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हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था भारत की शिक्षा व्यवस्था पर तो सबसे पहली बात मैं यह कहना चाहूंगा कि हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था में जो ट्रेडिशनल है बहुत पारंपरिक हैं तो इनके करिकुलर में बहुत सारे चेंजेज की आवश्यकता है दूसरी चीज कि शिक्षा को बहुत ज्यादा निजीकरण किया जा रहा है तो शिक्षा का निजीकरण करने से बाजार जाने की जरूरत है तीसरी चीज की शिक्षा व्यवस्था का जो हम हैं जहां से आप शिक्षा हासिल करते हैं जैसे आपके स्कूल हैं आपके कॉलेज हैं आपके यूनिवर्सिटी हैं वहां पर पर्याप्त मात्रा में शिक्षक मौजूद नहीं है लेक्चरर प्रोफेसेस मौजूद नहीं है जिनके भजन कर आप जो वहां पर भी जितने भी लड़ने जाते हैं जो स्टूडेंट है पढ़ने के लिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में शिक्षा हासिल नहीं हो पाती क्योंकि उनको पढ़ाने वाला शिक्षा देने वाला कोई वहां
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भारत की शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही लॉर्ड मैकाले ब्रांड शिक्षा व्यवस्था है समय के साथ-साथ इसमें व्यापक परिवर्तन भी हुए हैं लेकिन फिर भी लोगों की अपेक्षा है या रोजगार तकनीकी शिक्षा और कार्य कौशल की कसौटी पर खरी नहीं उतर रही इसलिए आज देश में शिक्षित बेरोजगारी की संख्या बहुत अधिक बढ़ती जा रही है इसलिए भारतवर्ष में एक बड़ा तबका ऐसा है जो अपने वर्तमान शिक्षा प्रणाली के मिट्टी समय-समय पर असंतोष व्यक्त करता रहता है इस असंतोष का कारण देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी की संख्या है और रोजगार के अवसरों का अभाव है लेकिन इसकी एक प्रवृत्ति यह भी है कि ज्यादातर लोग सरकारी नौकरियों के पीछे भागते हैं कोई काम धंधा व्यवसाय की तरफ जाना नहीं चाहता ऐसे समय में शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जो देश के लोगों की धारणा में परिवर्तन करें जो लोगों को कार्यकुशलता और कौशल तो प्रदान करें ही साथ ही उनकी धारणा में बदलाव लाए की नौकरी करने वाला ही महान और बड़ा नहीं होता है जो लोग स्वयं का कार्य अवश्य करते हैं वे भी उसका के आकाश को प्राप्त कर सकते हैं इसलिए अब समय आ गया है कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था हो जो लोगों के मन में नौकरी रोजगार काम धंधा और व्यवसाय का हुनर पैदा कर सके उनके अंदर नौकरियों के प्रति लगाव की धारणा को बाहर निकाल सकें और उन्हें एक कार्बनिक और कार्य संपन्न नागरिक बनाने की ओर प्रेरित कर सकें
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1947 में जो प्रारंभ में कुछ समस्या थे लेकिन वर्तमान परिपेक्ष में शिक्षा व्यवस्था में काफी उत्थान हुआ है अग्रसर है अग्रसर रहेगा जय हिंद जय भारत
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भारत की शिक्षा व्यवस्था पर क्या करना चाहिए भारत की शिक्षा व्यवस्था है और ज्यादा नहीं जानता हूं कि 2 दिन इशारों में क्या रखा है लेकिन अपने क्षेत्र के सरकारी स्कूल के बात कर रहा हूं मैं आजमगढ़ जिले का रहने वाला हूं ऑडियो में प्राइवेट स्कूल पर चेकिंग का कार्य करता हूं घर पर भी कुछ नहीं चलाता हूं और उसी से मैं बच्चों को जितना मुझे हो जाता कि मेरी जानकारी में कोई जानकारी देने का प्रयास करता हूं हाल ही में कुछ दिन पहले मैं एक सरकारी स्कूल पूछा था उसको कोई दो अध्यापक की प्रधानाध्यापिका थी और एक प्राइवेट सॉरी उनके सहयोगी थे अब इसमें देखा जाए तो उसमें कोई चपरासी नहीं था बच्चे अच्छे 783 का चलता था तीन क्लास के बच्चों में मिलाकर कुल 10 12:00 बज जाते थे जब हम आते थे तो उनको झाड़ू लगाना पानी चेक ना पूरा फिल्ड में काम करवाते थे वह मुझे बुलाए थे उनके वहां टीचरों की जमीन को दी क्योंकि वहां से जो अध्यापक जागीरा का मैथ का कोई टीचर नहीं था तो वह इंग्लिश का भी कोई टीचर नहीं था तो इंग्लिश के लिए मैं इंग्लिश पढ़ाने के लिए 3 महीने में उत्पत्ति लेकिन मुझे समझ में नहीं आया जब प्राइवेट तौर पर 2000 3000 4000 5000 ही पाता हूं और अपना जी लगन लगा देते हैं अपराधी किस कोने पर जाकर 500 1000 लड़के रहते हैं सच में मैं 3 महीने वहां रहा लेकिन उस प्रधानाध्यापिका को कभी भी क्लास लेते हुए क्लास में लेते देते ही नहीं देखा इसी सिस्टर रिलेशनशिप में दिखाएं बच्चों को बैठाकर गाइड लेकर आगे कोलकाता कहानियां प्रति कुछ करती लेकिन बोलते नहीं थमा दी जाती थी बच्चों का आंसर प्रश्न उत्तर दिया था कभी हमारे साथ होगी तो मैं तो कहूंगा की सफाई स्कूलों को बंद कर दिया जाए तो खुल जा सकता है सरकार कहती थी कर रहे हैं ऐसी फ्री शिक्षा की जरूरत है इससे अच्छा तो हम जैसे नवयुवकों को रख दिया कब पड़ा था तो एक बार उसकी प्रधान का पता भी नहीं है कि जो सहयोगी खींचे थे वह भी नहीं है और उसी दिन चेक करने के लिए व्यवस्था जोगीराम कथा साधना जानता हूं हाय और पूछने लगे और बच्चों से पूछा तो उसने कोई लड़की थी मैडम जी का नंबर जानती थी वहां फोन की तो मैडम जी से बताई थी कि उनकी रिश्तेदारी में किसकी मृत्यु हुई चोरी का पता ही नहीं था और वह चेक करने लगा मैं सारी बातें बता दिया मेरे पास था नहीं मैं इंतजार करेंगे नार वगैरा निकालेंगे सब करेंगे तब तक मैं सोचा कि बच्चों कुछ बताइए जरा मैं पढ़ाई करना और मुझको पुलिस की धमकी देने लगा कि अभी मैं पुलिस बुला दूंगा तुम करवा दूंगा दोबारा इधर देखना मत पी है वह बहुत बुरा लगा मैं चला गया कि नहीं चाहता तो मौका जवाब दे सकता था इतिहास शिक्षा देना गुनाह अगर गुनाह है तो मैं जिंदगी भर एक ऐसा क्यों ना करें क्योंकि मैं किसी नेता की तरह लोड करने वाला या किसी से किसी दल का नेता हो उन नेताओं की तरह किसी की इज्जत नहीं लूटा किसी लड़की का बलात्कार नहीं पड़ा तो रहा हूं इसमें क्या बुराई अगर मैं प्राइवेट तौर पर ही स्कूल में था तुम्हें क्या गलत कह रहा था कि वह मुझे स्कूल से बाहर बता रहा था कौन सी गलत आप सही तो अब दोनों टीचरों को सस्पेंड कर सकते थे कुछ भी लेकिन मैं क्या करती अप में ही सोचता हूं कि कभी वह मुझे कहीं मिल जाए तो मकान की गरिमा लूंगा तो कल से स्कूल के आसपास कभी दीजिए तो पक्का उस उसको पकड़ने जाते स्कोप क्रांतिकारी जमा हो चुकी क्या होता है इसको बंद कर देता है लेकिन स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई हो रही है कि नहीं सरकार का सरकार को नहीं है सरकार को अधिकार है बच्चों की नकल रोकने का तो सरकार कोई भी अधिकार होना चाहिए और उसका भी इमो होना चाहिए क्योंकि पढ़ाई हो रही है कि तब पता चलेगा कि फाग की शिक्षा व्यवस्था करके भारत के शिक्षा विभाग
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जी भारत की शिक्षा व्यवस्था पर आप क्या कहना चाहते हैं कहना तो बहुत कुछ चाहते हैं और कभी सकते लेकिन विषय काफी गृहस्थ है और काफी लंबा है बहुत कुछ कहा जा सकता है ज्यादा पर्सनल लेते हुए कम से कम समय और शब्दों का उपयोग करते हुए इतना ही कहना चाहूंगा की शिक्षा व्यवस्था जो हमारे देश की है इसको जल्दी बेहतर बनाना चाहते हैं या बेहतर होना चाहिए उसके लिए सबसे मुख्य काम होना चाहिए वह बस एक लाइन में मैं समाप्त कर रहा हूं कि भाई भगवान की खातिर भगवान के लिए भारत के लोगों के ज्ञान के लिए कृपा करके हर चीज पर राजनीति राजनीति कीजिए एक्सपेरिमेंट कीजिए लेकिन भगवान के लिए शिक्षा व्यवस्था पर और शिक्षा पर राजनीति नहीं कीजिए हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था जो चरमराई हुई है उसका मुख्य और मुख्य कारण सिर्फ यही है कि शिक्षा व्यवस्था पर राजनीति का जबरदस्त प्रभाव शुरू से रहा है और राजनीति का उपयोग भी आप शिक्षा व्यवस्था पर करेंगे तू भाई उस देश की शिक्षा व्यवस्था का भगवान ही मालिक है हम लोग तो कुछ नहीं कर सकते हैं जोलो कानून तोड़ते हैं उनको कानून का रखवाला बना दिया जाए जो लोग पढ़े लिखे नहीं हैं या जिनकी मानसिक अवस्था उस स्तर की नहीं है उसको आप शिक्षा विभाग में डाल दीजिए जिनको इलाज नहीं आता हमको अब डॉक्टर बना दीजिए तो क्या होगा समझने की बात है तो हमारे यहां शिक्षा व्यवस्था चाहे वह शिक्षा मंत्रालय के द्वारा सिलेबस की तैयारी हो चाहे किस विषय में किस टॉपिक को रखा जाए चाहे स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए जो किताब में कार्यक्रम रखा जाएगा उसको कौन कौन सा रखा जाए कैसे रखा जाए कितनी मात्रा में रखा जाए कौन-कौन से विषयों को पढ़ाना ज्यादा जरूरी है विद्यार्थी के ज्ञान के लिए इन सारी बातों का अवलोकन जो उच्च कोटि के ज्ञानी लोग हैं शिक्षित लोग हैं वही कर सकते हैं यहां तो एक परीक्षा में ली स्कॉर्पियो की जाति होती है वह चाय वाले से और ठेले वाले से कराई जाती है तो रिजल्ट क्या होगा वोटर आईडी जो बनता है उस चाय वाला और ठेला वाला बनाता है आप देखेंगे कि वोटर आईडी में नाम किसी का फोटो किसी का पुरुष के कार्ड पर स्त्री का फोटो इसलिए गाड़ी पर पुरुष का फोटो टाइटल कुछ है नाम का जो उच्चारण है स्पेलिंग है वह कुछ और है ऐसा क्यों है पढ़े-लिखे लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं निश्चित रूप से जिन्होंने तमाम चीजें शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत आती है और ऐसा क्यों हो रहा है क्योंकि बात वही मैं फिर कह रहा हूं कि जो क्रिमिनल है आप उसको जो मूर्ख है उसको आप डॉक्टर बना दे जिनको सिग्नेचर नहीं करना आता उनको अब शिक्षा विभाग में डाल दें यही होगा धन्यवाद
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शिक्षा व्यवस्था पर मैं यह कहना चाहूंगा कि वर्तमान प्रणाली बहुत अच्छी है विकसित है नई व्यवस्था देने वाली है और उसको आप फलों के लिए आगे बढ़ी है और वर्तमान के अंदर जीवन जिए और वर्तमान और प्राचीन का भी फलों के साथ आपको सारी सर्च करिए खूब अच्छा
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शिक्षा भारत की बहुत अच्छी नहीं है अंकित में खड़े व्यक्ति के लिए शिक्षा उपलब्ध कराना ही बेहतर होगा जिससे हमारी योग्यता उपलब्धि क्षमता और आगे बढ़े बहुत-बहुत धन्यवाद
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