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नमस्कार आपका प्रश्न है आर एस एस का भारत में कौन प्रवर्तक है देखिए आरस का प्रवर्तक हर वह व्यक्ति है जिसमें देशभक्ति की भावना अब बात यहां पर यह आती है कि संघ का निर्माण कब हुआ संघ का निर्माण किसने किया तो यह एक भिन्न प्रश्न है प्रोग्राम इसके निर्माण की और इसके इतिहास की बात करें तो 1925 में नागपुर के मोहिते बाड़ा से डॉक्टर हेडगेवार डॉक्टर स्वर्गीय श्री डॉ केशव बलिराम पंत जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नियम रखी थी और इसका इतिहास बड़ा ही रोचक है अगर हम और कोई संगठन देखें तो जिसके निर्माण के लिए उन व्यक्तियों की आवश्यकता होती है जो कि मिर्ची और हो समझदार हो और कई बार देखते हैं कि कई संगठन जो है कि बहुत ही अमीर लोगों के द्वारा बनाया जाता है परंतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना डॉक्टर साहब ने कुछ तरुण किशोर बालकों के साथ तरुण और बाल स्वयंसेवकों के साथ की थी क्योंकि वह या नहीं चाहते थे कि संगठन बनाकर व्यक्तिगत फायदा लेना वे चाहते थे संगठन निर्माण करके समाज को और खासकर हिंदू समाज को कैसे उसका विकास किया जाए तो यह भावना डॉक्टर हेडगेवार जी के मन में थी जो कि उन्होंने बाल स्वयंसेवक तरुण स्वयंसेवकों से पहुंचाया और छोटा पौधा होता है और उसमें हम जल देते हैं और जल और खाद का जब उस पौधे को भरपूर पोषण मिलता है तो वह एक विशाल वृक्ष के रूप में आकार लेता है इसी प्रकार जब बचपन से ही एक बालक के ह्रदय में देशभक्ति की भावना का संचार किया जाएगा तो निश्चय ही है कि वह बड़ा होकर देश के लिए समर्पण की भावना को दिखाएं और आप आज देख सकते हैं कि कोरोना का जो चल रहा है आज कुछ संगठनों बैकफुट पर आ गए हैं हालांकि सभी संगठन ने अपने स्तर पर सेवा करी है परंतु आप आज भी देख सकते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक सेवा भाव का कार्य कर रहा है तो मैंने आपको बताया की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्माण के बारे में निर्माण उसका कैसे किया गया और आज भारत के हर एक कोने में कोई ना कोई स्वयंसेवक समर्पण के साथ समर्पण के भाव से सेवा कर रहा है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सबसे अच्छी बात यह है कि एक बार यदि आप ह्रदय से भगवा ध्वज को प्रणाम करते हैं तो आप जीवन पर्यंत स्वयंसेवक बन जाते हैं कई बार समय की व्यस्तता के चलते कुछ लोग शाखा नहीं जा पाते परंतु यदि बचपन में आपके हृदय में संघ का संघ की सेवा का भाव उत्पन्न हो गया है तो यह जीवन पर्यंत आपके साथ देशभक्ति के रूप में जुड़ा रहता है इसलिए हर वह व्यक्ति आरक्षित का प्रवर्तक है जो देश को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना चाहता है धन्यवाद
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