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पाठ्यचर्या की जीवन और मृत्यु का राशि क्या है जीवात्मा अगर हमारे शरीर में है तो हम दुनिया भी सुख का भोग करते हैं दुनिया भी जितनी भी चीजें है उसके आनंद लेते हैं जीवन शरीर पर है तो रिश्तेदार रिलेशन परिवार मोह माया ममता जब हो जाती है या नीचे से आत्मा निकल जाती है तो उसका रिलेशन इस दुनिया से कोई कनेक्शन ही नहीं रहती है वह शरीर मानो एक लकड़ी है आत्मा एक कुंजी है ज्योति है चैतन्य शक्ति है वह मात्र प्रकाश तो पावर देती है चारों तरफ फ्रॉक निकलती अगर वह बल्ब फ्यूज हो जाए ना न्यूज़ हो जाए मैंने उस पर करंट जो आती है वह करंट की तार अगर कट जाए ना तो वह पल किसी काम की नहीं रहती है और वह करें इतना भी चाहे उस पल पर डाले तो उस पर पावर आंसू से आकर आत्मा निकल जाए उस आत्मा को
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प्रश्न आया है जीवन और मृत्यु का रहस्य क्या है यही आध्यात्मिक मूवी अवधारणा को बनाती है और मनुष्य शिव समझना चाहता है दर्शन जीवन मृत्यु जन्म मरण हो एक माया की बहुत बड़ी विधा है और इसका असर बहुत गंभीरता से मनुष्य के अंत करना पड़ता है और यह शारीरिक संरचनाओं में और जुबा है प्रकृति को से हमारा शरीर ई डिस्टिक जल्दी आ रही है तो उसमें और यही हम जो बाहर रूप से सांसारिक प्रतीक्षा पिक निर्णय मानते हैं जन्म और मृत्यु की दशा कर्म है एक जीवात्मा की लेकिन जो अध्यात्म के पथ पर चलते हैं तो यह सब कोई मायने नहीं रखता क्योंकि यह एक विशेषता का प्रभाव डालते और असर डालती हैं इसमें भी होते हैं लेकिन यह विद्या चलेगी ऐसा नहीं है कि ना चलती हो जन्म भी लिया जा रहा है तब आश्चर्य नहीं होता कि यहां पैदा होने वाली बड़ी खुशी मनाई जाती है लेकिन जो पैदा होने वाला मर गई पैदा हो रहा है और ऐसे ही मरने वाले फिर पैदा होते हैं तो मरने वाला पैदा होता है और पैदा होने वाला मरता है यह एक चक्र और जॉन धरातल में नाता बनता है जो हम संरक्षण में अपने आप को आते हैं कि मां से बात से और परिवार से घर से पैसे वेबसाइट यह अंत करण की बेटियों में अवधारणा के रूप में बनती है जिसका परिवलन करके तपस्या या कोई विशेष अन्वेषण में होते हैं तो यह ज्ञान तथा ही अभाव हो जाता है और जब ज्ञान हो जाता है तो यह जो हमारे ऊपर एक प्रकार में उड़ता होते ही नष्ट हो जाते हैं क्योंकि जब तक ज्ञान का धारा नहीं रहता तब तक उसमें जटिलता नजर आते हैं और जो हम उसकी सारी परिभाषा को समझ जाते हैं तो ऐसा नहीं रह जाता है तो यह वास्तविक सब कुछ चीज हमें इग्नोर कर दे आंख मीच के रहते हैं और मानते नहीं कुछ साथ होता क्योंकि जो हमारी आधार भी उसकी जीवनशैली होता वह शरीर और अपना यह संसार होता है तो इसी में संगठित करके वह चीज नहीं अपने आप को आगे अवधारणा बनाता है जो कि एक छुटने वाले मिलती है तो जीवन में ऐसी घटना क्रम और दिव्यता का कोई एहसास ही नहीं जागृत होता कि जिससे यह पता चल सके कि शरीर से भिन्न जीवात्मा है और उसमें व्यस्त हो जाता है भोजन हो जाता है किससे और आत्मा का एक अलग रूप है और ऐसी घटना जिन लोगों के बीच में घटित होती है वह समझ कर किया ग्रहों के माध्यम से या कोई विलक्षण ऐसी सफेद ना हो कि नहीं तो करके हो जो इसमें अपने जीवन को विचरण करते हैं अर्थात उसी को है या प्रीपेड मतलब महत्वपूर्ण बता दे तो एक अपने से अलग दिमाग का निर्माण कर लेते हैं जो आम आदमी अपनी कसीदा जिंदगी में डालता है उसका अतिक्रमण कर जाते हैं तो यह भी दिया है लेकिन यहां साधक जो है वह अपनी समीक्षा से गतिमान होता है या अलग अलग भेजो कार में पाया जाता है जो कि वह गतिविधियां छोड़ते हैं जिनके स्कमबाग अग्रवाल की परिभाषा देते हैं वह जाना अपने एक संसार में रहना चाहता लेकिन कर्म पपीता के कारण से परिवार से दूर हो जाना पड़ता है लोग जेल में चले जाते हैं या कोई ऐसे वातावरण का सृजन होता किन को छोड़ना पड़ता लेकिन व्यक्ति तो करता है तो यह सब चीजें हैं समाज के हकदार 11 मोहन बंद है लेकिन जो व्यक्ति जिसे बोलते हैं कोई विशेष सब्जेक्ट की प्रतियां जतन करता है वह अपने लक्ष्य के प्रति प्रभावित रहता है और उसमें प्रभाकर का दूसरी चीजों को इग्नोर में रखता है यह सूझबूझ का दायरा है जो जीवन भर का जोड़ा ऐसा ऐसा कुछ नहीं है कि माया है और यह जब तक हमारे कोई दुखिया बहुत कोई तगड़ा की दुर्घटना झटका नहीं लगता तो हम इसकी भेद को नहीं पापा थे तो यह जीवात्मा संचयन कर लेता है और यह संस्कारों का निर्धारित है जो लोग बहुत व्यापक रूप से इसमें संश्लिष्ट है और संस्कार को जागरण में कुछ आलंबन कर रहे हैं ध्यान योग पूजा मंत्र इत्यादि उनकी कुछ अगस्त की विवेचना उत्पन्न होती है और उसमें हो निर्धारित करते हैं तो वह अंत करण में उसका रास्ता मिलता है क्योंकि शरीर बॉडी है क्या मांस पिंड ऑन रख मजा और उसके अंदर लपट्रिक्स चींटी जो चलती रहती है और जीवन को जो चेतन में विसर्जित करता रहता है तो यही एक प्रणाली है इसको होना ही है स्वभाविक है लेकिन जो जिनको प्रक्षेत्र मिल जाता है वह गतिविधियों में रहते संभालते हैं क्योंकि प्राण तत्व मानसिक मन विज्ञान उसके अनुरूप चलता है यह बात हकीकत है कि जीव अविनाशी है सिर्फ और के अंदर गुजरता है और उस दौर के बदलने में जो काल होता है और देश होता है दूरियां होती है कहां चला जाता है और ऐसी घटना तो उसके हृदय में डिलीवर गुजरता जो सपने में होता है बता दे कहां कहां हो इस संपूर्ण को विलोपित कर लेता है लेकिन उसमें अपनी रंजकता में स्थापित रहता है वहां कीड़ा करता ही रहता है कुछ ना कुछ तो दशा बदलती है उसमें ढल जाता है और ऐसा हमें देखने वालों को लगता है कि शायद जीवात्मा परेशान होगी इस पर की सोच विचार है यह भी है माया है की प्रस्तुति है अगर ऐसा आचरण ना हो तो जीवात्मा कई लोग समझ जाते तो असली परवर्ती के हो जाते प्रकृति को खिल जाते हैं और जगत में अपनी मनमानी करते हैं प्रकृति के अनुसार कुछ दुस्साहस उत्पन्न जाता है तो यह सारी चीज है जो इनको सही तत्वज्ञान मिल गया है और जो कल्याण में दृष्टि से प्रकृति के निर्देशकों और हाथ में मुक्ति की ज्ञान स्वरूप जो समझ गया अपना विकास करता है तो जन्म जन्म भूमि से शरीर को धारण करता है लेकिन उसकी जो विकास क्रम होता सदैव बढ़ता रहता है जो लोग इस प्रवृत्ति में लगे हुए हैं उसको वही चाहत होती वह इच्छा होती है वही दिशा और गति होती है और क्योंकि ऐसा संकल्प में मिलता है नहीं तो जिनके अंदर विशेष घटना कर्म होता है वह लोग इसके एक माहिर हो जाते हैं और आज भी संसार में जो जिस ढंग से रह रहे हैं अपना जीवन यापन कर रहे लेकिन बहुत यह ऐसी प्रवृत्ति के लोग हैं जो कभी भी किसी के बस में नहीं रहते बिंदास कहते हैं तो वह लोग अपने आपको अपने ढंग से जीते हैं संसार में हर प्रक्रिया के लोग मिल रहे हैं लेकिन यह कि अक्सर यही होता है कि जो अपने आप को स्थिर बना करके अपने जीवन को ज्ञापन करता है और बहुत रसपूर्ण जानू जी हेलो को हटाते हैं मुक्ति देते हैं तो इसमें जरूरत है यही कि आप इस अनुभव के बारे में कोई विशेष ज्ञान और ऐसे सत्संग ऐसे मनुष्य के सत्संग में रहे जो आपका निकाल कर सके तो यह कोई कोई खास नहीं है सिर्फ मन की दरगाह भर्तियां हैं जो लंदन का रिकॉर्डिंग सेक्स मिला है वह अपने कार्य क्षेत्र में प्रयुक्त हैं यह सब सोच विचार यह सब चीजें अनुभव के स्तर पर है जिससे उड़ चुके हैं वह लोग समझ जा रहे हैं और इसमें कोई खास विशेष नहीं बुझा रखने का ना कुछ प्राप्ति होती है लेकिन यह कि आपने खिला काश मंडल में कुछ ना कुछ अन्वेषण कर दिया रास्ता को जागृत करना चाहिए आपको खुद ही प्रकाशमान हो जाएगा कि इन लोगों के अंदर रूहानी विज्ञान के प्रति में धन्यवाद मैं यही कहना चाहता हूं और भी स्वागत है
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जीवन एवं मृत्यु मनुष्य कैसा चल रहा है जिसमें सभी का आवागमन पता होता रहता है जिसमें वक्त ब्लॉक में कर्मों के हिसाब से फल प्राप्त होता रहता है
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जीवन और मृत्यु का रहस्य क्या है और अच्छी बातों को भोगने के लिए इस पृथ्वी पर आत्मा शरीर का रूप धारण करती है इस पिच पर जब पृथ्वी पर कम होती है वह अपने को करती है तो इस बीच में वह आत्मा पुनः अपने कर्मों का भोग करके नहीं थी वहां तक का जो है वह जीवन है उपभोक्ता के आत्म सही रिजल्ट आत्मा जीती मरती है शरीर जिस प्रकार थक जाता है और फल पकने के बाद पेड़ को छोड़ देता है उसी प्रकार जब आती शहीद जम्मू तवी पक जाता है बूढ़ा हो जाता है जिन्होंने अवस्था में होता है तब वह शरीर को आत्मा छोड़ देता है कि कल की बातें जो आदमी को छोड़ देती तो
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वास्तव में जिसको हम जीवन कहते हैं वह जन्म और मृत्यु के बीच का जो हिस्सा है उसके बीच की अवधि है उसी को हम जीवन करते हैं हमारा जो जीवन है किसी भी जीव जंतु का जो जन्म से लेकर मरण के बीच का जो काल है उसके बीच किस अवधि है जिसको हम जीवन कहते हैं कि बहुत रहस्य की बात नहीं है जीवन का सतत विकास है एक प्रवाह है जो करोड़ों अरबों साल के बाद विकास से उत्पन्न हुआ और 60 करोड़ों अरबों साल तक चलता रहेगा उस अधिक समय तक आएगा जब भी विकास की प्रक्रिया समाप्त भी हो जाएगी इसलिए हमारा जो जीवन हमारा जो जन्म लेना और मर जाना है यह कोई बहुत गहरे रहस्य की बात नहीं है जीवन की उत्पत्ति से लेकर के जीवन के विकास पर के बीच में छोटी-छोटी जीव जंतु आते रहेंगे और जाते रहेंगे हम अपने समय आवत को पूरा कर लेते हैं फिर समाप्त हो जाते हैं एक सहद वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो क्रिमिनल भोपाल के विकास से एक चमत्कारिक रूप से प्रकट हुई है हम उस बीच के हिस्से हैं उससे अधिक कुछ नहीं है हमारी समस्या तब होती है जब हम उस बीच में आए हुए छोटे-छोटे हिस्सों को बहुत महत्वपूर्ण मान लेते हैं बातों में प्रवाह के एक अंग है केवल
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जीवन मृत्यु करिए सीरस एक इंसान जिंदा होता है पैदा होता है धीरे-धीरे करके बड़ा होता है बड़ा होता है स्कूल जाता है उसके जाता है घरवालों को देखता है इस तरह देखता है दोस्तों के साथ रहता है उसके उसकी शादी हो जाती है पत्नी आ जाती है बच्चे हो जाते हैं बच्चों की देखभाल करता है यह सर्कल है जैसे आप के मां बाप के बच्चे हैं परिवार है बच्चे बड़े हो जाएंगे और नौकरी करने लगेंगे आप जब बड़े हो जाएंगे हो जाएगा किसका जीवन कितना है
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यह प्रश्न जन्म और व्यक्ति का क्या रहस्य है देखें जन्म आपका जो हुआ है आपका लालन पोषण लालन पोषण आपका होने के बाद जवाब बड़े व्यक्ति होते हैं तो वहां पर कहीं ना कहीं हम एक मृत्यु का एहसास सताता रहता है मृत्यु एक ऐसा कड़वा सच है जिसे हम हर रोज देखते हैं कि कहीं पर किसकी मृत्यु के कहीं पर को किसी बीमारी के चलते मृत्यु हो गई जानते हैं कि एक ना एक दिन हमारी मृत्यु निश्चित है और इस धरती पर जिससे भी वस्तु या किसी इन प्राणी अनशन किसी का जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी होनी तय है क्या वह थोड़ा ले पहले जल्दी हो या थोड़ा लेट हो मगर मृत्यु तय है और हम इस बात को नहीं ठुकरा सकते इस सत्य को नहीं झुठला सकते क्या मुझसे बस सकते हैं जन्म हुआ है तो व्यक्ति भी हो गई मैं तेरे मगर आपको उसमें अच्छी कब है नहीं करना चाहिए जब होगी जब होगी मगर अपने अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अपने अपने काम पर संयम रखना चाहिए और अपने जो हमारे इंपॉर्टेंट कानून आपको करना चाहिए निभाना चाहिए जैसे सेवा भाव आपको की तलाश करते रहे और बेटे का प्यार ना करें वह जब होगी जब जब लिख जाता है कि जब मैं लिखी है तो उसे कोई नहीं टाल सकता चाहे वो किसी भी किसी भी रूप में किसी भी कारण में वह आ सकती है तो मैं यहीं रह जाएगी आदमी उन दोनों को मतलब चिंता बार-बार करके हर रोज नहीं मरे तो अच्छा है मेरी मृत्यु का करो सोच सोच कर मरने ना मरे अपने काम को ना बिगाड़े जो होगा वह देखा जाएगा तो सपने अच्छे काम के प्रति अपना सहयोग देते रहें धन्यवाद
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जीवन और मृत्यु दोनों सत्य है एक के बिना दूसरे के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती जैसे जीवन आवश्यक है उसी तरह की आवश्यकता है दोनों एक दूसरे का पूरक भी है जीवन है तभी तो मृत्यु होगी और मृत्यु होगी तभी तो जीवन होगा इसलिए जीवन में दोनों आवश्यक है
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दोस्तों जीवन और मृत्यु के बीच का जो रहस्य है बहुत ही जग्गू है सच्चाई तो यह है कि जन्म हमारा नहीं होता है जनन शरीर का होता है इस संसार में जितने भी रूप हुए हैं उनमें केवल हम सवार होते हैं और मृत्यु भी हमारी नहीं होती क्यों न शरीर का ही नाश होता है हम तो अचल हैं जिसमें यह सूरज चांद सितारे धरती ब्रह्मांड जिसमें है वही हम हैं वही हमारे परम पिता परमेश्वर हैं
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गुड मॉर्निंग दोस्तों इस प्रकार का क्वेश्चन और मृत्यु का रहस्य क्या है जीवन तो कोई देने वाला दाता को ही बढ़ जाता है पूरा शरीर किसी मनुष्य किसी बढ़िया किसके नाम कोरापुटिया उसके अंदर चाहिए बच्चा होता है तो उसका एक खून का बदला खून लेकर जीवनिया शरीर का निर्माण करता कि सिर्फ राम डालने वाला छोरा के अवसर पर हम भी नहीं मानते तो आप भी नहीं मानते होंगे चाय मानते होंगे अगला का चुनाव का हो सके ऐसा तो हम फिर बताएंगे अखिल जीवन में बेटी का रहस्य मिर्ची तोमर के मनुष्य के शरीर नहीं चलती है काम नहीं करता करती है जब सांस नहीं ले पाता बोल नहीं पता चल नहीं पाते वह खड़ा लिखा पति है कुछ भी नहीं है क्या अपना अनमोल चीज कर पाते हैं अपना लेल भी नहीं कर पाते इसलिए इसको मृत्यु समझा जाता है और उसको फेंक दिया जाता है उसका शरीर में कहा जाता है प्राण की यह प्रणाली कमियां प्राण निकलते ही हंसते रहो जाते हैं इसलिए मृत्यु का
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अगर किचन जीवन और मृत्यु का क्या रहस्य है ना रहस्य क्या है तो जीवन जैसे कि एक मां अपने बेटे को जीवन देता है बालक जन्मता है ठीक है ना मैं तुझसे क्यों जीवन हो गया पहले धीरे धीरे धीरे धीरे बड़ा होता है उसके बाद फिर पढ़ने लायक हो जाता है उसके बाद अपने पैर पर खड़ा हो जाता कैसा काम करता है दूसरा कंपाला करता दूसरे को मारता पीटता है एक दूसरे को बुराई करता है जैसे उसे कर्म पर डिपेंड करता है जैसा कम कीजिएगा कौशल तो फल मिलेगा ना तो मृत्यु को रहा सब आदमी मरता है कितना आदमी देखते हैं कि द मतलब पूरा कष्ट करके मरता कितना आदमी आराम से चला जाता है तो यही जीवन का फल है कर्म का फल है
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जी आपने पूछा जीवन आपने क्वेश्चन पूछा जिन्होंने मैच का क्या रहा था तो मैं बता दूं जीवनमीत का रहस्य अनमोल मौका है यदि आपको जीवन मिलता है तो आप अपनी जिंदगी को आगे वाले मतलब अपने जीवन को आगे ले चली और उसको में उन्नत कीजिए ताकि भविष्य में आगे चलकर आपके जीवन में कोई तकलीफ ना आए ना कोई समस्या हो आदमी जो इस धरा पर सब को इधर से उधर आकोदड़ा में मिल जाना तो जीवन में खराश तो अनमोल है इस राष्ट्र को कोई आज तक नहीं सुलझा पाया है वैज्ञानिक भी नहीं इसको सजा पाए हैं तो इसको समझाना मूंग की नहीं बल्कि मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है जीवन मृत्यु जीवन का रहस्य उसका स्वागत करना चाहिए
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इसका सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यह दोनों ही एक दूसरे के ऐसे संबंधी होते हैं जो चाहे इंसान कितना भी बचने कोशिश कर ले इन्हें रोक नहीं सकता मिलने से यदि किसी का जन्म हुआ जिसकी मृत्यु होना निश्चित निश्चित है कोई भी हो क्रश इतना महत्वपूर्ण और संक्षिप्त शब्दों में कहें तो यह कहा जा सकता है जिसका रास्ता है कि जो है संसार की हर चीज मशहूर है केवल भ्रम भ्रम को छोड़कर उसे ही समझ गई उसी के सरकार लगा लीजिए कि जीवन मृत्यु जो है यह भी बिल्कुल उसी के अंग है और यह हर व्यक्ति के जीवन में आने की आने
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