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श्री कृष्ण है तो महसूस कर सकेंगे और अगर आप ठीक नहीं हैं तो नहीं कर पाएंगे श्री कृष्ण का बोध तो श्री कृष्ण जैसे ही किसी को होगा ना जो उनको समझ में आ रहा है जो उनको अनुभव हो रहा है वह तो उनके जैसे ही किसी को अनुभव होगा तो आप भी उनके जैसे हो जाएं जो उनको दिख रहा है आपको भी दिखेगा जब भी दिखाई दे शास्त्रों की बात पुत्रों की बात गुरुओं की बात समझ में नहीं आ रही है दोष अपनी समझ को मत दीजिएगा अपनी हस्ती को अपनी अस्मिता को अपने पूरे वजूद को दीजिएगा वह वाक्य पूछ लो क्या वह व्यक्ति आपको समझ में इसलिए नहीं आ रहा है क्योंकि आपके जीवन और उसके जीवन में बहुत दूरी है वह किसी और केंद्र में संचालित किसी और आया है आपका केंद्र ही दूसरा कोई और आया इसीलिए उसकी बात उसका ग्रह क्या उसके जीवन कुछ युक्तिसंगत नहीं मालूम पड़ता कुछ भी संगति दिखती है कुछ ठीक लगता है दो और दो चार होता नहीं दिखता दो और दो चार हो गई तभी उसके जैसे हो जाएंगे वास्तव में महापुरुषों के कथनों को समझने का कोई तरीका ही नहीं है विधि कोई है ही नहीं वही हो जाना पड़ता है जिसने वह बात बोली थी बात समझने के लिए वही हो जाना पड़ता है जिसने वह बात बोली थी तभी वो पल्ले पड़ेगी अगर आप वह है नहीं जिसने वह बात बोली है और फिर भी आप का दावा है कि मैं तो समझता हूं झटका खाने के लिए तैयार रहें कुछ समझते नहीं है गीता के श्लोकों का अर्थ कर लेने से कुछ लोग समझ में नहीं आ गए जब जीवन में कृष्णा तो आए कृष्ण की बात समझ में आई जैसे हो जाएंगे फिर श्लोक सहज हो जाएंगे तो पड़ेंगे कहां बात कराइए अंजानी या दूर की लगेगी ही नहीं है मेरी बात मैं तो जानता हूं जब तक बात आपकी नहीं हुई अब तक समझ में कैसे आ गई भाई इसे आगे भी समझ गए होंगे कि समझाने की प्रक्रिया वास्तव में होती क्या है जब गुरु शिष्य को समझा रहा है या जब कृष्ण अर्जुन को समझा रहे हैं तो घटना घट रही है घटना घट रही है कि अर्जुन को कृष्ण अपने जैसा बना रहे हैं समझा नहीं रहे 4 जून को अपने में समाहित किए ले रहे हैं वर्जिन को पी रहे हैं अर्जुन में ड्राई एसएस अर्जुनमृता जाता है यही समझने की प्रक्रिया है गुरु और शिष्य के मध्य हमेशा यही घटती है जितना मिटेगा उतना समझेगा मीठा नहीं है अपनी अकड़ में दूर खड़ा है उसे अपनी हस्तियां भी प्यारी है उसे अपनी सत्ता बरकरार रखनी है उसे कुछ समझ में आ भी नहीं रहा होगा प्ले देकर के हर धर्म ग्रंथ का और हर गुरु का उपदेश मात्र इतना होता है मेरे जैसे हो जाओ बाकी सब बातें तो बहाना है बातचीत करनी है तो कुछ मुद्दा होना चाहिए ना तो मुद्दे खड़े करे जाते हैं कभी किसी विषय पर बात होती है कभी किसी विषय पर बात होती है गीता में 18 मुद्दे खड़े करेगा एक के बाद एक लेकिन सब मुद्दे बहाना है चल क्या रहा है अर्जुन के विलेन की बड़े मालिक परिवर्तन की प्रक्रिया चल रही है ऊपर ऊपर बातें चल रही है नीचे नीचे अर्जुन को मिटाया जा रहा है की छतरी से बात नहीं होता है तो टूथ को रिझाने के लिए जरूरी होता है कि ऊपर पर बातचीत चलती रहे शशि को लगा रहता है टांडव रहता है हम तो ना रहती है कि बातचीत ही तो चल रही है बातचीत ऊपर ऊपर चल रही है नीचे नीचे कुछ और चल रहा है इशिता बातों को लेकर इतना आग्रह ना होता गुरु पर्व पर ही बातचीत ना करता
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