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जिन राजा महाराजाओं ने खुजराहो का मंदिर का निर्माण किया था उन्होंने 84 कामकला स्वामी 8984 कामकला को चित्रित करने का काम किया इसलिए वहां पर ज्यादा कामुकता है क्योंकि वह मंदिर कामसूत्र से प्रेरित है
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खजुराहो का मंदिर दसवीं शताब्दी केंद्र बनाया गया है तब लोगों में कामुकता और सेक्स ज्ञान का चित्रण करने के लिए इस प्रकार की कामोद्दीपक चित्र खजुराहो में उस टाइम के कलाकारों ने बनाए थे जो कि लोगों को प्रेरणा देने के लिए सेना तूने कोई गंदी नजर से देखने वाली बात थी वह कलाकार की उस समय की भावना को प्रदर्शित करता है
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प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में काम को कभी भी राम से अलग नहीं समझा गया यह सारी स्विफ्ट ही काम पर आधारित है काम को इस तरह से कोई अछूत विषय नहीं माना जाता काम भी जीवन का ही एक अंग है इसीलिए सनातन संस्कृति में धर्म अर्थ काम और मोक्ष चारों की कल्पना की गई है और उसी के लिए हर व्यक्ति प्रयत्नशील रहता है खजुराहो के मंदिरों में भी इसीलिए काम कला से संबंधित मूर्तियों का निर्माण किया गया है और काम का जीवन में क्या महत्व है दर्शाया गया है काम से भागकर कभी आप राम को नहीं पा सकते
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विकी आपका प्रश्न भारत की खजुराहो मंदिरों में इतनी कामुकता क्यों अच्छा है भारत की खजुराहो मंदिर में बहुत सी मूर्तियां ऐसी हैं जिनमें कामुकता कूट-कूट कर भरी हुई है नर नारी के तरह-तरह की संसद को को दिखाया गया है कि हिंदू धर्म में हमेशा पुरुषार्थ चतुष्टय की बाकी की धर्म के अनुसार धर्म अर्थ काम मोक्ष इन चारो का सेवन हमेशा व्यक्ति को करना चाहिए और इसी में सृष्टि का कल्याण है धर्म से तो आप परिचित हैं सभी धर्म करते हैं सभी धार्मिक कार्य करते हैं सभी धर्म में लगी रहती है लेकिन अर्थ भी सभी कमाते हैं मुक्त की शुभकामना रहती है लेकिन हमारे प्राचीन हिंदू शास्त्रों में पुरुषार्थ चतुष्टय होते हुए भी काम का काम को बहुत बुरा बताया गया है सभी ग्रंथों में काम को अक्षय बुरा बताया गया तरह से कहा गया है कि सुंदर युक्तियां जो जवानियां होती है वह नरक का मार्ग दिखाना इस तरह की उस समय इसकी अवधारणा हो गई थी इन दोनों को पढ़ पढ़ कर काम अध्यक्ष बहुत बुरी चीजें खजुराहो के मंदिरों में कामुकता का प्रदर्शन करके उस समय की राजाओं ने यह संदेश दिया काम जो है पुरुषार्थ कुत्ते की एक प्रमुख श्री है और काम से ही चेक से ही किसी चलती है अतः काम के महत्वपूर्ण हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए
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