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आपका प्रश्न है कि लख पर या भाग्य पर कितना विश्वास कर सकते हैं देखिए पहली बात तो यह समझ लीजिए कि भाग्य जो होता है ना वह कोई वस्तु नहीं है कि आप जब आपको समय मिले तो आप उस पर विश्वास करने लगे भाग्य पर विश्वास करना भी एक कारण है और भाग्य को समझाना भी एक कारण है जिस प्रकार कभी-कभी कुछ ना करना भी एक कर्म होता है और बहुत कुछ करते रहना भी कुछ ना करने के बराबर होता है उसी प्रकार जीवन में भाग्य पर विश्वास करना भी एक कारण है कि आपको यह बताना चाहते हैं कि भाग्य चालक आप जो लिखे हैं भाग्य कहीं लगता है भाग्य और कर्म दोनों एक ही है अलग नहीं है पहली बात तो यह हमेशा ध्यान रखिएगा हमेशा ध्यान रखें कि भाग्य और कर्म अलग नहीं है दोनों एक ही है बिल्कुल नहीं है बिल्कुल अलग नहीं है यहां पर हम आपको इस बात को सही से बता देना जब आपको समझ में आएगा कि जो व्यक्ति कर्म किस सही विज्ञान को जान जाते हैं कि कर्म हमारे जीवन पर किस प्रकार से प्रभाव डालते हैं वहीं भाग को पढ़ सकते हैं लोगों को लगता है क्या है कि जो व्यक्ति असफल हो जाते हैं उनको लगता है कि हमारा कर्म कुछ नहीं है सब कुछ भाटी के ऊपर है लेकिन जो व्यक्ति सफल होता रहता है उसको लगता कि भाग्य के जैसी कोई चीज ही नहीं होती है तो क्या दोनों अपने-अपने स्थान पर सही है लेकिन सही दोनों नहीं है यह बात हमें कि जो व्यक्ति है कह रहा है कि वह सफल हो गया है तो भाग्य कुछ नहीं होता है जो व्यक्ति असफल हो गया है वह समझता कि भाग्य ही सब कुछ होता है दोनों अपने-अपने स्थान पर सही लेकिन दोनों गलत है एक होता है स्वयं को सत्य साबित करना एक होता है सत्य को साबित करना दोनों में जमीन आसमान का अंतर होता है उसी प्रकार से जीवन में भाग्य को पढ़ना कर्म को पढ़ना एक ही है बिल्कुल अलग नहीं समझता सर आपने अलग संगत जीवन समझ ही नहीं पाए तो यह समझ लीजिए उसके बाद जीवन में इस बात को भी आप को समझना बहुत आवश्यक है कि जो व्यक्ति यह जान लेता है कि भाग्य काम कैसे करता है वह को इसको बताते हैं कि भाग्य आखिर काम करता कैसे पानी पीते हैं तो पानी पीने के बाद मतलब जब गले से पानी नीचे चला जाता है पेट में जाता है तूफानी अपने आप काम करना शुरू करता है मतलब आप उसको यह नहीं कहते हो कि अदाएं चलो या पेट में जाने के बाद बाय चलो या ऐसे ऐसे रक्त बनाओ ऐसे ऐसे खून बनाओ ऐसे ऐसे मत बनाओ सब कुछ बता दो अपना काम करता है तू यहां पर ऑटो प्रेषित हो रहा है मतलब अपने आप प्रोसेस हो रहा है लेकिन जो व्यक्ति शारीरिक विज्ञान को जानते हैं थोड़ा बहुत उनको यह पता है कि पानी किस प्रकार से पीएम पीना चाहिए या पानी कब पीना चाहिए पानी कब नहीं पीना चाहिए वह जानते हैं लेकिन जो व्यक्ति सभी के विज्ञान के बारे में कुछ नहीं जानते हैं वह कब का पानी पीना है कब नहीं पीना है खड़े होकर पीना है लेट के पीना है ऊपर से कोई ना आपको एक बार जानकर हैरानी होगी पानी की बात आई तो जापान में ऊपर से पानी पीने ओपन से पानी पीता ही नहीं है जापान में ऊपर से पानी पीने का विधान ही नहीं लेकिन भारतीय नौसेना से पानी पी लेते हैं मतलब आगे कहीं मौका मिले तुरंत लेकिन जापान में क्या है ना जापान में ऊपर से कोई पानी पीता ही नहीं है हमने एक वीडियो देखा था उसमें कहा कि हम जब भारत में आया हमने दिखाओ पांच लोगों को पानी पीते तो हम आश्चर्य होगा कि अरे यह पानी पी रहे हेलो जापानी तू जो सोचे आप अगर वह पानी को लेकर इतना कंसर्न है तो किन-किन चीजों के लिए कितना कन्फर्म होंगे लेकिन इसका मतलब शेर के बारे में ध्यान रखते हैं रोज शरीर के विज्ञान को सही रूप से लेकर चलते हैं लेकिन भारत में क्या है कि नहीं पानी कैसे पिए खड़े हो कि पीड़ित के पियो पियो पियो कोई मतलब मतलब लेट कर पियो बैठकर विज्ञान है वही का विज्ञान क्या लेकर आएगा वह आपको पता है कि अगर आपने शरीर के साथ में उल्टा सीधा हरकतें की तो वह बाद में बीमारी को लेकर आता है कि विज्ञान के विज्ञान को जान रहे हैं वह भागी को समझ जाते हैं उसी प्रकार जगह की शरीर के विज्ञान को जान रहे होते हैं वह सही से पानी पीता है सही से खाना खाते हैं खाना सभी खाते हैं देखिए सभी खाना खाना भी खाते हैं कुछ को पचता है और कुछ का पेट खराब रहता है तू कुछ लोग जानते हैं कि खाना कब खाना है कब नहीं खाना है इस समय खाना चाहिए कितना खाना चाहिए कितना नहीं खाना चाहिए कौन-कौन सी चीजें खानी चाहिए नहीं खानी चाहिए दूसरे के विज्ञान के हिसाब चल रहे हैं ना तो वैसे ही भाग में कुछ समझना है तो कर्म को समझ है लेकिन भागने का एक शब्द थोड़ी है कि जो असफल हो गया वह भाग्यशाली नहीं कहीं नहीं होता ही नहीं सकता उसी प्रकार से जहां सकते होता है जहां जहां जहां सत्य जहां विज्ञान होता है जहां उसके सकते होते हैं ना उसके तर्क होते हैं वहां गलती कैसे हो जाएगी वहीं नहीं सकती है तो गलती यह तो तक गलत है आपका तो यह इसका विज्ञान है भाग्य और कर्म एक है अलग नहीं आपको एक और देते हैं आपने देखा होगा कि घर में जब किसी घर में कैंसर किसी को हो जाता है तो यह नोटिस किया हुआ कि उसके साथ रहने वाले को कैंसर नहीं हुआ था होता मतलब एक ही घर में एक ही तरह के भोजन को लोग 300 दिन तो एक ही भोजन बनता उसे 300 दिन तो एक ही तरह का वह सब लोग खाते हैं घर में मतलब मेरा कहने का यह है कि मैक्सिमम लोग घर पर जब भोजन खाते हैं तो एक ही बुरे सभी लोग खाते हैं ऐसा तो है नहीं कि हां कोई और भोजन खाना कोई और तरह का वजन का था लेकिन बीमारी किसी एक को अलग होती है किसी को अलग होती है सबको बीमारी एक नहीं होती कभी आपने कभी कहीं पढ़ा है कि सरकार घर में सभी लोगों कैंसर हो गया होता ही नहीं है क्योंकि सब के विचार सबके कर्म एक दूसरे से भिन्न होते हैं तू वहां पर करने का विज्ञान चल रहा है वहां पर करण का विज्ञान चल रहा है बालक नहीं हो गया अपने कर्म के विज्ञान को सहित जाना नहीं इसीलिए आपको बीमारी हो गई तू ही जीवन का सार है कि कर्म और विज्ञान कर्म और भाग्य एक ही अलग नहीं है तो कर्म के विज्ञान को जान जाते हैं वह जीवन में हमेशा भाग्य को भी वह समझ पाते हैं यही कमेंट करें धन्यवाद
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