैं और बेशक हमारा देश कृषि प्रधान देश है और यहां पर काफी हद तक हमें और चीजें अवेलेबल हो जाती हैं काफी आसानी से परंतु वही और कुछ लोगों को कुछ लोगों के पास इतना भी पैसा नहीं होता है कि वह लोग अपने लिए कम से कम दामों में आ रही चीजें भी खरीद पाए और अपने परिवार का और अपना पालन पोषण कर पाए और इसी के चलते वह लोग भुखमरी से पीड़ित रहते हैं अभिषेक हमारे देश में कृषि प्रधान की वजह से काफी हद तक जो चीजें हैं वह हमको अवेलेबल हो जाती हैं और काफी हद तक चीजें जो कृषि हमें कृषि के तौर पर मिलती है उन्हें हम आसानी से खरीद सकते हैं लेकिन जिस इंसान के पास बिलकुल भी पैसा नहीं होता कोई भी चीज खरीदने के लिए तो चाहे वह कृषि चीजों या फिर कुछ और हो वह खरीद नहीं पाते हैं और इसी के चलते बोलो अभी से पीड़ित रहते हैं और वही देखे कोई भी चीज आज आज हमें देश में और फ्री में नहीं है अवेलेबल होती है हमें हर चीज के लिए कुछ ना कुछ पैसे देने पड़ते हैं तभी हम उसे खरीद सकते हैं और इसीलिए भारत में सब चीजें अवेलेबल होने के बावजूद भी लोगों ने नहीं खरीद पाते क्योंकि उनके पास पैसे नहीं होते रोजगार नहीं होता और इसी के चलते वह लोग पानी से पीड़ित रहते हैं
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यही सबसे बड़ी गंभीर समस्या है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है कृषि प्रधान देश से मतलब यह है कि अभी भी आज के समय में ज्यादातर ऑक्यूपेशन है लोगों का वाक्य कृषि क्षेत्र है एग्रीकल्चर हो सकता नहीं लगता उसके बावजूद लोग हैं लेकिन दिक्कत की बात यह है जो किसान है वह टमाटर दो ₹3 किलो बिकता है लेकिन मुनाफाखोरों तमाम तरीके कि गलत लोग उसमें जो जमा हो रहे हैं वह बाजार तक आते आते हैं वह रेट भी ₹30 हो जाता और ऐसा केवल टमाटर सब्जी हड़ताल हर फसल हर चीज के में गई है इनके टूट के मेरे लिए आधे से भी कम रेट पर किसान को भेजने पर मजबूर किया जाता है कि आप इससे ज्यादा मैं नहीं दे सकते जबकि बाजार में ग्राहक उसको बहुत ज्यादा वैल्यू खरीदा तो कुल मिलाकर किसानों को प्रेशर राइस किया जा रहा है उनसे कम मूल्य ली जा रही है और जिसके कारण लगातार ब हमरी मर रही है बीमारी के कारण लोग मर रहे हैं किसानों की बात नहीं करें गरीब इतनी बढ़ गई है उसका बहुत बड़ा कारण है इन लिट्रेसी है लेकिन हमारे देश में इतना लेट है आज भी लोग अधिकतर जुओं के लिए प्रेरित होंगे आपके पास कमाई का जरिया बहुत कम रह जाएगा कोई लेबर कोर्ट काम है उठाई गई है वह सब कर सकते हैं लेकिन मेंटली अपने दिमाग का काम से कम हो जाएगा कमाने के तो गरीब ही बढ़ेगी जाए तो इसलिए जरूरत है लिटरेसी रेट बढ़ाने की जागरूकता करने के लिए
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