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आपने कहा है क्या एक पुलिस का वेतन एक टीचर के बराबर नहीं हो सकता अरे सर जी आप वेतन के आधार पर तुलना कर रहे हैं क्यों कर रहे हैं आप पुलिस का काम बहुत बहादुरी का होता है बहुत चिंतन का काम होता है बहुत जिम्मेदारी का काम होता है और बहुत जोखिम का काम होता है आप देख लीजिए नागरिकता कानून के अंतर्गत जो हो रहा है सजा किस को भुगतनी पड़ रही है पुलिस को यह राजनीति जो है यह सत्ता का सुख भोग रहे और दंड किसको मिलना है हमारी पुलिस को गालियां किसको मिल रही है पुलिस को चोर किसको लग रही है पुलिस को जीवन किसका जा रहा है पुलिस को क्योंकि पुलिस और जनता के बीच में कोई चित्र नहीं क्रोध पुलिस के खिलाफ नहीं है कभी भी जनता को कानून के खिलाफ है जो बनाया किसने सरकार ने लागू किसने किया सरकार ने और सरकार ने अपने काले कानूनों काली करतूतों शेर बचाओ करने के लिए पुलिस को आगे कर दिया तो सरकार की प्रतिनिधि है उनकी तरफ से पुलिस स्टेशन या नहीं आई है भाई यह कानून गलत नहीं है यह कानून गैरकानूनी नहीं है मेरी बात समझ में नहीं आता पुलिस ने पढ़ी-लिखी कांस्टेबल जीडी कमीशन अपने ऑफिस में होते हैं कमांड करके गोली चलाओ चलाओ यह करो वह करो कुछ पढ़े लिखे आते हैं अभी मैंने देखा है cpt1 यूपी में एक कमीशन रैंक के थे वह मरते मरते बचे टूटने पर नाम क्या है गलती किसकी है पुलिस को अपना दुश्मन मान बैठते क्योंकि जनता को भी उनका जो कोकरोज है जायज है लेकिन साथ में ग्रुप है यह किसी रूप में भी दुकान नहीं है उन्हें हिंसा के लिए मजबूर किसने किया हमें भी टीचर की बात बाद में कर लूंगा पहले भी पुलिस डिपार्टमेंट की बात कर रहा हूं इंशा के लिए मजबूर किसने किया इन राजनीतिक नेताओं ने इन राजनेताओं ने घर में बैठकर झोटा पार्लियामेंट में कानून पास कर दिया इतनी जरूरत है जरूरत है बेरोजगारों को रोजगार देने की जरूरत है गरीबी को दूर करने की जरूरत है महंगाई को कम करने की जरूरत हमारे देश के अंदर आर्थिक मंदी के उचित बनाने की 1991 में 2008 में 2011 में किस डेट को मुसीबत से बाहर निकाला वहीं से कुछ नहीं होता 370 लागू करना पैसे से हटाना यह करना वह करना एक मंत्री क्या कह रहे हैं एनआरसी लागू करेंगे इनके पास काम नहीं है यह कुछ नहीं करेंगे उसका खामियाजा भुगतना जनता और पुलिस आऊंगा पुलिस और जनता को एक हो जाना चाहिए और उसके बाद पुलिस कोई ज्ञान नहीं कौन सा कानून क्या है कौन सा कानून नहीं है उन्हें बताया जाता क्या पैसा बोलो और ऐसा बोल दो बात बताता हूं मैं टीचर हूं आप मुझसे बोल दो मैं बोल दूंगा मुझे सरकार के आम जनता में नारे लगाओ और आप यह कहो कि नहीं यह सब चाहिए मैं बोल दूंगा फिर हम चेचक के बाद किए हैं जब हमें सही गलत का फैसला नहीं आता बल्कि सरकार की चमचागिरी करने के प्रकार के कानून के पक्की बात रखिए मटन में खड़े हो गए क्योंकि बिकाऊ लो फिर ऊपर से कहां जा रहा की जनता को भड़काया जा रहा है लड़का या नहीं जा रहा आज आपको एक बात समझाने की स्पष्ट करने की जरूरत क्या पड़ी अगर यह सब कुछ इतना स्पष्ट था कि बात पहले क्यों नहीं रखी गई क्यों नहीं सब को विश्वास में लिया गया 2 साल पहले क्यों नहीं बात रखी गई इस कानून का यह अर्थ है कानून का यह अर्थ है कानून का यह अर्थ है कानून आया बना दिया माफ कर दिया क्योंकि तुम्हारे पास बहुमत से हटाना चाहिए एक शिक्षक ऐसी गलती कभी नहीं करेगा और अगर कोई शिक्षा फैसला करता है तो वह शिक्षक कहलाने का अधिकारी नहीं है मोदी पीएम बने बैठे किसी स्कूल में किसी शिक्षक केतु ग्रह शिक्षा ग्रहण की होगी हमारे अब्दुल कलाम जी उन्होंने शिक्षा ग्रहण की दुनिया के हर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति ने शिक्षक शिक्षा ग्रहण की और इसलिए शिक्षक क्षेत्रों में डिफरेंट है आपको बात नहीं करनी चाहिए आपकी योग्यता की बात करना चाहिए आप जनता के रक्षक हैं पुलिस वाले जनता के रक्षक हैं लेकिन राजनेताओं ने पुलिस वालों को जनता का भक्षक बना दिया है और ट्विटर पर छाए वह जनता पुलिस राजनेता इन शब्द के लिए जीवनदाता है क्योंकि सबको शिक्षा देखकर वह जीवन प्रदान करते हैं उनकी राह निर्धारित करते हैं लेकिन कुछ लोग शिक्षा के मूल उद्देश्य भटक कर केवल बेटन तक सीमित हो जाते हैं जैसा कि मेरे सामने प्रश्न आया है एक पुलिस का वेतन शिक्षक के वेतन के बराबर नहीं हो सकता क्योंकि शिक्षक को बहुत कुछ मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है आज जो देश में चलना है सभी बुद्धिजीवी टीचर घुटन महसूस कर रहे हैं आप शारीरिक क्यूट महसूस करने घायल हुए आप ने चंदे हमारे पुलिस वाले हमारे भाई जान क्योंकि हमारी परिवार में भी बहुत से लोग पुलिस में उनको छोटे में बड़ा दर्द है झूठी चंदू है वह मानसिक रूप से घायल है मुझे कानूनी या ऐसी नियम लागू करने का क्या औचित्य है भाई अपनी बात पड़ी है खाली मन शैतान का घर यह सच बात है अगर यह विकास की योजनाएं इनके पास हो या इनके पास इतना बुद्धि विवेक हो कि विकास की योजनाएं लागू करनी है तो मैं मानता हूं अब तक भारत सैनिक क्या बन जाता 5 साल कम नहीं होते लेकिन कहीं भी विकास योजना 365 दिन में 365 योजनाएं बनी एक भी योजना फलीभूत नहीं हुई लेकिन हमारी मीडिया बिकाऊ है बड़े दुख की बात है हमारी मीडिया सरकार की मीडिया को सरकार की हमेशा आलोचना करनी चाहिए वहीं सरकार ईमानदार हो सकती है वहीं सरकार लोक कल्याणकारी हो सकती है जो मीडिया के डर से काम करेगी जो मीडिया बिक गई है उस मीडिया को शर्म आनी चाहिए शाम को टीवी देख रहा था तो जीटीवी ने परेशान कर रहा था कि जो भी इस नागरिकता कानून के पक्ष में हमके दो नंबर रिलीज कर रहे हैं आप इस पर से मिस कॉल कर दीजिए इसका मतलब उसके समर्थन में जी न्यूज़ चुनाव निष्पक्ष है तो न्यूज़ को यदि करना चाहिए दो नंबर यह रिलीज करें कि 2 जून के विरोधी हैं जो कानून को समर्थन नहीं करते वह मिस कॉल दें हिंसा सड़क से खत्म होता कि यह लोग अपने घरों में बैठकर काम करें और हमारे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से समस्या का हल हो जाए और कितने पक्ष में कितने विपक्ष में यह स्पष्ट हो जाए जीने दो नंबर रिलीज किए उसके विपक्ष में क्यों नहीं किए अगर थोड़ी सी भी शर्म जी न्यूज़ वालों को है अगर वह चमके नहीं है तो उम्मीद करता हूं वह दो नंबर ऐसे भी रिलीज करें कि लोग रोज मेरे सरकार की असलियत सामने आए जो सरकार के विरोध में बोल दे वह भ्रष्टाचारी है वो देशद्रोही है वह चोर है वह बेईमान है उसे प्यार भेज दो जिसमें एक पुलिस वाले अपना रोल एक टीचर का अपना रोल है इसलिए उनके वे तीनों को तुलना ना करें
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