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आज जब भी कोई प्रोफेशन में होता है आपने बहुत अच्छा सवाल पूछा कि आप छात्र एक्टिविज्म के द्वारा कोई बदलाव ला पाए थे बदलाव छात्र संगति की बात करें जब संत शंकर की होती है यानी जिस दौर में हम पढ़ाई कर रहे होते हम शिक्षक के द्वारा ज्ञान ले रहे होते हैं हम छात्र होते हैं उस समय हमारे संस्थान शिक्षा संस्थानों काम पर बहुत गहरा प्रभाव होता है क्योंकि आज के दौर में अगर आप देखें तो उस शिक्षण संस्थान मुकम्मल बदनाम होते जा रहे हैं ना केवल इसलिए क्योंकि शिक्षा को और संस्थानों का काम है बच्चों को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाना आधुनिक शिक्षा और आधुनिक उपकरणों के साथ बच्चों को एक ऐसा शिक्षा प्रदान करना जो वास्तविक जीवन में जब वह चौक पर जाएं तो उतना ही उसे डिलीट कर पाए पर आज के दौर में जो शिक्षक हैं वह किसी ना किसी तरह से उसको कि पढ़ता हुआ देख लें क्योंकि शिक्षा और शिक्षा संगति एक सौ है कमाई का जरिया बन चुका है तो बेहतर है क्योंकि उस दौर में जब हम पढ़ाई कर रहे होते हैं तो हमारे साथ भी कुछ ना कुछ गलत होता है संस्थानों द्वारा कहीं ना कहीं दबाव बनाया जाता है और वहां पर एक छात्र खुद को असहाय महसूस करता है और उस को बदलने के लिए उसमें आवाज उठाने के लिए छात्र एक्टिविज्म होना बहुत जरूरी है छात्रों को पता होना चाहिए कि अपनी आवाज किस तरह से उठाएं क्योंकि जब शिक्षा संस्थान बच्चों के उज्जवल भविष्य में शिक्षा को ना देकर एक प्रोफेशन बना दे और लिंग का तो बच्चों का आवाज उठाना जरूरी है और हमने भी अपने कॉलेज के समय में बहुत ही आवाज उठाई वैश्विक स्तर की बात करूं या एक बड़े स्तर की बात करूं तो इतना तो नहीं हुआ पर हमारे होटल के मैच में जो खाना मिलता था हमारे लैब में जो काम हमें सिखाए जाते थे उस में जो है हमने छात्र एक्टिविज्म यानी कई छात्रों के संगठन समूह के द्वारा हम सब ने मिलकर आवाज उठाई और हमारी छात्रवृत्ति के दौरान संस्थान हमारी बात सुननी पड़ी थी तो एक बदलाव तो आया था उनका खाना बेहतर हुआ था हॉस्टल की फैसिलिटी बेहतर हुई थी हमारी लाइव सुविधाएं बेहतर यह होना जरूरी है और छात्रों को जिस दौर में वह पढ़ रहे होते हैं वह कहीं ना कहीं वह किसी ना किसी अच्छे संस्थान में पढ़ने जा भविष्य में उनको एक को चुनना होता कोई इंजीनियर बनता कोई डॉक्टर बनता कोई वकील कोई पत्रकार बनता तो आप अपने भविष्य में ऐसे प्रोफेशन में जाओगे जहां पर आप लोगों से जुड़ ओके और आप उनकी आवाज कहीं ना कहीं उठाओगे आप क्षेत्र में अपना योगदान दोगे जब तक आप छात्रवृत्ति के दौरान यानी पढ़ाई के दौरान शिक्षा व्यवस्था में रहने के दौरान अपनी आवाज नहीं उठा पाओगे तो उसका प्रभाव आपके नीचे पर बड़े होकर पड़ता है जब आप किसी प्रोफेशन में उतरते हो अपनी आवाज हमेशा उठानी चाहिए छात्रवृत्ति एक अच्छा बदलाव ला सकती है और वर्तमान में छात्रवृत्ति को आपने देखा कन्हैया कुमार और हजारों ऐसे छात्र हैं जो लगातार अपने अपने जरूरतों के लिए सरकार से मुंह तोड़ जवाब देते हैं और अपने संस्थान को भी लगातार फटकार ते हैं तो यह होना चाहिए
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