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प्रशन है ओवरथिंकिंग कैसे आते हैं पवन सिंह के तो अपने जो परिणाम होते हैं और वह सिद्धांत में यह लगता है कि पर्टिकुलर हमेशा सत्य है ऑल चाहे वह भर मन भर में शुरू से हो यह हम नहीं मान सकते हैं लेकिन इतना समझ जरूर लेते हैं कि जो कुछ हम महसूस कर रहे हैं और वह यथार्थ बिल्कुल सत्य और ऐसा हो जाना ही है तो यह बात ठीक है कि अपने सोच समझ में अगर ऐसी बातें आ रहे हैं तो वह थिंकिंग आती है लेकिन जब कंपटीशन के माहौल में भी उसका जवाब आगे आगे आता है तो कुछ ना कुछ क्षण है महसूस होता है कि यह और सिंह की के जवाब में कुछ बन पड़ा है तो यही सारी चीजें की और थिंकिंग जब भी आती है जब आदमी ज्यादा कॉन्फिडेंस में आ जाता है अपने आप को तो सब आवर सिंगिंग बनने लगती है और यह अच्छी बात है कि अगर सही निर्णायक स्थिति में वह और चिंकी काम कर रही है तो आप को फायदा ही है और अबे अनवरत रूप से बढ़ता ही रहेगा ऑटोमेटिकली और थिंकिंग अपने जो आपकी मेहनत के सूझबूझ से जो आपकी निर्णायक अवस्था बनती है बन रही है और उसके अंदर ऐसी परिस्थितियों में क्या देख रही है तो आप जाहिर है कि इस समय उसको हम चैलेंज के रूप में उसका प्रचार करते हैं अंतर्निहित यही होता है कि भावना में कि जो मैं कुछ कर रहा हूं देख रहा हूं सोच रहा हूं या समझा रहा हूं वह सटीक होगा और उसका प्रभाव पड़ता रहेगा तो वर्किंग किंग केंद्र जी अच्छी बात है वही हो सकते हैं जो खास एक्सरसाइज में लगे रहते हैं तो उनको फलीभूत परिणामों से ही है और थिंकिंग आती है लेकिन इतना भी हो वरना हो जाए कि हम उस में दूसरों की सूझबूझ और जान को ना समझ पाए तो यहां और थिंकिंग गलत हो जाते क्योंकि भक्ति के बिना काम नहीं होता जहां मांग होती है और जहां उसकी डिमांड है आवश्यकता पड़ रही है तो वहां पर अगर हम कोई अपनी उस चीज को सलाह को दे रहे हैं तो वह ठीक होता है अन्यथा अगर उसमें रुचि नहीं है लोगों की और हम उसको प्रचार मिला रहे हैं तो यह और थिंकिंग हमारे लिए कोई खास मायने नहीं बन पाता है तो आई अपनी व्यक्तिगत समझ और सूझबूझ में रहता है यह लेकिन और चिंकी का मतलब नहीं होता है कि आप उसके गुब्बार में कुछ अलग ही ढंग प्रतिक्रिया जाहिर हो तो ऐसा हो जाता है कि उल्लास के तौर पर हम कुछ अलग से प्रतिक्रिया करते हैं तो वाचिंग किंग का मतलब यही है कि आप उसको सही तरह से सामंजस्य बिठाते हुए आगे शैली में कौन अपनाना चाहिए जो लोकप्रिय हो सके तो बिना कॉन्फिडेंस को और थिंकिंग नहीं आती है और यह गर्व की बात होती है कि अगर आपके अंदर से और चिंगारी तो आपको कुछ प्राप्त हो रहा है लेकिन प्रदर्शन के मामले में आपकी इसमें सामंजस्य बैठाने पड़ेगी तो यह अंत करण का मूल अवधारणा है इसको एक अलग चित्र बनाकर रह सकता यार बाय रूप से जो आपका व्यवहारिक दौर है उसके अंदर उसकी प्रस्तुति अलग हो सकती है तो यही आपकी कुशलता है कि आपको उसके सम्मिश्रण के अंदर अगर कोई प्रस्तुति आ रही है तो वह सही सामंजस्य बैठा देती है और आपकी कुशलता में चार चांद लगा देती है तो यही कहना चाह रहा हूं कि वो सिंगिंग आती है कि कॉन्फिडेंस बढ़ जाता है और अपने रुझान के अंदर हम उसमें त्रिविता पाते हैं और वह क्षण में भी संभाली नहीं जाती अच्छा लगता है तो इस पर नियंत्रण है क्योंकि से सांभर समान होते हैं और जो शहीद दायित्व और कर्तव्य स्थित होते हो कभी ओवरर्चिंग की में नहीं आते हैं यानी होता है यह है कि प्रदर्शन को मैं उसमें कमांड हो जाता है और कोई विशेष बात नहीं रहती मैं यही कहना चाहता हूं धन्यवाद
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