चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।
स्वामी विवेकानंद जी हमारी उन्नीसवीं सदी के बहुत बड़े महापुरुष महान हैं उनका आज जनता को पश्चिम बंगाल के वैल्यू शहर में हुआ था इनका पूरा नाम नरेंद्र नाथ विश्वनाथ दर्शन कल चमन था एक अमीर परिवार में हुआ था इनके 9 भाई-बहन थे और उनके पिता थे वह कोलकाता हाईकोर्ट में अटॉर्नी जनरल के पद पर कार्यरत हूं जो कि वकालत का कार्य किया करते थे रिंग की माता जी का नाम भुवनेश्वरी देवी था और इनके दादा जी का नाम दुर्गादत्त संस्कृत के विद्वान थे और विवेकानंद जी बचपन से ही बहुत चंचल और कुशाग्र बुद्धि के माता-पिता साथी साथ इनको कुश्ती और योग का बहुत अधिक शतक से निकाले के मैदान में या योग करते हुए मिलते अपने बचपन के दौरान 889 में एक्सीडेंट कॉलेज की एंट्रेंस एग्जाम में फर्स्ट डिवीजन से होते हैं कि ऐसा करने वाले विवेकानंद जी विद्यार्थी थे और शुरू से ही इन्हें पढ़ने का बहुत शौक था और पश्चिमी साहित्य का इनके जीवन पर बहुत अधिक असर था उस समय उन्होंने पश्चिमी तर्क और यूपी साहित्य की पढ़ाई के लिए जनरल असेंबली सीट में एडमिशन लिया और अपनी पढ़ाई वहीं से जारी रखी और आगे बढ़ाई थी इसमें उन्होंने अट्ठारह सौ इक्यासी में ललित कला की परीक्षा पास की और 84 डिग्री कंप्लीट की शुरू से ही वैज्ञानिकों का बहुत अधिक प्रभाव था तो यह बात सुनके बहुत से वैज्ञानिक जैसे कि डेविड ह्यूम चार्ल्स डार्विन जैसे महान वैज्ञानिक से बहुत अधिक प्रेरित थे तो इन्होंने इनकी जितनी भी खोजें थे जिद्दी विज्ञान की थी उनका इन्होंने बहुत कुशलता से अध्ययन किया यह हरबर्ट इंस्पेक्शन नामक बहुत अधिक प्रभावित थे क्योंकि उनका जो विकास का सिद्धांत था उसमें यह बहुत अधिक प्रभावित हुए और आगे चलकर उन्हें उसकी जो किताब थी उन्होंने इसका बांग्ला में इसका अनुवाद किया उसको प्रकाशित करवाया और विवेकानंद जी को वेस्टर्न कल्चर इन के पिताजी पिताजी कुलीन वर्ग से थे वह भी चाहते थे कि वह भी इन्हीं करें पाश्चात्य संस्कृति में जैसा नहीं हो पाए क्योंकि में उनके पिताजी की मृत्यु हो गई और उनकी मृत्यु होती ही परिवार में थोड़ा सा आर्थिक तंगी का माहौल जनरेट हो गया जिससे क्या हुआ कि आज साहूकार और उनके जो रिश्तेदार थे उन्होंने इनकी पूरी संपत्ति को ज़ब्त कर लिया अब सारी जिम्मेदारी नरेंद्र के कंधों पर आ गई तो उन्होंने काम को ढूंढने की तलाश में इधर-उधर कार्य करने के लिए ढूंढने चले गए और उनके आगे भगवान के अस्तित्व का प्रश्न खड़ा हुआ और इन्हीं दोनों चीजों को ढूंढते हुए उनका जो मुलाकात हुई और रामकृष्ण परमहंस से हुई जो कि आगे चलकर के गुरू बने और उन्होंने बहुत अधिक नाम कमाया और इन्होंने साथ मिलकर ही मठ में बुरा कार्यभार संभाला और 18 सो 86 में रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु मृत्यु से पहले ही विवेकानंद जी को पूरा मटका उत्तराधिकारी सपूत करके गए थे और 98 का जो वर्षा यह स्वामी विवेकानंद जी के जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण वर्ष इसी वर्ष उन्होंने अमेरिका के शिकागो शहर में विश्व हिंदू विश्व धर्म परिषद के सम्मेलन था इसमें इन्होंने अपनी एक स्पीच दी और अपनी स्पीच टीचर यह पूरे विश्व भर में प्रस्तुत किया उन्होंने अपना अपना वहां बैठे 6000 से अधिक विद्वानों ने इनके लिए काफी देर तक तालियां बजाई इस तरीके से उन्होंने अमेरिका में यह 2 साल में वहां इन्होंने बहुत अधिक अध्ययन किया हिंदू धर्म का बहुत अधिक प्रचार-प्रसार किया इसके बाद यह इंग्लैंड चले गए इंग्लैंड में इनकी एक शीशा बने जिसका नाम था मार्केट नोबेल था आगे जाकर सिस्टर निवेदिता के नाम से बहुत अधिक प्रसिद्ध हुई इस तरह से काफी देशों का भ्रमण करने के बाद इन्हीं लगा कि मुझे वापस अपने देश इंडिया आना चाहिए भारत आना चाहिए और भारत के लिए कुछ करना चाहिए भारत में रामकृष्ण परमहंस की स्थापना की जिसका उद्देश्य था कि सभी धर्म सत्य सभी धर्म सही है सभी धर्मों का अस्तित्व है बस सभी धर्मों के जो रास्ते हैं एक परमात्मा के मिलन के लिए रास्ते से अलग अलग है बाकी इन काउच सभी का एक ही है इस तरीके से अपने जीवन के छोटे से कार्यकाल में बहुत अधिक हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार देश-विदेश में किया और बहुत ही ख्याति प्राप्त जैसा कि माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद जी ने पहले ही कह दिया था कि वह 40 वर्ष से अधिक जीवित नहीं रहना चाहते हैं इसीलिए उन्होंने 1902 में समाधि ले ली और अपने जीवन को समाप्त कर लिया और उनके जीवन जीने के तरीके बहुत से लोगों ने फॉलो किया उनके ऊपर बहुत से साहित्य लेकर के बहुत से पाप उसके प्रकाशित हुई जिनका बहुत अधिक प्रचलन हुआ आगे जाकर बहुत से लोगों ने उनको बोलो क्या बोलो करने कि आज भी बहुत से लोग अपने कोशिश करते हैं ऐसे महापुरुष सर्दियों में एक बार ही होते हैं अब हमें इंतजार है कि अगले स्वामी विवेकानंद जी तो नहीं हो सकते हैं बट उनसे उनका कुछ भी अंश अगर हो पाया तो ये हमारे भारत जैसे देश के लिए बहुत बड़ी बात होगी धन्यवाद
Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!
About .Privacy Policy .Terms & Conditions .Contact Us .Blog .Sitemap . Compliance Copyright Vokal 2021 © |