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प्रश्न लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं यह धर्म के की को सबसे पहले आप क्या समझते हैं छोटा सा उदाहरण को समझाता हूं धर्म क्या है धर्म जो धारण करने योग्य तो इसे धर्म मानता हूं यह धर्म वास्तव में वेदों पुराणों में यही लिखा है इसे धारण करने योग्य होता है परंतु अगर आप हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई जाते मंथ पत्थरों को एचआर धर्म मानते हैं तो बिल्कुल यह लोग जो है इन सब से बिल्कुल पर है लेकिन धर्म के अगर वास्तविक परिभाषा को आप मानते हैं तो बिल्कुल मान सकते हैं कोई गड़बड़ी नहीं
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लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं ऐसा नहीं मानती क्योंकि मैंने हर कम्युनिटी को योग करते हुए देखा है मेरे कुछ मुस्लिम ट्रेन से आ मेरे मैंने मेरी नॉलेज में कुछ मुस्लिम गुरु है जो योग सिखा रहे हैं तो इस तरह की मेरी कोई मैं इस धारणा में इस चीज को नहीं मानती
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योग को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए क्योंकि जिओ पिक्चर योगेंद्र प्रतिपाला जो पार्क है फिल्म आए और ऑडियो प्यारी-प्यारी तो उसके बाद सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है यह ठीक है कि सनातन धर्म इसकी उत्पत्ति कहां से हुई है एक ही धर्म वापस ताराचंद क्योंकि यह साइड इफेक्ट है जोड़ना की शायरी जो लोग जोड़ते हैं तो वो गलत
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लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं वह योग को नहीं सोचते योग को किसी भी धर्म के साथ नहीं जाना चाहिए क्योंकि योग का कोई धर्म नहीं होता है यह सभी धर्मों से ऊपर है इसको किसी भी धर्म के अनुयाई अपने दैनिक जीवन में ला सकते हैं
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का दोस्त हूं बस नहीं लोगों को धन के साथ जोड़कर देखते हैं उसके जोकर जोड़कर देखते हैं क्योंकि हम हिंदू को एकदम की संज्ञा दे चुके हैं इसलिए वह जितने भी बुक्स को फॉलो करते हैं का वर्णन कहां मिलता है योग का वर्णन मिलता है वेदों में योग का वर्णन मिलता है कि हमें योग का वर्णन मिलता है हमको महाभारत में भी मिलता है जोकर पतंजलि पतंजलि योग सूत्र में उपयोग के लिए बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक और योग का वर्णन मिलता है कि किसी भी भगवान के बारे में किसी धर्म के बारे में कन्फ़र्म कहा गया है कर्तव्य का पालन करना ही धर्म तो जब यह सारे कालांतर में यह सारे बहुत सारे धर्म है तो हिंदुओं को भी एकदम की संज्ञा दी गई उसके सनातन धर्म का पतन की संज्ञा दी गई हमारे ग्रंथों को धन से जोड़ा गया संस्कृत भाषा को धर्म से जोड़ा गया लेकिन नवेद में किसी भगवान की संज्ञा है में किसी धर्म को बताया गया है कर्म है जो आप कोई भी करना कोई भी काम कर रहे हैं आप से कुशलता से कर रहे हैं वह योग है भगवान कृष्ण ने कहा है कि सिटी में सहयोग है यूनुस ने कहा है इसी तरह शर्म नहीं आता है तू जो आंखों पर पट्टी बांधकर से तन से जोड़ते हैं उसी तरह जैसे आज वह कुछ हमसे दूर रहे हैं इसी तरह जब हमने धर्म बने हिंदू को वेतन की संज्ञा दी गई और जब केंद्र जीवन जीने की कला है वैज्ञानिक है अरे किसी धर्म विशेष के बारे में नहीं बताया सिर्फ कर्म को धर्म बताया गया धन्यवाद
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नमस्कार आप ने सवाल किया है कि लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं देखिए ऐसा है मैं आपको बताना चाहूंगा कि योग समाज के प्रत्येक वर्ग एवं संचार के प्रत्येक धर्म के लिए उपयोगी है क्योंकि यह एक ऐसी साधना पद्धति है जिसको विश्व का कोई भी धर्म किसी न किसी रूप में अपनाए हुए हैं चाहे वह सिख हो इसाई हो मुस्लिम हो पारसी हो या उदी हो या अन्य किसी भी धर्म का क्यों नहीं हो या फिर वह नास्तिक ही क्यों न हो क्योंकि धर्म का इससे कोई संबंध नहीं है इसका मन तो आत्म चेतना एवं स्वास्थ्य से हैं सिर्फ स्वास्थ्य चाहे शरीर का हो मन का हो या आत्मा हो वह सभी प्राणियों में एक सा होता है उसे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए योग है धन्यवाद
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मेरे सबसे योग को धर्म के साथ नहीं होना चाहिए जो का संबंध किसी धर्म से नहीं है योग में जब जब जाम योग कराते हैं इसमें किसी तरह की कोई धर्म का मतलब नहीं होता है इसमें सब तरह के धर्म के लोग आते हैं कुछ लोग मुस्लिम होते हैं कुछ जैनी होते हैं कुछ पंजाबी होते कुछ साउथ इंडियन 17 के लोग इसमें योग करते हैं कि जो किसी धर्म के साथ संबंध रखते हैं इसमें हमारा मीन कर लीजिए उनके स्वस्थ के अंदर सुधारों और अच्छे विचारधारा जिंदा है इसका कोई संबंध को कभी धर्म के साथ छोड़ना नहीं चाहिए हमेशा यह सुनना चाहिए हमारा कोई धर्म किस धर्म के लोग तो केवल इंसान इंसानियत और कहिए क्या मुसलमान है या हिंदू है कई एक्शन में हमारा कोई इससे कोई संबंध नहीं मानवतावादी भावना थैंक यू
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लो युग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं उनकी बहुत बड़ी मूर्खता है जो ना किसी धर्म से संबंध रखता है ना किसी जाति से संबंध रखता है ना किसी वर्ग विशेष से संबंध रखता है इस संसार में तरह तरह के लोग हैं तरह-तरह की विद्वान ने नहीं सबकी तरह तरह के अपने विचार हैं यह मेरा व्यक्तिगत विचार है कि योग अलग है और धर्म अलग धर्म में अंधविश्वास भी हैं पाखंड भी है झूठ भी है जबकि योग में ऐसा कुछ भी नहीं आदिकाल से भारतीय संस्कृति और सभ्यता का अंग रहा है भारत देश में बहुत से धर्म जाति मजहब और संप्रदाय के लोग एक साथ रहते हैं हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई हम सब आपस में भाई भाई इसलिए इस बात को कहना कि योग धर्म से जुड़ा हुआ है यह सब गलत है धन्यवाद
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लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं जो योग को धर्म के साथ जोड़कर देखेगा वह जीवन को बहुत खुशनुमा बन इसके पूर्व के प्रश्न उत्तर दिया हुआ है कि स्वधर्म ही योग है और सुधर में क्या है यह हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई पारसी यह धर्म नहीं है यह तो एक व्यवस्था है वास्तव में शांति आनंद और आदमी प्रेम ही धर्म है
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लोगों को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं ऐसा नहीं है योग एक नेचुरल अपनी बॉडी को नियमित संयमित स्वस्थ रखने का एक आसान तरीका है इसे किसी धर्म विशेष के लिए ही है
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लोग योग को धर्म के साथ जोड़ देते हैं लोग धर्म को समझते ही नहीं धर्म क्या है इसे टॉक अबाउट रिलिजन विच हेल्प्स यू टू रिलायंस पैट्रोल स्टेशन धर्म धारण करने योग्य वही धर्म ड्यूटी ड्यूटी और उन को पूरा करने के लिए योग से अच्छा कोई सहायक अभ्यास हो ही नहीं सकता तुम लोगों को धर्म के साथियों को योग के साथ धर्म को जोड़ देने का कोई कारण नहीं है कोई उसका परिणाम दुष्परिणाम नहीं है लोग अज्ञान है कि धर्म क्या है योग क्या है योग और ध्यान योग और धर्म की सही परिभाषा की जानकारी दो
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योग को अगर धर्म से जोड़कर देखना है तो जीवन धर्म से जोड़ कर देखें क्योंकि योग जीवन विज्ञान है जीवन से तात्पर्य है कि जिस अवस्था में आप अपने शारीरिक मानसिक और भावनात्मक शरीर का संतुलन बना पाए और आपको अपने आत्मा का साक्षात्कार हो तो योग वास्तव में देखा जाए तो धर्म की जो मान्यता समाज में है उस मान्यता से योग का संबंध नहीं है योग का संबंध आत्म साक्षात्कार से है और आत्म साक्षात्कार मनुष्य को जीवन धर्म सिखाता है क्योंकि आत्मा आत्मज्ञान से व्यक्ति का विवेक जागृत होता है और विवेक मान मनुष्य ही जगत का कल्याण और अपना कल्याण कर सकता है बुद्धि वाला मनुष्य तो स्वार्थी होगा वह अधिक से अधिक अपने हित की बात सोचेगा बुद्धि या मन कैसे खासियत है कि मन अपने हितों को केंद्र में रखकर सोचता है लेकिन योग के दायरे में जब देखेंगे तो आपका अपना हित स्वयं को जानना और जैसे ही आप स्वयं को जानते हैं जो स्वार्थ शब्द है स्व के अर्थ को प्रकट करने का है जब आपकी 100 का अर्थ प्रकट होता है तो फिर जगत में आपको अपने से दूसरी सत्ता दिखाई नहीं देती आपको लगता है यह जगह आपका ही विराट स्वरूप है आप का ही विस्तार है तो फिर जगत में और आपके बीच 11 लाइव बनता है कि जोड़ बनता है जिसमें प्रकृति के मित्र बन जाते हैं आप तो योग जो अगर किसी धर्म की बात की जाए तो योग वास्तव में देखा जाए तो वह मानवता का धर्म है जीवन धर्म है मनुष्य में मानवीय गुणों के विकास का धर्म है तो इस दृष्टि से आप देखें तो यह जीवन धर्म पहला सकता है अन्यथा जो समाज में धर्म की समझ है उससे योग का कोई संबंध नहीं है योग आत्म साक्षात्कार की विद्या है और मनुष्य इस जगत का एकमात्र ऐसा प्राणी है जो आत्म साक्षात्कार के बाद ही मनुष्य ताकि जो गुण मनुष्य में खोजते हैं उन घोड़ों के साथ समाज में अभिव्यक्त हो सकता है धन्यवाद
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सवाल है लोगों को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं ठीक है अगर योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं कोई बात नहीं बट असल में योग का रिश्ता नाता कोई नहीं धर्म से योग सभी कर सकते हैं चाहे वह हिंदू हो चाहे वह मुसलमान हो चाहे वह कौन हो चाहे वह सिख हो या जेल योग का अर्थ है अपनी आत्मा को यूनिवर्स के साथ एक करना जोड़ना योग बनता है वह व्हिच मींस जोड़ना जोड़ना अपने आपको परमात्मा से जोड़ना यही अर्थ है योग का योग का दीपक मायने में अर्थ देखो तो जो पतंजलि योग सूत्र में कहां गया है योगश्चित्त वृत्ति निरोध उसका मतलब है अब के मन के विचारों को सील कर देना यही है योग का अर्थ
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किए योग का कोई धर्म नहीं होता है योग हमारी पुरानी एवं पारंपरिक प्राचीन देन है जो धर्म से योग का धर्म से कोई नाता नहीं है अभी देखा जाए तो हमारे विभिन्न धर्मों में भी योग को ही अपनाया जा रहा है हमारा मेन योग का परम लक्ष्य होता है मोक्ष की प्राप्ति प्रयोग को धर्म से जोड़ कर देखने उचित नहीं है सभी धर्मों में योग को अपनाया जा रहा है कहीं ना कहीं किसी ना किसी रूप में योग को हम लोग हमें देखने को मिलता है सभी धर्मों में प्रयोग धर्म को धर्म से कोई जुड़ाव नहीं होता है योग का योग अपने आप में संपूर्ण विद्या है तो धर्म से जोड़कर इसको नहीं देख सकते
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युवा शरीर की मूर्तियों को धर्म से जोड़ कर देख लो क्या प्रयुक्त केवल हिंदुओं का वादा पूरा करना किसी धर्म की शुरुआत आयु तुम्हारे शरीर और मन को आपस में जोड़ने का कार्य करता है
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योगदान के साथ जोड़कर जी हां आज के समय में लोग योग को धर्म के साथ जोड़ रहे लेकिन योग किसी धर्म संप्रदाय विशेष के लिए नहीं है यह पृथ्वी पर समस्त प्राणियों के लिए है उसमें मनुष्य जानवर ही आते हैं हम जितने योग आसन करते हैं सारे किसी ने किसी जानवर से ही लिए गए जैसे भुजंगासन तरफ से लिए गए हैं नकारात्मक रे से लिए गए हैं गोमुखासन गाय से लिए गए हैं वृक्षासन दूसरी गया उसे प्रकृतिक पद्धति के द्वारा उत्पन्न की गई जितनी भी वस्तु है इस पृथ्वी पर है उनको हम न्यूनतम कर रखे हैं इसीलिए योग को किसी धर्म विशेष के साथ जोड़कर देखना गलत होगा योग किसी धर्म जाति विशेष की नहीं है वह पृथ्वी पर सभी प्राणियों सभी जीवो के लिए है हर व्यक्ति को योग करना चाहिए जिससे कि निरोग रखें और अपने पति पर डिपेंड रहे धन्यवाद
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लोग योग को धर्म के साथ जोड़ते हैं जी नहीं यह बिल्कुल गलत है योग सबके लिए है किसी एक धर्म के लिए 30 को लट नहीं बनाया गया है सारे लोग सब कर सकते हैं सारे धर्म के लोग कर सकते हैं और वैसे भी धर्म को तो हमने बनाया है धर्म को बनाने वाले भी तो हमें तो धर्म सबके अंदर खून तो एक ही का लड़का होता है ना तो फिर धर्म धर्म धर्म की बात लोग क्यों कहते हैं पता नहीं लेकिन मेरा मानना है मैं तो सारे धर्म को एक मानता हूं और हमारे भारत देश को बनाने में सारे धर्म कहां से सारे धर्मों में एक साथ काम किया है तो हमारे देश पढ़ाया के जैसे कि बहुत सारे हिंदू हिंदुओं ने भी धर्म आगे बढ़ाने मत कि यार बहुत सारे मुस्लिम होने पर देश को आगे बढ़ाने में मैं खुद एक हिंदू हो लेकिन मेरे फेवरेट है ए पी जे अब्दुल कलाम बहुत अच्छी है इंसान तो एक ही होता है सबके अंदर खून तो एक ही है बस ब्लड ग्रुप का फर्क है
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लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं जी हां कई ऐसे लोग होते हैं जो युवक को धर्म के साथ छोड़ कर देते हैं पहले तो यह बता दो कोई योग कोई धर्म नहीं है जब धर्म की शुरुआत नहीं हुई थी उससे पहले योग आया हुआ है योग का कोई धर्म के साथ लेना देना नहीं है योगी एक धर्म है जिसको मानव धर्मा बोला गया है जो हर आदमी के लिए है और इंसान के लिए हर आदमी यह योग कर सकता है उसमें कहीं धर्म नहीं आता कोई अलग अलग बिना टी के बारे में भी नहीं आता योग हमें जीना सिखाता है योग बोले तो योग को जीवन जीने की एक शैली है कि हमारे दिन चली कैसी होनी चाहिए वह हमें यह बताता है इसलिए कभी भी किसी भी आदमी को इसको धर्म के साथ छोड़ना नहीं चाहिए योग करने से किसी क्या करूं मुसीबत में भी नहीं आता ओम नमः शिवाय
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युगधर्म के साथ जोड़ कर देखना आज के दौर में तक मूर्खता करी जाएगी क्योंकि कई इस्लामिक कंट्री या जिनका योग से कोई नाता नहीं था लेकिन विश्व योग दिवस में वो लोग भी शामिल हुए उनके देशों में भी योग का प्रचार प्रसार हुआ इस्लामिक जो लोग होते हैं अब हम उनको बोलेंगे क्या ओम का उच्चारण करें या गायत्री मंत्र का उच्चारण करें या गीता को पड़े ऐसा करें तो उसको गलत मानेंगे तो उसमें क्या होता है कि उन चीजों को मत मॉडिफाई किया उन लोगों ने तो उन्होंने क्या कहा कि जो उनके धर्म के उसमें जो ध्यान वगैरह लगाते हैं वह लोग जो प्रार्थना करते हैं उनको उन्होंने शामिल किया वह प्रार्थना को हिंदू धर्म में जितने भी उसको नहीं शामिल करके जैसे ईसाई ईसाई धर्म के शख्स को शामिल कर लिया मुस्लिम उसने उसके धर्म शामिल कर लिया योग एक वैज्ञानिक पद्धति है जिसके द्वारा शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है मानसिकता हमारे जो हमारे जो व्यक्तित्व था उसको निकाला जा सकता है और उसके साथ में हमें भावनात्मक तौर से भी योग बुध मजबूत बनाता है तो यह जरूरी है कि योग क्यों है उसके साथ साथ में यदि इसे कोई हिंदू व्यक्ति है वह ध्यान करता है तो वह ओम का उच्चारण करता है या उसको बुला कर भाई गायत्री मंत्र का उच्चारण करो ऐसा करो तो उसको गलत नहीं मानता लेकिन कुछ मारियो प्लस प्लस जब साथ में होते थे तो वह भी ओम का उच्चारण करना उसको गलत नहीं मानते थे कि किसी धर्म विशेष धर्म से संबंधित नहीं ओमनी संपूर्ण ब्रह्मांड
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आपका प्रश्न है लोग योग को धर्म के साथ दूर कर देते हैं निश्चित रूप से योग फिजिकल मेंटल एक्सरसाइज है पुलिस का धर्म से कोई विशेष संबंध नहीं है यह मानव मात्र के लिए मानव प्रजाति के लिए किसी भी धर्म के ऊपर बयान यह सब को लाभ पहुंचाता है जो इस मानव जाति की एक प्रजाति शारीरिक फिटनेस और मेंटल फिटनेस के लिए है जबकि धर्म की मूल प्रति मूल स्वभाव को जानना और कर्तव्य के पथ पर अग्रसर होने से जोड़कर देखा जाना चाहिए लेकिन धर्म को भी हम मजहब से संप्रदाय के जोड़ देते हैं धर्मवीर के सो जाता है और योग का स्वरूप एवं नियोजन से जोड़ देते हैं संपदा के युग में धर्म और यह जाति वर्ग धर्म इससे बड़े हैं यह पूरी मानव जाति के लिए सबके लिए उपयोगी संख्या
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लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं वास्तव में अगर हम लगभग 15 साल 2000 साल ऊपर जाएं तो भारत भी क्या सारी दुनिया का एक ही धर्म था धर्म माने हमने एक अलग व्यवस्था समझ रखा है पर धर्म अनुशासित जीवनशैली ईश्वर की आज्ञा अनुसार जीवन जीना यह विषय धर्म के अंतर्गत आता है यानी धर्म निस्तारण करना है उदाहरण क्या करना है जीवन में पवित्रता को धारण करना है अच्छे नियमों को धारण करना दया को धारण करना है या नहीं सज्जनता को धारण करना है कहने का तात्पर्य ही है धर्म का आज हमने अर्थ ही अनर्थ कर रखा है जो धर्म को नहीं जानते वही कहते हैं कि योग तो हमारे लिए नियम उन धर्म वालों के लिए तो आप निश्चिंत रहिए जो धर्म को नहीं जानते हैं वही धर्म से जोड़कर के योग पर सवाल उठाते बाकी योग मानव मात्र के लिए क्योंकि मानसिक रोग हो या शारीरिक रोग हो वह किसी भी व्यक्ति को महिला को पुरुष को हो सकते हैं बीमारी जब धर्म नहीं देखती चाहे वतन की बीमारी हो चमन की तो हम योग करने में धर्म को क्यों देखें और धन्यवाद
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आपका प्रश्न है लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं यह ज्यादातर हमारे देश में ऐसा होता है हर चीज को धर्म से के साथ जोड़कर देखा जाता है बाहर बहुत जगह गया हूं बाहर इतना नहीं होता है ना के बराबर है बाहर में लोग इसे अपने शारीरिक विकास बौद्धिक विकास मन की शांति चेतना का विकास के रूप में देखते हैं इसको साइंस के रूप में देखते हैं और योग का धर्म से कोई मतलब नहीं है मेरी व्यक्तिगत ऋषि में योग एक ही समझ एक एक शब्द है रिलीजन जिसको धर्म कहते हैं एक शब्द शब्द स्पिरिचुअलिटी स्पिरिचुअलिटी मैं द सब्जेक्ट इस्पिरिट यानी आत्मा अपने अंदर का सेल्फ योग जो है अब कौन है जिसके अंदर सेल्स नहीं है बता दीजिए चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला क्यों नहीं हो चाहे वह किसी भी राष्ट्र और किसी भी कल चलो कहीं कब क्यों नहीं उसके अंदर सेल्फ जरूर है खून किसका नहीं शरीर कटने पर खून नहीं बाहर निकलेगा तो जिसका हृदय की धड़कन नहीं है किसके साथ नहीं चलते हैं किसान अंदर खाना खाने के बाद पाचन क्रिया नहीं होती है किसको ठंड नहीं लगता किसको गर्मी नहीं लगती है यह सारी जो चीजें प्रकृति में सबके लिए है वह तो भेदभाव नहीं किया हो तो सामान रूप से सब के ऊपर एक जैसा व्यवहार करती है तो योग इस रूप में देखा जाना चाहिए कि योग आपके व्यक्तिगत व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए अब जो व्यक्ति से प्यार करता हूं जो अपने आप से प्यार करता हूं अपने सेल्फग्रोथ self-discovery से खुद की अपील करना चाहता हूं अपनी लाइफ को नए डायमेंशन पर ले जाना चाहता हूं तो कभी नहीं देखेगा अभी छोटी सी बात बताता हूं आज चालू हो गई 40 साल हो गए होंगे और वहां पर जो गुरुजी गए थे तो उनसे पूछा गया कि स्वामी जी बताइए वहां पर पेशेंट को जब ले जाया जाता था ऑपरेशन थिएटर में तो बीयर और एंजाइटी इतना ज्यादा हो जाता था कि उनका शुगर लेवल बढ़ जाता था उनका स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता था बीपी हाई ब्लड प्रेशर बढ़ जाता था अब आप देखिए ब्लड प्रेशर बढ़ेगा तो सब प्रभावित होता है अपने आप तो 19 दिन ही हुए थ्रू व्हिच वी केन काम धाम तो उसका एक्सपेरिमेंट हुआ एक लंबा सा टॉपिक है जिस पर हम ज्यादा नहीं जाएंगे इतना समझ ले पेमेंट हुआ और दो ग्रुप को बटर बांटा गया और रिजल्ट यह देखा गया कि जिस ग्रुप को कैंटीन और कुछ प्रैक्टिसेज से जो कराए जाते थे ओम चांटिंग में इसलिए बोला क्योंकि उनको लोग धर्म से जोड़ते हैं तो ओम चांटिंग करवाएंगे और उसका सीधा ताकि उनके ब्रेन बेब को बदला जाए और वह रिजल्ट करके देखा भी गया उनके ब्रेन पाटन ब्रेनवेव में परिवर्तन आया उनका इनसाइटी लेवल कम हुआ या ज्यादा लगता था गुड्डू के कम हो गया था बहुत कम हो गया था तो कहने का तात्पर्य इतना जो मैं बोला इसके पीछे मतलब यह है कि आज भी उस चीज को ब्लॉक कर रहे हैं जबकि वह लोग तो हिंदू को नहीं फॉलो करते हैं अपने क्रिश्चियनिटी को फॉलो करते और भी जो भी है उनका लेकिन इसको धर्म से नहीं देख रहे हैं उनको साइंस के रूप में देख रहे हैं और इससे लाभ ले अपने ही कंट्री में ज्यादा कर यह बातें हो जाती है और मैं ज्यादा इस पर जाना नहीं चाहूंगा यह राजनीतिक टॉपिक बन जाएगा इससे मैं नहीं जाना चाहता हूं मेरे ऊपर से जो व्यक्ति को करिए और अगर फायदा हो मैं खुद को अपना भेज दी क्या मैं अपनी व्यक्तिगत अनुभव बताता हूं मुझे दरगाह कमेटी में बुलाया गया था मैं किसी मुस्लिम समुदाय में मुझे जाने का अवसर मिला मुझे कागज सब कुछ करेंगे लेकिन नहीं बोलेंगे मुझे कोई एतराज नहीं तो मैंने बोला अच्छी बात है पर मेरा परपोस था कि मुझे अनलाइक्ली लेवल काम करना है ब्लड प्रेशर को काम डाउन करना है तो मैं कैसे कर सकता हूं तो मैंने उनसे ऐसे वाइब्रेशन वाइब्रेशन का कोई धर्म से क्या लेना देना तो वाइब्रेशन क्या पॉजिटिव वाइब्रेशंस तो मैंने बोला घर को क्या बोलते हैं अंग्रेजी में घर को बोलते हैं आंख बंद करके प्रेम से हो हो हो मैंने बोला बताइए इसमें कौन सा धर्म परिवर्तन हुआ लेकिन मन तो शांत हो गया ना दिमाग तो शांत हो गया ना देखिए और इसका लाभ लीजिए खुद को स्वस्थ रखिए निरोग रहिए अपने विचार को स्वस्थ रखे प्रसन्न रहिए सबसे बड़ी चीज है जो आज मनुष्य से प्रशंसा छीन गई है बहुत बड़ी बात है ऑपरेशन होने के लिए हर मिनट दूसरे मिनट में मोबाइल को पकड़ कर बैठते हैं देखते हैं मोबाइल को कहीं क्योंकि आप सोचो ए बिग रीजन टो वरी आपकी किस कंपनी में रह रहे व्यक्ति अपनी खुद की कंपनी को ज्वाइन कर रहा है वे नॉट एंजॉयिंग विद सेल्फ जो हमारे अंदर बैठी आत्म चेतना है हम उसके साथ कंफर्टेबल फील नहीं करते हैं वे नॉट हैप्पी विद यार अगर आप हैप्पी हो तो एकांत में क्यों नहीं आता समय बिताते हो आपको हर मिनट में व्हाट्सएप खोलना पड़ता है फेसबुक देखना पड़ता है आपने कोई पोस्ट किया तो कोई कमेंट किया कि नहीं किया लाइक किया कि नहीं किया इस द रीज़न बिग रीजन टू विवरिंग ऐसा तो नहीं था आपसे जब यह सब नहीं था तो हम लोग ज्यादा प्रसन्न थे एक चिट्ठी आया करती तो हम कितना प्रसन्न हो जाया करते थे सोच कर देखिए कितना खुश हो जाए करते तो पढ़कर अजु खुशी है मैसेज में लाने से पहले एसएमएस आता था तो हम लोग मोबाइल को देखते थे अब नहीं आता है तो हम चेक करते रहते अरे कोई मैसेज को नहीं आ इंटरनेट तो ठीक है ना तुझे सब कहीं ना कहीं हमें हमसे दूर ले गया है हम खुद ही से दूर होते जा रहे हैं और योग का काम है जोड़ना और यह आपको आपसे जोड़ेगा इसको जोड़ने में आपको मदद करेगा अगर यह भी आपको धर्म लगता है तो ईश्वर आपकी रक्षा करें धन्यवाद आपका दिन शुभ हो जय हो
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देखे जो लोग कट्टरता में योग को धर्म से जोड़ करके यह सोचते हैं कि यह तो हिंदू सनातन धर्म की परंपरा है ऋषि मुनियों की परंपरा है हम इसलिए नहीं करेंगे तो यह तो गलत है क्योंकि अच्छी बातें चाहे किसी भी धर्म में किसी भी संप्रदाय में किसी भी व्यक्ति में हो उसे स्वीकार करनी चाहिए गलत बात अगर अपने परिवार और अपने सगे संबंधियों में भी हो तो उसे भी हमें स्वीकार नहीं करना चाहिए तो मेरा सुझाव रहेगा निश्चित रूप से योग हमारी ऋषि मुनियों की परंपरा है हमारी सनातन पद्धति है लेकिन आज पूरी दुनिया इसको अपना रही है और योग एक विज्ञान है संसार में जितनी दवाइयां है और किसी ने किसी जाति धर्म और मजहब के व्यक्ति ने खोजी होंगी ढूंढी होगी आज पूरी दुनिया बिना मजहब बिना संप्रदाय बिना किसी और समझे उपयोग बिना किसी मजहब जाति और धर्म से करते हैं तो योग विज्ञान जो हमारे सनातन ऋषि मुनियों की परंपरा है इसको भी हमें उसे लेना चाहिए क्योंकि यह सब के लिए है सब को लाभ देने वाला है यह विज्ञान है जो भी करेगा किसी भी जाति धर्म संप्रदाय आयोग का लाभ मिलेगा
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हमेशा जब लोग किसी को बांटना चाहते हैं या फिर अपना लाभ उठाना चाहते हैं या फिर किसी धर्म विशेष के माध्यम से वो यह चाहते हैं कि सिर्फ वह ऊपर है ऐसे लोग योग को धर्म के साथ जोड़ते हैं जबकि योग और धर्म का दूर-दूर का नाता नहीं योग अर्थात खुद के बारे में जानना वह दोस्त शक्ति जो अलग है उसे एक करना ही योग है और इस योग को समझने के लिए सिर्फ और सिर्फ खुद के बारे में जानना होगा भीतरी खोज करनी होगी अपने अंदर के समस्त चक्रों को समझना होगा अपनी सांसो को समझना होगा यहां पर किसी धर्म विशेष की बात नहीं है यहां सिर्फ मानवता की हर मनुष्य जो सांस लेता है हर मनुष्य की धड़कन है हर मनुष्य के शरीर को हम इंसान कह सकते वाह योग कर भी सकता है वह योग अपना भी सकता है आयोग के रास्ते पर चल भी सकता है परंतु ध्यान रहे जब किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं संपूर्ण ब्रह्मांड के संपूर्ण मानव जाति के उद्धार के लिए हैं
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लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं देश में दादा माने जाते हैं देखा जाए तो आएंगे तो आप वहां देखेंगे कि हर इंसान वहां पर योग करता है वही नहीं जानता कि मैं करूंगा और किसी धर्म से हूं तुम्हारे हिंदुस्तान के घर में बात कहूं तो अभी बहुत सारी ऐसी फैमिली है बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो इस चीजों से दूर होते हुए अपने आपको और ऊपर कर रहे हैं जैसे कि अगर मैं और मेरे पास बहुत सारे मुस्लिम स्टूडेंट्स हैं वह भी योग को बड़े अच्छे से करते हैं और बहुत ही योग कहा तो उसका मतलब कि हिंदू-मुस्लिम उसमें डिवाइड कैसे जाते हैं योग हरित के लिए है जो किसी से किसी का घर और उसके साथ नहीं देता है योग खरीद के लिए और कोशिश करें कि हम इसे कभी ना छोड़े नमस्कार
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नमस्ते आप का सवाल है लोग योग को धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं कि सबकी अलग-अलग मानसिकता है सही मायने में होता क्या था जो पहले होता था वह एक प्रथा के लिए उसी पड़ता को धीरे-धीरे एक धर्म का नाम दे दिया क्या होता क्या होता कि हम किसी भी एक वस्तु को देखकर उसके प्रति अपनी एकाग्रता को बनाने में अपने आप को महारत हासिल कराने में सक्षम हो पाते जिससे हमारा ध्यान इधर-उधर ना भटके तो उसी क्रम में हमने अपने कार्य करने शुरू करें किसी भी वस्तु को किसी भी मूर्ती को किस किस को अपना श्रेष्ठ मानते थे उसके प्रति हम एकाग्रता की भावना से उनके प्रति नमन करते थे एकाग्रता फिर धीरे-धीरे अपने कार्य करते थे वह कार्य तभी संभव है जब हम मन शरीर और सांस को एक स्थिति में रखते हैं धीरे-धीरे उन तीनों को जोड़ना योग की उपाधि योग कहलाने लगा और धीरे-धीरे लोगों ने युवक को ही अपना कर्म मानना शुरू कर दिया और वह घर में वह कर्म धीरे धीरे पड़ता बनती चली गई जिसको लोग धर्म का नाम देने लगे हमारा कर्म ही हमारा धर्म है योग अब जो भी कार्य करें एवरीथिंग इज योगा कोर्स विराट फोर टाइप्स फर्स्ट भक्ति योगा इज इक्वल टू द पाथ ऑफ इमोशन सेकंड कर्म योगा इज इक्वल टू द पाथ ऑफ एक्शन थर्ड राज योगा दफा तो विल पावर फोर ज्ञान योगा द पार्ट ऑफ नॉलेज तो इस समय हम आते हैं कर्म योग पर आपात ऑफ एक्शन अब जो भी कार्य करने उसके प्रति आप सर्जक हैं इस कॉल्ड ए आपका कर्म योग है आप नॉलेज रखते हैं सुबह उठना है दोपहर में कार्य करना है भोजन करना है रात में भोजन करना है अलग-अलग टाइम का अलग-अलग भोजन डिस कोल्ड नॉट अज्ञान है कि समय क्या खाना है कितना खाना है यह चीज राजयोग दफा तो विल पावर आप की अंदरूनी शक्ति आपकी इच्छा कि आपका अपने ऊपर अपनी इंद्रियों पर अपने प्रत्याहार पर कितना नियंत्रण है डिस्को विल पावर आपका भक्ति योग द पार्ट ऑफ इमोशन अपने मानसिक तनाव को दूर करने के लिए आप गाना गाते हैं गाना सुनते हैं भजन गाते हैं भजन सुनते उसके प्रति आप विमुख हो जाते हैं उसके प्रति आप पूरा उसमें घुस जाते हैं इस कॉल्ड भक्ति होगा दफा तो इमोशन से जुड़ी हुई है तो इधर इनको अलग-अलग प्रक्रिया अलग-अलग संज्ञा दी हुई तो सही मायने में कर्म ही हमारा धर्म है कर्म ही हमारा योग है यह सभी एक हैं इनको अलग-अलग समझकर इसमें भिन्न-भिन्न ताना लाएं
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लोगों को धर्म के साथ जोड़कर लोग देखते हैं तो इसकी वजह यही है कि योग तनातन है हमारे भारत में योग सदियों से चला आ रहा है और जो अभी के धर्म विशेष आए हैं मैं तो उन्हें धर्म भी नहीं कहता वह धर्म नहीं है वह एक समुदाय हो सकते हैं धर्म नहीं हो सकते जो किसी एक व्यक्ति या किसी विशेष पुस्तक के पीछे लोग चल रहे हैं तो वह कम्युनिटी एक समुदाय है जो किसी एक व्यक्ति के विशेष के पीछे भाग रहे हैं या दौड़ रहे हैं और उसी के कही हुई बातों का पालन करें किंतु जो योग है वह हमारे वेदों जितना ही पुराना है और वेदों में इसका संबंध भी निकल कर आता है तो योग को अगर किसी धर्म विशेष से जोड़ते हैं तो बिल्कुल जोड़ें क्योंकि सनातन धर्म की यह देन है और इसमें मंत्रों का उच्चारण आदि होता है हम करते हैं यह भी एक कारण है किसको धर्म विशेष
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