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को लेकर के छात्रों से चिपके हुए उन्होंने नियत कर्म का अर्थ करें कि जो भी शास्त्र वेद कर मत करना जो जैसा चल रहा है उसी जोकर सामने आ जाए वही अर्जुन अपने नियत कर्म का और कोई कर मत कर पहले सत्र में हुए थे अभी तक है कि नहीं वापस चले गए अर्जुन भाग गया है कैसे पता चलेगा कि क्या है हमको क्या सुख आनंद छुट्टी हो रही नियत कर्म कर्म आनंद के पास नहीं जा रहा हूं और जो उससे पूछता हूं जो आपको आपके स्वभाव के पास ले जाता हूं और जो आपके स्वभाव से उठता हूं चुनाव को लेकर के कोई कयास लगाने की जरूरत नहीं है क्या आपका जो भी कुछ आप सोचते रहते हो अपने बारे में सवाल नहीं है आपका जहां आप मौन हो जाते हो जहां आप जानने के क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं वहां का स्वभाव जिनके बारे में आप को रंच मात्र भी ज्ञान ना हो उसको अपना सुनाओ जाने दो आप चुप कर दे और ऐसा चुप कर दे कि आपकी जानने की उत्सुकता भी ठंडी पड़ जाए उसको सुनाओ जानिए जिसको आज भी ना जानते हो लेकिन फिर भी उसे भरोसा आता हूं उसको सुबह हो जाएंगे आप को इस दिशा में ले जाता हूं कुछ भी आसमान से उठता हो वही आपका नियत कर्म कुछ दिखा करो ने कहा है कि अर्जुन का नियत कर्म हुआ युद्ध करना और कृष्ण अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित कर रहे हैं क्योंकि उसकी नियति है उसका वर्णन क्यों राजपूत क्षत्रिय है तो इसलिए कृष्ण उसको प्रेरित करें हैं लड़ने के लिए हालांकि एक दोस्त लोग भी ऐसे हैं इंशाल्लाह के ही मिलता है कृष्ण 12 10 खुल करके भी यही कहा है कि अर्जुन की बात को पूरी धर्म पहुंचना होगा मात्र एक दोस्तों को यूंही उठा लेना ठीक नहीं है टुकड़े उठाना कभी भी ठीक नहीं होता है तो गीता को समझना होगा कृष्ण पूरी स्थिति को परखा है को जानते हैं कि इस मौके पर एक ही चीज है जो एक शांत मन कर सकता है वह है कि आप जब भी सामने खड़ी ही हो गई है तो लड़ने की बात बुरी लगती है हमें लगता है जो अशांत है वह तो भाई के सामने थर थर कापे को शांति कहते हैं शांति नहीं कहते चल चल रहा है अमन से ज्वाला उठ रही हो तो कैसे जा सकते हो तुम शांत हो सिर्फ इसलिए क्योंकि जर्मन कप्तानों का तोहार दिखा देगा तो नहीं पाओगे शांति ला सकता था शांत रह करके कोशिश कर ली गई ना हो शांत रह करके वह सब कुछ पा लिया गया जो हमारे ऊपर थोपा गया अब शांत रहकर भी कर लेंगे शांत रहकर के बन जा सकते थे शांत रहकर के शांत रहकर के चीरहरण देख सकते थे शांत रहकर अकेला छोड़ सकते थे शांत रहकर के दूध पीड़ा में खा सकते थे सिद्धांत है कि युद्ध करने में क्या परेशानी और यहां डिस्को शांति के नाम पर जूते देखना भागते देखना दुम दबाकर देखना उसको जान लेना कि तुम ही दबा रहा है इससे ज्यादा अशांत कोई नहीं ली जाती है आपकी सुलझ जाना जो कुछ भी आपको सुलझाओ में की तरफ ले जा रहा हो उसको लेकर के कृष्ण कहते हैं करने की जो जो आपको और हल्का करता हूं जो कुछ इकट्ठा कर रखा है मुक्त करता हूं और दूसरा विकल्प हो कुछ ऐसा कर डालने का जो 24 घाटे और बांध देता हूं पर कुछ और बढ़ा देता हूं कृष्ण क्या आपको सुना दी है क्या सलाह दी अर्जुन क्या है और जीवन में भी आपके सामने फैसले की घड़ी है कि कल के मौके आए हैं बस से इस सलाह को कसौटी बना लीजिएगा चल दीजिएगा किस ने यही कहा आप सर नमस्ते सर को चल देना आज रंग है
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